|
रेलवे में ज्वाईन करने के अदभुत कारण ( रुन्निंग स्टाफ बनने के परिणाम / लोको पायलट )
१) मुझे मम्मी - पापा का साथ अच्छा नहीं लगता !
२) मुझे रविवार और त्यौहार के दिन से सख्त नफ़रत है !
३)मुझे दोस्तों से मिलना - जुलना पसंद नहीं !
४)अपनी जीवन को बचपन में ही जी लिया हूँ !
५)पांच - छः घंटे सोना गन्दी बात होती है !
६)बीबी बच्चे अपने आप पल जायेंगे !
७)जीवन में चिंता/टेंसन न हो तो जीने की क्या मजा ?
८)समय पर खान - पान महा पाप है !
९)गिफ्ट में चार्ज सिट लेना अच्छा लगता है !
हा हा ...हा...हा...हा...हां...
२) मुझे रविवार और त्यौहार के दिन से सख्त नफ़रत है !
३)मुझे दोस्तों से मिलना - जुलना पसंद नहीं !
४)अपनी जीवन को बचपन में ही जी लिया हूँ !
५)पांच - छः घंटे सोना गन्दी बात होती है !
६)बीबी बच्चे अपने आप पल जायेंगे !
७)जीवन में चिंता/टेंसन न हो तो जीने की क्या मजा ?
८)समय पर खान - पान महा पाप है !
९)गिफ्ट में चार्ज सिट लेना अच्छा लगता है !
हा हा ...हा...हा...हा...हां...
:) क्या कहें ... आसान नहीं यह सब....
ReplyDeleteआपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट 'खुशवंत सिंह' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteतेल देख तेल की धार देख .बेहतरीन व्यंग्य .आज पता चला व्यंग्य लिखा नहीं जाता हालातों में से रिसता है .
ReplyDeleteयात्री का परिवार जब, कर स्वागत संतुष्ट ।
ReplyDeleteमेरा घर सोता मिले, बेगम मिलती रुष्ट ।
बेगम मिलती रुष्ट, नहीं टी टी की बेगम ।
बच्चे सब शैतान, हुई जाती वो बेदम ।
नियमित गाली खाय, दिलाये निद्रा टेन्सन ।
चार्ज-शीट है गिफ्ट, डरे है पाय पेन्सन ।
चार्ज-शीट है गिफ्ट, मरे है पाय पेन्सन ।
Deleteआभार रविकर जी ! यही लोको पायलटो की जिंदगी है !
Deleteरची उत्कृष्ट |
ReplyDeleteचर्चा मंच की दृष्ट --
पलटो पृष्ट ||
बुधवारीय चर्चामंच
charchamanch.blogspot.com
बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...
ReplyDelete