Sunday, December 18, 2011

दक्षिण भारत दर्शन --कन्याकुमारी भाग -२

गतांक से आगे -
 पिछले पोस्ट को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें --Balaji 
कहने की जरुरत तो नहीं है कि कन्याकुमारी की सारी चीजे हमारी आँखों को ही नहीं , बल्कि मन को भी आनंद देती है !  प्रकृति  ने इस बालू में अपनी पूर्ण निपुणता  दिखाई है ! हजारो लोग यहाँ आते है और प्रकृति से सुन्दर दृश्य का अवलोकन कर , अनुभूति लिए लौट जाते है ! वे सभी धन्य है , जिनको कन्याकुमारी के दर्शन करने के सौभाग्य मिले है !
यह दक्षिण भारत दर्शन का आखिरी अंक है ! इसमे ज्यादा विषय को पोस्ट न कर , मै अपने कुछ गुदगुदी भरे अनुभओं को बांटने का प्रयास करूँगा ! 

                 विवेकानंद राक से लेकर गोधुली के दर्शन - यहाँ प्रस्तुत है !
             विवेकानंद राक के अन्दर - विवेकानंद  का स्मारक भवन 
                             सूर्योदय से सूर्यास्त तक का नक्शा !
                            ध्यान कक्ष के बाहर लगे सूचना पट्ट 
 राक के अन्दर बना यह कुण्ड , जो वर्षा के पानी को एकत्र करने के काम आता है ! इस पानी को इस जगह पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ! चूकी समुद्र का पानी पीने योग्य नहीं होता ! 
 इस सुन्दर पत्थर  के हाथी के साथ फोटो खिंचवाते - बालाजी ! हाथी को छूना सख्त मन है !इस भव्य मेमोरियल का उदघाटन तात्कालिक राष्ट्रपति श्री वि.वि.गिरी.जी ने किया था !
                      जल बोट से ली गयी विवेकानंद राक की तश्वीर !
                                 बालाजी की फोटोग्राफी और मै !
 सूर्यास्त के पहले , संगम पर उमड़ता जन सैलाब ! सूर्य की बिदाई के लिए आतुर !सबकी नजर पश्चिम की ओर !जैसे - जैसे पल नजदीक सभी के चेहरे उदास सी दिखने लगे थे ! चिडियों का कोलाहल बंद और पर्यटक भी अपने आश्रय की ओर उन्मुख !भावबिभोर ...  
बिन औरत भला कोई समारोह सफल होता है क्या ? जी यहाँ भी देंखे --मेरी  धर्म पत्नी जी को ..जहाँ रहेंगी , वहां चुप नहीं बैठती ! वश बोलना ही है ! अगल - बगल वाले लोगों  को प्रेरित कर ही लेती है ! बालू के ऊपर बैठे और सूर्यास्त के इंतजार में बैठी , स्पेनिस युवतियों से बात - चीत करने लगीं  ! मुझे दबी जुबान से हंसी आ गयी तब , जब  स्पैनिश युवतियों ने कहा की- हम हिंदी नहीं जानतीं ! फिर क्या था मैडम ने भी उसी तर्ज पर कह दीं  - आई डोंट नो स्पेनिस एंड इंग्लिश ! फिर क्या था - दोनों तरफ से हंसी फुट पड़ी  और आस - पास बैठे / खड़े लोग  भी हंस दिए ! यह भाषा भी गजब की चीज  है !
जीवन चलने का नाम है ! हार - जीत आनी ही है ! बिना हार की जीत और बिन दुःख की  सुख की मजा ही क्या ? दिवस के बाद का अँधेरा हमेशा कुछ कहता है ! सूर्य की आखरी किरण को बिदा देते पर्यटक ! जैसे समुद्र की लहरे भी शांत होती चली गयी !देखते ही देखते अँधेरे का आलम छ गया !
                      बालाजी के हाथ में बत्ती का बाळ ! बहुत खुश -- 
 संगम के किनारे  बने गाँधी स्मारक ! १२ फरवरी सन १९४८ को गाँधी जी के चिता भस्म को कन्याकुमारी के तीर्थ में अर्पण कर दिया गया !उस समय के तिरु- कोचीन सरकार  ने यहाँ एक स्म्मारक बनवाने का वादा किया !अतः आचार्य कृपलानी ने 20 जून १९५४ को इसकी नीव डाली ! सन १९५६ को यह बन कर तैयार हुआ !इस स्मारक का निर्माण उड़ीसा के शिल्प कला पर किया गया है ! याद रखने की बात यह है को दो अक्टूबर को सूर्य की किरणे छत की छिद्र  से हो कर , अन्दर रखी मूर्ति पर पड़ती है ! दिन में इसके ऊपर चढ़ कर समुद्र के क्रिया - कलापों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है !
कहते है ह़र चीज का अंत एक याद गार होता है , चाहे ख़ुशी भरा हो या दुखी ! मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ ! पर मै इस चीज को आप के साथ नहीं बांटना चाहता ! अच्छा तो हम चलते है , फिर कभी मिलेंगे ! 

अलबिदा कन्याकुमारी ! कन्यामयी !

20 comments:

  1. आज पता चला इस कुँवारी कन्या के दर्शन सब करना क्यों चाहतें हैं कश्मीर से कन्या कुमारी तक जिसकी चर्चा है उसका राज खोला शाह जी आपने वाह बधाई इस खूबसूरत चित्रांकन के लिए .

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  2. आज पता चला इस कुँवारी कन्या के दर्शन सब करना क्यों चाहतें हैं कश्मीर से कन्या कुमारी तक जिसकी चर्चा है उसका राज खोला शाह जी आपने वाह बधाई इस खूबसूरत चित्रांकन के लिए .

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  3. सचित्र वर्णन काफी अच्छा है। दुखद घटना का वर्णन भी कर देते तो मन का बोझ हल्का हो जाता और दूसरी बात यदि कोई सुझाव मिलता तो उससे आगे फिर कभी लाभ ले सकते थे।

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  4. जानकारी और चित्र दोनों सुंदर .....

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  5. सुंदर चित्रों के साथ बेहतरीन जानकारी दर्शनीय पोस्ट,...

    मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

    आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
    जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
    कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
    सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
    महत्व है,...
    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलिमे click करे

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  6. यादगार यात्रा का रोचक चित्रण.

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  7. बहुत रोचक ,सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति.

    बालाजी भी बहुत नटखट हैं.
    आखिर हाथी पर हाथ लगा कर ही फोटो खिंचवाया.
    और आपकी श्रीमती जी का भी कमाल है.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    'हनुमान लीला भाग-२' पर आपका स्वागत है,

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  8. मैंने 1997 में यहाँ की यात्रा की थी. सारी स्मृतियाँ ताज़ा हो आईं. आपके खींचे सुंदर चित्रों का क्या कहना जी. बहुत खूब हैं.

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  9. सुन्दर फोटोग्राफी, आभार!

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  10. आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  11. नववर्ष की आपको व आपके समस्त परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएँ.

    आपसे परिचय होना मेरे लिए वर्ष २०११ की एक बहुत ही सुखद
    अनुभूति रही.

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  12. आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..

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  13. नव वर्ष मुबारक .हर सुबह हर शाम मुबारक .

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति|

    आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  15. आप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.

    इस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
    दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
    बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
    अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
    !! नया साल मुबारक !!

    आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥


    सादर
    आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
    एक ब्लॉग सबका

    आज का आगरा

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  16. फोटो की जुबानी कन्याकुमारी की कहानी बढ़िया लगी...

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  17. bahut sundar prastuti..
    नव वर्ष मंगलमय हो ..
    बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें

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  18. खुबसूरत यात्रा विवरण , नए साल की शुभकामनायें

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  19. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
    ख़ूबसूरत चित्रों के साथ कन्याकुमारी यात्रा का बहुत बढ़िया वर्णन रहा!

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  20. आपने बीते दिनों के याद करा दी जब मैं पत्नी के साथ घूमने गया था ... गजब के चित्र हैं सभी ...

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