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Wednesday, May 31, 2017

माँ वैष्णो देवी यात्रा - 6

आज 10 मई 2016 , दिवस मंगलवार है । दिल्ली से कोपरगाँव के लिए झेलम एक्सप्रेस में सीट रिजर्व था । सुबह जल्दी तैयार हो गए । बोर्डिंग नयी दिल्ली स्टेशन से थी ।  होटल से रेलवे स्टेशन काफी नजदीक ही है , फिर भी ऑटो वाले एक सौ रुपये की मांग रख रहे थे । अजीब है कमाई ! दुनिया में ईमानदारी भी कोई चीज है या नहीं । एक दूसरे ऑटो वाले ने 50 रुपये में रेलवे स्टेशन तक पहुंचा दिया । सुबह नाश्ते की आदत है । रेलवे स्टेशन के सामने ही एक तमिल वाले  की दुकान दिखाई दी । ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि यहाँ अच्छे नास्ते की संभावना थी ।

हम दुकान में प्रवेश किये । हम सभी , जिसे जो खाने की इच्छा थी   , उसकी फरमाइश पेश कर दिए  । इडली , डोसा , पोंगल यानि हर दक्षिण भारतीय नास्ते उपलब्ध थे । पर एक विशेषता यह दिखी की सभी आइटम  टेस्टी भी थे  । बिलकुल दक्षिण भारतीय होटलो की तरह । साफ सुथरा नार्मल था और बिल भी वाजिब । आज बहुत दिनों के बाद कुछ स्वादिष्ट खाने के लिए मिला था ।

मैं आज बहुत आनंद महसूस किया । हमारी ट्रेन समय से आधे घंटे लेट थी । हमने दोपहर का आहार भी इसी दुकान से लेनी चाही किन्तु इसके लिए और 2 घंटे wait करने पड़ेंगे । हमारे पास समय नही था । अतः ट्रैन में ही ले लेंगे , की आस पर प्लेटफॉर्म में आ गए । जैसा कि सर्व विदित है कि कुछ ट्रेनों में पेंट्री कार होते है जो यात्रियों को खाने पीने की सामग्री की व्यवस्था करते है । इस सुविधा के पीछे रेलवे की धारणा यही है कि इससे यात्रियों को उचित दर पर खाने - पीने के बस्तुओं की व्यवस्था हो पाएगी । आज कल रेलवे इसे ठेकेदारों के माध्यम से प्रायोजित करता है । किसी भी क्षेत्र में ठेकेदारों के क्या योगदान है सभी जानते है । एक तरह से ये प्रथा एक कानूनी लूट को ही इंगित करती है । जहां भी ठेकेदारी है वहाँ गुडवत्ता का अभाव और लूट ज्यादा है । जनता परेशान और प्रशासन मस्त रहते है ।

मेरे विचार से ठेकेदारी सरकारी तंत्र में मलाई खाने का एक आसान साधन है । सरकारी तंत्राधीश नजराने लेते है और ठेकेदार को एक के माल को नौ के भाव पास कर देते है । ठेकेदारों और सरकारी तंत्रकारो के मकड़ जाल ऐसे होते है कि कोई उनके विरोध में आवाज नही उठता है । इसके स्वप्निल रूप चित्रपट में प्रायः  दिखते है । आईये झेलम एक्सप्रेस के ठेके ( पैंट्रीकार ) के ऊपर एक दृष्टि डालें -

पैंट्रीकार वाले अग्रिम आर्डर ले लेते है । उस दिन भी वैसा ही हुआ । एक युवक दोपहर के भोजन का ऑर्डर लेने के लिए हमारे सीट के पास आया । हम ऐसी two टायर में थे । उसने वेज खाने की कीमत 120 रुपये बतायी । मुझे गुस्सा आ गया । वेज खाना इतना महंगा और मात्रा भी काफी कम होते है । मैंने उससे मेनू लाने के लिए कहा । कुछ समय बाद वह एक पेपर लेकर आया जिसमे तरह तरह के व्यंजन और उनके कीमत अंकित थे । वेज का कीमत 120 रुपये ही था । 120 रुपये में कौन सी सामग्री सर्व होगी , सब कुछ था । हमारी मजबूरी थी । 3 खाने का आर्डर दे दिया गया । करीब डेढ़ बजे दोपहर को खाने के पैकेट हमे दिया गया । सबसे पहले पुत्र जी ने एक पैकेट खोले और भोजन की शुरुवात की । आहार में कोई टेस्ट नही था । चावल के दाने काफी मोटे मोटे तथा लिस्ट के मुताबिक व्यंजन नही दिए गए थे । ऊपर की तस्वीर देंखें ।

कीमत के अनुसार अव्यवस्था देख मुझे बहुत गुस्सा आया । मैंने रेलवे मंत्री को ट्वीट करनी चाही किन्तु नेट की असुविधा से ऐसा न कर पाया । जब पैंट्रीकार के प्रबंधक को मालूम हुआ तो वह और टीटी भी आये । प्रबंधक ने क्षमा मांगी और बहाने में कहने लगा कि गलती से ये आप के पास आ गया । मैं उनके बहाने बाजी समझता था । भोजन वापस कर दिया । मैने उन्हें बता दिया कि इसकी ऊपर शिकायत करूँगा । प्रबंधक सहम गया । उसने पैंट्रीकार से टी और ब्रेड भिजवाई । ताकि मैं शिकायत न करूँ । मैंने अस्वीकार कर दिया और बड़े पुत्र को फोन लगाया । दूसरे तरफ से पुत्र ने फोन उठायी । मैन उन्हें पूरे किस्से बताए और घर से रेलवे को शिकायत भेज देने के लिए कहा । पुत्र ने ऐसा ही किया । शिकायत दर्ज हो गयी और शिकायत नंबर मेरे मोबाइल पर आ गया ।

PNR 2858871469
TN 11078
Date of journey 10.05.2016
NDLS to KP G
Meals quality and stranded very bad. Veg.
And even though they are about to charge Rs 120/-
I did not had and returned it due to.
advised TTE also on duty .
That type of meals even we are not feeding to our dog in home.

एक सप्ताह बाद मुझे रेलवे के कार्यालय ( दिल्ली ) से फोन आया । फोनकर्ता ने शिकायत की पूरी जानकारी पूछी । मैंने पूरी कहानी सुना दी और कहा कि ऐसा भोजन मेरा कुत्ता भी नही करता है । विश्वास न हो तो मेरे घर आकर जांच पड़ताल कर लें । किन्तु दूसरे तरफ से कोई उत्तर नही मिला । फोनकर्ता ने कार्यवाही करेंगे , कह कर फोन काट दी । कुछ दिन के बाद मुझे एक एस एम एस मिला । जो रेलवे का था । उसमें लिखा था कि झेलम एक्सप्रेस के ठेकेदार पर दस हजार का जुर्माना लगाया गया है । इस समाचार के बाद कुछ सकून मिला ।

इसके पहले एक समाचार पत्र में भी पढ़ा था कि रेलवे के महाप्रबंधक ने झेलम एक्सप्रेस के पैंट्रीकार की औचक निरीक्षण किया तथा अनेक अनिमियता देखी । ठेकेदार पर पचास हजार का जुर्माना ठोका ।

जी हां । रेलवे आप को सतत  उचित सेवा देने के लिए प्रयासरत है । क्या आप रेलवे की मदद करेंगे ?

अभी भी  न्याय जिंदा है ।

Monday, March 4, 2013

अंक की बिंदिया

कहते है -जो होनी है , वह जरूर होगी | जो हुआ , वह भी ठीक  था  | अथार्थ हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कारण होते ही है | पछतावा ,मात्र संयोग रूपी घाव ही है | घटनाओं के अनुरूप सजग प्रहरी , कुछ न कुछ विश्लेषण निकाल  ही लेते है | जो मानव को उसके शिखर पर ले जाने के लिए पर्याप्त होती है | हमें इस संसार में    विभिन्न  परीक्षाओ से गुजरने पड़ते है ,उतीर्ण या अनुतीर्ण , हमारे कर्मो की देन है | 

मन की अभिलाषाएं -असीमित  है | इस असंतोष की  भंवर में जो भी फँस गया , उसे उबरने की आस कम ही होती है | संतोष ही परम धन है | मैंने  अपने  जीवन में सादा  विचार और सादा  रहन - सहन को अहमियत दी है | सदैव पैसे अमूल्य ही रहे है | यही वजह था की उच्च शिक्षा  के वावजूद भी १९८७ में फायर मेन के तौर पर रेलवे की नौकरी स्वीकार की थी | वह एक अपनी  इच्छा थी | उस समय की ट्रेनों को देख मन में ललक होती थी , काश मै भी ड्राईवर होता | किन्तु वास्तविकता से दूर | मुझे ये पता नहीं था कि फायर मेन को करने क्या है ? ड्राईवर का जीवन कितना दूभर है ?

इस नौकरी में आने के बाद , इसकी जानकारी मिली | स्टीम इंजन के साथ लगना पड़ा था | कठिन  कार्य | श्रम करने पड़ते थे | इंजन के अन्दर कोयले के टुकडे को डालना , वह भी बारीक़ करके | कभी - कभी मन में आते थे कि नाहक प्रधानाध्यापक की नौकरी छोड़ी | चलो वापस लौट चले ? पर  दिल की  ख्वायिस और  इच्छा के आगे  घुटने टेकने पड़े थे | मनुष्य उस समय बहुत ही दुविधा  का शिकार हो जाता  है , जब उसके सामने  बहुत सी सुविधाए और अवसर के  मार्ग उपलब्ध हो  |    

मेरे लिए गुंतकल एक नया स्थान था |  मैंने अपने जीवन में इस जगह के नाम को  कभी नहीं सुना था | भारतीय मानचित्र के माध्यम से  -इस जगह को खोज निकाला  था | वह भी दक्षिण भारत | एक नए स्थान में अपने को स्थापित करने की उमंग और आनंद ही कुछ और होते  है | बिलकुल नए घर को बसाना , अपनी दुनिया और प्यार को संवारना  |  बिलकुल एक नयी अनुभव | एक वर्ष के बाद ही पत्नी  को साथ रख लिया था | बिलकुल हम और सिर्फ हम दोनों , इस नयी जगह और  नयी दुनिया के परिंदे | कोई संतान नहीं | नए जीवन की शुरुआत और अपने ढंग से सवारने में मस्त थे | उस समय की  कोमल और अधूरी यादें मन को दर्द और  प्रेरणा मयी जीने की राह प्रदान करती   है | 

उस दिन की काली कोल सी  , काली भयावह रातें  कौन भूल सकता है | जो ड्राईवर या लोको पायलटो के जीवन का एक अंग है | भयावह रातें , असामयिक परिस्थितिया , अनायास  दर्द ही तो उत्पन्न  कराती है | परिजनों से दूर , सामाजिक कार्यो से विरक्तता , वस् एक ही दृष्टि सतत आगे सुरक्षित चलते रहना है और चलते रहने के लिए सदैव तैयार बने रहो  | हजारो के जीवन की लगाम इन प्यारी हाथो में बंधी होती है |

 उस दिन मै एक पैसेंजर ट्रेन ( स्टीम इंजन से चलने वाली  ) में कार्य करते हुए , हुबली से गुंतकल को आ रहा था | संचार व्यवस्था सिमित थी  | संचार को गुप्त रखना भी एक मान्यता थी | रात  के करीब नौ बजे होंगे ,गुंतकल पहुँच चुके थे | शेड में साईन ऑफ करने के लिए जा रहा था | सामने पडोसी महम्मद इस्माईल जी ( जो ड्राईवर ट्रेंनिंग स्कूल के इंस्ट्रक्टर भी थे ) को देख अभिवादन किया | साईनऑफ हो गया हो तो हाथ मुह धो लें - उन्होंने मुझसे कहा  | यह सुन दिल की धड़कन बढ़ गयी | आखिर ये ऐसा क्यूँ कह रहे है ? आखिर इस वक़्त इनके यहाँ आने की वजह क्या है ? मन में तरह - तरह की शंकाएं हिलोरे  लेने लगी | मैंने उनसे पूछ - अंकल क्या बात है ? उन्होंने कहा - कोई बात नहीं है , आप की पत्नी की  तवियत ठीक नहीं है | वह अस्पताल में भरती है |

अब हाथ - मुहं कौन धोये | तुरंत अस्पताल को चल दिए | अस्पताल बीस मीटर की दुरी पर ही था | महिला वार्ड में पत्नी -बिस्तर पर लेटे हुए थी | पास में ही महम्मद इस्माइल जी की पत्नी खड़ी थी | उनके चेहरे पर भी दुःख के निशान नजर आ रहे थे  | पत्नी मुझे देख मुस्कुरायी और धीमे से हंसी | जैसे कह रही हो , मेरी ही गलती है | मै दृश्य को समझ चूका था | एक पूर्ण  औरत की ख़ुशी और उसके अंक  की पहली बिंदी गिर चुकी थी | आँखों में पानी भर आयें | मेरे आँखों में पानी देख पत्नी के हौसले भी ढीले पड़ गएँ , उसके भी  आँखों में आंसू भर आयें  |  दिल के गम को बुझाने के लिए , आंसू की लडिया लगनी वाजिब थी | महम्मद इस्माईल की पत्नी दोनों को संबोधित कर बोलीं - आप लोग दुखी मत होवो , घबड़ाओ मत , अभी जीवन बहुत बाकी है | 

एक दूर अनजान देश में , जहाँ अपने करीब नहीं थे , परायों ने अपनत्व की वारिस की | हम अलग हो सकते है , पर अगर दिल में थोड़ी भी  मानवता है  , तो हमें नजदीक खीच लाती  है | उस समय की असमंजस भरी ठहराव , दृढ संकल्प और कुछ कर सकने की दिली तमन्ना , आज उपुक्त परिणाम उगल रही  है | आज हम दो और हमारे दो है | फायर मेन से उठकर सर्वोच शिखर पर पहुँच राजधानी ट्रेन में कार्य करने की इच्छा पूर्ण हुयी है | आज अनुशासन भरी जिंदगी , एक उच्च कोटि के अभियंता से ऊपर  सैलरी  और जहाँ - चाह  वही राह के मोड़ पर खड़ी जिंदगी , से ज्यादा जीवन में और कुछ क्या चाहिए  ?

 अपने लगन और अनुशासन के बल पर जीवन जीना और इसके अनुभव की खुशबू ही  अनमोल है | आयें हम सब मिल कर , अनुशासन के मार्ग पर चलते हुए , एक नए भारत की सृजन करें | जहाँ भ्रष्टाचार का नामोनिशान न हो | 

Wednesday, April 11, 2012

व्हाई दिस कोलावेरी दी ........

वर्ष १९७० में भारतीय रेलवे में कुल ९ ज़ोन और ५० मंडल थे ! लेकिन  आज  हमारे  पास कोंकण  रेलवे  से अलग १६ ज़ोन  और  ६८  मंडल  है !  इसका  सीधा अर्थ है   की  ७ अधिक  महाप्रबंधक  , सी.एम्.यी.,सी.यी.यी.,सी.यी.एन.,सी.पि.ओ., सी.एस.टी.यी.,सी.ओ.पि.,ऍफ़.ये.और सी.ये.ओ तथा  दुसरे  विभागाध्यक्ष बनाये  गए  है  ( अब  अधीक्षक  शब्द  भी  प्रबंधक  में  बदल  गया  है  )! अधिकतर  रेलवे जोनो में अतिरिक्त महाप्रबंधक तथा बिभागाध्यक्ष  भी मौजूद है ! इसी तरह १८ नए मंडलों में डी.आर.एम्, ये.डी.आर.एम्,सीनियर डी.एम्.यी.,सीनियर डी.यी.यी.,सीनियर डी.यी .एन.,सीनियर डी.ओ.एम्.,सीनियर डी.सी.एस.,सीनियर डी.एस.टी.यी.,सीनियर.डी.ऍफ़.एम्.,सीनियर डी.पि.ओ. तथा दुसरे मंडल विभागीय अध्यक्ष साथ में डी.एम्.यी.,डी.यी.यी.,डी.एम्.यी.विद्युत् ,डी.ओ.एम्.,डी.ऍफ़.एम्.,डी.एस.टी.यी.,डी.पि.ओ. और भी साथ में दुसरे सहायक अधिकारी ये.एम्.यी.,ये.यी.यी.,ये.यी.एन.,ये.ओ.एम्.,ये.सी.एस.,ये.एस.टी.यी.ये.ये.ओ.की नियुक्ति हुयी है !रेलवे ट्रैक किलो मीटर ना के बराबर बढ़ा है , जो इन बढे हुए पदों को  जायज ठहरा सके !

मंडल अधीक्षक शव्द अब मंडल रेल प्रबंधक में बदल गया है ! जिसकी ग्रेड पे  विभागीय अध्यक्ष के बराबर हो गयी है और सभी मंडलों के बिभागीय मुखिया अब मंडल अधीक्षक की ग्रेड पे पर पहुँच गए है  !

यहाँ यह ध्यान देना भी अतिआवश्यक होगा की ७ नए जोनो तथा १८ नए मंडलों के लिए रेलवे को नयी बिल्डिंगे बनानी पड़ी !अधिकारियो और स्टाफ के नए मकान तथा बिभागो के लिए नए दफ्तर बनाने पड़े है ! जिसमे रेलवे की एक बड़ी पूंजी बर्बाद हुयी ! इस ग्रुप में आज तक एक  अधिकारी का भी पद सरेंडर नहीं हुआ है ! साथ ही प्रति एक मंडल में पर्यवेक्षक स्टाफ भी पूरा भरा हुआ है , जो बिना किसी खास कार्य के बड़ा वेतन  पा   रहा है !

इन उपरोक्त विषयो पर रेलवे को कभी अर्थ व्यवस्था की याद नहीं आई ! कितनी बड़ी  पूंजी रेलवे की बर्बाद हुयी , इसके ऊपर रेलवे ने कभी विचार तक नहीं किया ! लेकिन जब लोको रंनिंग स्टाफ की जायज मांगो के ऊपर विचार करने का समय आया तब रेलवे की निति पूरी तरह बदल गयी तथा अर्थव्यवस्था का ठीकरा कर्मचारियों की मांगो के ऊपर फोड़ा जा रहा है ! प्रति वर्ष नयी रेल गाड़िया बढ़ रही है , बहुत साडी रेल गाडियों का रन स्पान बढाया जा रहा है फिर भी इन गाडियों को चलने के लिए लोको पायलट और सहायक लोको पायलटो की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है !


उपलब्ध स्टाफ का कार्यभार बढाया जा रहा है ! यह रेलवे की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है ! सुरक्षा श्रेणियों में तुरंत स्टाफ को बढाया जाना चाहिए तथा पहले से खाली पड़े पदों को भरा जाना चाहिए !

लोको रंनिंग स्टाफ के ऊपर अमानवीय कृ लिंक थोपा जा रहा है !
उनमे अत्यधिक घंटे १०+२+१ =१३ घंटे को न्यूनतम मनाकर कार्य लिया जा रहा है !
लगातार ६ नाईट ड्यूटी करायी जा रही है !
साप्ताहिक / आवधिक विश्राम भी नहीं दिया जा रहा है !
नियमो का गलत अर्थ निकल कर १० घंटे तथा १४ घंटे के बाद कॉल दिया जा रहा है
तीन - चार दिन तक मुख्यालय से बाहर रखा जा रहा है !
दयनीय गर्मी तथा सर्दियों में रंनिंग रूमों के विपरीत रेस्ट हाउसों में विश्राम के लिए बाध्य किया जा रहा है !
खाना खाने तथा प्राकृतिक कॉल के लिए भी समय नहीं दिया जा रहा है
यदि संक्षेप में कहें तो लोको रंनिंग स्टाफ के साथ जानवरों तथा मशीनों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है !

नए रेल मंत्री ने पटरी से उतरी रेलवे को पटरी के ऊपर लाने  के लिए भारत सरकार से १०.००० हजार करोड़ रुपये मांगे ! रेलवे को पटरी से उतारने का बड़ा कार्य  पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया !जिसको लोग मैनेजमेंट गुरु  कहने लगे ! यहाँ इस विषय पर गौर करना भी अतिआवश्यक होगा की पिछले ८ सालो से रेलवे ने किराये के दामो में जरा भी वृद्धि नहीं की जबकि सारी वस्तुओ के दाम  ३-४ गुना तक बढे है !

छठा वेतन आयोग आने से कर्मचारियों और पेंशनभोगियो का वेतन भी बढ़ा  है ! उदहारण के लिए  ---पलक्कड़  से बंगलुरु तक का एक्सप्रेस ट्रेन का किराया १०४ रुपये है , स्लीपर श्रेणी का १७९ तथा वातानुकूलित चेयरकार का ३९० रुपये है ! वही पलक्कड़ से बंगलुरु का बस का किराया ५०० रुपये है ! पैसेंजर गाडियों का किराया तो न के बराबर है !

रेलवे को इतने सस्ते में यात्रियों को क्यों ढोना चाहिए ?  आखिर क्यों ?
इसके लिए लोको रंनिंग स्टाफ अकेले बलि का बकरा बन रहे है  !

वास्तव में रेलवे की ऐसी हालत गलत फैसलों , मिस मैनेजमेंट , भ्रष्टाचार , सस्ती वाहवाही तथा घिनौनी राजनीती के कारण  हुयी है !

Why this kolaveri DAI........ 

( सौजन्य - फायर मैगजीन /बंगलुरु /फरवरी अंक /लेखक -वि.के.श्रीकुमार ,भूतपूर्व क्षेत्रीय  सचिव /ailrsa  /दक्षिण रेलवे / अंग्रेजी में )

Tuesday, January 17, 2012

आधी रात और हप्ता


आज आधी रात दौड़ जंक्सन ,  . में लगभग 30-50 रुन्निंग  स्टाफ (लोको पायलटों) ने ( १६/१७-०१-२०१२ , सोलापुर डिवीजन के अंतर्गत). ट्रेनों की आवाजाही .. लगभग २ से ३ घंटे तक . बंद कर दिया (नांदेड़ एक्सप्रेस , राजकोट एक्सप्रेस  आदि) , सभी ने ऐसा अपने क्षेत्र के गुंडा गर्दी के बिरोध में किया ! श्री सुशील कुमार / ALP  से पैसे के लिए स्थानीय  गुंडे हप्ता मांग रहे थे ! इसका बिरोध करने पर उनकी बुरी तरह से पिटाई उन गुंडों ने की ! वह अब अस्पताल में है ! डीआरएम / ए.डी.आर.एम्.के  हस्तक्षेप , और ADME / इंस्पेक्टर रेलवे सुरक्षा बल / जीआरपी- इंस्पेक्टर /स्टेशन मैनेजर -  दौड़ के द्वारा ,   लेखन में संयुक्त रूप से आश्वासन देने के बाद , गाडियों की आवाजाही शुरू हुई !,

लाल सलाम दौड़ डिपो के सभी रुन्निंग कर्मचारियों को .!
(मध्य रेलवे के शोलापुर मंडल )

(एक 10 साल के बच्चे ने रोक दिया बड़ा रेल हादसा- इसे पढ़ने के लिए  ' न्यूज़ '  में जाएँ )!

Sunday, November 27, 2011

ये भी क्या बात है ......

आज -कल हम कहाँ से कहाँ जा रहे है --यह कहा नहीं जा सकता ! कहने वाले कहते रहें , हम तो नए ज़माने के शेर है ! किसी शेर ने किसी गीदड़ को चप्पल मारा , तो किसी ने थप्पड़ ! इससे क्या फर्क पड़ता है ! जो होनी है , वह तो हो के रहेगी ! चप्पल , थप्पड़ और कल ये भी देख लें -- कितना लाजबाब है ! हमारे देश के जन प्रिय लोग ? कुछ तो भविष्य में होने जा रहा है ---



 आन्ध्र प्रदेश में कल यानि दिनांक -२६-११-२०११ को एक जन सभा में  कहा - सुनी के दौरान , तेलगू देशम का एम्.एल.ये.श्री चिंतामणि प्रभाकर राव ,  पर्यटन मंत्री श्री वट्टी वसंत कुमार के पेट में घुसा मारते हुए !

( साभार -daccan  chronicle  / २७-११-२०११ )

Sunday, October 30, 2011

लघु कथा - सतर्क नारी

 जयेंद्र घर में आते ही पत्नी के हाथ पर सौ रुपये के दो गड्डी थमा दी  और मुस्कुराते हुए बोला --"  मायानगरी और लक्ष्मी जी !" पत्नी गड्डी को देखने लगी ! कुछ समझ में नहीं आया ! बोली - " ये क्या है ! बीस हजार रुपये  "

 " आरे भाग्यवान ..यह भी पूछने की बात है ! आज की कमाई ,,वश  और क्या !" - शर्ट की बटन को खोलते हुए जयेंद्र ने कहा !

 " अजी कहते थे  इस हप्ते सतर्कता दिवस है और यह क्या ?- पत्नी ने पूछा !
" परीक्षा बार - बार थोड़े ही कोई देता है ?"

" मतलब..... नहीं समझी "- सुनीता बेबजह और गंभीर हो पूछ बैठी !
" मतलब ये की सतर्कता दीवस को ही भाग्य की आजमायिस  होती है ! इसमे पास हो गए तो समझो चाँदी ही चाँदी ! ये दिन तो बस दिखावे के लिए आते है  ! बश यह एक पर्व है - ख़ुशी मनाओ और कमाओ "

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 काल बेल बजी ! अजी देखो कौन आया है ? जयेंद्र ने पत्नी को पुकारा ! पत्नी दरवाजे की ओर बढ़ी ! जयेंद्र ने भी साथ दिया ! दरवाजे पर सिविल पुलिस को देख सन्न रह गया !  " क्या बात है ? " - जयेंद्र ने पुलिस वालो से पूछ?

 " आप पर घुस लेने के आरोप है ! थाने चले ? एक सिपाही बोला  ! जयेंद्र पत्नी का मुह देखने लगा -जैसे पूछ रहा हो , ये क्या ? पत्नी मंद और दुःख भरी मुस्कान  के साथ बोली - " फेल हो गए ? "

 " धन्यबाद मैडम ! "-पुलिस वालो ने कहा और जयेंद्र को साथ ले चल दियें !

 
 

Friday, October 28, 2011

असुबिधा के लिए खेद है !

आदरणीय पाठक गण-
 १) मैंने कुछ तकनीक दोष की वजह से अपने ब्लोग्स के पते को बदल दिया हूँ ! अतः बहुत से पाठक   मेरे नए  पोस्ट से अनभिग्य हो गए है ! मेरा पुराना URL  बदल गया है ! इस लिए मेरे कोई भी पोस्ट उन फोल्लोवेर्स के दैसबोर्ड पर प्रकाशित नहीं हो रहे है , जो मेरे ब्लोग्स के फोल्लोवेर्स दिनांक - ११-१०-२०११ के पहले के  है !  इतना ही नहीं वे मेरे किसी भी ब्लॉग को खोल नहीं पा रहे है ! इसकी शिकायत कुछ पाठको के तरफ से मिली है ! अतः इस के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !

२) मेरा नया URL / ब्लोग्स के लिंक निम्नलिखित है ! भविष्य में इस पते पर ही मेरे ब्लोग्स को खोला जा सकता है----

बालाजी के  लिए --www.gorakhnathbalaji.blogspot.com 
OMSAI  के लिए-- www.gorakhnathomsai.blogspot.com 
रामजी के लिए --- www.gorakhnathramji.blogspot.com 
 
३) आप को अपने - दैसबोअर्ड के ऊपर मेरे  ताजे पोस्ट के प्रकाशन को प्रदर्शित  ,  हेतु कुछ मूल सुधार करने होंगे यदि आप मेरे ब्लोग्स के पुराने फोल्लोवेर्स है ! इसके लिए आप को मेरा पुराना फोल्लोवेर निलंबित कर फिर से नया फोल्लोवेर्स बनने होंगे !

४) सारी फेर - बदल मैंने अपने ब्लोग्स के सुरक्षा हेतु किया है , जो गायब होने के मूड में था ! 

असुबिधा के लिए खेद है ! आशा करता हूँ , आप का सहयोग बना रहेगा !
विनीत -गोरख नाथ साव !
 

Thursday, September 29, 2011

रेलवे की बोनस

आज - कल दसहरे की धूम है ! सभी जगह गहमा-    गहमी ! कलकत्ते की दुर्गापूजा की याद आ ही जाती है ! एक महीने पहले से ही कपडे सिलवाने  पड़ते थे अन्यथा टेलर की दुकान पर " नो आर्डर  / आर्डर क्लोज्ड " के तख्ती लटके मिलते थे ! खैर जो भी हो , नवरतन तो नवरातन ही है ! बच्चे , बूढ़े या जवान सभी उमंग से भर जाते है !   

अब बात करें रेलवे की  - रेलवे ने ७८ दिनों की बोनस देने की घोषणा कर दी   है ! आप सोंचते होंगे की रेलवे वालो को खूब ज्यादा बोनस मिलती है ! बीस -पचीस हजार पाते होंगे ! मजे से दसहरा गुजरता होगा !  किन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है ! सच्चाई तो ये है की रेलवे के क्लास चतुर्थ  और क्लास थ्री के कर्मचारियों को २५००/- और 3500/- महीने की दर से  क्रमशः बोनस मिलती है !  इस बर्ष  की बोनस राशी करीब ८९७५ /- है !

कर्मचारियों में सन्नाटा है ! उन लोलुप नेताओ और कर्मचारी संगठनो से , जो इस दिन मनमानी तौर पर चंदे की उगाही करेंगे ! लाखो में उगाही होती है ! नेता मालामाल और कर्मचारी बेहाल ! यह  प्रणाली १९७९ से चली आ रही है ! इन लोलुप और भ्रष्ट नेताओ से लोग परेशान ! करें तो क्या करें ? कोई मजबूत आन्दोलन नहीं !

रेलवे बोर्ड की अनुमति के बाद -कर्मचारियों की मासिक बेतन , भत्ते , कोई बकाया या लोन की रकम - चाहे जो भी हो सीधे बैंक के अकाउंट में चली जाती है ! कर्मचारी अपने बगार को बैंक के माध्यम से ही ड्रा करते है ! एक तरह से यह पद्धति सभी को कारगर साबित हुयी है ! लेकिन नेताओ के  मनमानी उगाही वाले -मनसूबो पर पानी फिर गया ! उन्होंने एक तरकीब निकाली - रेलवे बोर्ड से मिल कर बोनस की रकम कैश में देने की -अनुमति ले लेते है ! अतः रेलवे के सभी जोन या मंडल , बोनस की रकम ---सीधे बैंक में न भेंज ---कैश के रूप में बितरित करते है ! इस प्रकार से कर्मचारियो के करीब हजार रुपये ---बोनस बितरण के स्थान पर ही ,  लुट लिए जाते है ! इस व्यवस्था में  चतुर्थ क्लास के कर्मचारियों की दशा काफी दयनीय होती है ! जिन्होंने देने से इंकार  किया - उन्हें--- देखेंगे ? जैसे शब्द  सुनाये  जाते है !

रेलवे में हमारा एसोसिएसन ( आल इण्डिया लोको रुन्निंग स्टाफ एसोसिएसन ) केवल लोको चालको के सुबिधाओ को ध्यान में रखते हुए --तरह - तरह की  मांग  प्रशासन के समक्ष रखता है और  अपनी सकारात्मक जिम्मेदारी को  निभाता है ! यह एसोसिएसन बहुत ही अनुशासित और कड़क है ! बोनस की भ्रष्टाचार देख हमने जोनल लेवल पर जागरूकता अभियान शुरू किये और रेलवे प्रशासन के समक्ष मांग  रखी  कि इस बर्ष बोनस की रकम बैंक के माध्यम से भुगतान की जाय ! मैंने रेलवे बोर्ड को एक बिस्तृत लेटर  भेंजी है , उस लेटर कि कापी -सभी जोन को भी भेजी गयी !

अब देखना है कि रेलवे बोर्ड कौन सा कदम उठता है ! कर्मचारियों में जागरूकता लाने के लिए -एक हैण्ड बिल निकला गया है ! यह हिंदी और तेलगू में निकला है ! २०११ का बर्ष --और आंध्र- प्रदेश में हिंदी का हैण्ड बिल ,   यह एक पहला कदम है ! इस हैण्ड बिल के बाद जागरूकता जगी है ! सभी कि नजर सम्मान से लोको पायलटो कि तरफ उठ गयी है ! जिन्होंने सभी कर्मचारियों के हित में आवाज बुलंद किया है ! हैण्ड बिल नीचे है - इसे क्लिक कर ध्यान से जरुर पढ़े -

इस हैण्ड बिल में   शब्द त्रुटी भी है ! जो तेलगू भाषी प्रेस वाले की वजह से है ! प्रूफ  न देखने से हुयी है ! जिसे  आप लोग आसानी से समझ  सकते है ! हाँ - इस तेलगू  प्रेस  ने बहुत कठिन मेहनत कर बनाया  है ! जो वाकई सराहनीय   है ! 

  इस दसहरे में "  दक्षिण  भारत दर्शन  " के लिए  सपरिवार  - मदुरै , रामेश्वरम और कन्याकुमारी तक जा रहा हूँ  ! अब अगली मुलाकात दस दिनों बाद होगी ! आप सभी को नवरातन , दसहरे ,और विजयादसमी की शुभ कामनाये ! माता सबकी रक्षा करें ! जय दुर्गे !



Saturday, September 3, 2011

तीसरी नजर

कल यानि दुसरे सितम्बर २०११ को शोला पुर में था ! सोंचा चलो अच्छा हुआ , गणपति दर्शन हो जायेंगे ! शाम को बादल  उमड़ - घुमड़ रहे थे !  छतरी भी साथ ले लिया ! सहायक भी साथ में था ! चारो तरफ शहर में घुमे , पर रौनक नजर नहीं आई ! लगता था जैसे सभी अन्ना हजारे के समर्थन में इस वर्ष की उत्सव -साधारण तौर पर मना रहे  है ! किसी से पूछने का साहस  नहीं किया - आखिर क्यों ऐसा ? हमारे गुंतकल में ही गणपति का उत्सव बड़े धूम - धाम से मनाया गया है ! आज विसर्जन होने वाला है ! सोंचा कुछ बधाई और शुभकामनाओ को ब्लॉग पर डाल ही  दूँ ! मेरे बालाजी का अपना गणपति  पूजा मजेदार का रहा !  यहाँ देंखे - कैसी रही बालाजी की गणपति पूजा ? 

                                     आप सभी को गणेश चतुर्दशी की ढेर सारी शुभकामनाएं !
अब कुछ जेलर की तरफ ध्यान दे ! तिरछी नजर से परेशां -उसने आज खूब चढ़ा ली थी ! डंडे को भांजते हुए वह फिर कसाव के रूम के पास हाजिर हुआ ! नशे में धुत ! जोर से हँसाना शुरू किया ! ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह   हां हां हां हां हां हां हां ..ही ही ही ही ही ..हु हु हु हु हु हु हु ...हे हे हे हे हे ...इस जोशीले आवाज को सुन सभी संतरी जेलर के पास आ खड़े हुए ! भय -भीत  !  जेलर की हंसी  ...ठीक गब्बर सिंह के  जैसा ! देखते - देखते सभी संतरी भी हंसी में मशगुल हो गए ! कसाब  को भी हंसी आ ही गयी ! पर आज वह  सहमा सा दिखा ! न जाने क्यों ? उसे कोई  अनजानी आशंका  दबोच ली  ! 
  " अबे कसाब ? "- जेलर कसाब  की तरफ मुखातिब हो बोला !  " स्साले सब बच गए ! कितने  आदमी थे ?..बिलकुल तीन ! हा  हा  हा  ये राजनीति ....बहुत  कमाल  की.. है...... किसी को फांसी पर भी न चढाने देगी ! अबे ..अब तेरी भी बकरी ( बकरीद के वजाय -बकरी बोल गया ) नहीं आएगी .." वह नशे में धुत था ! उसके शब्द टूट -टूट कर  बाहर निकल रहे थे ! वह राजीव गाँधी के गुनाहगारो के फाँसी की सजा पर लगी रोक से तिलमिलाए हुए था ! फिर बोला -" अब तू भी बच जाएगा ,देवेंदर पाल  सिंह भुल्लर भी बचेगा और ...और...और वो संसद वाला ...   सांसदों  का गुरु ......अफजल भी बचेगा ! प्रक्रिया ...मुख्य  मुख्य मंत्रियो .....द्वारा ...तेज  हो गयी  ...है  !" इस समाचार ने  कसाब के मुखमंडल पर...थोड़ी सी मुस्कराहट बिखेर दी !" जेलर  संतरियो की तरफ देखा और फिर कहने लगा ---अब नए सम्मान दिए जायेंगे -जानते हो ? 
एक हत्या वाले को --पद्मश्री  ..हा..हा..हां.
दो हत्या वाले को--पद्मभूषण  ...........................
तीन हत्या वाले को पद्मविभूषण  ..और  
चार से ज्यादा हत्या वाले को  भारतरत्न  " - जेलर अपने डंडे को भांजने लगा ! 
" तो  सर...  क्या इसे ( कसाब को )  भारतरत्न का सम्मान मिलने वाला है ? "- एक  संतरी  ने प्रश्न  किया ! 
  " जरुर ..जरुर मिलेगा ..हाँ मिलेगा जरुर...इसी के काबिल यह है "--जेलर ने कहा और जोर का ठहाका लेकर कसाब को देख बोला -- " तेरे इस दुनिया में , तेरे पास आतंक ,लूट ,दंगा ,भुखमरी , चोरी ,बलात्कारी ,हत्या या क्या-क्या के सिवा क्या है ?..हाँ..हाँ ..हाँ ..हाँ!'' क्षण भर के लिए रुका और बोलने लगा - "जानता है हमारे पास क्या है ?.......हमारे पास ..सिर्फ और सिर्फ....अहिंसा है



Thursday, June 30, 2011

लघु कथा --वीर मेरे अंगना

शादी की तैयारी जोरो पर थी ! आज बारात आने वाली थी ! श्याम सुन्दर जी  दौड़ -दौड़ कर सभी को कह रहे थे - देखो जी कोई कसर न रह जाए , अन्यथा लडके वाले  नाराज हो जायेंगे ! गाँव का माहौल  ...फिर भी शहर से कम रौनक नहीं थी ! जहां  देखो - वही चहल पहल  ! लौड़ स्पीकर बज रहे थे ! हलवाई तरह - तरह के व्यंजन बनाने में मशगुल !  कहार पानी भरने में ब्यस्त ! द्वार पर हित - नाथ आने लगे थे ! बच्चे शामियाने में खेल- कूद में मग्न ! पंडित जी आ गए थे ! सत्यनारायण भगवान  की पूजा शुरू  होने वाली थी ! नाउन चौक पूर रही थी ! शकुन्तला देवी घर के भीतर के सभी इंतजाम में ब्यस्त ! आँगन पूरी तरह से भर गया था ! आखिर इतनी भाग दौड़ क्यों ?, चुकी निर्मला की शादी जो थी , जानी मानी टी.वि.चैनल की एंकर  , वह भी ..शहरी लडके और शान - शौकत वाले से  ,  उस पर   एकलौती बेटी ! श्याम सुन्दर जी माध्यम वर्गीय ! बहुत कुछ दान - दहेज़ में दिया था !

धीरे - धीरे समय घहराया और गाँव के गोयड़े पर बरात आकर रुक गयी थी ! बाजे की शोर गुल सुन बच्चे उधर भागे ! श्याम सुन्दर जी द्वारपूजा के लिए , हजाम को खोज रहे थे , तभी वह आ धमाका ! उसने श्याम  सुन्दर जी के कानो में कुछ कही ! उसकी बातें सुन - श्याम सुन्दर के कान खड़े हो गए ! घर में भागे ! आंगन में शकुन्तला मिल गयी !" शकुन्तला गजब हो गया !" उन्होंने पत्नी को संबोधित कर कहा ?

पत्नी घबडाई सी -" अजी ऐसा क्या हो गया ? इस शुभ घडी में !" रुवासे सी आवाज में श्याम सुन्दर जी ने कहा - " दुल्हे   के पिता  ने   - अभी तुरंत दो लाख रुपये मांगे है ! नहीं देने की हालत में बरात वापस लेकर चले जायेंगे ! " शकुन्तला के मुह से निकला - " हे भगवान ये कैसी अग्निपरीक्षा ! इतना सारा रुपया कहाँ  से लावें ! जो था सभी दे दिए !" फिर उनके तरफ मुड कर बोली ! एक बार जाकर तो देखिये ! मन्नत - विनती से काम चल जाए !

श्याम सुन्दर गम की मुद्रा में उठे और  चल दिए ! आस - पास के हित - नाथ और औरतो में यह बात ,  जंगल की आग की तरह फैल गयी !   यह बात चारो तरफ फैलने भी  लगी ! श्याम सुन्दर जी ने बहुत  चिरौरी विनती की , पर दुल्हे के घर वालो पर कोई फर्क नहीं पडा ! बारात लौटने लगी ! श्याम सुन्दर जी के प्राण ही निकल जायेंगे वैसा लग रहा था ! तभी एक युवक भीड़ से बाहर आया और श्याम सुन्दर जी से कुछ कहा !

श्याम सुन्दर जी उस युवक को लेकर घर आयें और उस कमरे की तरफ गए ,  जहां  उनकी वेटी को सजाया जा रहा था ! सभी सखी - सहेलियों को  एक मिनट के लिए बाहर जाने को कहा और  उनहोने सभी घटनाओं को बिस्तार से  अपनी वेटी को बतला   दिए ! पुत्री ने एक टक पिता की ओर देखि  और  उस युवक के साथ  एकांत में ... बात- विमर्श किया , फिर  शादी के लिए तैयार हो गयी !

उसी मंडप में  निर्मला की शादी ,  उस युवक से कर दी गयी ! वह युवक उसी गाँव का रहने वाला था , जिस गाँव से बारात आई थी ! सुबह माड़ो में  दुल्हन और दुल्हे  को बैठाया गया था ! गाँव की औरते इस वीर पुरुष को देखने के लिए झुण्ड के झुण्ड जुटने लगी थी ! चारो तरफ उसके गुण - गान किये जा रहे थे ! तभी निर्मला की एक सहेली ने पूछ दिया - पहले वाले तो सोफ्ट वेयर इंजिनियर थे , ये वाले क्या है ?

 " लिख लोढा पढ़ पत्थर  " निर्मला ने जबाब दिया ! जो सत्य था !
 " यानी एल.एल.पि.पि."- किसी  सहेली ने चुटकी ली !
हाँ .. उस पढ़े -लिखे और सभ्य दुनिया  से बहुत अच्छा है ! " निर्मला ने कहा !


Monday, June 6, 2011

योगी बाबा राम देव जी

बाबा राम देव जी ने ..राम लीला मैदान में सत्याग्रह शुरू किया था ! दिनांक -०४ मई २०११ को !  कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ने लगी थी ! आधी रात को (दिनांक -०५ मई २०११ को )दिल्ली पुलिस बल ने आक्रमण किया और सत्याग्रहियों को मैदान से बाहर निकाल फेंका ! कितने घायल हुए , कुछ गायब ( जैसा की समाचारों में आ रहा है ), बाबा रामदेव को सलवार - समीज में छुप कर भागना पडा ! ज्यादा नहीं लिखूंगा ! कुछ प्रमाणिक लक्षण पेस  कर रहा हूँ , जो इस घटना की पोल खोलती नजर आ रही है !

पौराणिक  / सम सामयिक घटनाओं को देखने से मुझे बिदीत होता है की - राम ने रावण का बध किया था ! राम और रावण ......?
      कृष्ण ने कंस का बध किया था ! कृष्ण और कंस .........?
      गोडसे ने गाँधी का बध किया था ! गोडसे और गाँधी ........?
     बामा ने सामा का बध किया था ! बामा और सामा ...? और अब ..रामदेव जी के साथ हुआ ..वह भी राम लीला मैदान ! राम देव और राम लीला .....? और भी बहुत शब्द  संयोग......

 उपरोक्त शब्दों और अक्षरों .. के संयोग को देखने से पता चलता है की ...राम लीला मैदान  भी कही ...राम देव जी के साथ होने वाली शब्द / अक्षर .. वाली ..किसी  अनहोनी का  संयोग था ! आधी रात को इस तरह से सत्याग्रहियों पर छुपे रूप से आक्रमण और राम देव जी का स्त्री वेश में छुप कर भाग निकलना,किसी साधारण प्रक्रिया का संकेत नहीं लगता ! जिसे राखे साईया , मार सके न कोय ! ...की बात ही साबित करती है ! देश में  भ्रष्टाचार जीतनी  तेजी से बढ़ रहा है , उसे देखते हुए यही लगता है की .. भ्रष्टाचारी .. राम देव जी का अंत चाहते  होंगे  ! जो भ्रष्ट  है , वे उनके आन्दोलन को समर्थन देना नहीं चाहते ! जब की उन्हें साम्प्रदायिकता के रंग से नहला रहे है ! आज प्रश्न यह है की सांप्रदायिक हो या असाम्प्रदायिक ... क्या काले धन को वापस लाना उचित नहीं समझते  है ? क्या भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना जरुरी नहीं लगता  है ? स्वच्छ और पारदर्शी सुशासन देना/ लेना  जरुरी नहीं दीखता ?  कही सोने की चमक आँखों को ..चकाचौध तो नहीं कर रही है  सब कुछ छुपाने के लिए .. ?

कल की घटनाए ..सोंच कर दिल दहल उठता है    क्यों की लगता है ...उन्हें मार डालने का षड्यंत्र रचा गया था ! न रहेगा बांस , ना बजेगी बांसुरी ! शब्द संयोग -
रामदेव जी = रा 
राम लीला मैदान = रा
देंखे ..बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधता है !

Sunday, May 1, 2011

..उसकी अस्मिता लूटती रही और मेरा दृढ निर्णय ...

                           जीवन में हर मोड़ पर ..किसी न किसी निर्णय को लेना या करना पड़ता है !राम ने पिता के आज्ञा को पालन करने का निर्णय लिया था !दसरथ ने कैकेयी के वर और अपने वचनों के पालन का निर्णय लिया था ! लक्षमण  ने राम के साथ वन जाने का निर्णय लिया था ! सीता ने पति धर्म निभाते हुए ...पति के साथ वनवास जाने का निर्णय लिया था ! रावण ने सीता का अपहरण करने का निर्णय लिया और यह एक घोर और भीषण लडाई का कारण बना था !बिभीषण ने न्याय का पक्ष लेने का निर्णय किया और घर के भेदी जैसे शुभ नाम से जाना जाने लगें ! राम भक्त हनुमान ने अपने ईस्ट देव / प्रभु राम का साथ देने का निर्णय किया !

                         महाभारत में देंखे तो युधिष्ठिर ने लडाई से परे रहने का निर्णय लिया ! दुर्योधन ने एक इंच भी जमीन पांडवो को न देने का निर्णय किया और एक लम्बी युद्ध को निमंत्रण दे बैठा ! कृष्ण ने पांडवो का पक्ष लिया , यह भी एक योग रूपी निर्णय था !
              हर निर्णय को देंखे तो हमें  दो रूप ही दिखाई देते है ! 
              पहला - परोपकार हेतु निर्णय और 
              दूसरा- स्वार्थ  वश !

              इसी धुरी पर केन्द्रित निर्णय ..हमें रोज जीवन में लेने पड़ते है ! भुत , वर्त्तमान और भविष्य ...कोई भी काल क्यों न हो हमेशा एक न एक निर्णय के साए में ही ...फला और पनपा है ! सभी दृस्तियो में निर्णय  ही भावी रहा है !

              ज्यादा शब्द बोझ न देते हुए ...संक्षेप में इस कड़ी को पूरी करना चाहता हूँ !
              मै दोपहर को सो कर ही उठा था और टी.वि.देख रहा था , तभी बरिष्ट लोको इंस्पेक्टर जनाब ताज्जुद्दीन का फ़ोन आया ! उन्होंने कहा की जल्द चार पास पोर्ट साइज़ फोटो  लेकर ऑफिस में आ जाईये !  
            मैंने पूछा -क्यों ?
           "अरे यार आओ ना " चुकी बैच  मेट है , इसीलिए उन्होंने भी सहज रूप में जबाब दिया ! मै थोड़ा घबरा सा गया ! आखिर कौन सी बात आ टपकी ! सर्टीफिकेट का मामला हो सकता है - मैंने सोंचा ! उन्होंने जिद्द कर दी ,अतः मै चार फोटो के साथ ऑफिस में चला गया ! 
            फोटो देते हुए फिर पूछा -"  सर मेरे प्रश्न का जबाब नहीं मिला है ? 
         ' यू आर सलेक्टेड फॉर जी .एम्. अवार्ड ! उन्होंने तुरंत जबाब दिया !
         " मै नहीं मानता ,भला मुझ जैसे निकम्मे को जी.एम्. अवार्ड कौन देगा ? " - मैंने ब्यंगात्मक भाव से पूछा !        " बिलकुल सच ,यार !" जबाब  मिला !. यह घटना मार्च माह के प्रथम वीक की है ! 

                   तारीख ०८-०४-२०११ को मै रेनिगुन्ता से सुपर -१२१६४ काम करके आया और आगे जाने वाले लोको पायलट को ट्रेन का कार्यभार सौप रहा था! देखा - बरिष्ट लोको इंस्पेक्टर श्री मुर्ती जी चले आ रहे है ! वे मुझसे उम्र में बड़े है तथा नौकरी में भी बरिष्ट ! आते ही मुझे - " congratulation "  कहा !
                मैंने पूछा - किस बात का सर ?
             आप का नाम जी.एम्.अवार्ड के लिए अनुमोदित हो गया है ! १३ अप्रैल / ११ अप्रैल को दिया जाएगा !  मैंने कुछ नहीं कहा ,सिर्फ धन्यबाद के !

               मैंने इस बात की जानकारी अपने मुख्य कर्मी दल नियंत्रक  श्री जे.प्रसाद को दी ! इसके बाद से ही मेरे प्रति षडयंत्र शुरू ! दुसरे दिन मेरे लोको इंस्पेक्टर जनाब ताज्जुद्दीन ने बताया की - " दुःख के साथ कहना पड रहा है की आप का नाम  जी.एम्.अवार्ड से बंचित हो गया ! इसके पीछे साजिश काम कर गया !" मुझे भी इस समाचार को सुनकर दुःख हुआ !

              मै १२६२८ कर्नाटका एक्सप्रेस तारीख १३-०४-२०११ को काम करके आया था और स्नान वगैरह कर सोने की तैयारी में था , तभी गदिलिंगाप्पा ( मुख्य कर्मीदल नियंत्रक / गुड्स ) का फ़ोन आया ! उन्होंने कहा की आज डी.आर.एम्.अवार्ड रेलवे इंस्टिट्यूट में दिया जाएगा और आप का भी नाम शामिल है !मैसेज संख्या -१३ /०४ /२५ है ! आप इंस्टिट्यूट में जाकर इसे ग्रहण करें ! 

               मैंने कहा -ओ.के .और फ़ोन रख दिया !  रात भर ट्रेन चलाने की वजह से नींद आ रही थी अतः सो गया !             यह निर्णय कर की -मै इस अवार्ड को बहिष्कार करूंगा !

              जी हाँ ,उस दिन मै सो नहीं सका क्यों की बार - बार सभी लोको इंस्पेक्टरों  की रेकुएस्ट भरी फ़ोन आती रही की आप आओ और इस अवार्ड को ग्रहण करें ! मैंने जिद्द कर ली थी और उन लोगो को कहला दिया की मै अवार्ड का भूखा नहीं हूँ ! कृपया मुझे माफ करें! मेरे सर्टिफिकेट को लोब्बी में रख दे तथा जो कैश है उसका स्वीट खरीद कर गरीबो में बाँट दे !

            साजिस = जैसे ही कुछ लोको इंस्पेक्टरों और मुख्य शक्ति नियंत्रक को मालूम हुआ की मुझे जी.एम्.अवार्ड मिलने वाला है , त्यों ही उन्होंने एक यूनियन की मदद से उसे तुरंत खारिज करवा दिए ! इस तरह से उस अवार्ड की अस्मिता लूट गयी ! इन भ्रष्ट लोको इंस्पेक्टरों और यूनियन   के समूह ने मिल कर इस अवार्ड को मौत के घाट उतार दिया !वह मेरी न हो सकी !उससे मै बंचित रह गया !उसकी अस्मिता वापस लाने के लिए ,डी.आर.एम्.ने तारीख १३-०४-२०११ को रेलवे इंस्टिट्यूट में बुलवाएँ !

              इस घिनौनी हरकत और अन्धो के बीच अपनी नाक कटवा दूँ ! यह मुझे गवारा नहीं था ! अतः मैंने इसे लेने से इनकार कर दिया ! आज - कल ..सरकारी क्षेत्र में अवार्ड अपनी अस्मिता बचाने के लिए ...वैभव और स्वर्ण वेला के लिए , मौन मूक तड़प रही है ! ठीक चातक की तरह ...इसी आस में की अमावश की रात कटेगी   और पूर्णिमा की चाँदनी रात जरुर आएगी ! 
   
             मेरे इस निर्णय को पूरी तरह से सराहा गया ! यह मेरे जीवन की अविस्मर्णीय घटना बन गयी है ! चोरो का मुह काला हो गया है !

Thursday, April 14, 2011

एक रूप भ्रष्टाचार का ......

भ्रष्टाचार   शब्द  आज के जीवन में ...चरम रोग बन गया है ! किसी न किसी रूप में हर ब्यक्ति , इस कैंसर से पीड़ित है ! किसी भी सरकारी कार्यालय में ..किसी कार्य वश    जाने पर  हमें  इसके प्रभाव से ग्रसित होना पड़ता है ! लिपिक का समय पर काम न करना, अधिकारी द्वारा फरियाद न सुनना, बार - बार कार्यालय का चक्कर लगाना ,समाधान को टालते रहना .....वगैरह - वगैरह ! ट्रेन में वर्थ खाली रहने पर भी .टी.टी.द्वारा वर्थ किसी को अलाट न करना ....सरकारी अस्पताल में दवा रहने पर भी न देना, पंचायत /पौर सभा  कार्यालय में बर्थ  प्रमाण पत्र का न देना  ,समय से किसी चीज का  न मिलना ! कितना गिनाऊ !हर क्षेत्र में तथा हर मोड़  पर हमें भ्रष्टाचार घेरे हुए है !
 प्रश्न उठता है की आखिर भ्रष्टाचार है क्या ? 
      इससे कौन ग्रस्त है ? 
    आखिर ऐसा क्यों ?
    देने वाला भ्रष्ट है या लेने वाला ?
 क्या इससे बचा जा सकता है ? वगैरह - वगैरह !
 संक्षेप में देखें  तो उस देश की संबैधानिक क्रिया - कलाप को ताक पर रख..उलटा - पुलटा कार्यवाही ही भ्रष्टाचार की सीमा में आती है !मनमानी करना और अपने धौश  को ज़माना भी इससे परे नहीं है !किसी से भय नहीं ..या भय नाम की कोई चीज नहीं !संस्कार का आभाव ! मान- मर्यादा का उलंघन ! 
जी हाँ ताली दोनों हाथो से बजती है ! मरीज बीमार तो डाक्टर होशियार ! दोनों अपने -अपने जगह तीस  - मार खान ! सभी को जीवन में इतनी जल्दी पड़ी है  , की कोई भी ज्यादा इंतज़ार नहीं करना चाहता ! भाग - दौड़ की जिंदगी में फटाफट की चित्तकार ! कोई किसी का सुनाने वाला नहीं  ! सभी  शिक्षित , पर सदाचरण का अभाव !
 इससे ज्यादातर ..सभी और सुसंस्कृति को पालन करने वाले पूर्ण रूप से परेशान !
सभी कम समय में बलवान  और शक्तिशाली बन जाना चाहते है ! निति का कोई मोल नहीं तथा  इस पथ पर चलने वाले को मुर्ख तक कह दिया जाता है ! किशी को कोई नौकरी मिली , तो आस - पास वाले पहले यही पूछते है की - उपरवार आमदनी है या नहीं ! अगर नहीं है तो सब कहते मिल जायेंगे की ..तन्खवाह तो ईद का चाँद है !
भ्रष्टाचार  को बढ़ावा देने वाले ..तो और कोई नहीं ऊपर से हाथ बढाने वाले ही है ! लेने वालो का हाथ ..सदैव  निचे होता है ! क्या आप दोनों पसंद करते है या नापसंद ? हमें भय मुक्त होकर तप करने होंगे , तभी समृधि आएगी ..परिवार में , समाज में , देश में और फिर हमारे मान और सम्मान में !
संतोष सबसे बड़ा धन है ! बिना संतोष   सभी निर्धन ! यही कारण है  की असंतोष मानव को विभिन्न तरह के दुष्कर्मो को करने के लिए प्रेरित करता है ! यही  दुष्कर्म   एक दिन हमारे अंत के रूप में ..उदय होता है !
खैर मै कोई दार्शनिक नहीं ...धर्मवेत्ता नहीं ...प्रचंड विद्वान् नहीं ..वश एक साधारण सा इंसान हूँ ! जो महसूस किया , उसे अपने ब्लॉग के माध्यम से आप के सामने प्रस्तुत कर देता हूँ !
 प्रसंग वश कुछ कहना अच्छा लगता  है ! अन्ना हजारे साहब ने ..जंतर -मंतर पर बैठ ...आमरण अनशन कर ..भ्रष्टाचार के बिरुद्ध लडाई छेड़ी, जो अपने - आप में ...आज की आवाज और समय की मांग है ! इसे हम सभी को एक जुट होकर लड़ना चाहिए !
मतदान के वक्त ..स्पस्ट  मतदान उस उम्मीदवार को दे , जो सबमे सुन्दर हो !
पार्टियों  के बिल्ले पर न जाए !
भ्रष्टाचार का बिरोध करना जरुरी है ! बढ़ावा न दें !
सरकार को चाहिए की भ्रष्टाचारियो  के पुरे  सम्पति को सिल कर... राष्ट्रीय  कोष में जमा करे !
हर सरकारी विभाग में ..सभी कार्यो के लिए  समय सीमा का निर्धारण होनी चाहिए ! इसका उलंघन होने पर सजा का प्रावधान हो !
सरकार को चाहिए की ऐसी सुबिधा  अपने कर्मचारियों को दे , जिससे की उन्हें अगल - बगल न झांकना पड़े ! जैसे -आवास , शिक्षा ( बच्चो को ), बिजली ,सामाजिक उत्थान , इत्यादी मुहैया कराने की  जिम्मेदारी सरकार ले !
किसी भी तरह के खरीद - फ़रोख ...रुपये से न कर ....इलेक्ट्रोनिक आधार से किया जाय !
भ्रष्टाचारियो  का सामाजिक बहिष्कार होनी चाहिए ! न इनके समारोह में भाग लें , न ही इन्हें अपने समारोह में निमंत्रित करें !
अब  आये  एक घटना की जिक्र करे -----
मै उस दिन  यस्वन्तापुर रेलवे स्टेशन पर .....गरीब रथ के लोको में  प्रवेश कर ..लोको के भीतरी उपकरणों की जांच - परख कर रहा था ! ट्रेन रात को आठ बज कर पचास मिनट पर छुटने वाली थी ! तभी एक युवती  करीब सत्रह - अठ्ठारह वर्ष की होगी , जींस और टी - शर्ट पहने हुए थी , लोको के खिड़की के समक्ष आ कर खड़ी  हो गयी !
 सर ..आप ही इस ट्रेन के लोको पायलट  है ? उसने पूछा !
 जी हाँ ! मैंने जबाब दिया !
 सर  मेरी बहन का लैप-टाप घर पर ही छुट गया है !वह हैदराबाद जा रही है ! कृपया ट्रेन को एक मिनट के लिए दोदबल्लपुर में खड़ा करेंगे ?-  उसने प्रश्न किया ! मैंने सीधे इनकार कर दिया क्यों की रात का समय और उस स्टेशन में गरीब रथ भी नहीं रुकती है !
 वह मानी नहीं ! अपने जिद्द पर अड़ गयी थी ! मेरी कुछ न सुनी ! आखिर मै...उसके विवसता को भाप गया तथा ..सोंचा ...मदद करनी चाहिए !जो मेरे वश में है ,उसे मदद में इस्तेमाल करने से कोई हानि नहीं !
फिर क्या था , मै अपने लोको के मेधा स्क्रीन के रीडिंग  पढ़ने के लिए मुडा ! तभी देखा की वह युवती लोको के अन्दर   घुस गयी और मेरे करीब आकर खड़ी हो गयी ! मेरा सहायक लोको की जाँच - पड़ताल में बाहर व्यस्त था ! मुझे कभी भी महिलाओं से नजदीकी नहीं रही है और इससे परहेज भी करता हूँ ! किसी महिला से बात करना , मेरे वश में नहीं ! ब्लॉग में महिलाओ के ब्लॉग पर हिम्मत जुटा कर टिपण्णी करता हूँ ! ऐसा क्यों , शायद  मुझे भी   नहीं मालूम !
अन्दर आते ही उसने कहा - सर ....please .
 मै मेधा स्कीन को देखते हुए बोला - " मैंने कह दिया है न !मुझे परेशान क्यों कर रही हो ! कुछ हो गया तो मै इसका जिम्मेदार हूंगा ! "  इतना कहने के बाद मै उसके तरफ मुखातिब हुआ ! देखा वह पांच सौ  के नोट को मेरे तरफ बढ़ाये हुए खड़ी थी ! वश क्या था , मै आपे से बाहर हो गया ! कहा - गेट आउट फ्रॉम हियर ! शर्म नहीं आती ! क्या बिकाऊ समझी हो ! पैसे से सब - कुछ खरीदना चाहती हो ! क्या जीवन में पैसा ही सब - कुछ है !
 वह डरी और सहमी सी   तुरंत लोको से नीछे उतर गयी ! फिर उसने सहस नहीं की  , कुछ बोलने की !
       जी हाँ  दुनिया में बहुत से लोग ...पैसे से सब - कुछ खरीदना चाहते है ! इतना ही नहीं ..बिकाऊ भी बिक जाते है !कुछ सच्चेऔर ईमानदार ब्यक्ति होते है , जिन्हें इस दुनिया  की कोई सम्पति खरीद नहीं सकती ! वे अनमोल होते है ! ऐसे लोग आज - कल विरले ही मिलते है ! उन्हें उपहास में गाँधी जी या राजा हरिश्चंद्र जैसे उपाधि मिल जाते है !
   आज के विचार ----


''हमें  यदि किसी को गाली का उत्तर नहीं दिया जाय , तो उसका क्रोध शांत हो जाएगा ! इसीलिए मौन को सबसे बड़ा वरदान और सुख माना गया है !जागरुक और सावधान ब्यक्ति को किसी प्रकार के भय की आशंका नहीं रहती ! प्रायः रोग , शत्रु , तथा चोर - डाकू आदि असावधान और सोते ब्यक्ति पर ही आघात करते है !जागते को देख कर सभी भाग जाते है !अतः स्पस्ट है की उद्योग  ......समृधि का ,  तप...पाप नष्ट का ,  मौन.....शांति का ,  और  सावधानी...भय से , बचने के लिए निश्चित माध्यम है !-''----चाणक्य 

 आप सभी को बैशाखी की शुभ कामना !