आन्दोलन....आन्दोलन.....आन्दोलन....जहाँ देखो ,वही कुछ न कुछ आन्दोलन हो रहा है.कहीं पेट के लिए तो कहीं वोट के लिए. हर तरफ मारामारी ही है .इन सभी आंदोलनों में रेलवे को प्रायः शिकार होना पड़ता है.इन सभी आंदोलनों में राज नीतिक आन्दोलन अपने आप में बहुत ही महत्व रखता है ,क्योकि इस में हर राज नीतिक वाले अपनी रोटी सेंकना चाहते है.चाहे आन्दोलन करने वाला हो या देखने वाला.इसी कड़ी में राजस्थान का गुर्ज्जर आन्दोलन हो या आंध्र प्रदेश के चन्द्र बाबु नायडू का आमरण भूख हरताल.सत्ता धारी को कोई फर्क नहीं पड़ता. कल यानि तारीख २३-१२-२०१० को मै १२१६३ सुपर फास्ट ट्रेन को लेकर गुंतकल से रेनिगुंता जा रहा था.घटना ताड पत्री स्टेशन की है.
ताड पत्री का सिगनल ,ज्यो ही सामने आया मेरे सहायक ने जोर से आवाज लगाई...सर डिस्टेंट कसन और होम डेंजर है.मैंने ओ.के कही और ट्रेन को कंट्रोल करना शुरी कर दिया.सहायक ने इसकी सूचना ट्रेन गार्ड को भी दी, इतने में ताड पत्री का मास्टर ,वाकी-ताकि में हमें सूचना दी की -मै होम सिगनल दे रहा हूँ.आप लोग धीरे-धीरे स्टेशन में ट्रेन को लेकर अन्दर आये क्यों की आन्दोलन कारी ट्रक के ऊपर वैढ़े हुए है.हमने हामी भर दी.
हम ट्रेन धीरे-धीरे लेकर स्टेशन में प्रवेश किये.देखा सैकड़ो लोग ट्रक को घेर कर वैठे हुए है हमने ट्रेन को सुरक्षित जगह पर खड़ा कर दी.और उनके हटाने की इंतजार करने लगे.प्रायः बीस मिनट के बाद उन्होंने ट्रेन को जाने दिया.तब-तक ट्रेन प्रायः चालीस मिनट से ज्यादा लेट हो गई थी .आन्दोलन करता -चन्द्र बाबु नायडू के सपोर्ट में नारे लगा रहे थे.चन्द्र बाबु नायडू आठ दिनों से आमरण अनसन पर है ,वे किसानो को उचित मुवायजा देने की मांग कर रहे है.क्योकि ज्यादा बारिश की वजह से किसानो की फसल बर्बाद हो गई है और बहुत से किसान ख़ुदकुशी कर चुके है.
सबसे बड़ी बात यह है की आंध्र प्रदेश में कांग्रेश की सरकार है,जो एक समय में यानि वाई.एस.राज.शेखर रेड्डी के ज़माने में ,किसानो की हिमायती जानी जाती थी,आज कांग्रेस अपने फायदे के बारे में, सोंचने में ब्यस्त है. वह यह नहीं चाहती की चन्द्र बाबु नायडू के अनसन के वजह से ,वोट बैंक फिसल जाये.और किसान उनके तरफहो लें.
हमने यात्रा के दौरान पूरी कोशिस की की लेट मेकप हो जाये. .अंत में हम पाँच मिनट लेट रेनिगुंता पहुंचे.शायद आन्दोलन कारीओ के मनसूबे सफल न हुए.आये कुछ तस्बीर इस घटना से सम्बंधित देंखे.----------
गांधी के इस देश में,आंदोलन का गांधीवादी रास्ता अब किसी को नहीं सूझता!
ReplyDelete