Friday, September 10, 2010

आखिर क्यों .........

आज कल, जिसके पास काम है । उसे
फुर्सत नहीं है और जिसके पास काम नहींहै, उसके पास काफी समय उपलब्ध है..यहाँमै भी समय के अभाव में,थोड़े में अपनी बात ,या यु कहे आप-बीती रखना चाहता हु।कल यानि दिनांक -०९-०९-२०१० ,को मै
,२१६४ सुपर फास्ट ट्रेन,जो चेनै से चल करदादर को जाती है ,को लेकर रवाना हुआ था।मेरी गाड़ी मंतारालायम रोड नामक स्टेशन पर रुकी हुई थी.मै थोड़े समयके लिए एस -०१ कोच में प्रसाधन के लिए गया और थोड़े समय में ही वापसआ गया।            
             मैंने देखा की-एक १५/१६ बरस का एक लड़का ,मेरे लोको के साथचिपक कर खड़ा है ,जिसके बल गंदे,कमीज और फुलपैंट गंदे थे.वह एक भूरेरंग का स्यूटर पहने हुए था.दूर से कोई पागल प्रतीत हो रहा था.प्लात्फोर्म परबैठे यात्री ,उसे देख कर हंस रहे थे.मुझे भी रहा न गया और बिना वजह उससे,
तेलगू में पुछा -तेरा नाम क्या है और कहा का रहने वाला है? वह ना समझी की तरह, अपना सिर इधर उधर फिरते रहा और मेरे तरफ ऐसे देखा जैसे उसेकुछा भी समझ नहीं आया। मै उसके अभिप्राय को भाप लिया और हिंदी मेंपूछा। उसका जबाब था-मै बिहार के पटना का रहने वाला हु । और कुछ
पुछू ,तब- तक मेरे गाड़ी का सिगनल हो चूका था ।
                    ,देखने वाले उसे पागल समझा रहे थे. पर वह एसा नहीं लगा क्यों की ,सायद वह भाषा न जानने की वजह से परेसान था. मैंने उसे जल्दी में कुछ पैसे दिए .उसके बारे में और जानना चाह,पर गाड़ी का सिगनल हो चूका था.सोचा कल वापसी के समय अगर वह मिला तो और कुछ जन लेंगे .हो सका तो उसेउसके गव भेजने की ब्यवस्था भी कर देंगे,पर वापसी के समय वह नहीं मिला.सोचता हूँ उसके माँ-बाप क्या सोंचते होंगे.कास' ऐ सब कुछ 
  आखिर क्यूँ..........?

1 comment:

  1. जब पेट में भूक लगती है तो आदमी कही भी चला जाता है ...खासकर बिहार वाले ..

    अच्छा लिखा है ....

    एक बार इसे जरू पढ़े -
    ( बाढ़ में याद आये गणेश, अल्लाह और ईशु ....)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_10.html

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