Sunday, November 11, 2012

सावधानी हटी ....दुर्घटना घटी ।

आज धन- तेरस है । दक्षिण दिशा में दीप जलाने  और अकाल मृत्यु से मुक्ति का दिन । सभी जगह दुकाने सजी हुई  है । नए सामानों को खरीदने की होड़ । सभी को लक्ष्मी जी को मनाने और अपने घर में आगमन की  तैयारी / और  इंतज़ार । अपने - अपने ढंग और तैयारी  । साफ़ - सफाई और समृद्धि  की पूजा / त्यौहार है ..यह ..दिवाली । कहीं  समृद्धि  तो कहीं दिवालापन । तरह  तरह के भाग्य आजमाने के नुस्खे ।

 कल किसने देखा है । अतः आज की सुरक्षा  ही कल की दिवाली है । मनुष्य अत्यंत ही महत्वाकांक्षी प्राणी है । अपने अभिलाषा  की पूर्ति हेतु यह जरुरी है .कि ..कदम - कदम पर  सावधानी बरती  जाय । अब  देखिये ना ...कल यानी  दिनांक  10 . 11. 2012  कि एक घटना याद आ गयी । मै 12163 - दादर -चेन्नई सुपर लेकर गुंतकल से रेनिगुंता  जा रहा था ।   लोको चालको को ड्यूटी में आते ही सतर्कता आदेश ( caution order ) दिए जाते है । जिसमे यह अंकित होते है कि उसे किन दो स्टेशन के  बीच  , किस किलोमीटर के पास , कितने गति से ट्रेन को  चलाने है तथा किन चीजो का विशेष ध्यान  रखने है ।
 
मुझे भी सतर्कता आदेश की कापी स्टेशन मैनेजर ने दी  । ट्रेन समय से गुंतकल आई । हमने ट्रेन का चार्ज लिया । समय से रवाना भी हुयी । हम जैसे - जैसे आगे बढ़ रहे थे ...क्रमानुसार ...आगे आने वाले स्टेशन के सतर्कता क्रम पर भी नजर थी । अचानक मैंने देखा कि पताकोत्तचेरुवु और गूती स्टेशन के बीच 402/1-0 किलोमीटर पर 30 किलोमीटर की गति से जाने का आदेश है क्यों की रेल जॉइंट टूटी हुई  है और मरम्मत का कार्य चल रहा है । 

 तुरंत मेरे दिमाग में एक प्रश्न उठा । ये दोनों स्टेशन तो ठीक है , परन्तु ये किलोमीटर इन दोनों स्टेशन के बीच  नहीं है , जरुर कोई प्रिंटिंग में गलती हुई  है । मैंने अपने सहायक को कहा की डिप्टी कंट्रोलर को फोन करे और जानकारी लें । सहायक लोको चालक ने ऐसा ही किया । किन्तु डिप्टी कंट्रोलर से सकारात्मक उत्तर नहीं मिला । ट्रेन 105 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ रही थी ।

असमंजस की घडी । सामने पताकोत्तचेरुवू स्टेशन आने वाला था । कई स्टेशन मास्टरों को वल्कि - ताल्की पर पुकारा गया । कोई जबाब नहीं । अंततः मैंने ट्रेन को पास थ्रू सिगनल होने के वावजूद भी पताकोत्ताचेरुवु स्टेशन में खड़ा  कर दिया । ट्रेन के रुकने के बाद स्टेशन मास्टर हरकत में आया । उसने रुकने का कारण पूछा । मेरे सहायक ने पूरी जानकारी दी । स्टेशन मास्टर एक नया सतर्कता आदेश तैयार कर भेजा । जिसमे किलोमीटर  420/1-0  था । इस तरह एक भीषण दुर्घटना  होने से बची । क्योकि जहाँ कार्य चल रहा था ..वहां ट्रेन गति से चलने की वजह से जान - माल का नुकशान हो सकता था और जहाँ कार्य नहीं हो रहा था , वहां ट्रेन  30 किलोमीटर की गति से चलती थी ।

इसी लिए कहते है --एक लोको चालक सैकड़ो  को बचा सकता है , सैकड़ो मिलकर एक लोको चालक को नहीं बचा सकते  । आज रेलवे में लोको चालक उपेक्षा का शिकार है , फिर भी दिन - रात कड़ी मेहनत कर आप को सुरक्षित ..आप के मंजिल तक पहुँचाने में सतत प्रयत्नशील ।

जी हाँ ...सामने दिवाली है । आप जश्न में मस्त रहेंगे और हम परिवार से दूर आप की सेवा में । पटाखे जलेंगे । प्रदुषण बढ़ेंगे । जेब खाली  होंगे ..जेब भरेंगे । इस पावन - पर्व पर आशा करता हूँ सभी की दिवाली मंगल मय और समृद्धि से परिपूर्ण  होगी । आप इस आतिशबाजी से सावधान रहें और हम ट्रेन के परिचालन में , क्युकी सावधानी हटी , दुर्घटना  घटी ।

5 comments:

  1. आपने सही कहा----सावधानी हटी,,,दुर्घटना घटी,,,,,

    दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
    RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,

    म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,

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  2. दीप पर्व की

    हार्दिक शुभकामनायें
    देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर

    लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  3. आपको दिवाली की शुभकामनाएं । आपकी इस खूबसूरत प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 13/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का हार्दिक स्वागत है

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  4. आपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ....
    :-)

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  5. बहुत अच्छा और सूझबूझ से भरा निर्णय लिया आपने। दीवाली की शुभकामनायें।

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