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Friday, July 26, 2013

लघु कथा - धीमे चलिए , पुल कमजोर है

कौड़ी के मोल जमीन खरीदकर हीरे के दाम पर  ठेकेदारी बेंची जा रही थी । बड़े ओहदे वाले लाल -लाल हो रहे   थे . नीतीश को अभियंता हुए कुछ ही दिन हुए थे . एक समय था , जब उन्हें बाजार पैदल चलकर ही जाना पड़ता था . आज उसके पास सब कुछ है . दो कारे  , कई दुपहिये और निजी पसंद के बंगले में  कई नौकर चाकर . आस पडोश वाले  शान देख हैरान थे . 


कहते है - जब उसकी नौकरी लगी ,  सभी ने उसकी  उपरवार कमाई के बारे में जानने की कोशिश की थी . नीतीश बहुत इमानदार प्रवृति का था . यह कह कर बात टाल देता की सरकारी तनख्वाह काफी है . साथी कहते कि सरकारी तनख्वाह तो ईद का चाँद है यार . वह झेप जाता था . 


परिस्थितिया बदलती चली गयी . ईमानदारी बेईमानी में बदल गयी . नीतीश  इतना बदल गया कि उसे सरकारी तनख्वाह कम पड़ने लगे . अंग्रेजो द्वारा बनायीं हुयी पुल को तोड़ दिया गया , जिसके ऊपर अभी भी ७५ किलो मीटर की गति से बसे चलती थी . नए पुल का निर्माण किया गया . करोड़ो रुपये लगाये गए . धूमधाम से उदघाटन हुए थे और पुल के दोनों किनारों पर ,एक वर्ष के भीतर ही सूचना बोर्ड लग  गया था . जिस पर लिखा था - 

" धीमे चलिए , पुल कमजोर है "


Saturday, March 16, 2013

इतना हम पर अहसान करो |





Ramesh Chandra Srivastava
+91 97524 17392
( श्री गिरिराज शर्मा जी ने मुझे कोटा / राजस्थान से इ-मेल द्वारा भेजी है | जो  लोको पायलटो की दुर्दशा को इंगित कर रही है | यह कविता व्यंग शैली में लिखी गयी है | एक तरह से रेलवे प्रशासन की पोल खोलती है |)

Wednesday, July 4, 2012

पढ़े लिखे अनपढ़

रेलवे हमें भारतीयता की पहचान  दिलाती है !रेल ही हमें एकता का सन्देश देती है ! यह देश के एक भाग से दुसरे भाग को छूती है , जोड़ती है ! एकता का ऐसा मिसाल शायद ही कोई होगा ! हमें सैकड़ो वर्षो तक गुलाम रहने पड़े ! फिर भी शासको को भारत की उन्नति की ओर ध्यान खींचता रहा ! इसकी एक मिसाल रेल और उसकी स्थापना है ! वृतानियो को अपने देश से रेल को आयातित करने पड़े ! तब  जाकर भारत में रेलवे की नीव पड़ी ! अकसर लोग कहते मिल जायेंगे कि देश में रेलवे को काफी आमदनी है ! रेलवे  चाहे तो सोने की पटरी बिछा सकती है ! बिलकुल सही - भावना ! दूसरी तरफ -लुटेरे इसे कंगाल बनाने में पीछे नहीं रहते ! वर्षो अंग्रेजो ने लूटा - अब भारतीय लूट रहे है ! लूटेरो की भीड़ इतनी बढ़ गयी है कि सही व्यक्ति की पहचान मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है ! जो इमानदार है , उनकी कोई अस्तित्व नहीं !

बचपन में जब रेल गाड़ी की छुक - छुक या -भक - भक की आवाज सुनता तो इस कार्य को  करने की इच्छा मन में हिलोरे लेने लगती थी  ! कौन  ..जाने की  यह एक दिन  सच में बदल जाएगा ! गाँव या वनारस / बलिया जाने के लिए हावड़ा स्टेसन से ट्रेन पकड़नी पड़ती थी ! उस  समय ट्रेनों में जनरल कम्पार्टमेंट ज्यादा और रिजर्व कम होते थे ! पढ़े-  लिखे लोगो की संख्या कम हुआ करती थी ! साधन संपन्न रिजर्व करके यात्रा करते थे ! साधनों की कमी ! यात्री ट्रेन पर चढने के पहले ,  कईयों से - बार बार पूछते थे की फलां  ट्रेन / यह ट्रेन कहाँ जा रही है  ! पूरी तरह चेतन होने के बाद ही ट्रेन पर चढते थे ! यात्रा के दौरान पूरी तरह से सजग ! घर से चलने के पूर्व ही घर के बुजुर्ग सन्देश हेतु कहते थे - किसी के हाथ का  दिया हुआ नहीं खाना  जी ! न जाने - क्या क्या मिला हुआ होता है ! यात्रा भी बड़े ही गंभीरता   के साथ गुजरती थी ! मजा भी था और यात्रा के समय अपनापन भी !

आज - कल कुछ बदला सा ! ट्रेनों की संख्या सुरसा के मुख की भाक्ति दिनोदिन और प्रति बजट में  बढ़ती जा रही है ! शिक्षा का समुद्र लहरे मार रहा है ! अनपढो की संख्या काफी कुछ कम हो गयी है ! ट्रेनों में कोचों की संख्या काफी बढ़ गयी है और बढ़ते जा रही है ! जनरल डिब्बो की संख्या कम हो गयी है ! उनकी जगह आरक्षित और वातानुकूलित डिब्बो की संख्या की बढ़ोतरी ने ले ली  है ! जन सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा है ! आरक्षण की अवधि एक सप्ताह से पखवाडा , पखवाडा से महीना   और महीना  से कई महीनो में बदल चूका है ! फिर भी तत्तकाल पर मारा-  मारी ! वह शांति दूत भारत , अब अशांत सा भागम- भाग में शरीक है ! भागने वाले को यह भी पता नहीं कि  वह किस जगह बैठा /  खड़ा / घुस चूका है ! एक छोटा सा उदहारण --

कल सिकंदराबाद से गरीब - रथ काम कर के आ रहा था ! नाम से परिलक्षित है की यह ट्रेन गरीबो द्वारा इस्तेमाल होती है ! किन्तु वास्तविकता कुछ और है ! इस ट्रेन को चलाने की मनसा... मंत्री जी के मन में क्या थी ? वह मै  नहीं कह सकता ! पर  इतना जरूर है , इसे साफ्ट वेयर इंजिनियर और एक बड़ा शिक्षित तबका जो मेट्रो पोलिटन शहरों में जीवन यापन कर रहा है / से जुड़े हुए है ..100% कर रहा है ! ऐसे लोगो से गलती की अपेक्षा भी करना जुर्म होगा ! किन्तु बार - बार ... प्रति ट्रिप ...चैन  खींचना कोई  इनसे सीखे ! जी हाँ .. यह बिलकुल सत्य है , हम लोको पायलट इन पढ़े लिखे  अनपढ़ लोगो से परेशान हो गए है ! आप पूछेंगे ..आखिर क्यों ?

बात यह है की सिकंदराबाद - यशवंतपुर गरीब रथ 19.15 बजे सिकंदराबाद से चलती है और सिकंदराबाद -विशाखापत्तनम गरीब रथ ..20.15 बजे ! दोनों की दिशाएं भी अलग है ! समय से यशवंतपुर गरीब रथ चलती है और विशाखापत्तनम के यात्री इस ट्रेन में आ कर बैठ जाते है ! ट्रेन के चलने के बाद , जब उन्हें ज्ञात होता है की गलत ट्रेन में चढ़ गए है तो चैन पुल करते है ! जब की गलती का कोई कारण  भी नहीं है क्यों की ट्रेन के प्रतेक डिब्बे पर बोर्ड लगे हुए होते है -सिकंदराबाद--यशवंतपुर गरीब रथ !  आप भी सोंचे ? इसे  क्या कहेंगे -आज का पढ़े लिखे अनपढ़ !

Sunday, May 20, 2012

बंगलुरु में सिसकती रही जिंदगी ......

थोड़ी सी बेवफाई ....के बाद आज आप के सामने हाजिर हूँ  ! स्कूल के बंद होने और यात्राओ पर  जाने के  दिन  , शुरू हो गए है ! ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ ! नागपुर गया वाराणसी गया , बलिया गया और बंगलुरु की याद और संयोग वापस खींच ले आई ! कारण  ये थे की लोको चालको की उन्नीसवी अखिल भारतीय अधिवेसन , जो बंगलुरु में  सोलह और सत्रह मई को निश्चित था , में  शरीक होना था   ! पडोसी जो ठहरा ! एक तरह से वापसी अच्छी ही रही !  माथे  की गर्मी और  पसीने से निजात  मिली ! उत्तर और दक्षिण भारत के गर्मी में इस पसीने की एक मुख्य भूमिका  अंतर  के लिए काफी है !

                                                ज्ञान ज्योति आडिटोरियम / बंगलुरु
बंगलुरु जैसे मेगा सीटी में इस अधिवेशन का होना , अपने आप में एक महत्त्व रखता है ! देश के -कोने - कोने से सपरिवार लोको चालको का आना स्वाभाविक था  और इससे इस अधिवेशन में चार चाँद लग गए ! इसके सञ्चालन की पूरी जिम्मेदारी दक्षिण-पच्छिम रेलवे के ऊपर थी और दक्षिण तथा दक्षिण मध्य रेलवे की सहयोग  प्राप्त थी !

इस अधिवेशन में चर्चा  के  मुख्य विषय थे  --
1) अखिल भारतीय कार्यकारिणी का नए सिरे से चुनाव
2) पिछले सभी कार्यक्रमो की समीक्षा
3)लंबित समस्याओ के निराकरण के उपाय
4)संगठनिक कमजोरी / उत्थान के निराकरण / सदस्यों में प्रचार
5) छठवे वेतन आयोग के खामियों के निराकरण में आई कठिनाईयों और बाधाओं का पर्दाफास
6)सभी लोकतांत्रिक शक्तियों के एकीकरण के प्रयास में आने वाली बाधाओं पर विचार
7)नॅशनल इंडस्ट्रियल त्रिबुनल और अब तक के प्रोग्रेस .
8) चालको के ऊपर दिन प्रति दिन  बढ़ते . दबाव और अत्याचार
वगैरह - वगैरह ..

                                                        आडिटोरियम का मंच 
इस अधिवेशन को  उदघाटन  कामरेड  बासु देव आचार्य जी ने अपने भाषणों से किया ! उन्होंने कहा की सरकार श्रमिको के अधिकारों के हनन में सबसे आगे है ! आज श्रमिक वर्ग चारो तरफ से , सरकारी  आक्रमण के शिकार हो रहे  है ! उनके अधिकारों को अलोकतांत्रिक तरीके से दबाया जा रहा है ! अधिवेशन के पहले दिन विभिन्न संगठनो के नेताओ  ने अपने विचार रखे ! सभी नेताओ ने सरकार की गलत नीतियों की बुरी तरह से आलोचना की ! चाहे महंगाई हो या रेल भाड़े की बात , पेट्रोल की कीमत हो या सब्जी के भाव ! 99% जनता त्रस्त  और 1% के हाथो में दुनिया की पूरी सम्पति ! गरीब और गरीब , तो अमीर और अमीर !

 दोपहर भोजन के बाद बंगलुरु रेलवे स्टेशन से लेकर ज्ञान ज्योति आडिटोरियम तक मास रैली निकाली  गयी , जिसमे हजारो सदस्यों  ने भाग लिया !

                                        बंगलुरु स्टेशन से आगे बढ़ने के लिए तैयार रैली !

                                    रैली के सामने कर्नाटक के लोक नर्तक , अगुवाई करते हुए !

राजस्थान से आये इप्टा के रंग कर्मियों ने भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित अंधेर नगरी , चौपट राजा  के तर्ज पर - आज के रेलवे की हालत से सम्बंधित नाटक का प्रदर्शन किया ! 


दुसरे दिन डेलिगेट अभिभाषण में चालक सदस्यों ने  कुछ इस तरह के मुद्दे सामने  प्रस्तुत किये , जो काफी सोंचनीय है --

(1)  लोको चालको को  इस अधिवेशन से दूर रखने और भाग न लेने के लिए , भरसक हथकंडे अपनाये गए ! कईयों की  डेपो में  मुख्य कर्मीदल निरीक्षक के द्वारा छुट्टी पास  नहीं  हुयी  !

(2)  कई डेपो में लोको चालको को साप्ताहिक रेस्ट नहीं दिया जा रहा है , क्योकि गाडियों को चलाने  के लिए  प्रशासन के पास अतिरिक्त चालक नहीं है ! बहुतो को लिंक रेस्ट भी डिस्टर्ब हो जाते है ! कारण गाड़िया तो नहीं रुक सकती ! माल गाडी के चालको को पंद्रह से   बीस घंटो तक कार्य करने पड़ते है ! समय से कार्य मुक्त नहीं हो पाते  है ! कईयों को रिलीफ पूछने पर चार्ज सीट के शिकार होने पड़े है ! अफसरों की मनमानी चरम सीमा पर है ! चालको के परिवार एक अलग ही  घुटन भरे जीवन जी रहे  है ! घर वापस आने पर बच्चे सोये या स्कूल गए मिलते है ! पारिवारिक / सामाजिक जीवन से लगाव  दूभर हो गए है ! "  पापा कब घर आयेंगे ? " - पूछते हुए बच्चे माँ के अंक में सो जाते है ! चालको की पत्त्निया हमेशा ही मानसिक और शारीरिक बोझ से  दबी रहती है ! घर में  सास - ससुर और बच्चो की परवरिश की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही होती है ! अजीब सी जिंदगी है !

अणिमा दास  ( स्वर्गीय एस. के . धर , भूतपूर्व सेक्रेटरी जनरल /ऐल्र्सा की पत्नी सभा को संबोधित करते ह !)  इन्होने लोको चालको के पत्नियो से आह्वान किया की वे अपने पति के मानसिक तनाव को समझे तथा सहयोग बनाये रखे !

(3 अस्वस्थता की हालत में रेलवे हॉस्पिटल के डाक्टर चालको को मेडिकल छुट्टी पर नहीं रख रहे है ! उन्हें जबरदस्ती वापस विदा  कर देते है ! परिणाम -कईयों को ड्यूटी के दौरान मृत्यु /ह्रदय गति  रुकने से मौत तक हो गयी है ! डॉक्टर घुश खोर हो गए है !

(4) चालको के डेपो इंचार्ज ...मनमानी कर रहे है , उनके आवश्यकता के अनुसार  उनकी बात न मानने पर , तरह - तरह के हथकंडे अपना कर परेशान  करते है ! इस विषय पर एक कारटून प्रदर्शित किया गया था -जैसे =
" सर दो दिनों की छुट्टी चाहिए !" - एक लोको चालाक मुख्य कर्मीदल निरीक्षक से आवेदन करता है ! करीब  सुबह के नौ बजे !
" दोपहर बाद मिलो !" निरीक्षक के दो टूक जबाब !
लोको चालक दोपहर को ऑफिस में गया और अपनी बात दोहरायी !
" शाम को 5  बजे आओ !" निरीक्षक ने संतोष जताई !
बेचारा लोको चालक 5 बजे के बाद ऑफिस में गया ! निरीक्षक की कुर्सी खाली  मिली !
ये वास्तविकता है !

(5) चालको के अफसर भी कम नहीं है ! अनुशासित को दंड और बिन - अनुशासित की पीठ थपथपाते है ! अलोकतांत्रिक रवैये अपना कर ,चार्ज सीट दे रहे है ! छोटे - छोटे गलतियों के लिए मेजर दंड दिया जा रहा है !  डिसमिस  / बर्खास्त  उनके हाथ के खेल  हो गए है ! कितने तो पैसे कमाने के लिए चार्ज सीट दे रहे है !

(6) सिगनल लाल की स्थिति में पास करने पर ..सीधे चालको को बर्खास्त किया जा रहा है ,बिना सही कारण जाने हुए ! जब की कोई भी चालक ऐसी गलती नहीं करना चाहता  ! इसके पीछे कई कारण होते है ! अपराधिक क्षेत्र में सजा के अलग - अलग प्रावधान है , पर चालको के लिए कारण जो भी हो , सजाये सिर्फ एक --बर्खास्त / डिसमिस  ! सजा का एक घिनौना रूप !


(7) कई एक रेलवे में लोको चालको को बुरी तरह से परेशान  किया जा रहा है ! बात - बात पर नोक - झोंक !

(8) रेलवे में घुश खोरी अपने चरम पर है ! अफसर बहुत ही घुश खोर हो गए है ! उनके पास रेलवे से एकत्रित की गयी अकूत सम्पदा है ! सतर्कता विभाग लापरवाह है ! घुश खोरी का मुख्य मार्ग ठेकेदारी है , जिसके माध्यम से घुश अर्जित किये जाते है ! यही वजह है की ठेकेदारी जोरो पर है !

(9) अस्पतालों,रेस्ट रूम और खान-पान व्यवस्था बुरी तरह से क्षीण हो चुकी है ! लोको चालक इनसे बुरी तरह परेशान है ! शिकायत कोई सुनने वाला नहीं है ! शिकायत  सुनने वाला  घोड़े बेंच कर सो रहा है !

(10) रेलवे का राजनीतिकरण हो गया है ! राज नेता इसे तुच्छ स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने लगे है ! कुछ दिनों में इसकी हालत इन्डियन वायु सेवा  जैसी हो जाएगी ! यह एक गंभीर समस्या है !

  और भी बहुत कुछ भारतीय व्यवस्था के ऊपर करारी चोटें   हुयी , जो सभी को रोजाना प्रत्यक्ष दिख रहा है !

सभी के प्रश्नों का जबाब देते हुए काम. एम्.एन. प्रसाद सेक्रेटरी जनरल ने कहा की आज सभी श्रमिक वर्ग को सचेत और एकता बनाये रखते हुए ...आर - पार की लडाई लड़नी  पड़ेगी   !

अधिवेशन  के आखिरी में नए राष्ट्रिय कार्यकारिणी का चुनाव हुए ! जिसमे एल.मणि ( राष्ट्रिय अध्यक्ष ),एम् एन प्रसाद (राष्ट्रिय सेक्रेटरी ) और जीत  सिंह टैंक ( राष्ट्रिय कोषाध्यक्ष ) निर्विरोध चुने गए !
                                                   सजग प्रहरी एक चौराहे पर  



Saturday, January 21, 2012

अंधेर नगरी चौपट राजा और दीप तले अँधेरा !

देश के महान विचारक एवं दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने कहा था - " कि अपने जीवन में सत्यता हेतु जोखिम उठाना चाहिए ! अगर आप कि विजय होती है , तो  आप अन्य लोगो का नेतृत्व करेंगे ! अगर आप पराजित होते है , तो अन्य लोगो को अपना अनुभव बता कर साहसी बनायेंगे !" 



                          एक बुजुर्ग प्लास्टिक के कचरे / बोतल बीनते हुए !
 उपरोक्त व्यक्ति को  चित्र में देखें -
 इस तस्वीर को मैंने लोको से ली थी ! उस समय जब देश में अन्ना हजारे का आन्दोलन तेज था ! लोकपाल के लिए मन्नत और विन्नत दोनों जोरो पर थे ! सत्यवादी  ईमानदार- समर्थक और लोलुप /लालची /बेईमान इस आन्दोलन से कन्नी काट रहे थे ! काट रहे है ! जैसे लोकपाल उनके आमदनी और बेईमानी पर कालिख पोत देगी !
 किन्तु इस तस्वीर को देखने से हमें बहुत कुछ जानकारी मिल जाती है ! 
क्या यह बुजुर्ग मेहनती नहीं है ?  क्या यह कोई चोर लगता है ?  क्या यह स्वार्थी है ? क्या पेट पालने के लिए , नाजायज तौर तरीके अपना रहा है ? क्या यह समाज का सेवा नहीं कर रहा है ? क्या इस तरह के लोगो कि दुर्दशा - समाज के लिए कलंक नहीं है ? क्या उत्थान कि दुन्दुभी पीटने वाली सरकारे --ऐसे लोगो के लिए कुछ नहीं कर सकती ? और भी बहुत कुछ , पर यह बृद्ध व्यक्ति निस्वार्थ ,दूसरो कि गन्दगी साफ करते हुए , जीने की राह पर अग्रसर है !
जीने के लिए तो बस --रोटी , कपड़ा और मकान ही ज्यादा है ! फिर इससे ज्यादा बटोरने की होड़ क्यों ? हमारे देश के लोकतंत्र में अमीर ...और अमीर ..तो गरीब ..और गरीब होते जा रहा है ! देश का लोक तंत्र बराबरी का अधिकार देता है , फिर धन और दौलत में क्यों नहीं ? क्यों १% लोगो के पास अरबो की सम्पति है ?  और  ९९% जनता - रोटी / कपड़ा/ मकान के लिए तरसती  फिरती  है ! इसे लोक तंत्र की सबसे बुरी खामिया कह सकते है ! 
लोगो के समूह से परिवार , परिवार से घर , घर से समाज ,समाज से गाँव , गाँव से शहर , शहर से और आगे बहुत कुछ बनता जा रहा है ! परिवार  को ही ले लें  एक ही घर में पति और पत्नी नौकरी करते मिल जायेंगे ! एक ही परिवार में कईयों के पास नौकरी के खजाने भरे मिलेंगे ! वही पड़ोस में एक परिवार बिलबिलाते हुए दिन गुजार रहे होंगे ! आखिर क्यों ? 
क्या सरकार ऐसा कोई बिधेयक नहीं ला सकती , जिसके द्वारा--
१) एक परिवार( पति - पत्नी और संताने  दो ) में एक व्यक्ति को ही नौकरी मिले !
२) नौकरी वाले  पति / पत्नी , में कोई एक ही नौकरी करे !
३) सरकार - सरकारी कर्मचारियों में लोलुप व्यवहार और आदत को रोकने के लिए - कुछ मूल भुत सुबिधाओ को मुहैया करने के लिए कदम उठाये , जिससे उनकी भ्रष्ट आदतों/ अपराधो  पर लगाम लगे  जैसे-नौकरी लगते ही ---
अ) घर की गारंटी !
बी)बच्चो की शिक्षा की गारंटी !
क)बिजली , पानी  और गैस की सुबिधा ! 
डी) मृत्यु तक स्वास्थ्य और सुरक्षा की गारंटी ! वगैरह - वगैरह 
४) धन रखने की सीमा निर्धारित हो ! जिससे की उससे ज्यादा कोई भी धन न रख सके !
५) सभी लेन- देन इलेक्ट्रोनिक कार्ड से हो !
६)बैंको में कैश की भुगतान न हो !
७)किसी भी चीज को बेचने या खरीदने का दर सरकार ही निर्धारित करें और उसके कैश भुगतान न हो केवल इलेक्ट्रोनिक भुगतान लागू हो !
उपरोक्त कुछ सुझाव मेरे अपने है !  टिपण्णी के द्वारा -आप इसे जोड़ या घटा सकते है ! संभवतः इस प्रक्रिया से कुछ हद तक  गरीबी दूर की जा सकती है ! भ्रष्टाचार दूर की जा सकती है !अपराध में कमी आ सकती है ! कुछ - कुछ होता है ! पर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा ?
आज कल भ्रष्ट  का ही बोल बाला है ! भ्रष्टाचार  बढ़ और फल फूल रहा है ! इसके भी कारण स्वार्थ ही है ! स्वार्थ जो न कराये ! हम अमीर है ! हमारा देश सोने की चिड़िया है  ! इसीलिए तो एक डालर के लिए ५०.३५ रुपये( आज का भाव ) देते है ! गरीब देश थोड़े ही देगा ! फिर भी ..अंधेर नगरी चौपट राजा और  दीप तले अँधेरा !

Friday, December 16, 2011

लोको पायलटो की अजब कहानी !




                          रेलवे में ज्वाईन करने के अदभुत कारण                  ( रुन्निंग स्टाफ बनने के परिणाम /  लोको पायलट )


   १) मुझे मम्मी - पापा का साथ अच्छा नहीं लगता !
    २) मुझे रविवार और त्यौहार के दिन से सख्त नफ़रत है !
    ३)मुझे दोस्तों से मिलना - जुलना पसंद नहीं !
    ४)अपनी जीवन को बचपन में ही जी लिया हूँ !


                                          ५)पांच - छः घंटे सोना गन्दी बात होती है !
                                           ६)बीबी बच्चे अपने आप पल जायेंगे !


     ७)जीवन में चिंता/टेंसन  न हो तो जीने की क्या मजा ?
     ८)समय पर खान - पान महा पाप है !


                                          ९)गिफ्ट में चार्ज सिट लेना अच्छा लगता है !
         हा   हा ...हा...हा...हा...हां...



Sunday, November 27, 2011

ये भी क्या बात है ......

आज -कल हम कहाँ से कहाँ जा रहे है --यह कहा नहीं जा सकता ! कहने वाले कहते रहें , हम तो नए ज़माने के शेर है ! किसी शेर ने किसी गीदड़ को चप्पल मारा , तो किसी ने थप्पड़ ! इससे क्या फर्क पड़ता है ! जो होनी है , वह तो हो के रहेगी ! चप्पल , थप्पड़ और कल ये भी देख लें -- कितना लाजबाब है ! हमारे देश के जन प्रिय लोग ? कुछ तो भविष्य में होने जा रहा है ---



 आन्ध्र प्रदेश में कल यानि दिनांक -२६-११-२०११ को एक जन सभा में  कहा - सुनी के दौरान , तेलगू देशम का एम्.एल.ये.श्री चिंतामणि प्रभाकर राव ,  पर्यटन मंत्री श्री वट्टी वसंत कुमार के पेट में घुसा मारते हुए !

( साभार -daccan  chronicle  / २७-११-२०११ )

Sunday, October 30, 2011

लघु कथा - सतर्क नारी

 जयेंद्र घर में आते ही पत्नी के हाथ पर सौ रुपये के दो गड्डी थमा दी  और मुस्कुराते हुए बोला --"  मायानगरी और लक्ष्मी जी !" पत्नी गड्डी को देखने लगी ! कुछ समझ में नहीं आया ! बोली - " ये क्या है ! बीस हजार रुपये  "

 " आरे भाग्यवान ..यह भी पूछने की बात है ! आज की कमाई ,,वश  और क्या !" - शर्ट की बटन को खोलते हुए जयेंद्र ने कहा !

 " अजी कहते थे  इस हप्ते सतर्कता दिवस है और यह क्या ?- पत्नी ने पूछा !
" परीक्षा बार - बार थोड़े ही कोई देता है ?"

" मतलब..... नहीं समझी "- सुनीता बेबजह और गंभीर हो पूछ बैठी !
" मतलब ये की सतर्कता दीवस को ही भाग्य की आजमायिस  होती है ! इसमे पास हो गए तो समझो चाँदी ही चाँदी ! ये दिन तो बस दिखावे के लिए आते है  ! बश यह एक पर्व है - ख़ुशी मनाओ और कमाओ "

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 काल बेल बजी ! अजी देखो कौन आया है ? जयेंद्र ने पत्नी को पुकारा ! पत्नी दरवाजे की ओर बढ़ी ! जयेंद्र ने भी साथ दिया ! दरवाजे पर सिविल पुलिस को देख सन्न रह गया !  " क्या बात है ? " - जयेंद्र ने पुलिस वालो से पूछ?

 " आप पर घुस लेने के आरोप है ! थाने चले ? एक सिपाही बोला  ! जयेंद्र पत्नी का मुह देखने लगा -जैसे पूछ रहा हो , ये क्या ? पत्नी मंद और दुःख भरी मुस्कान  के साथ बोली - " फेल हो गए ? "

 " धन्यबाद मैडम ! "-पुलिस वालो ने कहा और जयेंद्र को साथ ले चल दियें !

 
 

Saturday, September 3, 2011

तीसरी नजर

कल यानि दुसरे सितम्बर २०११ को शोला पुर में था ! सोंचा चलो अच्छा हुआ , गणपति दर्शन हो जायेंगे ! शाम को बादल  उमड़ - घुमड़ रहे थे !  छतरी भी साथ ले लिया ! सहायक भी साथ में था ! चारो तरफ शहर में घुमे , पर रौनक नजर नहीं आई ! लगता था जैसे सभी अन्ना हजारे के समर्थन में इस वर्ष की उत्सव -साधारण तौर पर मना रहे  है ! किसी से पूछने का साहस  नहीं किया - आखिर क्यों ऐसा ? हमारे गुंतकल में ही गणपति का उत्सव बड़े धूम - धाम से मनाया गया है ! आज विसर्जन होने वाला है ! सोंचा कुछ बधाई और शुभकामनाओ को ब्लॉग पर डाल ही  दूँ ! मेरे बालाजी का अपना गणपति  पूजा मजेदार का रहा !  यहाँ देंखे - कैसी रही बालाजी की गणपति पूजा ? 

                                     आप सभी को गणेश चतुर्दशी की ढेर सारी शुभकामनाएं !
अब कुछ जेलर की तरफ ध्यान दे ! तिरछी नजर से परेशां -उसने आज खूब चढ़ा ली थी ! डंडे को भांजते हुए वह फिर कसाव के रूम के पास हाजिर हुआ ! नशे में धुत ! जोर से हँसाना शुरू किया ! ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह   हां हां हां हां हां हां हां ..ही ही ही ही ही ..हु हु हु हु हु हु हु ...हे हे हे हे हे ...इस जोशीले आवाज को सुन सभी संतरी जेलर के पास आ खड़े हुए ! भय -भीत  !  जेलर की हंसी  ...ठीक गब्बर सिंह के  जैसा ! देखते - देखते सभी संतरी भी हंसी में मशगुल हो गए ! कसाब  को भी हंसी आ ही गयी ! पर आज वह  सहमा सा दिखा ! न जाने क्यों ? उसे कोई  अनजानी आशंका  दबोच ली  ! 
  " अबे कसाब ? "- जेलर कसाब  की तरफ मुखातिब हो बोला !  " स्साले सब बच गए ! कितने  आदमी थे ?..बिलकुल तीन ! हा  हा  हा  ये राजनीति ....बहुत  कमाल  की.. है...... किसी को फांसी पर भी न चढाने देगी ! अबे ..अब तेरी भी बकरी ( बकरीद के वजाय -बकरी बोल गया ) नहीं आएगी .." वह नशे में धुत था ! उसके शब्द टूट -टूट कर  बाहर निकल रहे थे ! वह राजीव गाँधी के गुनाहगारो के फाँसी की सजा पर लगी रोक से तिलमिलाए हुए था ! फिर बोला -" अब तू भी बच जाएगा ,देवेंदर पाल  सिंह भुल्लर भी बचेगा और ...और...और वो संसद वाला ...   सांसदों  का गुरु ......अफजल भी बचेगा ! प्रक्रिया ...मुख्य  मुख्य मंत्रियो .....द्वारा ...तेज  हो गयी  ...है  !" इस समाचार ने  कसाब के मुखमंडल पर...थोड़ी सी मुस्कराहट बिखेर दी !" जेलर  संतरियो की तरफ देखा और फिर कहने लगा ---अब नए सम्मान दिए जायेंगे -जानते हो ? 
एक हत्या वाले को --पद्मश्री  ..हा..हा..हां.
दो हत्या वाले को--पद्मभूषण  ...........................
तीन हत्या वाले को पद्मविभूषण  ..और  
चार से ज्यादा हत्या वाले को  भारतरत्न  " - जेलर अपने डंडे को भांजने लगा ! 
" तो  सर...  क्या इसे ( कसाब को )  भारतरत्न का सम्मान मिलने वाला है ? "- एक  संतरी  ने प्रश्न  किया ! 
  " जरुर ..जरुर मिलेगा ..हाँ मिलेगा जरुर...इसी के काबिल यह है "--जेलर ने कहा और जोर का ठहाका लेकर कसाब को देख बोला -- " तेरे इस दुनिया में , तेरे पास आतंक ,लूट ,दंगा ,भुखमरी , चोरी ,बलात्कारी ,हत्या या क्या-क्या के सिवा क्या है ?..हाँ..हाँ ..हाँ ..हाँ!'' क्षण भर के लिए रुका और बोलने लगा - "जानता है हमारे पास क्या है ?.......हमारे पास ..सिर्फ और सिर्फ....अहिंसा है



Thursday, March 17, 2011

..पत्नी का अपहरण....( बुरा न माने ...होली..है !)

आज तारीख -१६-०३-२०११ है ! होली का त्यौहार अब ज्यादा दूर नहीं ! साढ़े तीन बजे ...१२१६४ चेन्नई -दादर सुपर एक्सप्रेस लेकर आया हूँ ! तरो -ताजा होकर सोफे पर बैठ और टी .वी .आन किये !समाचार देखने लगा ,तभी सामने से श्रीमती जी ..सज -संवर कर... बेड रूम से ..बहार आ सामने खड़ी हो गयी ! मैंने पूछ बैठ - " ओ मेरी महँगी सबला ..कहा जाने की तैयारी है !"
 "बाजार..! " उनका सीधा सा जबाब !
मैंने कहा - " इस तरह से न निकला करो ? कोई देख लेगा तो नजर लग जाएगी !...और  जमाना भी ख़राब है ..इस समय अपहरण ज्यादा हो रहे है ! अपहरण करने वाले को आसानी से तीन - चार लाख मिल जायेंगे ! "
श्रीमती जी कहा चुप रहने वाली , बोली -" नजर लगे मेरे दुश्मन के ..मुझे कौन अपहरण करेगा , जब आप मेरे साथ है ..!"
मै मुस्करा दिया और  चुटकी लेते हुए बोला - " ऐसा नहीं कहते ?..मै तो अबला पति हूँ ...भला आप जैसी  सबला को मेरी क्या जरुरत .."
" छोडो भी ..कपडे पहनिए ..तैयार होईये ...कोई अपहरण कर लेगा तो क्या हो जायेगा ? "  मैडम ने ताना मार ही दिया !
 " क्या होगा ?"--मैंने भी आश्चर्य से पूछा !..बात जारी रखा - " किसी टी - शर्ट और जींस वाली को ले आउंगा ! फिर मैडम खिल - खिला कर हंस पड़ी    और बात को आगे बढ़ाते हुए .... पूछ बैठी - " उससे क्या होने वाला ? " मैंने कहा - ' क्या होगा ..? जानती हो ..वह नयी श्रीमती जी सस्ती होंगी ..न चाँदी की जरुरत..न सोने का क्युकी उनके पोषक पर , उस गहने की जरुरत नहीं पड़ेगी !वे करेंगी नौकरी..मस्त - मस्त रहेंगी !वह डिस्को को जाएँगी ,मै जाउंगा रेल्त्रैन....न पैसे पूछेंगी ..न पॉकेट का भार घटेगा  ..,! बच्चे होस्टल में नयी संस्कृति सीखेंगे  और इधर मै पढूंगा ..संस्कृत ...! वह अमेरिकन  स्टाइल की  होगी  ...मै  स्वच्छ  हिन्दुस्तानी !वह करेगी रचना ..मै करूंगा संरचना ..!"..मैडम हंस पड़ी और कोयल सी बोंली - "आप भी बड़े शरारती हो जी ! छोड़ो ऐसी बातें..कहो हम है ..हिन्दुस्तानी ...अँधेरा हो जाएगा ..जल्दी तैयार हो जाईये !"...जी हाँ ...देंखे नीचे  -
 ये है मेरी एकलौती पत्नी श्रीमती मीना देवी साव  ! मन की गंगा...तन से चांदी भक्ति मय..पूजा -पाठ में रूचि ..सदैव भारतीय परंपरा और शांति में विश्वास .इन्हें अपने पती से कोई शिकायत गिला ..नहीं !भारतीय मानवता से कोई शिकायत नहीं ! किसी  अधिकार की मनसा नहीं !हर पल साथ - साथ दुःख - सुख में सहभागी और इस अनपढ़ लोको पायलट  की बीबी ...,जो हर समय मुझे ड्यूटी पर बिदाई के वक्त ..दिल में उदासी और प्रभु से मंगलमय की कामना रखती है ! वापस आने पर मुस्कुराते हुए स्वागत के लिए हमेशा तैयार !इन्हें गर्व है की इनका पति ...रोजाना ..हजारो  मुशाफिरो को एक जगह से दूसरी जगह ..सुरक्षित पहुंचाते है !जो इस कलयुग में पुण्य नहीं तो और क्या है ?
             जी हाँ ...मुझे भी नाज है ऐसी पत्नी पर ...!मुझे नाज है ऐसे माँ - बाप पर जिन्होंने ऐसी लड़की को जन्म दिया !इन्हें नहीं आता ..अपने माँ -बाप ..के  अधिकारों की धज्जीया उड़ना ...उनके मान - सम्मान का मर्दन करना !जीना है हमें ...आगे बढ़ाना है हमें ..अकेले नहीं बिलकुल साथ - साथ !किसी अधिकार की लडाई नहीं ....हमारे लिए श्रद्धा और शब्र ही मूल्यवान है !प्रिय पत्नी जी ...........आप को सलाम !
  आप सभी को इस पावन पर्व..होली की ढेर सारी शुभ कामनाये !





Orkutfans.in Send 1000+ holi orkut scraps and glitter images to your all friend
 

 (सत्य और सामाजिक परिवेश पर आधारित .......अगली पोस्ट ....आप - बीती =७ ...गुरूजी के थप्पड़ ....होली के बाद पोस्ट करूँगा ..जो गुरु और शिष्य के आपसी संबंधो पर आधारित मार्मिक और शिक्षाप्रद होगी ! )

Monday, March 14, 2011

बेताल ..भिखारी गरीब-रथ..

राजा अपने रानी के मृत शव को कंधे पर उठाये ..जंगल के संकीर्ण पगडंडियो पर चलते  जा रहे  थे  ! उन्हें  चलने में कटीली झाड़ियो का रह - रह कर सामना करना पड़ रहा था .उनके  हाथ तलवार चला - चला कर थक गए थे ! माथे पर पसीना छुट रहे थे ,पर वह अनवरत अपने पथ पर चलते जा रहे थे  !तभी बेताल अचानक आ धमाका !उसने कहा " हे कलयुग के राजा ! इस तरह कब तक चलते रहोगे ? "  कुछ चुप रह कर फिर बेताल ने  अपनी बात पूरी की और पूछ बैठ -सुनो एक कहानी सुनाता हूँ ,जिससे तुम्हारी थकान भी दूर हो जाएगी और मेरे संसय का समाधान भी हो जायेगा और हाँ ..अंत में कुछ सवाल के जबाब देने पड़ेगे ? और जबाब गलत निकले तो तुम्हारे सिर के टुकड़े हो जायेंगे ! अतः संभल के जबाब देना "
                   राजा ने कहा  - "ठीक है मुझे सब मंजूर है "
      बेताल ने कहानी शुरू की -
    "  बाबा एक रुपये दे दो ?"-
   मेरे माई- बाप ,,,एक रुपये दे देना ! दाता एक रुपये देना ...!" इस तरह के आवाज दोहराते हुए वह भिखारी ..आकर गरीब - रथ के गार्ड के समक्ष खड़ा हो गया ! हाथ पसारे रहा ..गार्ड साब ..ब्यस्त थे , ध्यान देना संभव नहीं था !
 " साहब एक रुपये दे दो ? भगवान भला करेंगे "
गार्ड ने ध्यान  से देखा और कहा - " आगे बढ़ो ! "
भिखारी ने मुह बनाते हुए बुद बुदाया ..सूट - बुट इतना ..चले है गरीब-रथ में ? शर्म नहीं आती कहते हुए ..उस पर गले में टाई ..
अबे क्या कहा ?गार्ड ने सुन लिया था !सो पूछ बैठ !
" कुछ नहीं साब ..कह रहा था टाई पहने हो ..किसी ने जोर से खींच दिया तो .....!" भिखारी ने कहा !
भिखारी और आगे बढ़ा, शायद जी - ५ कोच था ! दरवाजे खुले थे  ! एक ही नजर में अन्दर जाने लगा ! टी.टी.साहब , जो प्लेटफोर्म पर खड़े थे ..उसे पुकारा और पूछा - " अबे ...ओय ..कहा अन्दर  घुसते जा रहा है ..दिखाई  नहीं  देता क्या ? यह एसी कोच है ! "
भिखारी रुक गया और धीरे से सिर  झुकाए हुए टी.टी.जी के पास आकर बोला - "साब यह गरीब - रथ ही है न ? "
हाँ..हाँ.टी.टी.ने जबाब दिया !
भिखारी मुड़ा और फिर कोच के अन्दर जाने लगा !
" अरे फिर कहा जा रहा है ?" टी.टी.ने जोर से झपटा !
" सर मै गरीब हूँ ..और यह रथ मेरा ही है !....मेरे गरीव मंत्री  जी ने हम गरीबो के लिए ही बनायीं है ..और मै तो भिखारी ही हूँ ...कुछ संदेह है क्या ?" भिखारी ने जबाब दागा !
" ठीक है ..टिकट है क्या ? "
 " नहीं साब ...!"
" फिर अन्दर नहीं जा सकता !"
भिखारी मुड़ा और टी.टी.के पास आ कर खड़ा हो गया ..और बोला -" एक रुपये दे दो सर...वह भी नहीं है तो एक टिकट ही दे दो "
बेचारे  टी .टी.साब झुझला गए और एक रुपये का सिक्का उसके हाथ पर रख ..पिंड छुड़ाई !
 भिखारी पैसे को अपनी जेब में रखते हुए ...आगे बढ़ चला !
चलते - चलते लोको पायलट के पास पहुंचा ! पायलट साहब लोको के पास ही प्लेटफोर्म पर खड़े थे ! भिखारी उनके समीप जा कर बोला ?- " साब एक रुपये दे देना..जोर से भूख लगी है ! सुना है आप लोग बहुत दयालू होते है !"
वह हाथ पसारे रहा !
लोको पायलट ने भिखारी के ऊपर - निचे एक नजर दौडाई और पूछा - " भीख मांगते हो ..तुम्हारे  हाव - भाव तो भिखारी जैसे नहीं लगते है ! "
"........................."भिखारी चुप रहा !" दे ...दो..साहब भूख लगी है !"
"पहले यह बताओ की प्रोफेसनल भिखारी हो या खानदानी "-पायलट ने पूछा! भिखारी ने इधर - उधर देखा ! पास में कोई नहीं था ! धीरे से बोला -" सर मै प्रोफेसनल हूँ  पहले निजी सचिव था ...!"
लोको पायलट को आश्चर्य  का ठिकाना न रहा !" निजी सचिव ....ये प्रोफेसनल सुदामा कहा से आ गए ?"
" हां साब ...मेरे बड़े  साहब लोग जेल में है ! अतः मै भी भिखारी बन गया !अगर वे लोग जान गए की मै मजे से रह रहा  हूँ ...तो मेरा खैर नहीं !"
लोको पायलट के माथे पर लकीरे तन गयी फिर पूछा - "कौन साहब लोग....कुंडा वाले  या  मुंडा वाले ...!"
भिखारी मुस्कुराया और बोला - वाह  क्या ..बात  हुई  ..आप भी वास्तव में गरीब - रथ के लोको पायलट है " फिर से एक जोर दार साँस लिया .कहा -" न कुंडा वाला, न मुंडा वाला....लम्बे शून्य  वाले का ...."तब -तक सहायक लोको पायलट भी आ धमाका और उसके बातो को सुन कर जोर से हंस पडा !
 "एक बात कहू..इस ट्रेन में पुरे के पुरे गरीब लोग ही है ! एक रुपये देने में भी इनकी जान जाती है ! मै अपने साहब से बोल कर ..एक बिल पास करवाउंगा !" बिल का नाम सुन कर लोको पायलट को रहा न गया -पूछे ...कैसा बिल ?
" आप लोगो के ऐसे पोशाक  शोभा नहीं देते ! आप लोगो के पोशाक फटे - हाल होनी चाहिए ! तभी इसकी नाम को सार्थकता प्रदान होगी !...कुरता फाड़ के ........"भिखारी ने अपने सुझाव दिए !
सहायक लोको पायलट ने जूमला जोड़ दिए - "मै गरीब - रथ चलाऊंगा ..कुरता फाड़ के .....!"
भिखारी ने कनखी से देखा और आगे बढ़ गया ....किधर ?..देंखे -


  और बेताल शांत हो गया !अब प्रश्न की बारी थी ! उसने कहा राजन ..अब आप बताये की प्रजातंत्र और राज तंत्र के सोंच में क्या फर्क था ? ब्यवस्था कहा तक सुब्यावस्था कहलाएगी ? क्या भिखारी के संसय ठीक थे ? क्या ब्यवस्था उचित लोगोतक  पहुंचती है ? तथ्य क्या थे ?...जल्दी बोलो ...मेरे जाने का वक्त हो गया है !
राजा ने उत्तर देने के लिए मुह खोला और उत्तर सुनाने के लिए ..बेताल पेड़ पर जा बैठ! राजा ने कहा की -.......................................!
 (प्रश्न दिवस के अवसर पर ...यह एक छोटी सी भेट ! यह कथा काल्पनिक और मनगढ़ंत तथ्यो पर आधारित है ! इसका किसी से सम्बन्ध नहीं है !)

Wednesday, February 9, 2011

जंगल राज ---ब्यंग.

जंगल - राज में बार्षिक महोत्सव का  आयोजन किया गया था.थल-चर ,नभ-चर और जल-चर नेताओ को निमंत्रण जा चूका था.निर्धारित तिथि को सब लोग ,यथा बिधि उपस्थित हुए.!जंगल के राजा शेर को अध्यक्ष बनाया गया.सभा की शुरुआत  कोयल के मधुर -गीत से हुआ !
             सभी जानवर शांत बैठे हुए थे !कोई किसी को सीधे नहीं देखना चाहता था !छोटे - छोटे जानवर भीड़ के पीछे या किनारे दुबके बैठे थे.पक्षी अपने कलरव को छोड़, चारो तरफ छितराए हुए थे !कुछ दिल से ,तो कुछ न चाह कर भी हाजिर हुए थे !...देखे  आखिर होता है क्या  ?
            शेर के सामने ,यह सभा किसी खतरे से खली नहीं थी  !कहते है-अफसर के सामने और गदहे के पीछे कभी नहीं रहना चाहिए,न जाने कब क्या हो जाये !  चर्चा का विषय इस बरस के वार्षिक -सम्मान से था !
 हाथी ने चिल्ला कर इस बरस के लिए नामांकन का प्रस्ताव ,पेश करने को कहा ! 
         मधुरभाषी  तोते ने कहा- "आप बड़े लोग ही फैसला ले ,तो बहुत अच्छा होगा ".    किसी ने कुछ कहने से परहेज किया तो सियार को न रहा गया...बोला-"मैंने सम्मान की जाँच रिपोर्ट ,अध्यक्ष महोदय को सौप दी है ..."
         "साला चापलुश है क्यों नहीं देगा ...." भेड़िये ने चुटकी ली .
    " तुम भी तो वही हो ...." बकरी ने कटाक्ष ली.
    शेर ने बकरी को तिरछी नजरो से देखा .......और मंद-मंद मुस्कुराया. कहा-" क्यों न बकरी को स्वर्ण सम्मान से सुशोभित किया जाय."
     कुत्ता बुदबुदाया ----"क्यों न...... पेट जो भरती है    "
    इस बर्ष का सम्मान ....शाकाहारियो को दी जानी चाहिए ! "---हाथी ने कहा .  " इसके लिए उपयुक्त नाम जिराफ का ही रहेगा  "
    चर्चा जोर से चली.सभी ने जोर-शोर से बोलना शुरू किया ...इसी बीच गीदड़  और सियार ..तू-तू..मै-मै कर आपस में लड़ बैठे.!अंत में तीन जानवरों को गोल्ड,सिल्वर और कास्य पदक के लिए चुना गया !शेर महाशय  गुर्राते हुए मंच पर खड़े हुए और सम्मान के लिए नाम की उदघोशना की !
    कास्य पदक ......मिस्टर ..श्री घोड़े साहब .....!
   सिल्वर पदक .....मिस्टर..श्री गदहा ..............! और 
   स्वर्ण पदक के लिए ...मिस्टर श्री कुत्ता जी ...!  अंत में शेर महाशय ने कहा की ये हमारे बहुत उपयोगी और पालतू ब्यक्ति है ,जिनकी सेवा हम कभी नहीं भूल सकते.....  इतना ही नहीं .......ये हमेश .....हम लोगो की सेवा के लिए तैयार रहते है !
      " अँधेरी नगरी- चौपट राजा..." किसी ने बुदबुदाया . सभी दबी जुबान से हंस पड़े.............