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(१७)
जिसे चुने है उसे कार्य करने दें / सोंचे अगले मतदान के वक्त /
====================================================================== (१५)
वोट का अधिकार सभी को है । मतदान करें और योग्य पार्टी का चुनाव करें । मतदान उचित अवसर है ।
======================================================================
(14)
अनुशासन हमें महान ,और नैतिक पतन हमें भ्रष्टाचारी बना देता है | कुछ लोग उत्तरदायित्व को धैर्य पूर्वक निभाने में अक्षम होते है | जो अराजकता का एक जड़ है |
=======================================================================
(13)
आप कुछ खास होते जा रहे है । आप कि आम खाने के लिए खास लोगो का जमावड़ा होने लगा है । नयी बोतल , वही पुरानी शराब ।
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(१२)
एक हजार में मौत और एक हाथ में जान। …… जी ये बिलकुल सत्य है । एक ट्रेन में हजारो यात्री सवार होते है । उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ एक हाथ में बंद होती है , वह है लोको चालक । इसकी एक भी लापरवाही हजारो की जान ले सकती है । किन्तु यह दुर्भाग्य है कि हजार मिलकर एक लोको चालक को नहीं बचा सकते ।
अतः यह प्रासंगिक है की एक लोको चालक हजारो को जीवन और हजार मिलकर लोको चालक को मौत देते है । यह कहाँ तक उचित है ?
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(11)
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(10)
आज( १ १ जुलाई२ ० १ ३ ) कैबिनेट मीटिंग में इस बात पर चर्चा हो सकती है की कर्मचारियों को नीव पेंसन स्कीम के अंतर्गत दो लाख रुपये तक निकालने की इजाजत दी जाये ।
========================================================================
(८)
ऐलरसा ने दिनांक -०७.०४.२०१३ को यह खुली रूपी से इंकार कर दिया की हम NFIR और AIRF इस बार सपोर्ट दे रहे है | इस तरह यह विदित है की इस बार इन दोनों फेडरेशन को समर्थन नहीं मिलेगा | इन्होने रनिंग स्टाफ के पीठ में छुड़ा भोंका है | साथियों तैयार रहे और तीसरे विकल्प के प्रयास करें |
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(७) रेलवे में यूनियन का चुनाव
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(६) लोको चालक की पीड़ा |
रेल - अग्निपथ
नौकरी है बड़े -बड़े
काम सारे पड़े - पड़े
एक भी छुट्टी तू
मांग मत
मांग मत
मांग मत
अग्निपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
तू ना हसेगा कभी
तू ना खुश रहेगा कभी
हर दिन ड्यूटी आने की
कर शपथ
कर शपथ
कर शपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
ये महान प्रोफेसन है
ये महान प्रोफेसन है
हर कोई डिप्रेसन में है
इंस्ट्रक्शन और पनिशमेंट से
लथपथ
लथपथ
लथपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
अग्निपथ ( रेलपथ )
( एक फेशबुक दोस्त ने मेरे टाइम लाइन पर पोस्ट की थी )
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(५) कहानी १६ की
केंद्र सरकार के कानून में
तंबाकू इस्तेमाल करने की उम्र 18 साल,
मतदान करने की उम्र 18 साल,
शादी करने की उम्र 18 साल
लेकिन
सेक्स करने की उम्र 16 साल।
अब ये क्या है ?
शादी के पहले
दो साल
ताजुर्वे की छूट दी गई है।
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(४) झुकी नजर
पिछले दिनों कश्मीर में दो आतंकवादी घुस आये |
वह भी क्रिकेटर बन कर |
दो - दो आतंकवादी मारे गए और
हमारे पांच -पांच सी.आर.पि.ऍफ़.के जवान शहीद हो गए |
आखिर किसके हौसले बुलंद हुयें ?
इस घटना के बाद यही लगता है की
अतंकवादियो के मनसूबे बुलंद है |
क्यूँ की
एक के बदले दो - दो मारते है |
जागो देश ?
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(3)
प्यारे साथियों .
Dear Comrades,
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(२)
हैदराबाद बम विस्फोट --
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(१)
(१७)
जिसे चुने है उसे कार्य करने दें / सोंचे अगले मतदान के वक्त /
====================================================================== (१५)
वोट का अधिकार सभी को है । मतदान करें और योग्य पार्टी का चुनाव करें । मतदान उचित अवसर है ।
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(14)
अनुशासन हमें महान ,और नैतिक पतन हमें भ्रष्टाचारी बना देता है | कुछ लोग उत्तरदायित्व को धैर्य पूर्वक निभाने में अक्षम होते है | जो अराजकता का एक जड़ है |
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(13)
आप कुछ खास होते जा रहे है । आप कि आम खाने के लिए खास लोगो का जमावड़ा होने लगा है । नयी बोतल , वही पुरानी शराब ।
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(१२)
एक हजार में मौत और एक हाथ में जान। …… जी ये बिलकुल सत्य है । एक ट्रेन में हजारो यात्री सवार होते है । उनके सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ एक हाथ में बंद होती है , वह है लोको चालक । इसकी एक भी लापरवाही हजारो की जान ले सकती है । किन्तु यह दुर्भाग्य है कि हजार मिलकर एक लोको चालक को नहीं बचा सकते ।
अतः यह प्रासंगिक है की एक लोको चालक हजारो को जीवन और हजार मिलकर लोको चालक को मौत देते है । यह कहाँ तक उचित है ?
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(11)
फायर-मई -२०१३
प्रकाशन स्थल - कोटा / राजस्थान
नेशनल औधोगिक ट्रिब्यूनल से समाचार ।
१८ अप्रैल २०१३ को इस ट्रिब्यूनल में सुनवाई थी । लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी थी क्युकी जज साहब छुट्टी पर थे । सुनवाई की अगली तारीख १७ मई २०१३ को निर्धारित की गयी थी । इस दिन रेलवे के तरफ से दो वकील और चार excutive डायरेक्टर उपस्थित हुए थे । शुरुआत में रेलवे ने कहा की आल इण्डिया लोको रनिंग स्टाफ असोसिएसन , एक असोसिएसन है और इस ट्रिब्यूनल में नहीं आना चाहिए था , तब एम.एन. प्रसाद /महासचिव / ऐल्र्स ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश दिखाए जिसमे कहा गया है कि असोसिएसन की बात सुनने और समस्याओ के निराकरण के लिए प्रशासन कभी मना नहीं करेगा तथा यथा संभव समस्याओ का निदान करेगा । क्युकी असोसिएसन ट्रेड यूनियन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होते है ।
रेलवे बोर्ड के निर्देशकों की इस बात को ट्रिब्यूनल अध्यक्ष ने भी , इसे श्रम मंत्रालय में दखल मानते हुए आपत्ति जताई ।
दूसरा -एम्,एम्,प्रसाद जी ने रेलवे द्वारा गठित २५ मई २०१३ की एम्पोवेर कमिटी को सिर्फ एक धोखा बताया जिस पर जज साहब ने अपनी सहमति जताई तथा रेलवे बोर्ड के EDs से इसे डिसमिस करने के लिए कहा । रेलवे तीन बड़ी फाइल लेकर आई थी । ऐल्र्स उसकी अध्ययन करके १५ जुलाई २०१३ को अपनी पक्ष रखेगा ।
यह है रेलवे की कर्मचारियो के प्रति जमीनी हकीकत । न करेंगे और न सुलझाएंगे ।
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(10)
आज( १ १ जुलाई२ ० १ ३ ) कैबिनेट मीटिंग में इस बात पर चर्चा हो सकती है की कर्मचारियों को नीव पेंसन स्कीम के अंतर्गत दो लाख रुपये तक निकालने की इजाजत दी जाये ।
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(9)
जी हाँ , यदि आप सरकारी कर्मचारी है तो खुश हो जाईये , क्यूंकि सरकार ने यह निर्णय ले लिया है कि कर्मचारियों के अवकाश के वर्ष में दो वर्ष की बढ़ोतरी कर दी जाए । इस निर्णय के बाद सरकार की पर्सोनल और ट्रेनिंग विभाग इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । इस वर्ष में ही आदेश जारी हो सकते है । इस प्रकार सरकार के खजाने की कमी दूर हो जाएगी । अब सरकारी कर्मचारी ६० वर्ष के वजाय 6 २ वर्ष में अवकाश प्राप्त कर सकेगे ।
(9)
जी हाँ , यदि आप सरकारी कर्मचारी है तो खुश हो जाईये , क्यूंकि सरकार ने यह निर्णय ले लिया है कि कर्मचारियों के अवकाश के वर्ष में दो वर्ष की बढ़ोतरी कर दी जाए । इस निर्णय के बाद सरकार की पर्सोनल और ट्रेनिंग विभाग इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । इस वर्ष में ही आदेश जारी हो सकते है । इस प्रकार सरकार के खजाने की कमी दूर हो जाएगी । अब सरकारी कर्मचारी ६० वर्ष के वजाय 6 २ वर्ष में अवकाश प्राप्त कर सकेगे ।
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(८)
ऐलरसा ने दिनांक -०७.०४.२०१३ को यह खुली रूपी से इंकार कर दिया की हम NFIR और AIRF इस बार सपोर्ट दे रहे है | इस तरह यह विदित है की इस बार इन दोनों फेडरेशन को समर्थन नहीं मिलेगा | इन्होने रनिंग स्टाफ के पीठ में छुड़ा भोंका है | साथियों तैयार रहे और तीसरे विकल्प के प्रयास करें |
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(७) रेलवे में यूनियन का चुनाव
रेल यूनियन का चुनाव २५ से २७ अप्रैल २०१३ को होने है | जो ३०% ज्यादा वोट से विजयी होगा ,वही बनेगा कर्मचारियों का सिकंदर , अगले पांच वर्ष के लिए | आप सभी रेलकर्मियो से निवेदन है कि सोंच - समझ कर वोट करें | आप के क्षेत्र में जो भी ट्रेड यूनियन मैदान में है , उनमे से सबसे कम चोर कौन है , उसी को चुने |
(६) लोको चालक की पीड़ा |
रेल - अग्निपथ
नौकरी है बड़े -बड़े
काम सारे पड़े - पड़े
एक भी छुट्टी तू
मांग मत
मांग मत
मांग मत
अग्निपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
तू ना हसेगा कभी
तू ना खुश रहेगा कभी
हर दिन ड्यूटी आने की
कर शपथ
कर शपथ
कर शपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
ये महान प्रोफेसन है
ये महान प्रोफेसन है
हर कोई डिप्रेसन में है
इंस्ट्रक्शन और पनिशमेंट से
लथपथ
लथपथ
लथपथ
अग्निपथ
अग्निपथ
अग्निपथ ( रेलपथ )
( एक फेशबुक दोस्त ने मेरे टाइम लाइन पर पोस्ट की थी )
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(५) कहानी १६ की
केंद्र सरकार के कानून में
तंबाकू इस्तेमाल करने की उम्र 18 साल,
मतदान करने की उम्र 18 साल,
शादी करने की उम्र 18 साल
लेकिन
सेक्स करने की उम्र 16 साल।
अब ये क्या है ?
शादी के पहले
दो साल
ताजुर्वे की छूट दी गई है।
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(४) झुकी नजर
पिछले दिनों कश्मीर में दो आतंकवादी घुस आये |
वह भी क्रिकेटर बन कर |
दो - दो आतंकवादी मारे गए और
हमारे पांच -पांच सी.आर.पि.ऍफ़.के जवान शहीद हो गए |
आखिर किसके हौसले बुलंद हुयें ?
इस घटना के बाद यही लगता है की
अतंकवादियो के मनसूबे बुलंद है |
क्यूँ की
एक के बदले दो - दो मारते है |
जागो देश ?
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(3)
प्यारे साथियों .
Dear Comrades,
TODAY'S PAPER » NATIONAL
BANGALORE, February 27, 2013
Injustice done to State in Railway Budget: Shettar
SPECIAL CORRESPONDENT
Of the eight proposals, only four were accepted
Chief Minister Jagadish Shettar has criticised the Railway Ministry for “doing injustice” to
the State in the Railway Budget 2013-14.
Mr. Shettar said in a release that Karnataka’s rail infrastructure density was just 16.9 per
cent as against the national average of 24 per cent, and way below Tamil Nadu’s rail
infrastructure density of 31 per cent. Despite this, most of the projects proposed by
Karnataka were not considered by the Railway Minister, Mr. Shettar said. This is in spite of
the fact that Karnataka is the only State sharing 50 per cent of the cost and providing land
for free for new railway projects.
Mr. Shettar said that of the eight new railway projects proposals sent by Karnataka, only
four were accepted.State’s request to execute Bijapur-Shahabad, Talaguppa-Honnavar and
Hubli-Ankola new line projects under the PPP mode were also not considered.
The All India Loco Running Staff Association said that the Budget should have
focussed on complete implementation of Anil Kakodkar committee
recommendations on railway safety.
· ‘State’s rail infrastructure density is 16.9 p.c. as against the national average of 24 p.c.’
· ‘Karnataka is the only State that shares 50 p.c. cost of projects and provides land for free’
TODAY'S PAPER » NATIONAL » TAMIL NADU
CHENNAI, February 27, 2013
More trains with existing manpower will impact safety
SPECIAL CORRESPONDENT
Staff say Budget is against spirit of Kakodkar panel recommendations
Railway trade union leaders feel that introducing newer trains — Southern Railway got 17
new express trains — or increasing frequency of existing trains without modernising facilities
at maintenance depots/carriage works or adding manpower would seriously compromise the
Railway’s core principle of passenger safety.
“The Budget goes against the spirit of the Kakodkar Committee
recommendations to put upgrading of existing infrastructure over the
populism of introducing more and more new trains,” said V. Balachandran, All
India Loco Running Staff Association divisional secretary.
The AILRSA has been demanding filling up of loco pilot vacancies and
sanctioning assistant loco pilots for suburban trains too taking into account
the increased workload.
N. Kanniah, general secretary of the Southern Railway Mazdoor Union (SRMU), pointed out
that Southern Railway had been allotted virtually the same amount of Rs. 82 crore for
primary maintenance in workshops and Rs. 52 crore for secondary maintenance in carriage
and wagon depots.
This was despite the fact that costs of spares had been going up by between 10 and 30 per
cent as a result of which the required quantity of spares could not be procured, he said.
The manpower shortage had also turned acute due to the non-filling of vacancies. Moreover,
the increase in Periodic Overhaul periods from 12 to 18 months had aggravated wear and
tear of coaches/wagons, Mr. Kanniah said.
Railwaymen warn that trying to operate more train services with the existing staff strength
would put the already over-stretched resources, which would have a direct bearing on
passenger safety.
The new express trains announced in the Budget include Bikaner-Chennai AC Express
(weekly), Howrah-Chennai AC Express (bi-weekly) Chennai-Karaikudi (weekly), Chennai-
Palani (daily), Chennai Egmore-Thanjavur (daily), Chennai-Nagarsol (weekly), Chennai-
Velankanni (daily), Coimbatore-Rameswaram (weekly) and Nagercoil-Bangalore (daily).
The Budget also envisages the extension of 10 trains including the Chennai-Madurai portion
of Chennai-Guruvayur Express to Tuticorin; Chennai-Tiruchchi Express to Karaikudi;
Guwahati-Ernakulam Express to Thiruvananthapuram; Mangalore – Tiruchi Express to
Puducherry; Bangalore-Nagore Passenger to Karaikal; Madurai-Kollam Passenger to
Punalur; Ernakulam-Thrisur MEMU to Palakkad; Kollam-Nagarcoil MEMU to
Kanyakumari; Karaikudi-Manamadurai DEMU to Virudhanagar and Madurai-Dindigul
Passenger to Palani.
The frequency of six services has been increased for trains including the Coimbatore-
Tirupati Express 3 to 4 days (after gauge conversion), Madurai – Dehradun/Chandigarh
Express 1 to 2 days, Kanyakumari-Tirunelveli Passenger from 6 to 7 days, Nagercoil –
Kanyakumari Passenger 6 to 7 days and the Tirunelveli - Nagercoil Passenger 6 to 7 days.
· Association has been demanding filling
of loco pilot vacancies
· They also say there is no increase in funds for maintenance
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(२)
हैदराबाद बम विस्फोट --
दिनक -२१ फरवरी २०१३ शाम की रात बहुतो के लिए दुःख की घडी बन गयी | अलग - अलग दो जगहों पर बम विस्फोट हुए | जिनमे करीब १६ की मौत , ६ गंभीर रूप से घायल और १२५ के ऊपर घायल अवस्था में पड़े हुए थे | आज लोकसभा में सभी पार्टियों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठ कड़ी निंदा की है | सभी ने सरकार से कड़ी कदम उठाने की मांग की है | ये घिनौनी हरकत कब तक होती रहेगी ?
आज यह प्रश्न सभी के सामने सर उठाये खड़ा है | हम सभी नागरिको को अपनी सुरक्षा स्वयं करनी पड़ेगी | आखिर उनके क्या कसूर थे ? जिन्होंने जान गवा दी है | सुना है दो युगल , जो गुंतकल के रहने वाले थे , भी इस विस्फोट के शिकार हो गए है |हम सरकार के भरोसे बैठ तमाशा नहीं देख सकते | आतंकवादी हमारे बिच में ही होते है , आखिर हम इसकी जानकारी पुलिस को समय रहते क्यों नहीं देते ? आज आम नागरिक को जागरुक होना पड़ेगा | आयें हम सब ऐसी किसी भी हरकत को पर्दाफास करने की शपथ लें |
(१)
रेल मन्त्रालय की मनमानी के चलते होती हैं रेल दुर्घटनायें
शेष नारायण सिंह
अपने देश में रेलों में सुरक्षा की हालत दिन बा दिन बिगड़ती जा रही है लेकिन रेलवे के अफसरों को कहीं से भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है। यह रहस्य बना हुआ था लेकिन रेलवे सुरक्षा आयुक्त के कामकाज से सम्बंधित संसद् की एक स्थायी समिति की रपोर्ट आने के बाद अब बात समझ में आने लगी है।
रेल सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार ने रेलवे एक्ट के तहत रेलवे सुरक्षा आयुक्त के संगठन का गठन किया गया था। एक्ट में इस संगठन का काम बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया था। इस संगठन के जिम्मे रेलवे के हर साजो-सामान का निरीक्षण भी था। एक्ट में यह व्यवस्था थी कि अगर कभी कहीं कोई रेल दुर्घटना हो तो रेलवे सुरक्षा आयुक्त को जाँच करना था। इसमें कहीं भी किसी आदेश का इन्तज़ार करने की व्यवस्था नहीं थी। इस संगठन की आज़ादी को बनाये रखने के लिए रेलवे सुरक्षा आयुक्त को रेल मंत्रालय के नियन्त्रण के बाहर रखा गया था। इसे नागरिक उड्डयन मन्त्रालय के प्रशासनिक नियन्त्रण में रखा गया था। इसके सारे नियम कानून रेलवे एक्ट के प्रावधानों के तहत बनाये गये थे। लेकिन रेल मन्त्रालय के अधिकारियों ने 1953 में एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी करके यह अधिकार वापस ले लिया। यानी निरीक्षण का जो महत्वपूर्ण काम रेलवे सुरक्षा आयुक्त को करना था वह वापस ले लिया गया।
संसद् की इस विभाग से सम्बंधित स्थायी समिति ने सवाल किया है कि जो अधिकार किसी भी संगठन को संसद् के किसी एक्ट के कारण मिला है उसे किसी एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के ज़रिए कैसे वापस लिया जा सकता है।इसके अलावा हमेशा से ही रेल मंत्रालय का रवैया ऐसा रहा है कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त का दफ्तर पूरी तरह से रेल मन्त्रालय के अधिकारियों की कृपा पर बना रहे। मसलन संसद् ने रेलवे सुरक्षा आयुक्त की ऑटोनॉमी को सुनिश्चित करने के लिए इसे रेल
शेष नारायण सिंह वरिष्ठ पत्रकार है. इतिहास के वैज्ञानिक विश्लेषण के एक्सपर्ट. सामाजिक मुद्दों के साथ राजनीति को जनोन्मुखी बनाने का प्रयास करते हैं. उन्हें पढ़ते हुए नए पत्रकार बहुत कुछ सीख सकते हैं.
मन्त्रालय से हटकार सिविल एविएशन मंत्रालय के जिम्मे किया था लेकिन रेलवे बोर्ड के ताक़तवर अधिकारियों ने यह ऑर्डर जारी कर दिया और नियम बना दिया कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त का ज़ोन स्तर पर तैनात बड़ा अफसर वहाँ के जनरल मैनेजर के अधीन काम करेगा। इस आदेश एक बाद सब कुछ ऐसे ही चलता रहा और रेलवे सुरक्षा आयुक्त पूरी तरह से सफ़ेद हाथी के रूप में काम करता रहा। देश भर में रेल में दुर्घटनायें होती रहीं और रेल मन्त्रालय के अफसरों की सुविधा के हिसाब से रिपोर्ट आती रही। पं. जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने रेलवे सुरक्षा का जो भरोसेमन्द ताम-झाम तैयार किया था, उस रेलवे सुरक्षा आयुक्त के संगठन को कुछ रेलवे अधिकारियों ने दो एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी करके छीन लिया और संसद् को बहुत दिन तक इस हेराफेरी का पता भी नहीं चला।
अब बात पब्लिक डोमेन में आ गयी है। यातायात, पर्यटन और संस्कृति मन्त्रालय से सम्बद्ध संसद् की स्थायी समिति ने सारी गड़बड़ी को पकड़ लिया है और अपनी 188वीं रिपोर्ट में संसद् को सब कुछ बता दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त में कमाण्ड का दोहरापन है। रेलवे एक्ट में इसे नागरिक उड्डयन मन्त्रालय के जिम्मे किया गया है। दुर्घटना की जाँच के नियम तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय की तरफ से बनाये जाते हैं जबकि दुर्घटना के इन्क्वायरी से सम्बंधित नियम रेल मंत्रालय से आते हैं। कमेटी को यह बात बहुत अजीब लगी क्योंकि इस तरह से कुछ शब्दों के उलटफेर के बाद जनहित का काम बहुत बुरी तरह से प्रभावित होता है। नतीजा यह होता है कि सुरक्षा के जो कोड बनाये जाते हैं, रेलवे सुरक्षा आयुक्त को उसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती। सरकारी क़ायदा यह है कि अगर किसी फैसले में दो मन्त्रालय शामिल हैं तो जब तक दोनों ही मन्त्रालय सहमत न हों कोई फैसला न लिया जाये लेकिन रेलवे सुरक्षा आयुक्त के अधिकार के फैसले रेल मन्त्रालय वाले बड़े मौज से लेते रहते हैं। रेलवे एक्ट में एक टर्म “सेन्ट्रल गवर्नमेंट“ लिखा हुआ है। इसी टर्म के कवर में रेल मन्त्रालय के अफसर मनमानी करते रहते हैं। कमेटी ने सुझाव दिया है कि इस दुविधा को दूर करने के लिए “रेल एक्ट” में ही ज़रूरी सुधार कर दिया जाना चाहिये।
मौजूदा व्यवस्था में रेल मन्त्रालय की मनमानी चलती है क्योंकि रेलवे सुरक्षा आयुक्त को अपना काम करने के लिए रेल मन्त्रालय पर निर्भर करना पड़ता है। उसके पास अपने विशेषज्ञ नहीं होते और रेल मन्त्रालय उनको विशेषज्ञ देता नहीं। कमेटी का विचार है कि सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये जिसके बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त को अपने विशेषज्ञ सीधे भर्ती करने के अधिकार मिल जायें। वर्ना आज तो रेलवे सुरक्षा आयुक्त पूरी तरह से रेल मन्त्रालय के अधीन ही काम करने के लिए अभिशप्त है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय वाले केवल कुर्सी मेज़ आदि के इन्तजाम तक ही सीमित हैं। अभी रेलवे सुरक्षा आयुक्त सभी दुर्घटनाओं की जाणँच नहीं कर पाता क्योंकि क्योंकि रेल मन्त्रालय सभी दुर्घटनाओं की अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी नहीं करता। नतीजा यह होता है कि रेल मन्त्रालय वाले खुद ही जाँच करके मामले को रफा-दफा कर देते हैं। रेलवे सुरक्षा आयुक्त को रेलवे की सुरक्षा के मानकों को बदलने के पहले भरोसे में लेना ज़रूरी है लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं है। रेल अफ़सर जब चाहते हैं रेलवे सुरक्षा आयुक्त को बताये बिना मानकों में परिवर्तन कर देते हैं।
इस सारी दुर्दशा से बचने के लिए कमेटी ने सुझाव दिया है रेलवे सुरक्षा आयुक्त को किसी भी मन्त्रालय के अधीन कर दिया जाये उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन ज़रूरी है कि संसद् एक अलग एक्ट पास करके रेलवे सुरक्षा आयुक्त के अधिकार, कर्तव्य और जिम्मेवारियों को विधिवत कानून की सीमा में लाने की व्यवस्था करे। वरना दुर्घटनायें होती रहेगीं और रेलवे के अधिकारी अपनी मर्जी के हिसाब से रिपोर्ट बनवाते रहेंगे।
Thanks for your valuable information
ReplyDeleteWhat is Acko Insurance ?