इस तस्बीर को देंखे,यह तस्बीर मैंने ०२-०८-२०१० तारीख को
अपने मोबाइल में रिकॉर्ड किया था.जब मैं ४३३ सवारी गाड़ी के स्लीपर कोच में
स्वसवार होकर,लोको
चालको के दक्षिण क्षेत्रीय सम्मलेन
में भाग लेने के लिए,अपने सह कर्मियों के साथ,विजयवाडा जा रहा था. यह लड़का ,बन्दर को अपने कंधे पर बिठा कर,स्लीपर कोच को ,अपने गंदे कपडे
से ,साफ करते हुए,सबसे पैसे मांग रहा था.इसे देख मैंने
कुतूहल वस् पुछ बैठा- स्कूल जाता है ?
वह अपने हाथो को मेरे और बढ़ाये हुए ,मेरा मुह
देखता रहा. हमारे देस के प्रधान मंत्री का नाम क्या है ?
फिर मैंने उससे पूछी.
एस बार वह जरा हिम्मत करके बोला-----
मालूम नहीं.
जी हा,ऐसी हालत में इस नए सर्व सिक्षाअधिनियम
चालको के दक्षिण क्षेत्रीय सम्मलेन
में भाग लेने के लिए,अपने सह कर्मियों के साथ,विजयवाडा जा रहा था. यह लड़का ,बन्दर को अपने कंधे पर बिठा कर,स्लीपर कोच को ,अपने गंदे कपडे
से ,साफ करते हुए,सबसे पैसे मांग रहा था.इसे देख मैंने
कुतूहल वस् पुछ बैठा- स्कूल जाता है ?
वह अपने हाथो को मेरे और बढ़ाये हुए ,मेरा मुह
देखता रहा. हमारे देस के प्रधान मंत्री का नाम क्या है ?
फिर मैंने उससे पूछी.
एस बार वह जरा हिम्मत करके बोला-----
मालूम नहीं.
जी हा,ऐसी हालत में इस नए सर्व सिक्षाअधिनियम
का क्या होगा ? आखिर क्यों ......?
पापी पेट का सवाल है.
बेचारे करें भी क्या भुख जो लगती हे। कैसे न कैसे तो गुजारा चलाना ही पड़ता है।
ReplyDelete‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से ज्यादा(ब्लागों) लोगों तक ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’
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मालीगांव
साया
लक्ष्य
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