Wednesday, October 19, 2011

दक्षिण भारत - एक दर्शन-रामेश्वरम

एक  अबोध बालक - बालू पर खेलते हुए ! रामेश्वरम शहर के सड़क के किनारे !
अब मै दक्षिण भारत- एक दर्शन के दूसरी पड़ाव की ओर चलता हूँ ! मदुरै में तीन दिन  तक रहा ! पहले दिन मंदिर के दर्शन और स्थानीय साथियों से मिलने में ही गुजर गया ! दिन भर कोई न कोई आकर मुझसे मिलते रहा ! सबसे प्रमुख रहे श्री आर.एस.पांडियन जी , जो रिटायर मेल लोको पायलट तथा भुत पूर्व महा सचिव ( दक्षिण रेलवे / ऐल्र्सा ) रह चुके है ! ये मेरे  साथ रिटायरिंग रूम में करीब डेढ़ घंटे तक साथ रहे !  बहुत बातें  हुयी ! उन्होंने मेरे अगले यात्रा के बारे में पूछा ? मैंने कहा की कल रामेश्वरम के लिए निकल रहा हूँ ! उन्होंने सुझाव दिया की सुबह ६ बजे मदुरै से रामेश्वरम के लिए ट्रेन जाती है , उसमे चले जाय! मैंने सहमति में हामी भरी , किन्तु तमिल नाडू को करीब से देखना चाहता हूँ , अतः टूरिस्ट बस बुक कर लिया हूँ ....से - उन्हें अवगत करा दिया ! उन्होंने क्या और कैसे रामेश्वरम की यात्रा करनी चाहिए , कौन सी सावधानी बरते ,  वगैरह के बारे में मुझे समझा दिए ! अब आयें यात्रा पर चलें --
 दुसरे दिन टूरिस्ट बस साढ़े सात बजे --रामेश्वरम के लिए रवाना होने वाली थी ! इसमे करीब पच्चीस यात्री सवार हो सकते है ! सुबह पूरी तरह से तैयार होकर टूरिस्ट बुकिंग कार्यालय के पास आ गए ! जो पहले से निर्धारित था ! किराया -३००/- रुपये प्रति व्यक्ति लंच के साथ ( मदुरै -रामेश्वरम -मदुरै ), वापसी शाम को साढ़े सात बजे ही ! निर्धारित समय से बस आ गयी और हम तीन अपने रिजर्व सिट पर जा बैठे ! करीब एक घंटे तक बस ड्राईवर इस लोज से उस लोज तक जा -जा कर यात्रिओ को लिफ्ट देते रहा ! करीब नौ बजे टूरिस्ट बस अपने गंतव्य के लिए रवाना हो चली !
                  टूरिस्ट बस के अन्दर से बाहरी दृश्य
तमिलनाडू के रोड सुन्दर ही थे ! आस - पास की हरियाली , नारियल  के पेड़ , कटीली झाडिया , लाल मिटटी मन को मोह ही लेती थी ! कही कहीं गाँव हमारे उत्तर भारत से बिलकुल अलग ! छोटे - छोटे दुकान गाँव की कलपना साकार कर रही थी ! एक जगह बस ड्राईवर ने बस रोकी ! अपने सिट से उठ कर हम लोगो के बिच आया और टूटी - फूटी हिंदी में कहने लगा की आप सभी मुझे २० रुपये पर हेड दें ! यह चार्ज सामान की देख - रेख और जगह - जगह लगाने वाले टिकट के एवज में लिया जा रहा है , जो मै सामूहिक रूप में अदा करते रहूँगा !आप लोगो को कोई परेशानी नहीं होगी ! कुछ ने इसका बिरोध किया ! प्रायः सभी उत्तर भारतीय ही थे ! अंत में एक राय बन ही गयी , तब जब  उसने कहा की अगर आप लोग चाहे तो सभी जगह अपना खर्च अपने बियर करें !
रास्ते में टिफिन के लिए बस रुकी ! हमने टिफिन कर लिया था ! नारियल के पानी पर भीड़ गएँ ! बहुत सस्ता केवल 25/-रुपये  अन्दर!
                          ये है हमारे टूरिस्ट बस की संख्या !
रास्ते भर मै सेल से ही तश्वीर खींचता रहा ! साढ़े तीन घंटे के बाद -रामेश्वरम के करीब आ गए !रामेश्वरम एक छोटा द्वीप है ! बिलकुल शंख के सामान - जैसे विष्णु जी इसे अपने हाथो में धारण किये हुए हो ! यह भारत की जमीं से कुछ अलग होकर समुद्र के बिच है ! समुद्र के बिच बनी रेलवे की पटरिया पामान और मंडप स्टेशन  को जोड़ती है ! रेलवे की पामबन ब्रिज जरुरत पड़ने पर उप्पर भी उठाई जा सकती है , जिससे की जहाज इस ओर से उस ओर जा सके !अन्नायी इंदिरा गाँधी रोड -भारतीय भूमि को समुद्र में स्थित रामेश्वरम से जोड़ता है ! यहाँ की जमी समुद्री रेत और नारियल के पेड़ो से भरी पड़ी है ! यह भी इसे खुबसूरत   बना ही देता है ! यहाँ के लोगो का जीवन यापन टूरिस्ट और नारियल से ही सम्बंधित ज्यादा है !

                            बाहर से रामेश्वर मंदिर का दृश्य 
कहते है की काशी यात्रा तभी पूरी  होती है , जब रामेश्वरम में स्नान व् पूजा की जाय ! इससे मालूम होता है की काशी और रामेश्वरम की  महिमा दोनों  सामान है !अतः यह कहा जा सकता है की रामायण जितना पुराना है उतनी ही यह रामेश्वरम ! यहाँ का विराट मंदिर अपने ज़माने का अद्वितीय  और आज का एक अद्भुत उदहारण ही है !जिसे बनाना आज के धनाढ्यो के वश की बात नहीं है ! रामेश्वरम के मंदिर में देवाधिदेव प्रभु शिव की शिवलिंग है !जिसे राम ने स्वयं स्थापित कर पूजा की थी ! कहते है --
जब रावन का बध कर  राम लक्षमण सीता सहित लौट रहे थे तब गंधानाहन पर्वत के कुछ तपस्वी राम पर ब्राहमण बध का दोष लगा कर उनसे  घृणा  करने लगे  ! राम ने उस स्थान पर शिव लिंग बना कर पूजा करके पाप धोने का निश्चय किया ! किन्तु बालू के रेत से शिव लिंग बनाना मुश्किल काम था ! इसके लिए मुहूर्त निकला गया ! राम ने हनुमान को कैलाश जा कर शिव लिंग लाने  का आदेश दिया !लेकिन बहुत देर हो गयी ! सीताजी ने रेत से शिव लिंग बनायीं और राम ने मुहूर्त अनुसार पूजा की ! जब हनुमान जी शिव लिंग लेकर आये तो सब कुछ जान गुस्से से भर गए ! रामजी ने कहा ठीक है रेत की लिंग हटा कर शिव लिंग की स्थापना कर दें ! किन्तु हनुमान जी पूरी बल लगाकर भी रेत की लिंग न हटा सके ! राम ने कहा ठीक है आप की लिंग की पूजा पहले हो ! आज भी यह प्रथा है ! हनुमान जी की लिंग की पूजा ही पहले होती है !
मंदिर के भीतर और बाहर  कई तीर्थ है ! भीतर के तीर्थ जगह - जगह जा कर शरीर के ऊपर पानी डाल कर होती है !पंडो से बच कर रहने पड़ते है ! वैसे उत्तर भारत के पंडो की चापलूसी जैसी यह स्थान नहीं है !फिर भी सतर्क रहना जरुरी है ! रामेश्वरम के बारे में अधिक जानकारी - मंदिर के वेब साईट पर की जा सकती है ,ये है -  
www.rameswaramtemple.org
 समुद्र के ऊपर बनी रेल ब्रिज और रेलवे लाइन ! जो  सुनामी की वजह से निलंबित है !
 भारतीय भूमि और रामेश्वरम के बिच समुद्र पर बनी अन्ने इंदिरा गाँधी रोड से समुद्र को निहारते हम दोनी !                                                                     फोटो ग्राफी -बालाजी 
पामबन ब्रिज को पार करने के बाद - रामेश्वरम के भूमि में कुछ दूर जाने के बाद यह एक मकबरा है , जिसे बने करीब सवासौ वर्ष हो गए है ! यह एक मुश्लिम लडके की मकबरा है , जिसकी लम्बाई सोलह फुट थी ! इस मकबरे की लम्बाई भी सोलह फुट से ज्यादा है !
   लक्ष्मन तीर्थ के अन्दर सरोवर और चंचल मछलिया मन को मोह लेती है !
 सीता  कुंड में पानी का वनवास ही दिखा ! पार यह भी पवित्र स्थल है !
सीता कुंड के बाद तैरते हुए पत्थर देखने गए ! विडिओ ग्राफी या फोटो लेना मना था ! अतः कोई तश्वीर नहीं है ! यह भी देख हम काफी ताज्जुब कर गए ! पानी में बड़े - बड़े पत्थर रखे हुए थे , जो बिलकुल तैर रहे थे ! हमने उसे पानी में जोर से दबाये , किन्तु वे डुबे नहीं ! अद्भुत -  जीवन में पहली बार तैरते हुए पत्थर देखे थे ! इसे देखने के बाद हनुमान द्वारा समुद्र के ऊपर पत्थर रख पूल बनाने की बात की विश्वसनीयता बढ जाती है !
 समुद्री चीजो और हस्थाकला से निर्मित - दुकान जो वातानुकूलित है ,हमने यहाँ से  दो शंख ख़रीदे !
              स्वाति   सी शेल क्राफ्ट  दुकान के अन्दर का दृश्य 
  बहुत दर्शन हो गए !  भूख लगी है ! टूरिस्ट बस वाले ने होटल की तरफ ले चला ! उत्तर और दक्षिण की समागम ! मजा तो नहीं आया , पर अच्छा रहा ! काम चल सकता है !
 रामेश्वरम में ---सेतु स्नान करना , रामलिंगेश्वर के दर्शन करना - हर एक हिन्दू के जीवन में मुख्य और अनिवार्य मना जाता है ! जो ऐसा नहीं कर पता उसका जीवन निष्फल मना जाता है !भारत भर में सैकड़ो पवन मंदिर है ! पवित्र तीर्थ है !लेकिन एक ही जगह पर तीर्थ और दर्शन दोनों प्रमुख हो तो इस सेतु के आलावा और कोई जगह / क्षेत्र नहीं है ! हमने भी समुद्र में स्नान किये ! इसके लिए अलग से कपडे लेकर गएँ थे ! जिनके पास अलग से कपडे नहीं थे , वे समुद्र की शांत  लहरों  को ही देखते  रह गए !
बालाजी सेतु स्नान के लिए मेरे आने  के  इंतजार में , समुद्र के निश्छल  तरंग को निहारते हुए !
             बालाजी समुद्र  की तस्वीर  लेने  में तल्लीन !
और भी बहुत से तस्वीर है ! कुछ प्रमुख प्रस्तुत किया हूँ ! रामेश्वरम  की यात्रा में एक अनुभूति और आस्था जरुर दृढ हुयी - वह यह की देवाधिदेव  शिव की महिमा ने  इस शहर को सुनामी से बचाए रखा ! जब की तमिलनाडू के सभी तटीय शहर , सुनामी के प्रकोप से तबाह हो गए ! रामेश्वरम शिव की गुण गाते रहा ! इस शहर में जान - माल की हानी बहुत ही कम हुयी ! यह कोई एक अद्भुत शक्ति ही कर सकती  है ! यह बात मुझे यहाँ के स्थानीय लोगो से मालूम हुयी ! जय शिव और शिव शक्ति !
अगली यात्रा -त्रिवेंद्रम की !


 

4 comments:

  1. पर्यटन के लिहाज से आपके ये वर्णन बेहद उपयोगी हैं।

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  2. सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति!

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  3. सुन्दर चित्र और आपकी लेखन शैली से दक्षिण के दर्शन आपके साथ ही कर लिए हमने भी ...

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  4. कुछ दिन से आपका ब्लॉग ऐक्सैस नहीं हो पा रहा था। दोनों पोस्ट्स आज ही पढीं। सुन्दर चित्र और रोचक विवरण, धन्यवाद!

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