Thursday, December 30, 2010

लोको पायलट और उसकी ........................................................................

                                     एस.के.साहू.सहायक   लोको पायलट.गुंतकल   डिपो.
           रेलवे के लोको पायलटो की कहानी भी अजीबो किस्म की होती है. जैसे ही लडके आई.टी.आई /डिप्लोमा /कोई टेकनिकल डिग्री किया और लोको पायलट  की वांट निकली, वह फुले नहीं समाता है.वह तुरंत अप्लिकेसन लगा ही देता है .चुने जाने के बाद ,उसकी पोस्टिंग होती है. फिर  ट्रेनिंग  ,उसके  बाद  कार्य   शुरू.. धीरे -धीरे सगाई  भी हो जाती है ......शादी कैसे हुई , ये मै नहीं बताऊंगा......इसे बाद के लिए छोड़ दें.
           फिर  क्या था......पत्नी भी  साथ   रहने  लगी.....शादी  के  पहले  , पत्नी  ने  बहुत  मनसूबे  बनाये  होंगे ,जो  स्वाभाविक ही है..और  होना  भी  चाहिए..अन्यथा  शादी  का  मजा  ही क्या  है.. पत्नी  आज -कल  पढ़ी  लिखी  ही  मिलाती  है.वह  भी भारतीय  नारी  , जो  आज -कल आकाश  को  छूने  के  लिए  बेचैन  है. कभी  मनसूबे  पर पानी  फिरते  नहीं  देख  सकती. 
         फिर क्या  था .एक  दिन सहायक लोको  पायलट ,जो लोको पायलटो  का  शुरूआती  ग्रेड   है ,जी बीमार पड़  गए .
    उनकी  पत्नी  बोली ------"आप  जाकर   जानवर  के  डाक्टर   को  दिखाओ , जल्दी ठीक  हो जाओगे  ."
        सहायक  लोको  पायलट बोला ---" क्यों  ? " 
     पत्नी  ने  कहा -----" रोज  तुम  मुर्गा  की  तरह  जल्दी  उठ  जाते  हो .घोड़े  की  तरह  भाग  कर  ड्यूटी  जाते  हो. गधे  की  तरह  सामान  ढोने  का  काम  करते  हो .उल्लू  की  तरह रात भर  जागते  हो .घर  आकर  कुत्ते  की  तरह  ,सभी  के  ऊपर  भोंकते  हो .और  अजगर  की  तरह  खा-पीकर  सो  जाते  हो........................"
    (रियल घटनाओ का  पर्दा-फास  एस.के.साहू.ने किया है  और  प्रस्तुति ,संयोजन   मेरी )

1 comment:

  1. भई बहुत मज़ेदार तुलना की है जानवरों से। बेचारा पायलट,न जाने क्या करेगा!

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