Thursday, December 21, 2017

इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन ट्रेनिंग सेंटर / विजयवाड़ा

जैसा कि मैं रेलवे में लोको पायलट हूँ । पिछले कई वर्षों से राजधानी एक्सप्रेस में कार्यरत हूँ । उच्च पद पर पहुंचना अपने आप मे एक भाग्योदय का प्रतीक माना जाता है । किन्तु इसके साथ ही तरह तरह की नई जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है अगर आप ईमानदार और अनुशासित है , तो किसी तरह के डर की गुंजाइश नही । भ्रष्ट लोगो को हमेशा डर घेरे रहता है । भ्रष्टाचार एक नासूर है जो जीवन मे तरह तरह की परेशानियों के मूल कारण  है । किसी भी तरह के डर दिल मे अशांति पैदा करती है। अतः जीवन मे अशांति का कोई स्थान नही होनी चाहिए ।

 जीवन मे खुशी का माहौल हमे स्वास्थ्य प्रदान करते है । इसीलिए कहा गया है कि खुश रहें और दूसरो को भी खुश रखें ।


लोको पायलट का जीवन बिन अनुशासन व्यर्थ ही है । हमारे कार्य ही ऐसे होते है कि बिना अनुशासन के सुरक्षा और संरक्षा संभव ही नही है ।  यदि आप के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है , तो इंक्वायरी नियम और कानून के दायरे में ही घुमाती रहती है । उस समय कोई भी लोको पायलट की मदद नही कर सकता। लोको पायलट को स्वतः अपनी बचाव करने पड़ते है । इसके लिए एक ही चीज काम आएगी और वह है - अनुशासन पूर्वक किया गया कार्य । दोस्तो , लोको पायलट का जीवन जितना कष्टकर है उतना ही आनंदायक भी । 

आप एक बार ड्यूटी से मुक्त हुए और दूसरी ड्यूटी तक फ्री रहेंगे । आप को कोई भी कुछ कहने वाला नही मिलेगा  । वैसे देखा जाय तो कोई भी कार्य बिना रिस्क का नही होता है । योग्य और अनुभवी  रिस्क को भी अंगुली पर नचाते है ।

मेरे पास बहुत सारे फोन या व्हाट्सएप्प के माध्यम से संदेश आते रहते है , जो प्रायः नौजवानों के होते है । दसवीं पास या कुछ और पढ़ाई करने वालो के ज्यादा  । उन सभी के एक ही प्रश्न होते है कि लोको पायलट बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या है ? मुझे भी लोको पायलट बनना है , इसके लिए क्या करूँ ? अतः मैने व्हाट्सएप्प पर एक ग्रुप बना रखी है । इसमे उन सभी युवको को जोड़के रखता हूँ , जिन्हें लोको पायलट बनने के लिए  विस्तृत जानकारी चाहिए । अतः कोई भी युवक मुझसे फोन या व्हाट्सअप के माध्यम से संपर्क कर सकते  है ।

अब आइये एक दर्दभरी दास्तान सुनाता हूँ 

 मैं राजधानी एक्सप्रेस में कार्य करता था । उस समय राजधानी डीजल लोको से चलती थी । पहली जुलाई 2017 से  इलेक्ट्रिक लोको उपयोग में है लाया गया है चुकी मुझे इलेक्ट्रिक लोको की ट्रेनिंग नही थी , इसीलिए विजयवाड़ा ट्रेनिंग सेंटर में , जाने पड़े । मैं 7 जुलाई 2017 को ट्रेनिंग सेंटर में रिपोर्ट किया था । ट्रेनिंग का कार्यकाल 66दिनों का था । मेरे क्लास में लोको पायलट थे जो अलग अलग डिपो से ट्रेनिंग के लिए आये थे । ट्रेनिंग में आने के पूर्व ही एक हौआ फैला हुआ था कि इलेक्ट्रिक ट्रेनिंग बहुत हार्ड होती है । यह सबके बस का नही है । खैर जो भी हो हमारी ट्रेनिंग शुरू हो चुकी थी । दिनोदिन की शिक्षा उस हौवे को सही साबित कर रही थी । 10 दिनों तक तो बहुत असुविधा महसूस  हुआ किन्तु  धीरे धीरे कुछ आरामदायक और नॉर्मल होने लगा  । वैसे  नया विषय हमेशा कठिन ही लगता है । 

हमारे ट्रेनिंग के प्रोग्राम - 

कन्वेंशनल लोको की जानकारी , सिम्युलेटर ट्रेनिंग और थ्री फेज लोको की जानकारी थी । इसके अंतराल में ऑन लाइन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी थी । सभी सुचारू रूप से चल रहे  थे । रोज चार पीरियड , कम से कम डेढ़ घंटे  कि होती थी को अटेंड करने होते थे  । हमारे इंस्ट्रक्टर श्री के कल्यानराम जी थे । जो पूर्व के लोको पायलट ही थे । मेहनती तो थे ही , क्लास में आते ही , पहली पीरियड वार्तालाप पर आधारित था , जिसमे वे पिछले दिनों पढ़ाई हुई विषय पर प्रश्न करते थे । बारी बारी से सभी को उत्तर देना पड़ता था । उम्र दराज वाले  उत्तर न दे पाने पर शर्म महसूस भी करते थे । बहाने भी बना देते थे कि   हमारी उम्र पढ़ने की नही है । हमारी याददाश्त भी कमजोर है । रोज की यह   प्रक्रिया ,  बहुतो के मन मे टेंशन उत्तपन्न कर दिया । बहुत से लोको पायलट हमेशा टेंशन में रहने लगे थे ।

मुझसे जो भी मिलता , उसे मै  समझाने की प्रयास करता था । धीरे धीरे सब आसान हो जायेगा । एक दिन की बात है रवि रंजन और धनंजय कुमार सिम्युलेटर ट्रेनिंग में गए । उनकी क्लास सुबह 6 बजे लगी । प्रायः दो घंटे की थी । प्रैक्टिकल ट्रेनिंग हेतु बाकी लोग विजयवाड़ा ट्रिप शेड में चले गए । हम लोग ट्रेनिंग के लिए एक लोको के अंदर थे । लोको के औजारों के मुआयने कर रहे थे । कुछ समय बाद लोको से बाहर आ गए । पानी पीने के लिए आफिस के तरफ बढ़े । तभी एक सहपाठी मेरे नजदीक आया और पूछ - " सर कुछ मालूम है ?"   मैने  पूछा - क्या ? तब तक दूसरे सहपाठी ने कहा कि - रवि रंजन को हार्ट अटैक आया है । अभी रेलवे अस्पताल में है । मैने अपने मोबाइल पर नजर दौड़ाई ? देखा हमारे इंस्ट्रक्टर कल्यानराम का मिस कॉल था । बजह साफ जाहिर हो चुका था । मैंने तुरंत उन्हें कॉल किया । कल्यानराम जी कॉल रिसीव किये और तुरंत अस्पताल आने को कहा । 

हम सभी लोग रेलवे अस्पताल की तरफ चल पड़े । आज दिनांक 17-08-2017 था । हमने देखा - प्रिंसिपल से लेकर सारे इंस्ट्रक्टर अस्पताल में मौजूद थे । पता चला कि रवि रंजन अब इस दुनिया मे नही रहे । 35 वर्ष के आस पास की आयु और इस तरह का हार्ट अटैक सभी को सोचने के लिए बाध्य कर रहा था । एक माह पूर्व ही वह एक बेटे का पिता बने थे । इस घटना की जानकारी रविरंजन के गॉव को बता दिया गया । रविरंजन बिहार के रहने वाले थे । रेलवे की नौकरी भी कोई ज्यादा दिन की नही थी । यही कोई 8 वर्ष के आस पास । 

यह समाचार सभी डिपो में आग की तरह फैल गयी । व्हाट्सएप्प का जमाना जो है । विजयवाड़ा /रायचूर में उनका कोई नही था । अतः मेडिकल डिपार्टमेंट के अनुरोध पर उनके तीन रिश्तेदार गांव से एक दिन बाद आये । कागजी कार्यवाही / पोस्टमॉर्टम के बाद उनके पार्थिव शरीर को तीन सह कर्मियों  की देख रेख में , विमान द्वारा पटना भेज दिया गया । उनके परिवार और पत्नी पर क्या गुजरा होगा ? हम आसानी से समझ सकते है । लेकिन जिसे मौत आ जाये , कोई नही बचा सकता ।

इस घटना के बाद ट्रेनिंग स्कूल विवादों में घिर गया । कई ट्रेड यूनियनों ने इन्क्वायरी की मांग की । तो किसी ने हमारे इंस्ट्रक्टर के ऊपर दोषारोपण भी कर दिए , शायद कुछ लोगों की नजर में उनका  स्ट्रीकर व्यवहार ही इस मौत का कारण बना हो । कहने वाले हजार कहेंगे । किन्तु ये भी सत्य है कि ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में कोई किसी को क्यों मारेगा । कुछ दिनों तक विवाद बढ़ने की आशंका थी पर धीरे धीरे सब शांत हो गया ।


  • इस तरह के कटु सत्य और अनुभव जीवन मे आते ही रहते है । संक्षेप में कहे तो मौत के कारण नही होते , जबकि मौत एक जीवन की सम्पूर्ण यात्रा है जो स्वयं आती है , इस पर किसी का दबाव नही होता । जीवन में धैर्य और शांति से ही सुखमय जीवन का लाभ मिल सकता है । हम ही हमारे जीवन के रखवाले है । आएं बिना दोष के जीवन जीने की आदत डालें ।

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