पलंग पर उसे प्यार से सुलाने के बाद,न सोने पर कहानियाँ सुनाना,रोने पर थाप देना और दुलार करना.....माँ की बिशेसताये थी.आज माँ ने गहरी साँस ली क्यों की उसका बेटा आराम से सो गया था ! अँधेरी रात ..उस पर झींगुर की आवाज .....कभी-कभी कुत्तो की हुंकार भरी गुर्राहट .....शांत वातावरण को उदवेलित कर देती थी !सारी दुनिया ..अँधेरे की विराट कालिमा में ..घुल-मील गयी थी !रात ने अंगडाई ली !सूर्य के हलके लालिमा के साथ ...सहर का आगमन हुआ !पेंड़ो पर चिडियों की मधुर कोलाहल,गलियों में मुर्गो की कुंक , कोयल की मधुर कु-कु ...शांत वातावरण को फिर से बिभोर कर दिया था.काम पर जाने वाले तैयार होने लगे थे !
माँ भी उठ गयी थी.सुबह के रोज मर्रा के काम में ब्यस्त ...चूल्हे-चौके का कार्य समाप्त कर ,घर में झाड़ू लगाने के लिए ..चली.! यकायक उसे रहा न गया !वह घबडाई सी तुरंत ..उसे पलंग पर से उठ लिया और जोर-जोर से झक-झोरने लगी.!शायद उसे किसी अंजान..खतरे का अंदेशा हो गया था !अंजान भय से प्रेरित... वह उसे बार-बार चूमने लगी ! तब-तक वह सचेत हो चूका था और शरीर को एंठते हुए ....वह बोला-" माँ..मुझे सोने दो.."
माँ को कुछ शकुन सा लगा होगा !बिचित्र सा दृश्य ....असलियत भगवान को मालूम ! वह तुरंत बच्चे को गोद में लिए..सीर पर घूँघट रखे ,घर से बाहर निकल आई !उसके इस तरह घर से बाहर निकलना और घबराहट को देख कर ....पास- पड़ोस के लोगो ने पूछा -" क्या बात है ....? "
" पलंग के नीचे सांप...जाएँ...देंखे..."माँ के शब्द लड़खड़ाए से.बच्चे को गोद से नीचे उतारते हुए ..निकले.
फिर क्या था सभी दौड़ पड़े ! जिसे जो मिला ,वही हाथ में लिए हुए..! लोंगो ने देखा..पलंग के नीचे ..एक मीटर लम्बा ..सांप फन ताने खड़ा था.! उसके बगल में एक दर्पण था ,जो सामने से दीवाल के सहारे टिका हुआ था ! उस दर्पण के पिछले भाग पर बांसुरी बजाते श्रीकृष्ण की तस्वीर थी ! सांप उस तस्वीर से ही चिपके हुए खड़ा था ! लोगो ने उसे भागने के लिए ....जमीन पर डंडे की चोट भी करते रहे ! पर वह टस से मस नहीं हुआ !उसे डंडे पर ..उठा कर ..घर से बाहर लाने का प्रयत्न किया गया..किन्तु वह डंडे के ऊपर से बार-बार गीर जाता था !किसी तरह से उसे बाहर लाया गया ! फिर भी वह नहीं भागा !
किसी ने कहा-" मार दो इसे "
" नहीं....इसे न मारे ." माँ ने घुंघट के अन्दर से ही आवाज दी !
" सांप किसी का होता है ..क्या ? मारो इसे .." सभी ने एक साथ हामी भरी.!
" नहीं " माँ ने फिर अपनी बात दोहरायी.! कुछ रुक कर आगे बोली -" मेरा बेटा पलंग से पैर लटका कर सोया हुआ था.मेरे बेटे के पैर का अंगूठा ..उसके फन के पास था ! फिर भी इसने मेरे बेटे को कुछ नहीं किया !यह भी किसी का औलाद है ! इसे मत मारें !" इस वाक्य ने सभी को मुग्ध और बिस्मित कर दिया !
" जी हाँ जरुर यह अच्छे सांप की योनी का है !" किसी ने कहा और उस सांप को लोग....दूर खेतो में लेजाकर छोड़ आये.
मानो या न मानो ,यह घटना बिलकुल सच्ची है ! वह माँ.....मेरी मम्मी और बच्चा मै ही हूँ ! जब मै लगभग ५/६ साल का था , यानि चालीस बर्ष पहले की घटना ! आज सोंचता हूँ ...और कभी-कभी माँ इस घटना की जिक्र ..लोगो के समक्ष कर ही देती हैं - तो लगता है ...मै कितना भाग्यशाली हूँ ! माँ का मुझे जोर से झटका देना और सोये से उठाना ----उसके किसी अंजान भय का ही सूचक था ! अभी भी माँ कहा करती है की- " वह उस समय समझी की सांप ने डंस लिया है ! किन्तु हर जीव की मृत्यु , उसके जन्म के दिन ही निश्चित हो जाती है ! इसीलिए सब कुछ समय पर ही घटित होना निश्चित है !"
" माँ " शब्द कितना प्यारा है ! सबसे पहले इस शब्द को किसने उच्चारण किया होगा ?....." माँ " तो माँ होती है ! इसके प्यार या दूध में किसी तरह की खोंट या मिलावट नहीं होती !सृष्टी के जीवो में कहा वह शक्ति ,जो माँ के दूध की कीमत चूका सके ! हम तो जीवन-भर माँ के कर्ज को ढोते लिए फिरते है ! माँ ही तो है,जिसके गुस्से में भी ..मधुर प्यार की निर्झर बहती है ! माँ गले लगाने की चीज है,गले छुड़ाने की नहीं !
ओ ..मेरी प्यारी माँ...आपको मेरा सौ-सौ प्रणाम.! अपने आंसू के गंगा जल से-आपके चरणों को धोऊ बारम्बार ,मुझे शक्ति दे माँ .....मै आपके कदमो के नीचे ..सदैव ....!.शक्ति दे माँ...शक्ति दे. अमृत अश्रु धारा ..........................
माँ " तो माँ होती है ! इसके प्यार या दूध में किसी तरह की खोंट या मिलावट नहीं होती !सृष्टी के जीवो में कहा वह शक्ति ,जो माँ के दूध की कीमत चूका सके !
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट ने माँ शब्द की महता को समझाते हुए ..भाव विभोर कर दिया ...मेरे ब्लॉग पर आकर मार्गदर्शन के लिए आपका धन्यवाद ...आशा है आप आगे भी मार्गदर्शन करते रहेंगे ....आपका आभार
जिस सर्प को सब मारना चाहते हों, उसे क्षमा करना माँ का ही कार्य हो सकता है।
ReplyDeleteमाँ के मन के भय और दया दोनों असीमित होते हैं.... बहुत सुंदर ममतामयी संस्मरण .....वैसे भी ऐसी बातें भूली कहाँ जाती हैं....
ReplyDeleteसच में मां केवल मां ही होती है...उसकी ममता के आगे दुनिया की कोई दौलत नहीं...बहुत अच्छा लगा आपके बचपन का किस्सा....
ReplyDeleteसच, माँ ही दर्द समाज सकती है इतनी अच्छे से..... बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeleteमां केवल मां ही होती है|बहुत सुंदर ममतामयी संस्मरण|
ReplyDeleteतो आप ही थे वो ......?
ReplyDeleteतब तो आप भाग्यशाली हैं ....
इसलिए तो हमारे बीच हैं ....
सच मे मां तो मां ही होती हे, लेकिन आज कल बेटे ही कपूत निकलते हे, आप भाग्या शाली हे जो आज तक मां को नही भुले, वेसे कोई भी जानवर इंसान को मारना नही चाहता, जब हम ही पहल क्रे तो वो अपना बचाव ही करता हे, बहुत सुंदर याद धन्यवाद
ReplyDeleteमां को नमन।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जी एन शा जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।
ReplyDeleteकृपया देख लें । और उचित सलाह भी दें । bolg world .com तक जाने के
लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।
नारी को भगवान् ने इतनी शक्तियों से नवाजा है कि उसका नाम ही शक्ति पड़ गया है, उन शक्तियों में भी जननी की शक्ति को सभी सर नवाते हैं.
ReplyDeleteआप बेहद भाग्यशाली हैं.
कमाल की बात बताई आपने। बहुत आश्चर्य हुआ आपकी माँ का आत्मविश्वास और दयाभावना को जानकर। ऐसे लोग और ऐसी सोच दुर्लभ है। बहुत सुन्दर पोस्ट!
ReplyDeleteआपको सर्प से बचने और माँ का महत्त्व समझने हेतु मंगलकामनाए
ReplyDeleteकुछ तो होता है जो अनहोनी होने से पहले चेता देता है.उसी 'कुछ' के कारन माँ को पूर्वाभास हो गया या....उस खतरे के बारे में जान गई.
ReplyDeleteअजी जब इश्वर ने लम्बी उम्र बख्शी है तो सांप आपका क्या बिगाड़ता?
माँओ के पास एक अतिरिक्त इंद्री होती है.....तभी तो दूर बैठे अपने बच्चे के दर्द का अहसास उसे कोसो दूर से होजाता है.पहली बार आई हूँ आपके यहाँ पर...एक बार में पूरा आर्टिकल पढ़ गई.
Maa teri yaad aati hai
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