ममता पर विपक्ष का हमला, सरकार ने किया बचाव
नई दिल्ली। नक्सली नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ आजाद के मुठभेड़ में मारे जाने के संदर्भ में रेल मंत्री ममता बनर्जी के रुख को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम दलों ने गुरुवार को राज्यसभा में ममता के साथ सरकार पर भी निशाना साधा। दूसरी ओर सरकार ममता का बचाव करती नजर आई। सदन में शून्य काल के दौरान वाम दलों के सदस्यों ने यह मसला उठाया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने इस मामले पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।
येचुरी ने कहा, "वह (ममता) कहती हैं कि सरकार आजाद की हत्या में शामिल है। यह सरकार के अधिकार क्षेत्र को पूरी तरह नकारना है। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सारी बातें मीडिया में कही जा रही हैं। पहले भी जब यह मुद्दा सदन में उठाया गया था तो मैंने कहा था कि मैं मंत्री से विवरण लूंगा। जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ नहीं है। हम मीडिया रिपोर्टो के आधार कोई कदम नहीं उठा सकते। सदन में ममता और सरकार के घेरने में भाजपा और वाम दल साथ दिखे। भाजपा के नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्होंने ममता को टेलीविजन पर बोलते हुए देखा है। उन्होंने कहा कि ममता का बयान सरकार के सामूहिक उत्तरदायित्व की अवहेलना है।
येचुरी ने सदन में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे और उनसे हमने शून्य काल तक सदन में रुकने के लिए कहा था लेकिन वह चले गए। उन्हें इस समय सदन में मौजूद होना चाहिए थे। प्रधानमंत्री खुद कई बार कह चुके हैं कि नक्सली देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। अब उनके मंत्रिमंडल की एक सदस्य नक्सलियों को संरक्षण दे रही हैं।
सदन में स्वास्थ्य राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य ममता के बचाव में बोलते रहे। इस पर सदन में भाजपा के उपनेता एस.एस. अहलूवालिया ने कहा कि त्रिवेदी लोकसभा के सदस्य और मंत्री भी हैं लिहाजा यहां टोकाटाकी नहीं कर सकते। गौरतलब है कि आजाद के संदर्भ में दिए अपने बयान पर बुधवार को ममता ने अडिग रहने की बात कही। बीते नौ अगस्त को लालगढ़ में एक सभा में उन्होंने कहा था कि आजाद की एक सुनियोजित मुठभेड़ में हत्या की गई है।
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