Thursday, April 14, 2011

एक रूप भ्रष्टाचार का ......

भ्रष्टाचार   शब्द  आज के जीवन में ...चरम रोग बन गया है ! किसी न किसी रूप में हर ब्यक्ति , इस कैंसर से पीड़ित है ! किसी भी सरकारी कार्यालय में ..किसी कार्य वश    जाने पर  हमें  इसके प्रभाव से ग्रसित होना पड़ता है ! लिपिक का समय पर काम न करना, अधिकारी द्वारा फरियाद न सुनना, बार - बार कार्यालय का चक्कर लगाना ,समाधान को टालते रहना .....वगैरह - वगैरह ! ट्रेन में वर्थ खाली रहने पर भी .टी.टी.द्वारा वर्थ किसी को अलाट न करना ....सरकारी अस्पताल में दवा रहने पर भी न देना, पंचायत /पौर सभा  कार्यालय में बर्थ  प्रमाण पत्र का न देना  ,समय से किसी चीज का  न मिलना ! कितना गिनाऊ !हर क्षेत्र में तथा हर मोड़  पर हमें भ्रष्टाचार घेरे हुए है !
 प्रश्न उठता है की आखिर भ्रष्टाचार है क्या ? 
      इससे कौन ग्रस्त है ? 
    आखिर ऐसा क्यों ?
    देने वाला भ्रष्ट है या लेने वाला ?
 क्या इससे बचा जा सकता है ? वगैरह - वगैरह !
 संक्षेप में देखें  तो उस देश की संबैधानिक क्रिया - कलाप को ताक पर रख..उलटा - पुलटा कार्यवाही ही भ्रष्टाचार की सीमा में आती है !मनमानी करना और अपने धौश  को ज़माना भी इससे परे नहीं है !किसी से भय नहीं ..या भय नाम की कोई चीज नहीं !संस्कार का आभाव ! मान- मर्यादा का उलंघन ! 
जी हाँ ताली दोनों हाथो से बजती है ! मरीज बीमार तो डाक्टर होशियार ! दोनों अपने -अपने जगह तीस  - मार खान ! सभी को जीवन में इतनी जल्दी पड़ी है  , की कोई भी ज्यादा इंतज़ार नहीं करना चाहता ! भाग - दौड़ की जिंदगी में फटाफट की चित्तकार ! कोई किसी का सुनाने वाला नहीं  ! सभी  शिक्षित , पर सदाचरण का अभाव !
 इससे ज्यादातर ..सभी और सुसंस्कृति को पालन करने वाले पूर्ण रूप से परेशान !
सभी कम समय में बलवान  और शक्तिशाली बन जाना चाहते है ! निति का कोई मोल नहीं तथा  इस पथ पर चलने वाले को मुर्ख तक कह दिया जाता है ! किशी को कोई नौकरी मिली , तो आस - पास वाले पहले यही पूछते है की - उपरवार आमदनी है या नहीं ! अगर नहीं है तो सब कहते मिल जायेंगे की ..तन्खवाह तो ईद का चाँद है !
भ्रष्टाचार  को बढ़ावा देने वाले ..तो और कोई नहीं ऊपर से हाथ बढाने वाले ही है ! लेने वालो का हाथ ..सदैव  निचे होता है ! क्या आप दोनों पसंद करते है या नापसंद ? हमें भय मुक्त होकर तप करने होंगे , तभी समृधि आएगी ..परिवार में , समाज में , देश में और फिर हमारे मान और सम्मान में !
संतोष सबसे बड़ा धन है ! बिना संतोष   सभी निर्धन ! यही कारण है  की असंतोष मानव को विभिन्न तरह के दुष्कर्मो को करने के लिए प्रेरित करता है ! यही  दुष्कर्म   एक दिन हमारे अंत के रूप में ..उदय होता है !
खैर मै कोई दार्शनिक नहीं ...धर्मवेत्ता नहीं ...प्रचंड विद्वान् नहीं ..वश एक साधारण सा इंसान हूँ ! जो महसूस किया , उसे अपने ब्लॉग के माध्यम से आप के सामने प्रस्तुत कर देता हूँ !
 प्रसंग वश कुछ कहना अच्छा लगता  है ! अन्ना हजारे साहब ने ..जंतर -मंतर पर बैठ ...आमरण अनशन कर ..भ्रष्टाचार के बिरुद्ध लडाई छेड़ी, जो अपने - आप में ...आज की आवाज और समय की मांग है ! इसे हम सभी को एक जुट होकर लड़ना चाहिए !
मतदान के वक्त ..स्पस्ट  मतदान उस उम्मीदवार को दे , जो सबमे सुन्दर हो !
पार्टियों  के बिल्ले पर न जाए !
भ्रष्टाचार का बिरोध करना जरुरी है ! बढ़ावा न दें !
सरकार को चाहिए की भ्रष्टाचारियो  के पुरे  सम्पति को सिल कर... राष्ट्रीय  कोष में जमा करे !
हर सरकारी विभाग में ..सभी कार्यो के लिए  समय सीमा का निर्धारण होनी चाहिए ! इसका उलंघन होने पर सजा का प्रावधान हो !
सरकार को चाहिए की ऐसी सुबिधा  अपने कर्मचारियों को दे , जिससे की उन्हें अगल - बगल न झांकना पड़े ! जैसे -आवास , शिक्षा ( बच्चो को ), बिजली ,सामाजिक उत्थान , इत्यादी मुहैया कराने की  जिम्मेदारी सरकार ले !
किसी भी तरह के खरीद - फ़रोख ...रुपये से न कर ....इलेक्ट्रोनिक आधार से किया जाय !
भ्रष्टाचारियो  का सामाजिक बहिष्कार होनी चाहिए ! न इनके समारोह में भाग लें , न ही इन्हें अपने समारोह में निमंत्रित करें !
अब  आये  एक घटना की जिक्र करे -----
मै उस दिन  यस्वन्तापुर रेलवे स्टेशन पर .....गरीब रथ के लोको में  प्रवेश कर ..लोको के भीतरी उपकरणों की जांच - परख कर रहा था ! ट्रेन रात को आठ बज कर पचास मिनट पर छुटने वाली थी ! तभी एक युवती  करीब सत्रह - अठ्ठारह वर्ष की होगी , जींस और टी - शर्ट पहने हुए थी , लोको के खिड़की के समक्ष आ कर खड़ी  हो गयी !
 सर ..आप ही इस ट्रेन के लोको पायलट  है ? उसने पूछा !
 जी हाँ ! मैंने जबाब दिया !
 सर  मेरी बहन का लैप-टाप घर पर ही छुट गया है !वह हैदराबाद जा रही है ! कृपया ट्रेन को एक मिनट के लिए दोदबल्लपुर में खड़ा करेंगे ?-  उसने प्रश्न किया ! मैंने सीधे इनकार कर दिया क्यों की रात का समय और उस स्टेशन में गरीब रथ भी नहीं रुकती है !
 वह मानी नहीं ! अपने जिद्द पर अड़ गयी थी ! मेरी कुछ न सुनी ! आखिर मै...उसके विवसता को भाप गया तथा ..सोंचा ...मदद करनी चाहिए !जो मेरे वश में है ,उसे मदद में इस्तेमाल करने से कोई हानि नहीं !
फिर क्या था , मै अपने लोको के मेधा स्क्रीन के रीडिंग  पढ़ने के लिए मुडा ! तभी देखा की वह युवती लोको के अन्दर   घुस गयी और मेरे करीब आकर खड़ी हो गयी ! मेरा सहायक लोको की जाँच - पड़ताल में बाहर व्यस्त था ! मुझे कभी भी महिलाओं से नजदीकी नहीं रही है और इससे परहेज भी करता हूँ ! किसी महिला से बात करना , मेरे वश में नहीं ! ब्लॉग में महिलाओ के ब्लॉग पर हिम्मत जुटा कर टिपण्णी करता हूँ ! ऐसा क्यों , शायद  मुझे भी   नहीं मालूम !
अन्दर आते ही उसने कहा - सर ....please .
 मै मेधा स्कीन को देखते हुए बोला - " मैंने कह दिया है न !मुझे परेशान क्यों कर रही हो ! कुछ हो गया तो मै इसका जिम्मेदार हूंगा ! "  इतना कहने के बाद मै उसके तरफ मुखातिब हुआ ! देखा वह पांच सौ  के नोट को मेरे तरफ बढ़ाये हुए खड़ी थी ! वश क्या था , मै आपे से बाहर हो गया ! कहा - गेट आउट फ्रॉम हियर ! शर्म नहीं आती ! क्या बिकाऊ समझी हो ! पैसे से सब - कुछ खरीदना चाहती हो ! क्या जीवन में पैसा ही सब - कुछ है !
 वह डरी और सहमी सी   तुरंत लोको से नीछे उतर गयी ! फिर उसने सहस नहीं की  , कुछ बोलने की !
       जी हाँ  दुनिया में बहुत से लोग ...पैसे से सब - कुछ खरीदना चाहते है ! इतना ही नहीं ..बिकाऊ भी बिक जाते है !कुछ सच्चेऔर ईमानदार ब्यक्ति होते है , जिन्हें इस दुनिया  की कोई सम्पति खरीद नहीं सकती ! वे अनमोल होते है ! ऐसे लोग आज - कल विरले ही मिलते है ! उन्हें उपहास में गाँधी जी या राजा हरिश्चंद्र जैसे उपाधि मिल जाते है !
   आज के विचार ----


''हमें  यदि किसी को गाली का उत्तर नहीं दिया जाय , तो उसका क्रोध शांत हो जाएगा ! इसीलिए मौन को सबसे बड़ा वरदान और सुख माना गया है !जागरुक और सावधान ब्यक्ति को किसी प्रकार के भय की आशंका नहीं रहती ! प्रायः रोग , शत्रु , तथा चोर - डाकू आदि असावधान और सोते ब्यक्ति पर ही आघात करते है !जागते को देख कर सभी भाग जाते है !अतः स्पस्ट है की उद्योग  ......समृधि का ,  तप...पाप नष्ट का ,  मौन.....शांति का ,  और  सावधानी...भय से , बचने के लिए निश्चित माध्यम है !-''----चाणक्य 

 आप सभी को बैशाखी की शुभ कामना !

15 comments:

  1. जागते रहो... जागते रहो ...का अलख जगाती आपकी पोस्ट
    नायाब है गुरूजी. आप यूँ ही प्रेरणादायक पोस्ट लिखते रहिएगा.बहुत चैन पड़ता है आपकी सच्ची सच्ची और खरी खरी नसीहतें पढकर.

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  2. आपकी ईमानदारी का उदाहरण अनुकरणीय है,सभी को ऐसा ही करना चाहिए.अन्ना सा :तो सरकार को बचा रहे हैं.आप सब को भी वैशाखी की हार्दिक मंगलकामनाएं.

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  3. आपने बहुत अच्छा किया, अनेकों साधुवाद।

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  4. बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने, ये मेघा स्क्रीन क्या होता है? कृपया इस तरह के तकनिकी शब्द इंग्लिश शब्द के हिंदी उच्च्चारण में ही लिखा कीजिये कोई जरुरी नहीं है की भाषा संस्कृत निष्ठ ही हो

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  5. आपको भी बैशाखी की शुभ कामनाएं

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  6. अनुकरणीय कदम .......साधुवाद .... बहुत सार्थक विचार सामने रखे आपने.....हर पंक्ति सारगर्भित है.....

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  7. आपकी ईमानदारी का उदाहरण अनुकरणीय है,आप जैसे इमानदार आदमी विरले ही मिलते हैं|
    आपको भी बैशाखी की शुभ कामनाएं|

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  8. अनुकरणीय आचरण ....प्रेरक प्रस्तुति
    बैशाखी की हार्दिक बधाई ...

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  9. @Madan sharma ji

    Medha servo drive Pvt.Lmt. is a hyderabad based company. It has manufacture a microprocessor based locomotive control system for useful to Indian railways in diesel electric loco motive .This control system sense the various activities of loco motiv during run/ idle and store in memory viz.-speed,temp,pressure,TM speed,voltage,current,RPM,etc.Thereby it is very useful to loco pilot/shed staff.,to understand the performance/troubles of locomotive.

    it could be known through the display unit provided in loco motive cab. same process,in short,we loco pilot spells as "MEDHA" screen reading or MEDHA DISPLAY UNIT READING.

    MEDHA= Instrument made by Medha CO.

    SCREEN= displays digital message.

    READING= process to read the past/present active message of locomotive by operating various mode on MEDHA equipment. This MEDHA instrument is very useful and helpful to loco pilots during duty hours.

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  10. अनुकरणीय आलेख ...आभार !
    आपके ब्लाग की पॄश्ठभूमि का रंग काला होने की वजह से पढने में दिक्कत होती है ।

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  11. @ नवेदिता जी ....
    मैंने आप की सलाह मान ली और पूरी तरह से पसंदीदा बना दिया , जिससे इसे पढ़ने में किसी को किसी तरह की असुबिधा , अब न हो ! नवेदिता जी सुझाव के लिए बहुत - बहुत धन्यबाद !

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  12. प्रेरक पोस्ट।

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  13. ऐसी ईमानदारी आजकल नही मिलती ... अनुकरणीय है आपका किया और ये पोस्ट भी ...

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  14. ek 17 -18 sal ki ladaki agar itana dussahas kar sakti hai aur uski soch hai ki vo paison se sab khareed sakti hai to sochiye hamari yuva peedhi ki soch kitani bhrasht ho gayee hai...aankh kholane vali post..

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