Wednesday, February 15, 2012

नीयत में खोट !

                                                            इन्द्रधनुष  के सात रंग

दुनिया के इतिहास में ....चौदह फरवरी का दिन बहुत ही मायने रखती है ! बच्चो  से लेकर... क्या बुड्ढ़े  ?  सभी अपने - आप में मस्त , प्रायः पश्चिमी देशो में ! कोई भी त्यौहार ..हमें भाई चारे और सदभावनाए  बिखेरने  , एक दुसरे को प्यार से गले लगाने या इजहार करने के सबक देते है ! किसी भी तरह के त्यौहार / पर्व में हिंसा का कोई स्थान नहीं है ! चाहे वह किसी भी जाति /धर्म /मूल /देश - प्रदेश के क्यों न हों !  आज - कल हम  इस क्षेत्र में कहाँ तक सफल हो पाए है . यह सभी के लिए चिंतनीय और विचारणीय विषय है ! आये दिन -सभी जगह हिंसा और व्यभिचार अपना स्थान लेते जा रहा है !

अब आयें विषय पर ध्यान केन्द्रित करते है ! कहते है  जो जैसा  बोयेगा , वो  वैसी  ही फसल कटेगा ! जैसा अन्न - जल खायेंगे , वैसी ही बुद्धि और विचार भी प्रभावित होती है ! ! जैसी राजा , वैसी प्रजा ! जैसी ध्यान वैसी वरक्कत ! यानी व्यक्ति का गुण ... हमेशा  उसके प्रकाश / बिम्ब को ...दुसरे के सामने प्रकट कर ही देता है ! हर व्यक्ति में एक छुपी हुयी आभा होती है ! जो उसके स्वभाव को प्याज के छिलके के सामान ...उधेड़ कर प्रदर्शित करती है ! 

कल प्यार  और मिलन का दिन बीत गया ! वह भी अजीब सी थी ! मै कल ( १४-०२-२०१२ ) सिकंदराबाद में था ! सुना था और आज साक्षी पेपर में छपा हुआ मिला - की हमारे मंडल का  एक कर्मचारी संगठन ( दक्षिण मध्य रेलवे एम्प्लोयी यूनियन ) ने मंडल रेल मैनेजर के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया था ! उनकी मांग यह थी की रायल सीमा एक्सप्रेस , जो रोजाना - तिरुपति से हैदराबाद जाती है... को लिंक संख्या -२ में जोड़ दिया जाय ! यह ट्रेन फिलहाल लिंक संख्या -४ में है ! लिंक संख्या दो - सुपर फास्ट ट्रेनों की लिंक है , जो वरिष्ठ लोको पायलटो के द्वारा कार्यरत है ! रायलसीमा एक्सप्रेस फास्ट पैसेंजर ही समझे !
अब प्रश्न यह उठता है की ऐसा क्यों ? 

 उपरोक्त यूनियन कांग्रेस समर्थित है ! लिंक संख्या दो में ज्यादातर उसके समर्थक नहीं है ! रायलसीमा को गुंतकल से हैदराबाद लेकर जाना काफी कष्ट प्रद है ! वह ( यूनियन ).. अन्य यूनियन के  समर्थको को सबक सिखाना चाहती है ! उसने अपने पेपर स्टेटमेंट में कहा है- की हमने लिंक दो में रायलसीमा को जोड़ने के लिए हस्ताक्षर किये थे , फिर यह लिंक चार में कैसे जुट गया ! मंडल यांत्रिक इंजिनियर लापरवाह हैं ! वह अपनी मर्जी को कर्मचारियों के ऊपर थोप रहे हैं !....वगैरह - वगैरह !

लिंक क्या है ? 
 कई ट्रेन के समूह को संयोजित रूप में इकट्ठा कर - इस तरह से सजाया जाता है की लोको पायलट को यह ज्ञात हो की कब कौन सी ट्रेन लेकर कहाँ तक जानी है और वहां से कौन सी ट्रेन लेकर वापस आनी  है ! इससे प्रशासन और लोको पायलट दोनों को ही लाभ होते है ! इसे तैयार करते समय सभी मूल भूत नियम और कानून को ध्यान में रखा जाता है ! इस लिंक को वरिष्ट लोको इंस्पेक्टर तैयार करते है ! इसे तैयार करते समय बहुत ही माथापच्ची करनी पड़ती है ! जिससे लोको पायलट को पूर्ण रात्रि विश्राम / साप्ताहिक विश्राम वगैरह सठिक रूप से मिले ! इस तरह से भारतीय रेलवे में प्रायः दो तरह के लिंक होते है १) साप्ताहिक ट्रेनों की और २ ) रोजाना ट्रेनों की ! कौन सी ट्रेन को किस लिंक में शामिल किया जाय - इसके लिए कोई प्रावधान /कानून नहीं है ! बस स्वतः सेट अप पर निर्भर करता है !

किसी भी यूनियन को क्या करनी चाहिए ?
प्रत्येक यूनियन को  कर्मचारियों के बहुआयामी  हित को ध्यान में रख कर - निर्णय लेने चाहिए ! उनके सामने सभी कर्मचारी बिना भेद - भाव के सामान होते है ! उन्हें ओछे हरकतों और कार्यो से बाज आनी चाहिए , जिसमे कर्मचारियों के हित कम और नुकशान ज्यादा हो ! इनके नेताओ को और भी जागरुक और सतर्क रहनी चाहिए ,जिससे की कोई उन पर अंगुली न दिखाए ! और भी बहुत कुछ ...
उपरोक्त यूनियन  ने क्या किया ? 
इस लिंक से उस लिंक की मांग कर अपने सम्यक धर्म को ताक पर रख दिया है ! जो इन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था ! इन्हें तो समस्याओ को निदान करने के तरीके धुंधने चाहिए ! कोई भी लिंक हो ...एक ..दो...या तीन ..सभी को एक लोको पायलट ही कार्यान्वित करता है ! यहाँ  इस यूनियन ने ....एक लिंक  को  समर्थन कर -- दुसरे लिंक के समस्या को बढाने का कार्य कर रही  है !  यह यूनियन  अपने धर्म को तक पर रख , स्वार्थ में वशीभूत हो ..अनाप - सनाप बयान बाजी और आरोप लगाये जा रही है !  शायद खानदानी असर है ! यह... एक ओछे ज्ञान की पूरी  पोल खुलती नजर आ रही है   ---हाय रे  विवेक हिन् यूनियन !
प्रशासन का खेल ....
 रेलवे प्रशासन मौन मूक है !  लड़ाओ और राज करो - के तारे नजर आ रहे है !  क्या प्रशासनिक अधिकारी अपने कर्तव्य को सही ढंग से निभा पाने में असमर्थ है ? जब की मै भी अपने इंजिनियर साहब  से मिला था और विस्तृत बात हुयी थी ! समस्याओ को उजागर किया था !  उसके निदान के लिए बिना किसी नंबर को उधृत किये हुए ..समस्याओ के निदान की सलाह भी  दी थी ! इंजिनियर साहब ने आश्वासन भी दिया था ! उनके इमानदारी पर तो शक नहीं किया जा सकता , पर उच्च  पद का दबाव  और शक्ति कई बार मनुष्य को लाचार  बना देती है ! वह  असहाय हो जाता है !
समीक्षा  ---
 और कुछ नहीं , बस इनके नियत में खोट है ! कोई भी यूनियन आँख बंद कर कोई हस्ताक्षर नहीं करती ! अगर कर भी दिए तो जल्द बताते नहीं ! इनकी नेताओ की कारगुजारी सामने आ गयी है ! जिसकी कड़ी आलोचना होनी ही चाहिए !  इन्होने अपने  प्यार का इजहार आरोप - प्रत्यारोप में किया , वह भी प्यार के दिन ! मुह में नमक हो तो मिठाई मीठी नहीं लगती ! इसीलिए तो दो नंबर ही पसंद है --है तो दो नम्बरी !  इन्हें एक नम्बरी /  एक याद नहीं आती ! इन जैसी लोलुप और चाटुकार.... वंशी यूनियनों की जीतनी भी भर्त्सना की जाय , वह कम ही है !  कुछ भला  करते हुए और जीवन जियें ....जिससे की  दुनिया याद करे ! नतमस्तक करे ! वह जीवन ..जीवन  नहीं ,    जिसकी कोई कहानी न हो !  कुछ मर के  भी सदैव जिन्दा रहते  है और  कुछ रोज मर-मर  के  जीवन जीते  है ! 
                       पतझड़ में भी फूल खिलते है - पलास के ....आशा अभी भी  जिन्दा है ! !

24 comments:

  1. सकारात्मक विचार..... हाँ बदलाव आये तो और भी अच्छा ....

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    1. आभार मोनिका जी

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  2. यूनियन्स के नकारात्मक रवैये और नौकरशाही की अक्षमता ने बहुत से विकासात्मक कार्यों को कुएँ में जाल दिया हुआ है. रचनात्मक सोच रखने वाले स्वयं को ठगा सा महसूस करते हैं. बहुत अच्छी पोस्ट शॉ साहब.

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  3. कृपया अपनी इस पोस्ट को पुनः इस दृष्टि से देखें कि इसे आपके विभाग के प्राधिकारी पढ़ रहे हैं. मेरा विचार है आप इसे संशोधित करना चाहेंगे. यह मात्र सुझाव है.

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    1. सुझाव के लिए आभार सर जी ! अभी - अभी प्रयास करता हूँ !

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  4. आज के यूनियन लीडर खोटे सिक्के हो गए हैं :)

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    1. बिलकुल सही सर जी ! ये सब गंदे राजनीति के वजह से हो रहा है !

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  5. बहुत सही बहुत सटीक विवेचना .बधाई .गज़ब है सच को सच कहते नहीं है ,सियासत के कई चोले hue हैं ,हमारा कद सिमट के घट गया है ,हमारे पैरहन झोले हुएं हैं .

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  6. Lovely scenic photos. The rainbow is fantastic.

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    1. Thanks madam. I have took all photo's by my mobile phone.

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  7. अफसोस होता है हर जगह राजनीति, वह भी गंदी.....सराहनीय पोस्ट...
    नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

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  8. कुछ भला करते हुए और जीवन जियें ....जिससे की दुनिया याद करे ! नतमस्तक करे ! वह जीवन ..जीवन नहीं , जिसकी कोई कहानी न हो ! कुछ मर के भी सदैव जिन्दा रहते है और कुछ रोज मर-मर के जीवन जीते है ! no words to say......

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  9. saarthak rachna pragati ke liye har cheej me sudhaar chahiye.

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    1. बिलकुल सही .कहा आपने , राजेश कुमारी जी ! दुनिया में सार्थक सुधार जरुरी है ! इसकी शुरुवात भी प्रत्येक ' मै ' से होनी चाहिए ! आभार

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  10. Bala ji heading ke khot ko sahi kar len.shayad aapka dhyaan nahi gaya tankan truti hai .

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    1. राजेश कुमारी जी ..गलती के लिए क्षमाप्राथी हूँ ! यह सब दक्षिण भारत में रहने की वजह से -हिंदी भाषा में त्रुटिय आ जाती है ! जिन महापुरुषों ने समय - समय पर मुझको इसकी ध्यान दिलाई है , उनका मै बहुत - बहुत आभारी हूँ ! बहुत - बहुत आभार !

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  11. आप का आभार --डाक्टर साहब !

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  12. इस राजनीति ने सब कुछ बेडा गर्क किया हुवा है ...
    आपके द्वारा रेलवे की कई जानकारी मिल जाती हैं जो आम आदमी को नहीं पता ..

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  13. आप का आभार

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  14. aapke post se railway ke baare mein kuchh aur bhi jaankaari mili. union ka hona to har kshetra mein zaroori hai lekin ismein swaarth aur raajniti aa jati hai jisase kisi bhi kaarya mein baadhaa aati hai. aapke vichaar bahut sateek hain.

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