प्रिय पाठको,इसके पहले आप ने,एक
आप-बीती पिछले माह में पढ़ी थी.
मैंने यह निर्णय लिया है की प्रति माह
बालाजी में एक आप-बीती पोस्ट
करूँगा .अतः लीजिये एक पोस्टहाजिर
हाजिर है.
बात चौथी जून २०१० की है.मै,
मेरी पत्नी और बालाजी,वाराणसीस्टेशन में ,tapti-ganga express की इनतजार कर रहे थे .चिल-मिलाती धुप धरती को छू रही थी. सभी यात्री गर्मी से परेसान थे.सभी को अपने गंतब्य को जाने की चिंता तथा गाड़ी कब और किस पलेटफार्म पर आएगी की उतसुकता थी.प्लात्फोर्म में काफी भीड़ थी.हकारो की आवाज कान फाड़ रही थी .अंततः समय से आधे घंटे पूर्व ताप्ती -गंगा की गाड़ी प्लातेफ़ोर्म पर आ लगी.मै अपने पुरे सामान तथा परिवार के साथ कोच संख्या-बी-३ में सीट संख्या-१७,१८ और२० पर जा कर बैठ गए.ac का ac काम नहीं कर रहा था अत कोच में भी गर्मी थी.मुझे छोड़ने,मेरा भैऔर कुछ नजदीकी रिश्तेदार आये थे.मैंने उन्हें बिदा कर दिया था,क्योकि उन्हें गावं को जाना था और घर पहुँचाने में रात हो सकती थी.
तभी एक महिला चुस्त समीज और सलवार पहने हुए थी,आई और मेरी पत्नी के तरफ इशारा करते हुए बोली,जो सीट संख्या-२० पर बैठी थी- वह सीट मेरा है वहा से हटे .मेरी पत्नी मेरे तरफ देखते हुए कुछ पूछना चाहा की,इसके पहले मैंने कहा...वही विठो वह सीट हम लोगो का है और महिला से पूछा-आप का सीट संख्या क्या है?
आप ही अपना नंबर देख लो. मैंने देख,वह महिला अपना नंबर बताने के मूड में नहीं थी.अतः मैंने न चाहते हुए भी फिर से अपने टिकेट पर नजर दौड़ाई.हमारा नंबर बिलकुल ठीक था. तब तक उसके साथ वाले भी आ गए.उनकी उम्र भी ४५-४८ के आस-पास होगा.उस महिला ने उन्हें भी कह दिया,ये लोग २० सीट को नहीं छोड़ रहे है.
फिर क्या था..आग में घी पड़ गया.वह ब्यक्ति भी गुस्सा हो गया और
पूछा -आप लोग २० नंबर सीट से हटिये.मैंने फिर अपनी पहली बातो को
दुहराय किन्तु वे लोग कुछ सुनाने वाले नहीं थे.मैंने कहा-आप के मैडम
को हमने आप के पहले सब कुछ बता दिया है -वह सीट मेरा ही है.सायद मैडम सब्द से उन्हें बुरा फिल हुआ.मैंने भी मैडम इस लिए कहा-क्यों की यह अंदाज लगाना मुस्किल था की ये पति-पत्नी है या कुछ और,अत मैंने सर का opposit मैडम कह दिया था.
फिर क्या था-उस ब्यक्ति ने टपक से कहा की सीट छोड़ नहीं तो ऐसा चाटा मरूँगा की याद रखेगा.....इस अप्रयातिस सब्द को सुन कर मै हक्का-बक्का सा हो गया.ट्रेन सफ़र में यह पहली घटना थी जब किसी ने ऐसी अभद्र वाक्य का इस्तेमाल किया था. मैंने भी खड़ा हो कर कहा...ठीक है आप मारो और तुरंत भाई को फ़ोन करने लगा..तब तक मेरे पत्नी का भी गुस्सा चढ़ गया.उसने उनकी फजीहत कर दी.और कहा जींस पैंट पहन कर अपने को ज्यादा जोग्य समझ रहो हो,तुम लोगो के पास थोड़ी भी संस्कृति नहीं है.मेरी पत्नी उनकी काफी फजीहत कर दी.वह भी भारतीय नारी थी,अपने समक्ष किसी के द्वारा अपने पति का अपमान भला वह कैसे बर्दास्त कर सकती थी.
तब-तक अगल-बगल के सीट वाले भी शोर सुन कर आ गए थे तथा बाद में उन्हें अपने वाक्य के उच्छारण का आभास हुआ.मैंने बात बढ़ाना नहीं चाहा अत फ़ोन कट कर दिया.किन्तु मेरी पत्नी उनकी आखिरी कर दी थी....अचानक वह महासे मेरे हाथ को जबरन पकड़ कर अपने गालो पर,मेरे न चाहते हुए भी पिटना सुरु कर दिया.
उनहोने कहना सुरु कर दिया -भैया माफ करो.मै हृदय का मरीज हूँ.गलती हो गई.तब-तक मेरे भाई का फोन,बिच-बिच में कई बार आ रहा था...अत होल्ड किया --उसने पूछा----कोई बात है क्या--मैंने कहा कुछ भी नहीं.क्यों की मामला बढ़ाना अच्छा नहीं.
कभी-कभी सोंचता हूँ-कैसे-कैसे लोग होते है ,जिन्हें यह भी पता नहीं होता की समाज में कब क्या बोलना चाहिए.मैंने यह भी भाप लिया की उन लोगो का हमारे प्रति ऐसा ब्यवहार सायद हमारे साधारण पहनावे की वजह था.वे लोग अपने को अपने पाश्चात्य वेस-भूसा में काफी योग्य समझ रहे थे.बाद में वे काफी मिल गए तथा काफी सर्मिन्दा हुए. पाठको इन बातो को छोडिये मुझे इस घटना से कुछ दुःख नहीं पर सोंचता हूँ-----की मै उस समय सिरडी यात्रा पर जा रहा था और कहानिओ में पढ़ा हूँ की साईं बाबा अपने भक्तो को मजकिये तौर पर भी मदद करते है.
और यहाँ पर भी वही हुआ क्यों की जिस ब्यक्ति ने मुझे थप्पड़ मरने को कहा,वह खुद ही मेरे हाथो थप्पड़ खाया.अर्थार्त जिसकी चप्पल,उसी के सर.
दोस्तों,जीवन में सदाचार का उपयोग ही योग्य मन्त्र है.सामने वाले की बुराई को यह समझ कर भूल जाना चाहिए की उसके पास,बुराई के सिवा हमें देने के लिए कुछ नहीं है.सोना से सोना निकलेगा,गन्दा से गन्दा.
मै दुसरे दिन,सबेरे इटारसी में उतर गया .क्यों की वहा से फिर दूसरी ट्रेन सिरडी के लिए पकड़नी थी.उसमे भी एक घटना घटी.वह दो-चार दिन बाद पोस्ट करूँगा,मदुरै से आने के बाद.
यह ब्लॉग मेरे निजी अनुभवों जो सत्य और वास्तविक घटना पर निर्भर करता है - पर आधारित है ! वह जीवन - जीवन ही क्या जिसकी कोई कहानी न हो! जीवन एक सवाल से कम नहीं ! सवाल का जबाब देना और परिणाम प्राप्त करना ही इस जीवन के रहस्य है !! सवाल की हेरा-फेरी या नक़ल उचित नहीं!इससवाल के जबाब स्वयं ढूढ़ने पड़ेगे!THIS BLOG IS PURELY DEDICATED TO LABORIOUS,CORRUPTION-LESS ,PUNCTUAL AND DISCIPLINED LOCO PILOTS OF INDIAN RAILWAYS ( please note --this blog is in " HINDI ")
LOCO PILOTS OF INDIAN RAILWAY.
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Liked the narration!
ReplyDeleteSeems Hindi is not your first language!
Commendable effort!
Ashish