Friday, June 24, 2011

अनुभूति

     जीवन  में कभी - कभी , कुछ चीजे मानव को सोंचने पर मजबूर कर देती है ! मनुष्य की दरिंदगी अपने आप में निष्ठुर और विनाशक है ! आज  मानव हर चीज को पाने की लालसा में , कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है ! उसकी मन की आकांक्षा ..और भी तीब्र हो जाती है जब वह आधुनिक परिवेश की तरफ आकर्षित होता है ! उसके आकर्षण ,  दुनिया की हर पहलुओ को ध्यान से देखती  है ! चाहे पहनावा हो या खान - पान या अति - सुवीधाजनक  शानशौकत ! खान - पान में शाकाहारी हो या मांसाहारी  !  सभी के अपने रंग ! सभी अति की तरफ इंगित करते है ! 

तारीख २१-०६-२०११ को मै गरीब रथ एक्सप्रेस को लेकर सिकंदराबाद जा रहा था ! सिटी में इंटर कर गया था ! ट्रेन धीरे - धीरे स्व-चालित सिगनल  क्षेत्र में आगे बढ़ रही थी ! सनत नगर के पहले एक बूचड़ खाना है , जो रेलवे लाइन के बिलकुल किनारे में ही है ! वहां  रोज दो -तीन जानवरों की ह्त्या हो ही जाती है ! मैंने देखा ..कसाई कमरे के अन्दर ..किसी जानवर को काट कर .बगल में खड़े ऑटो रिक्सा पर लाद रहा था ! कमरे के बाहर दो बैल बिलकुल शांत मुद्रा में  खड़े थे और  एक बैल जमीन पर चारो पैर फैला कर लेटा हुआ था ! मेरे मन में हलचाल सी हुई ! आज उसके दिल पर क्या गुजरती होगी ,शायद वह अपने अंत को भाप गया है ,  अनुभव करने की जरुरत है ! वह सोंचता होगा की कल का उसका एक दोस्त , आज कसाई के जुल्म का शिकार हो गया ! कल उसकी पारी है !  वह बेजान धरती के ऊपर पडा हुआ था !

फिर दुसरे दिन यानी तारीख २३-०६-२०११ को गरीब रथ लेकर  सिकंदरा वाद  जा रहा था ! सहसा फिर उसी बूचड़ खाने पर नजर पड़ी ! देखा दो बैल खड़े थे , पर वह बेचारा नहीं था ! आज वे दोनों भी इस दुनिया में नहीं होंगे ! कितनी बड़ी विडम्बना है ! एक जीव दुसरे जीव की ह्त्या करने से नहीं चुकता ! उस कसाई का दिल कैसा होगा ? निष्ठुर , बेदर्दी और कुछ क्या - क्या ?

जो ह्त्या में विश्वास करते है , क्या उनसे प्रेम की निर्झर बहेगी ? क्या प्रेम उनके लिए कोई मायने रखती  है ? क्या उनके दिल में कोमलता की दीप होगी  ? क्या उनका प्यार भरोसे के काबिल है ? ऐसे स्वभाव के लोगो से जागरुक और सतर्क रहना ही उचित उपाय है !

कहते है ---जो बोल नहीं सकते   वे आने वाली कष्टों  को भाप जाते है ! जो देख नहीं सकते वे अपने दिल के आईने में वह सब कुछ देख लेते है , जो एक आँख वाले को मयस्सर नहीं होती !

आखिर हम इतने निष्ठुर और निर्दयी क्यों हो जाते है ? जो चीज हम खुद नहीं चाहते , वह दूसरो के लिए क्यों पैदा करते है ? क्या दूसरो को मार कर , हमारा अस्तित्व बना रहेगा ? ताकत से सत्ता तो मिल जाती है पर वह प्यार नहीं मिलता ! जिसके लिए सभी तरसते है !

17 comments:

  1. जो अपने सुख के लिए किसी के प्राण लेता है उसका अंत तो बुरा ही होता है, परमात्मा ऐसे आदमी को सदबुद्धि दे|

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  2. उनके बारे में क्या कहेंगे जो मांसभक्षी हैं,उन्ही की खातिर तो ये हत्याएं होती हैं.माडर्न लोगों को मानवता से क्या मतलब?

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  3. ये दुनिया है, बडी बेरहम।

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  4. काश यह छोटा सा तथ्य सबकी जीभ को भी समझ में आ जाये।

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  5. ताकत से सत्ता तो मिल जाती है पर वह प्यार नहीं मिलता ! जिसके लिए सभी तरसते है !

    कितनी गहरी और अर्थपूर्ण बात ..... सुंदर विवेचन

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  6. हाथ में छुरा हो और अपनी जान पर भय नहीं, यह नशा किसी भी शराब के नशे से बडा नशा है।

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  7. अपनी जीभ के स्वाद के लिए किसी जीव की हत्या कर देना घोर निंदनीय है| न जाने कब लोगों के समझ में यह बात आएगी की FOOD IS FOR LIVING, NOT FOR ENJOYMENT...

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  8. sach me bahut dardnak hai..apne aanad ke liye kisi ke jeevan ko khatm kar dena..behad samvedan shel...

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  9. अच्छा ब्लाग है आपका कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद आते रहिए

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  10. " ताकत से सत्ता तो मिल जाती है पर वह प्यार नहीं मिलता ! जिसके लिए सभी तरसते है!" आप का यह वाक्य बहुत बहूमुल्य है,
    परन्तु " बैल-जानवरों की हत्या " समझ में नही आया, यदि हम ध्यानपूर्वक विजार करें तो ब्राह्माण्ड की सब वस्तुओं जीवधारी है, पैड़ पौदा, फल फुरूट सब जीवधारी हैं जैसा कि हमारे देश एक विज्ञानिक ने प्रमाणित किया है, मछली, पंक्षी सब जीवधारी हैं, फिर मनुष्य क्या करे ?
    परन्तु आश्चर्य और दुख तो उन लोगों, नेताओं , गुंडो, पुलिस अधिकार्यों पर है जो बेगुनाह लोगों की हत्या कर के अपनी सत्ता को चलाते, मौज मस्ती और धनदौलत जमा करते हैं।
    दैनिक पत्रिका और नीव्ज चैनल प्रत्येक दिन इस प्रकार की घटना को प्रकाशित करते हैं।

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  11. आह! बहुत दर्द होता है निष्ठुर कसाईपने से.क्या भोले भाले निरीह जीवों को मारकर ही पेट भरा जा सकता है.माँस खाने वाला जरा सोच के देखे कि यदि उसके प्राण बेरहमी से कोई हरे तो कैसा लगेगा.
    आपकी जीवों से सहृदयता को प्रणाम.

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  12. कभी खुशवंत सिंह ने कहा था कि वे मांसहारी इसलिए है कि यह प्रकृति का नियम ह। मुर्गी कीडे खाती है, मछली नदी या समुद्र के छोटे कीट या छोटी मछलियां खाती है और मैं उन्हें खाता हूँ। हर कोई किसी न किसी को मार कर ही खा रहा है!!! अब तो यह भी प्रमाणित हो गया है कि पेड-पौधों में भी प्राण हैं.... हां, हत्या का यह खुला प्रदर्शन निंदनीय अवश्य है।

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  13. सच कहा है,ताकत से सत्ता तो मिल जाती है ,प्यार नहीं मिलता!

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  14. aadarniy sir bahut hi marmik par akxhrshah sach likh hai aapne .dil bhar aaya yah post padh kar .
    par jo log aisa karte hain unko dard kyon nahi hota.aakhir prakriti ne hame hamare jarurat kie sabhi sadhno ko ijaad kiya hai
    fir log kyon is prakaar nirih jeev ki hatya karkr hi apni tripti kar pate hain?
    ताकत से सत्ता तो मिल जाती है पर वह प्यार नहीं मिलता ! जिसके लिए सभी तरसते है !
    bahut hi behtreen panktiyan
    hardik badhai v
    sadar naman
    poonam

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  15. छोटे से लेख मे बहुत सी बातो को रख कर बहुत बड़ी बात कह दिया आपने... जीव हत्‍या वो भी भोजन के लिये बंद होनी ही चाहिये।

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  16. शाह साहब !सब संस्कार की बातें हैं कोई पान बीडी बेच रहा है लोगों के फेफड़े छेद रहा है कोई मुंबई में बड़ा पाँव गरीबों को सस्ते दामों पर बेच रहा है .और कोई बूचड़ खाने में पशुओं को जिबह कर रहा है ।
    मुसलमान तो हलाल करता है जानते हैं आप कसाई बकरे के कान में क्या कहता है जिबह करने से पहले -या अल्लाह मुझे माफ़ करना ये हरामी मुझसे कह रहा है इसे काट मैं तो अपना कर्म कर रहा हूँ .झटके वाला कसाई क्या कहता है बैल के कान में हमें नहीं मालूम .पूरब और पश्चिमका यह एक बड़ा द्वंद्व है -सामिष भोजन के लिए जीव ह्त्या और अब तो यह विषय पर्यावरण से भी जुड़ गया है ,पहले ५ पशुओं को एक खेत का अनाज खिलाओ फिर उनका मांस खुद खाओ ।
    और इसी खानपान से जुडी है हमारी सेहत की नव्ज़ .जैसा अन्न वैसी सेहत वैसा मन ,जैसा पानी वैसी वाणी .

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  17. प्रायः मन ऐसी घटनाओ से बैचेन हो जाता है.... बहुत से सवाल उठते है.

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