राजा अपने रानी के मृत शव को कंधे पर उठाये ..जंगल के संकीर्ण पगडंडियो पर चलते जा रहे थे ! उन्हें चलने में कटीली झाड़ियो का रह - रह कर सामना करना पड़ रहा था .उनके हाथ तलवार चला - चला कर थक गए थे ! माथे पर पसीना छुट रहे थे ,पर वह अनवरत अपने पथ पर चलते जा रहे थे !तभी बेताल अचानक आ धमाका !उसने कहा " हे कलयुग के राजा ! इस तरह कब तक चलते रहोगे ? " कुछ चुप रह कर फिर बेताल ने अपनी बात पूरी की और पूछ बैठ -सुनो एक कहानी सुनाता हूँ ,जिससे तुम्हारी थकान भी दूर हो जाएगी और मेरे संसय का समाधान भी हो जायेगा और हाँ ..अंत में कुछ सवाल के जबाब देने पड़ेगे ? और जबाब गलत निकले तो तुम्हारे सिर के टुकड़े हो जायेंगे ! अतः संभल के जबाब देना "
राजा ने कहा - "ठीक है मुझे सब मंजूर है "
बेताल ने कहानी शुरू की -
" बाबा एक रुपये दे दो ?"-
मेरे माई- बाप ,,,एक रुपये दे देना ! दाता एक रुपये देना ...!" इस तरह के आवाज दोहराते हुए वह भिखारी ..आकर गरीब - रथ के गार्ड के समक्ष खड़ा हो गया ! हाथ पसारे रहा ..गार्ड साब ..ब्यस्त थे , ध्यान देना संभव नहीं था !
" साहब एक रुपये दे दो ? भगवान भला करेंगे "
गार्ड ने ध्यान से देखा और कहा - " आगे बढ़ो ! "
भिखारी ने मुह बनाते हुए बुद बुदाया ..सूट - बुट इतना ..चले है गरीब-रथ में ? शर्म नहीं आती कहते हुए ..उस पर गले में टाई ..
अबे क्या कहा ?गार्ड ने सुन लिया था !सो पूछ बैठ !
" कुछ नहीं साब ..कह रहा था टाई पहने हो ..किसी ने जोर से खींच दिया तो .....!" भिखारी ने कहा !
भिखारी और आगे बढ़ा, शायद जी - ५ कोच था ! दरवाजे खुले थे ! एक ही नजर में अन्दर जाने लगा ! टी.टी.साहब , जो प्लेटफोर्म पर खड़े थे ..उसे पुकारा और पूछा - " अबे ...ओय ..कहा अन्दर घुसते जा रहा है ..दिखाई नहीं देता क्या ? यह एसी कोच है ! "
भिखारी रुक गया और धीरे से सिर झुकाए हुए टी.टी.जी के पास आकर बोला - "साब यह गरीब - रथ ही है न ? "
हाँ..हाँ.टी.टी.ने जबाब दिया !
भिखारी मुड़ा और फिर कोच के अन्दर जाने लगा !
" अरे फिर कहा जा रहा है ?" टी.टी.ने जोर से झपटा !
" सर मै गरीब हूँ ..और यह रथ मेरा ही है !....मेरे गरीव मंत्री जी ने हम गरीबो के लिए ही बनायीं है ..और मै तो भिखारी ही हूँ ...कुछ संदेह है क्या ?" भिखारी ने जबाब दागा !
" ठीक है ..टिकट है क्या ? "
" नहीं साब ...!"
" फिर अन्दर नहीं जा सकता !"
भिखारी मुड़ा और टी.टी.के पास आ कर खड़ा हो गया ..और बोला -" एक रुपये दे दो सर...वह भी नहीं है तो एक टिकट ही दे दो "
बेचारे टी .टी.साब झुझला गए और एक रुपये का सिक्का उसके हाथ पर रख ..पिंड छुड़ाई !
भिखारी पैसे को अपनी जेब में रखते हुए ...आगे बढ़ चला !
चलते - चलते लोको पायलट के पास पहुंचा ! पायलट साहब लोको के पास ही प्लेटफोर्म पर खड़े थे ! भिखारी उनके समीप जा कर बोला ?- " साब एक रुपये दे देना..जोर से भूख लगी है ! सुना है आप लोग बहुत दयालू होते है !"
वह हाथ पसारे रहा !
लोको पायलट ने भिखारी के ऊपर - निचे एक नजर दौडाई और पूछा - " भीख मांगते हो ..तुम्हारे हाव - भाव तो भिखारी जैसे नहीं लगते है ! "
"........................."भिखारी चुप रहा !" दे ...दो..साहब भूख लगी है !"
"पहले यह बताओ की प्रोफेसनल भिखारी हो या खानदानी "-पायलट ने पूछा! भिखारी ने इधर - उधर देखा ! पास में कोई नहीं था ! धीरे से बोला -" सर मै प्रोफेसनल हूँ पहले निजी सचिव था ...!"
लोको पायलट को आश्चर्य का ठिकाना न रहा !" निजी सचिव ....ये प्रोफेसनल सुदामा कहा से आ गए ?"
" हां साब ...मेरे बड़े साहब लोग जेल में है ! अतः मै भी भिखारी बन गया !अगर वे लोग जान गए की मै मजे से रह रहा हूँ ...तो मेरा खैर नहीं !"
लोको पायलट के माथे पर लकीरे तन गयी फिर पूछा - "कौन साहब लोग....कुंडा वाले या मुंडा वाले ...!"
भिखारी मुस्कुराया और बोला - वाह क्या ..बात हुई ..आप भी वास्तव में गरीब - रथ के लोको पायलट है " फिर से एक जोर दार साँस लिया .कहा -" न कुंडा वाला, न मुंडा वाला....लम्बे शून्य वाले का ...."तब -तक सहायक लोको पायलट भी आ धमाका और उसके बातो को सुन कर जोर से हंस पडा !
"एक बात कहू..इस ट्रेन में पुरे के पुरे गरीब लोग ही है ! एक रुपये देने में भी इनकी जान जाती है ! मै अपने साहब से बोल कर ..एक बिल पास करवाउंगा !" बिल का नाम सुन कर लोको पायलट को रहा न गया -पूछे ...कैसा बिल ?
" आप लोगो के ऐसे पोशाक शोभा नहीं देते ! आप लोगो के पोशाक फटे - हाल होनी चाहिए ! तभी इसकी नाम को सार्थकता प्रदान होगी !...कुरता फाड़ के ........"भिखारी ने अपने सुझाव दिए !
सहायक लोको पायलट ने जूमला जोड़ दिए - "मै गरीब - रथ चलाऊंगा ..कुरता फाड़ के .....!"
भिखारी ने कनखी से देखा और आगे बढ़ गया ....किधर ?..देंखे -
और बेताल शांत हो गया !अब प्रश्न की बारी थी ! उसने कहा राजन ..अब आप बताये की प्रजातंत्र और राज तंत्र के सोंच में क्या फर्क था ? ब्यवस्था कहा तक सुब्यावस्था कहलाएगी ? क्या भिखारी के संसय ठीक थे ? क्या ब्यवस्था उचित लोगोतक पहुंचती है ? तथ्य क्या थे ?...जल्दी बोलो ...मेरे जाने का वक्त हो गया है !
राजा ने उत्तर देने के लिए मुह खोला और उत्तर सुनाने के लिए ..बेताल पेड़ पर जा बैठ! राजा ने कहा की -.......................................!
(प्रश्न दिवस के अवसर पर ...यह एक छोटी सी भेट ! यह कथा काल्पनिक और मनगढ़ंत तथ्यो पर आधारित है ! इसका किसी से सम्बन्ध नहीं है !)
इस प्रश्न में तो बड़े बड़े ट्रिप कर जायें।
ReplyDeleteगरीब रथ का सुझाव देने वाले , बनाने वाले , चलाने वाले , भीख मांगने वाले और भीख देने वालों कि गाडी ATM से ही शुरू होती है और ATM पर ही रूकती है। बेचारे गरीबों को तो कानों कान खबर भी नहीं होती कि 'गरीब रथ' नामक कोई योजना भी है।
ReplyDeleteज़बदस्त..... हमारे यहाँ कहाँ किसी योजना का सही क्रियान्वन हुआ है ...या उसका फायदा जिनके लिए बनायीं गयी है उन तक पहुंचा है....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कथानक है वेताल और राजा का---!
ReplyDeleteआज की इन विसंगतियो का राजा के पास कोई जबाब नही था ?
न राजा के पास, न बेताल के पास !
और न हमारे पास !
शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html
ReplyDeleteआप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461
वाह भाई साहब !
ReplyDeleteअति सुन्दर | बड़ी सहजता-सरलता के साथ आपने कई सारे सामयिक प्रश्न उछाले हैं |
Fantastic.
ReplyDeleteCongratulations.
बहुत सुन्दर कथानक है वेताल और राजा का| धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कहानी लिखी.
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