जीवन में कुछ चीजे ऐसी होती है , जो मनुष्य को बार-बार नहीं मिलती -जैसे -बचपन ,जवानी, खूबसूरती , और बीते हुए कल ....वगैरह -वगैरह ....इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है नया सीरियल ....
कभी - कभी ........!
मंडल रेलवे प्रबंधक /गुंतकल मंडल-श्री भी.कार्मेलुस.और श्री जी.एन.शाव,माल्यार्पण एवं हाथ मिलाते हुए..
श्री भी.कार्मेलुस साहब गुंतकल मंडल में, साल २००२ में मंडल रेलवे प्रबंधक के रूप में कार्यभार संभाली थी.
वे म्रिदुभासी, धैर्यवान, कर्मठ ,परोपकारी, उदारवादी, ब्यक्तित्व के धनी .... जैसे कई गुणों के भंडार थे .साधारण रहन-सहन..........
, धार्मिक बिचार वाले .!जिस समय उनका इस मंडल में पदार्पण हुआ , उस समय हम दोनों एक दुसरे से काफी
अपरिचित थे .हम दोनों की पहली मुलाकात ,श्री दोरैराज लोको चालक / मेल ,के अवकाश ग्रहण समारोह में हुयी थी !उस समारोह का आयोजन भी हमारे एसोसिएसन के सदस्यों ने ही की थी !अवकाश ग्रहण समारोह के मंच पर बैठने के लिए , स्थानीय पादरी जी ,कार्मेलुस जी और मुझे बुलाया गया क्योकि मै उस समय एसोसिएसन का मंडल सचिव था !
अपने संबोधन के समय पादरी साहब..... धर्म और मनुष्य के संबंधो पर बिचार ब्यक्त कियें, तो कार्मेलुस साहब..... कर्मचारियो और प्रशासन के संबंधो पर दो बाते कहीं.मेरी बरी आने पर .....मैंने एसोसिएसन परिप्रेक्ष से अलग ,रेलवे के प्राचीन और नवीनतम ढांचे के सम्बन्ध और हम कर्मचारियो के बारे में कुछ कहा.---! फिर क्या था -...कार्मेलुस साहब...मुझसे काफी प्रभावित हुए.!
इसके बाद हम दोनों के पहचान बेहतर हो गयी!
मैंने सुना था --जब कार्मेलुस साहब दक्षिण रेलवे में रोल्लिंग स्टॉक के अधिकारी थे ,उस समय लोको चालको से काफी परेशान थे.! उनके दिल और दिमाग में लोको चालको के प्रति नफ़रत भरी पड़ी थी! भबिश्य में मेरे प्रयास ने , इन भावनाओ को झूठा शाबित कर दिखाया ! वे इस मंडल में आते ही समझ गए की ,वे जैसा सोंचते थे वैसा लोको चालक नहीं है,! कार्मेलुस जी जब - तक इस मंडल में रहे, तब - तक किसी भी लोको चालक को किसी भी मुश्किल का सामना नहीं करना पडा तथा इस मंडल को सबसे ज्यादा आर्थिक फायदा भी हुआ ! प्रति बर्ष लोको चालको को कुछ न कुछ उपहार देते रहे ! लोको चालको के पनिशमेंट में भी कमी आ गयी .! कार्मेलुस साहब ने अपने कार्यकाल के दौरान यह साबित कर दिया की पनिशमेंट से ,लोको चालक हतोत्साहित हो जाते है --....और भय की भावना कार्यकुशलता घटाती है !
जब कभी भी निरिक्षण या यात्रा के दौरान मुझे देखते ,तो बिना हाल-चल पूछे ...आगे न बढ़ाते थे !
बास्तव में वे मिलनसार और खुले बिचार के प्रेरक थे ! उन्हें देखने से नहीं लगता था की यह शख्स किसी मंडल का प्रबंधक है !
किसी भी श्रेणी के कर्मचारी से मिलाना या उसके कोई समारोह में जाना उनके लिए चुटकी का खेल था ! कभी भी इंकार नहीं करते थे ! यही वे कारण थे , जब मैंने उनके ट्रान्सफर के समय बिदाई और सम्मान के लिए सभा का आयोजन का प्रस्ताव ,अपने सदस्यों के सामने रखी !.... तब कुछ सदस्यों के न के बावजूद भी,सभी ने मेरे प्रस्ताव को मंजूरी दे दी ! चंद समय के भीतर ही रेलवे इंस्टिट्यूट में सम्मान सभा का आयोजन किया गया !
चित्र में..श्री आर.बलारामैः (दक्षि मध्य रेलवे -कार्यकारी अध्यक्ष -ऐल्र्सा.भाषण देते हुए.)
श्री कार्मेलुस जी ने अपने संबोधन के समय कहा था की - " लोको चालक रेलवे के रीढ़ की हड्डी है ! .बिना इनके मदद के...आर्थिक उन्नति संभव नहीं है..इनके मांगो और सुबिधाओ की आंकड़ा ...इनके योगदान के आगे कुछ नहीं है....इन्हें प्रशासन की ओर से भरपूर सहयोग मिलनी चाहिए..लोको चालक ही तो है जो दिन - रात एक करके भारतीय रेल के गरिमा को बढ़ाये हुए है....आज मै एक बात और कहना चाहूँगा की यदि किसी के घर में कोई हन्दिकाप है और उसके ईलाज के लिए आर्थिक मदद चाहिए , तो मैडम से मिलें...उन्हें मदद दी जाएगी ! मै ऐल्र्सा का आभार ब्यक्त करता हूँ .....जिसने मुझे मेरे कार्य निष्पादन में भरपूर सहयोग दिया है . मै वादा करता हूँ की मै जहाँ भी रहूँगा.....किसी भी लोको चालक को मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी......आप ...........सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद !"
इसके बाद वे दक्षिण रेलवे में सेनिओर डेपुटी जेनेरल मैनेजेर (सतर्कता ) के पोस्ट पर ट्रान्सफर होकर चले गए .वहा वे सभी कर्मियों चाहे लोको चालक हो या अन्य कर्मी -----सभी के पसंदीदा अधिकारी रहें...वे अपनी बेटी के विवाह के समय ,हमें कन्याकुमारी आने के लिए भी निमंत्रित किये.! मै तो नहीं जा सका ,पर अपने कार्यकारी अध्यक्ष को भेजा था!
इस तरह ......." कभी - कभी ".....शासन-प्रशासन में ऐसे अधिकारी मिल जाते है ..जिनकी यादे भुलाये नहीं भूलती! शायद वे पक्के लोकतान्त्रिक पद्धति के रक्षक होते है ! पिछले वर्ष ..श्री कार्मेलुस जी ..रेलवे से अवकाश ग्रहण कर गए....फिर भी दक्षिण मध्य रेलवे हो या दक्षिण रेलवे ....कोई भी कर्मचारी ..उन्हें याद कर भावुक हो जाता है ! बसन्त आएगी और जाएगी ...पर उनकी कार्यशैली हमेशा दूसरो के लिए प्रेरणादायी होगी.! भगवान उन्हें दीर्घायु प्रदान करें.!
साभार...जी.एन.शाव मंडल सचिव /गुंतकल मंडल ( दक्षिण मध्य रेलवे )
आल इंडिया लोको रुन्निंग स्टाफ एसोसिएसन
अच्छा लगा पढ़कर।
ReplyDeleteसुंदर ....रोचक और प्रवाहमयी लिखा है आपने....
ReplyDeleteसुंदर आलेख।
ReplyDeleteजंगल राज व्यंग्य अच्छा रहा.बहुत खुशी की बात है कि,आपको इतने अच्छे अधिकारी मिले.हम भी उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
ReplyDeleteजरूर सा :आपके अनुभव पढने का इन्तजार रहेगा.
ReplyDeleteइमानदार और अच्छे अधिकारी कम ही मिलते हैं । उनके स्वस्थ्य जीवन के लिए शुभकामनाएं।
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