tag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post6938314786135258283..comments2024-03-19T18:18:57.648+09:00Comments on BALAJI: ट्रेन हादसा: पत्रकारों का पागलपनG.N.SHAWhttp://www.blogger.com/profile/03835040561016332975noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post-53660314852267233502011-12-03T21:28:48.499+09:002011-12-03T21:28:48.499+09:00आपसे सहमत हूँ. आधिकारियों का रवैया जगजाहिर है. नि...आपसे सहमत हूँ. आधिकारियों का रवैया जगजाहिर है. निश्चित ही समुचित जानकारी के बिना रिपोर्टिंग तो अर्थ का अनर्थ ही करेगी.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post-53358999785884898672011-12-03T20:03:53.303+09:002011-12-03T20:03:53.303+09:00prabhavshali vicharniy lekh.prabhavshali vicharniy lekh.सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post-77444300465639448392011-12-01T11:53:04.137+09:002011-12-01T11:53:04.137+09:00रेल हादसे का विवरण बहुत कुछ कहता है. जो अधिकारी छु...रेल हादसे का विवरण बहुत कुछ कहता है. जो अधिकारी छुट्टी के दिन टेलिफोन नहीं उठाते विभाग को चाहिए कि उनकी फोन की सुविधा वापस ले ले.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post-82426783778454601972011-11-30T20:32:37.829+09:002011-11-30T20:32:37.829+09:00सत्य से रूबरू करता बेबाक आलेख ..पत्रकारों के ऐसा...सत्य से रूबरू करता बेबाक आलेख ..पत्रकारों के ऐसा ब्यवहार बेहद ही दुखद ..देश में पल रहे गद्दारों को समय रहते सजा ना दी तों इनकी जड़े मजबूत होंगी ओर निर्दोष सजा पाते रहेंगे....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post-61067385268743374542011-11-30T02:02:35.113+09:002011-11-30T02:02:35.113+09:00सच में व्यथित करता है पत्रकारों का ऐसा व्यवहार ......सच में व्यथित करता है पत्रकारों का ऐसा व्यवहार ...अच्छा आलेख पढवाया डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9091821493136038739.post-56158641744920041722011-11-29T23:01:11.596+09:002011-11-29T23:01:11.596+09:00आपके सौजन्य से महेंद्र जी का यह लेख पढ़ा ,सभी तथ्य...आपके सौजन्य से महेंद्र जी का यह लेख पढ़ा ,सभी तथ्यों का उन्होने सविस्तार वर्णन किया है और स्पष्ट किया है कि,ट्रेन ड्राईवर के निर्दोष होने पर भी उसे कैसे दोषी ठहराया जाता है। पहले रेलवे की नौकरी छोड़ कर महावीर प्रसाद दिवेदी जी ने 'सरस्वती'का संपादक बनना मात्र रु 20/- मे स्वीकार किया था जो रेलवे के वेतन से कम था। लेकिन आज काफी रकम खर्च करने वाला छात्र सैफ और सिर्फ पैसों की खातिर पत्रकार बंता है फिर तो पागलपन ही करेगा। उससे ईमानदारी की उम्मीद ही क्यों?vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.com