कुछ शुरू करने के पहले आप सभी को गणतंत्र दिवस की शुभ बधाई .किसी कर्मचारी संघ का प्रमुख होने के नाते ,मुझे समय मिलना काफी मुश्किल हो गया है.फिर भी मेरी चेष्टा रहती है की कुछ पोस्ट करू तथा अन्य ब्लोग्गेर्स के पोस्ट को पढूं.
आज कुछ ज्यादा के पक्छ में नहीं हूँ.परसों यानि २४-०१-२०११ को गरीब रथ लेकर यास्वन्तपुर गया था.रेस्ट रूम में रेस्ट लेने के बाद शाम को सोंचा कुछ सिटी का भ्रमण हो जाये.वैसे महीने में दो-तीन बार जाना हो ही जाता है.,सो ईस कान मंदिर को हो लिया ,जो हमारे रेस्ट रूम से काफी नजदीक ही है.साढ़े सात बजे शाम तक वही रहा.शांति की खोज में.१०८ बार "हरे कृष्ण हरे कृष्ण ,कृष्ण कृष्ण हरे हरे .हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे." का उच्चारण मंदिर के प्रवेश द्वार पर किया,जो बहुत ही अच्छा लगा.१०८ पत्थर के तुकडे रखे हुए है और सभी को एक-एक करके , उपरोक्त उच्चारण के साथ पार करना पड़ता है.मेरे सहायक लोको चालक का पुत्र ,जो बंगलुरु में ही रहता है ,उपरोक्त तस्वीर को खिंचा, जिसमे मै ही हूँ.
अगर आप लोग कभी बंगलुरु जाये ,तो अवस्य ही इस मंदिर में जाये.यदि जा चुकें हो तो इससे भली-भक्ति परिचित जरुर होंगे .बिसेष बताने की कोई आवश्यकता नहीं है.मंदिर से बाहर आने के बाद ,मुझे एक ब्यंग याद आ गया,जो लोको चालक के श्रम शील अवस्था तथा कार्य निष्पादन को चित्रित करता है.जो निम्न-लिखित है---
तीन ब्यक्ति मृत्यु के बाद स्वर्ग के द्वार पर जा कर खड़े थे.स्वर्ग का द्वार काफी संकीर्ण था.भगवान दरवाजे पर बैठे मिले.उनका कहना था की कोई एक ही अन्दर जा सकता है.-
पहला-मै पुजारी हूँ,सारी जीवन आप ही की पूजा की है.स्वर्ग पर मेरा ही हक़ है.
भगवान.....हूँ.....?
दूसरा---मै एक डाक्टर हूँ.सारी उम्र लोगो की सेवा की है.स्वर्ग पर तो मेरा ही हक़ है.
भगवान......अच्छा .....?
तीसरा--मै भारतीय रेलवे में लोको चालक का काम करता हूँ............(अभी बात पूरी नहीं हुयी....तभी...भगवान ने टोका...)
भगवान.....कुछ मत बोल....मुझे रुलाएगा क्या. ?सारी जीवन तू नरक में रहा है.....स्वर्ग पर तेरे ही हक़ है....
बहुत अच्छा।
ReplyDeleteपहली बात तो यह कि बंगलुरु जाने का जब भी मौक़ा मिला तो आपके बताए मंदिर ज़रूर जाऊंगा।
ReplyDeleteदूसरी बात कि हर मुसाफ़िर को जो उसके गन्तव्य तक पहुंचाने का पुण्य रोज़ आप कमा रहा है, तो हक़ तो उसका ही पहला बनता है।
रोचक .... गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं....
ReplyDeleteबहुत अच्छा।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं|
जी एन शव जी ,
ReplyDeleteचश्मे वाली तस्वीर तो आपकी है ....
तो ऊपर वाली किसकी है ....
लघु कथा अच्छी लगी ....
आपकी भाषा में अभी बहुत अशुद्धियाँ हैं ...
इन्हें सुधारें ....
इससे लेखन में उत्कृष्टता नहीं रहती ....
हरकीरत जी,आप के सुझाव पर अमल का प्रयास करूँगा.बहुत-बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteऊपर वाली तस्वीर मेरे छोटे पुत्र ..बालाजी की है.
ReplyDeleteप्रयास तो अच्छा है ..पर हीर जी की बात पर गौर कीजियेगा ...आपका आभार
ReplyDeleteGreat read thankks
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