Friday, December 16, 2011

लोको पायलटो की अजब कहानी !




                          रेलवे में ज्वाईन करने के अदभुत कारण                  ( रुन्निंग स्टाफ बनने के परिणाम /  लोको पायलट )


   १) मुझे मम्मी - पापा का साथ अच्छा नहीं लगता !
    २) मुझे रविवार और त्यौहार के दिन से सख्त नफ़रत है !
    ३)मुझे दोस्तों से मिलना - जुलना पसंद नहीं !
    ४)अपनी जीवन को बचपन में ही जी लिया हूँ !


                                          ५)पांच - छः घंटे सोना गन्दी बात होती है !
                                           ६)बीबी बच्चे अपने आप पल जायेंगे !


     ७)जीवन में चिंता/टेंसन  न हो तो जीने की क्या मजा ?
     ८)समय पर खान - पान महा पाप है !


                                          ९)गिफ्ट में चार्ज सिट लेना अच्छा लगता है !
         हा   हा ...हा...हा...हा...हां...



8 comments:

  1. :) क्या कहें ... आसान नहीं यह सब....

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  2. आपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट 'खुशवंत सिंह' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

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  3. तेल देख तेल की धार देख .बेहतरीन व्यंग्य .आज पता चला व्यंग्य लिखा नहीं जाता हालातों में से रिसता है .

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  4. यात्री का परिवार जब, कर स्वागत संतुष्ट ।
    मेरा घर सोता मिले, बेगम मिलती रुष्ट ।

    बेगम मिलती रुष्ट, नहीं टी टी की बेगम ।
    बच्चे सब शैतान, हुई जाती वो बेदम ।

    नियमित गाली खाय, दिलाये निद्रा टेन्सन ।
    चार्ज-शीट है गिफ्ट, डरे है पाय पेन्सन ।

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    1. चार्ज-शीट है गिफ्ट, मरे है पाय पेन्सन ।

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    2. आभार रविकर जी ! यही लोको पायलटो की जिंदगी है !

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  5. रची उत्कृष्ट |
    चर्चा मंच की दृष्ट --
    पलटो पृष्ट ||

    बुधवारीय चर्चामंच
    charchamanch.blogspot.com

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  6. बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...

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