के सामने ,प्रस्तुत कर रहा हूँ !वैसे मै सपरिवार शिर्डी प्रति वर्ष जाता हूँ ! उपरोक्त तिथि का प्रोग्राम भी मैंने एक माह पूर्व ही बना लिया था ! किन्तु कर्नाटक एक्सप्रेस का बर्थ कन्फर्म नहीं था ! अतः मैंने अपने बड़े पुत्र को ..इमरजेंसी कोटा के लिए ..मंडल रेलवे मैनेजर आफिस में भेजा और कहा की सीधे जाकर ..मंडल आफिस के कमर्शियल लिपिक को दे देना ! काम हो जायेगा , किन्तु हुआ कुछ और ही ..रास्ते में उसे ,उसके दोस्त के ..डैडी मिल गए , जो मंडल संचालन मैनेजर के निजी सचिव है , उनहोने उस दरख्वास्त को लेकर ..मंडल संचालन मैनेजर को प्रेषित किया ..! पैरवी के लिए ..! मैनेजर साहब ने पत्र को देखा ..तो सचिव से पूछे- "आप shaw को कब से जानते हो ?..shaw बहुत ही परेशान करने वाला ब्यक्ति है !" शायद मेरे अनुशासन की सख्ती , उन्हें कभी परेशानी में डाला हो ! वास्तव में लापरवाह लोग ,अनुशासन पसंद नहीं करते ! जो भी हो -फिर भी उन्होंने हस्ताक्षर कर दिया और हमारे बर्थ कंफर्म हो गए ! हमने अपनी यात्रा पूरी की ! कोपरगाँव उतारे ! वहा से ऑटो के द्वारा शिर्डी धाम पहुंचे ! शाम के साढ़े तीन बजने वाले थे ! इसी दिन शिव रात्रि का भी पर्व था ...शिव की पूजा और साईं दर्शन की अभिलाषा , साथ - साथ थी ! अतः साईं संस्थान द्वारा निर्मित आश्रम में रूम के लिए चले गए ! जो अभी नव - निर्मित , व् पूरी आधुनिक सुबिधा के साथ श्रधालुओ के लिए उपलब्ध है ! चित्र में देंखे - द्वारावती भक्त निवास सामने का दृश्य ! निचे कार पार्किंग की भी सुबिधा उपलब्ध है ! अन्दर का परिदृश्य ..द्वारावती भक्त निवास --बहुत ही आधुनिक परिधान में सज्जित ! चार मंजिला ईमारत ! उप्पर जाने - आने के लिए बिद्युत सीढ़ी की व्यवस्था ! वर्त्तमान में -वातानुकूलित का दर -२४ घंटे के लिए ..एक हजार रुपये और नान वातानुकूलित - २४ घंटे के लिए -५०० रुपये ! प्रति तीन ब्यक्ति ,एक्स्ट्रा ब्यक्ति के लिए पचास रुपये ..एक्स्ट्रा देने होते है ! द्वारावाती भक्त निवास के सामने बहुत ही सुन्दर --बागीचा !बच्चो के लिए बिशेष साधन ! एक खबर ---
राजीव कुमार कुल्श्रेस्थ जी ब्लोगिंग जगत में एक हलचल पैदा कर दिए है. गुरूजी ...आप की बडाई कैसे करू.? जिस दिन आप ने अपने ब्लॉग पर मेरा परिचय ब्लॉग जगत से करावा रहे थे , उस समय मै शिर्डी में शिव रात्रि ..के दिन ,साईं बाबा के धाम और मंदिर में था ! समझ में नहीं आता की यह ब्लॉग जगत में सम्मान मिल रहा था या साईं बाबा का सुनहरा तोहफा ! वैसे गुरु जी आप का योग दान सराहनीय है !आप जो कर रहे है वह एक इन्सान का नहीं बल्कि दैवीय कार्य है! इसके लिए गुरूजी ,आप को प्रणाम ! पाठक गड़ से मेरा अनुरोध है की स्वामी जी का ब्लॉग खोलने के लिए = http://blogworld-rajeev.blogspot.com/ पर जाये और बिस्तर से जानकारी प्राप्त करे ! इनके योगदान को निचे देंखे - 02 March 2011 BLOGWORLD.COM वह जीवन क्या जिसकी कोई कहानी न हो.जी एन शा उन आँखों का हँसना भी क्या..जिन आँखों में पानी ना हो । वो जिंदगी जिंदगी नहीं जिसकी कोई कहानी ना हो । जी हाँ यही मानना है । श्री जी एन शा जी का । जो इस जीवन रूपी यात्रा मे जाने कितने मुसाफ़िरों को उनकी मंजिल तक पहुँचा चुके हैं । और इसीलिये श्री शा जी जिंदगी को बेहद करीब से छूते हुये गुजरते हैं । प्रेरणादायी । परिश्रमी । भृष्टाचार रहित । समय का पाबन्द और अनुशासित होना ही उनका सिद्धांत है । इसी प्रकार की । सत्य पर आधारित..सत्य घटनायें । उनके ब्लाग्स पर मिलती है ।..मैं तो डर गया भाई । शा जी तो बहुत कङक हैं । मैं सोच रहा था । मस्का मार के..फ़्री रेल जर्नी..बट ही इज तो..करप्शन लैस मेन । एन्ड सेयस..I like discipline in all corner of life and society.Respect all good did and good people.Protest all evils.Hi please go through my all pages and enjoy.Thank u.Have a good moment..Is life more than water,air and fire ? वह जीवन..जीवन ही क्या जिसकी कोई कहानी न हो । बालाजी । ओम साईं । रामजी एम्प्लायमेंट ।
Posted by RAJEEV KUMAR KULSHRESTHA at 4:25 PM 4 comments: mridula pradhan said... प्रेरणादायी । परिश्रमी । भृष्टाचार रहित । समय का पाबन्द और अनुशासित होना ही उनका सिद्धांत है । wah.is se achcha aur kya hoga. Sawai Singh Raj. said... मे रा ब्लॉग "AAJ KA AGRA" को भी अपने इस प्रयास में शामिल कर लेंना जी मेरा ब्लॉग का लिंक्स दे रहा हूं! http://rajpurohitagra.blogspot.com/ दर्शन कौर धनोए said... राजीव जी के इस ब्लाक के जरिए हमे नित नए व्यक्तियों का परिचय मिलाता हे ..आज हमे जिस शख्सियत से आपने मिलवाया उनका कोई सानी नही वो लाजबाब हे.... श्री जी.ऍन शा साहब आपको बधाई | रजनी मल्होत्रा नैय्यर said... ahut achha laga is parichay se milkar .....rajiv ji aabhar aapko .. दुसरे दिन यानी तारीख -०३-०३-२०११ को मुझे सपरिवार नासिक भ्रमण के लिए जाना पडा , जो बड़े बेटे की ख्वाहिस थी !उस दिन भी बड़ा मजा आया ! ०१ ) हम द्वारावती भक्त निवास से ..मंदिर की तरफ जा रहे थे ! रस्ते में भीड़ - भरा रोड है ! सड़क पार करना जरा मुस्किल होता है क्यों की उस पर याता -यात तेज रहता है ! मै अपने दोनों बेटो के साथ आगे निकल गया ,! मेरी पत्नी पीछे - पीछे आ रही थी ! रोड पार होने के बाद मैंने उन्हें ढूढने के लिए , पीछे मुडा , तो देखा की वे एक कुत्ते के छोटे बच्चे को हाथ में लिए , रोड को पार कर रही थी !मैंने पूछ बैठ -" ये क्या ? " पत्नी ने जबाब दिया - " बेचारा रोड के बिच में फँस गया था !गाड़ी ..बस से कुचलने का डर था , अतः उठा कर इधर ले आई हूँ !" इस काम को आस - पास के लोग आश्चर्य से देख रहे थे ! मैंने कहा ..चलो एक पुन्य काम कर ली ! ०२ ) हम टाटा सुमो से दो परिवार निकले !ग्यारह बजे यात्रा शुरू हुयी ! इसमे एक दिल्ली का परिवार था ! दो नौजवान लड़किया थी ,जिन्होंने यात्रा के दौरान सभी को अपनी बातो में समेटे रही और मेरी साहिबा भी कम नहीं है , बहुत बातूनी ! कभी भी शांत नहीं बैठती ! उनसे काफी मिल - जुल गयी ! दोनों लड़कियों ने बताया की वे जॉब करती है और घर आने के बाद ..स्वादिस्ट भोजन चाह कर भी नहीं बना सकती ! हमें भी आश्चर्य हुआ ! बाद में दिल्ली के कालका मंदिर के बारे में उन्होंने बताया की -" वहा अब बलि नहीं चढ़ाई जाती है ! बकरों को मंदिर के प्रांगन में ही बांध दिया जाता है और खाना - पीना देने के वावजूद भी ..वे चार-पांच दिनों के बाद अपने -आप मर जाते है ! ऐसा लगता है ..माँ स्वत ही उन्हें स्वीकार कर लेती है !" इसके बाद हम नासिक के सीमा में पहुँच गए थे ! पहले मुक्ति धाम नामक मंदिर का दर्शन हुआ ! यहाँ सभी धाम मौजूद थे !मंदिर का दृश्य देंखे...  इस मंदिर के बाद हमारा अगला पड़ाव -नासिक के गोदावरी नदी..! इसके आस - पास पंचवटी ,कालाराम मंदिर, सीता गुफा ..इत्यादि था !इस मौसम में गोदावरी नदी की निर्धनता दिखाई दे रही थी ! नदी के अन्दर गंदे पानी की जमघट ! फिर भी जहाँ -तहां लोग उस नीर में प्यार से, कही स्नान ,तो कही कपडे धोने में ब्यस्त--- युवक और युवतियां ! यही प्रति बारहवे बर्ष कुम्भ के मेला लगते है ! एक दृश्य आप के लिए -
बाला जी की मम्मी दीप माला ..जल को अर्पण कर रही है और बालाजी जल को हिल-कोरे देते हुए ! अगला पड़ाव ..रहा त्रम्ब्केस्वर मंदिर , जो महारास्ट्र राज्य का प्रमुख शिव मंदिर है ! मंदिर का मुख्य द्वार -----
 आज -कल प्रायः सभी मंदिरों में कैमरा / सेल अन्दर ले जाना माना है ! इसीलिए वास्तविक फोटोग्राफी करने में असुबिधा हुयी ! ये हमारी ..यात्रा का अंतिम पडाव रहा !यहाँ से हम वापस लौट पड़े ..शिरडी धाम..! मजे दार ..प्रश्न का जबाब प्रश्न ---- रास्ते में वापसी के समय सुमो ड्राईवर ने एक अजनवी को सुमो में लिफ्ट दिया !करीब आधे घंटे की यात्रा के बाद ..वह उतरने लगा तथा पांच रुपये का सिक्का ड्राईवर के तरफ बढाया - " ये क्या ? " ड्राईवर ने पूछा ! " पैसा है " यात्री ने कहा ! " अपने रख लो ? "- ड्राईवर बोला ! " क्या कम है ? "-यात्री ने पूछा ! " दस रुपये दो ? "- ड्राईवर ने माँगा ! " निजी बस में भी पांच रूपया ही है ! " यात्री ने कहा ! " ये क्या है ? "ड्राईवर ने पूछा " मेरे पास भी गाड़ी है ! "यात्री बोला ! " तो क्या फ्री में चलाते हो ? "- ड्राईवर ने पूछा ! " रख लो बस का भाडा दे रहा हूँ ? " यात्री ने निवेदन किया ! " ट्रेन का भाडा दे दो ? "-ड्राईवर ने तपाक से पूछा ! बेचारे की नहीं जमी और दस रुपैया दे..... भागा ! पूरी बर्तालाप इतनी तेजी से हुयी की अंत में हम सभी अपने ठहाके रोक न सके ! रात लो पौने आठ बजे शिर्डी आ गए ! भोजन वगैरह के बाद ..बाबा कीपालकी देखने चले गए , जो प्रति बृहस्पतिवार को ही निकलती है ! स्वप्न-दुःख :-हम कर्नाटका एक्सप्रेस के द्वारा तारीख -०५-०३-२०११ को गुंतकल लौट आये ! मै 2tier बतानुकुलित कोच में बर्थ संख्या दस पर सोया था ! गुंतकल आने वाला था ! अतः पत्नी जी ने जगाया !मै नीचे आ गया ! पत्नी ने कहा की वह एक स्वप्न देखी है की - " रामू के पिता जी का देहांत हो गया है !" मैंने कुछ नहीं कहा ,सोंचा ..आज कुछ होने वाला है ! घर आने पर नौकरानी ने बताया की मेरे भूतपूर्व नौकरानी के माता का देहांत हो गया ! बाबा के प्रति मेरे बिचार -बाबा ने एक भिखारी का जीवन यापन किया ! जो कुछ भी भीख में मांग कर लाते थे , उसे खुद और दुसरे दीन - दुखियो में बाँट कर खाते थे ! बाबा एक भिखारी के रूप में दुनिया को ( मेरे ख्याल से ) यह बताना चाहा की - " हमें भिखारी बन कर ही रहना चाहिए ! इससे अधिकार लुप्त हो जाती है ! इस प्रकार न अधिकार की मीमांशा होगी , न लडाई -झगडा ! शांति आएगी ! श्रधा और शबुरी बढेगा ! जीवन सुखमय बीतेगा ! " बाबा की कुछ कही बातें - " जो शिर्डी में आएगा ,उसके दुःख दूर हो जायेंगे ! जो मेरे समाधि के सीढियों पर चढ़ेगा , उसके सारे दुख दूर हो जायेंगे और वह शांति ,आनंद का जीवन यापन करेगा ! ! मै रहू या न रहू ..जो भी मुझे पुकारेगा -मै दौड़ा - दौड़ा भागा आऊंगा ! " ......... जी हाँ ..मै तो प्रति वर्ष शिर्डी की यात्रा पर जाता हूँ ! शिर्डी जाने पर मुझे काफी शांति लाभ मिलता है ! ये भी कहावत है की साईं बाबा जिसे बुलाते है ---वही शिर्डी पहुंचे गा ! अन्यथा लाख चेष्टा के वावजूद भी कोई शिर्डी नहीं जा सकता ! बाबा सभी को शांति दें !
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बाबा के चरणों में शत शत नमन .आप सौभाग्यशाली हैं जो बाबा के दर्शन करतें हैं.यात्रावृतांत और चित्र बहुत रोचक लगे.'निर्मल मन जन जे मोहि पावा' आपका ह्रदय निर्मल है तभी बाबा बार बार आपको बुला लेते हैं.बाबा के चरित्र से यदि हम कुछ सीख पावें ,तो यह उन्ही की कृपा का प्रसाद होगा.जय साईं राम .
ReplyDeleteआपके ब्लाग की प्रशंसा पढ़ कर खुशी हुई.
ReplyDeleteआपने ठीक कहा है --बाबा जिसको बुलाते है वो दोडा चला जाता है --हम १९८६ में बालाजी के दर्शन करने गए थे मेरे साथ मेरी सहेली रुकमा भी सपरिवार थी हम दोनों को साथ ही बेटे हुए थे ( जिसकी अभी शादी हुई है ) बालाजी के दर्शन कर मेंसूर,बेगलोर,धूमकर हम वापस लोट रहे थे की ट्रेन में ही शिर्डी का प्रोग्राम बनाया और पूना उतर कर शिर्डी पहुँच गए --तबसे आज तक बाबा ने हम पर द्रष्टि नही डाली-- मै बाबा की बहुत मुरीद हु पर पता नही बाबा कब बुलाते हे --? आप बहुत भाग्यशाली है जो हर साल बाबा आपको बुलाते है--अगली बार जब आप जाए तो मेरी सिफारिश जरुर करे -- Dhanyvaad--
ReplyDeleteबाबा के चरणों मे प्रणाम!
ReplyDeleteसुन्दर तीर्थ वृत्तान्त।
ReplyDeleteधनोय जी ...मै जिस समय शिर्डी में था , उसी समय आप ने बालाजी ब्लोग्ग को फोल्लो किया था ! जब मै मंदिर प्रांगन में था तो सभी अनुसरण कर्ताओ के सुख -समृधि की दुआ मांगी थी ! जल्द ही बाबा आप की मनोकामना पूरी करेंगे !सब्र रंखे और आप की श्रधा जरुर पूरी होगी ! बाबा आप को जल्द ही बुलाएँगे !बुलाने के बाद हमें बताना न भूले ! ॐ साईं !
ReplyDeleteइस पावन स्थल का सुंदर चित्रण है यह पोस्ट...... सार्थक विचार उम्दा चित्र ....... आभार
ReplyDeleteबाबा को शत शत नमन.....
बाबा को नमन.....
ReplyDeleteनमस्कार शा जी । आपने साई बाबा जी के बारे
ReplyDeleteमें सचित्र और बेहतरीन लिखा । दिल से लिखा ।
धन्यवाद ।
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ReplyDelete@-वो जिंदगी जिंदगी नहीं जिसकी कोई कहानी ना हो । जी हाँ यही मानना है ... So true !
साई बाबा ko mera shashtaang pranaam .
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Indeed Rajeev ji is doing a great job.
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जय साईं राम।
ReplyDeleteबाबा के चरणों में शत शत नमन .आप सौभाग्यशाली हैं जो बाबा के दर्शन huve ... Lajawaab chitrmay post ... jai sai naam ...
ReplyDeletenaye prayog karte rahen ,rang halke rakhen,sampark badhta jaayega !
ReplyDeleteनमस्कार श्री G.N.SHAW जी ।
ReplyDeleteआपके सुझाव के लिये धन्यवाद । ये जो टिप्पणी प्रोफ़ायल
में फ़ोटो लगी है । ये मेरे परमपूज्य गुरुदेव सतगुरु श्री शिवानन्द
जी महाराज परमहँस की है । मैं ( राजीव) उनका एक छोटा सा शिष्य
हूँ । अतः कृपया आप मुझे " गुरूजी " के बजाय राजीव कहकर ही सम्बोधित
किया करें । शेष फ़िर कभी..वैसे आपका पुत्तर " बालाजी " स्मार्ट है ।
कभी आगरा भी ताज देखने आयें ।