मेरे जीवन में ४ , ५ , और ६ मार्च काफी मायने रखता है ! समझ में नहीं आता , इसे किस आधार पर याद करूँ ? जीवन के बीते क्षण कभी - कभी बहुत दर्दीले और गर्म आंसू से भरे जान पड़ते है ! आज ही शिर्डी से लौटा हूँ ! एका - एक आज मुझे शिर्डी यात्रा के अनुभओं को आप सभी से बांटने का बिचार दिल में आया ! किन्तु कल यानी ०६ मार्च की याद आ गयी ! अतः शिर्डी यात्रा और इस अनुभव को बाद में पोस्ट करूँगा ! तारीख चौथा मार्च ..२००२ ! समय शाम के करीब चार बजे का ! मै गुंतकल रेलवे स्टेशन के अस्पताल के पास से गुजर रहा था , तभी मेरे एसोसिएसन के कार्यकारी मंडल अध्यक्ष श्री
वाई .भूपाल रेड्डी से मुलाकात हुयी ! जो अस्पताल के नजदीक बने साईकिल जमा करने वाले गैराज के पास खड़े थे ! मुझसे उम्र में बड़े थे , अतः मैंने ही पहले उन्हें प्रणाम किया और वही खड़ा हो गया ! उन्हें सिगरेट पिने का शौक था ! सिगरेट का काश लेते हुए ..उन्होंने कहा --
" गाडी नहीं गए हो..क्या आज रेस्ट है ? "
" नहीं सर ..आज रात को शोलापुर ..कर्णाटक एक्सप्रेस को लेकर जाना है !"- मैंने साधारण सा जबाब दिया ! बाद में एसोसिएसन के बारे में बाते चली ! उस समय मै ऐल्र्सा का मंडल सचिव था !
फिर उन्होंने मुझे कहा - " एक काम करो ,मै अपना रेलवे क्वार्टर खाली करने वाला हूँ ..तुम उसे अपने नाम पर बुक कराकर मुझे एक सप्ताह तक रहने दो ! क्वार्टर संख्या १३५ /अ है ,वह भी टाईप - ४ !" मै भी अवाक् होकर पूछा - " आखिर ऐसा क्यों ? आप ने अभी - अभी ही इसे अपने नाम पर बुक कराया है !" ,,,,," मै गूती सिफ्ट कर रहा हूँ ! " उनका जबाब था ! मै भी मामले की गहराई को न समझ सका और कह दिया - " ठीक है ! मै तारीख -०५ - ०३ - २००२ को २६२७ कर्णाटक एक्सप्रेस को लेकर शोलापुर चला गया और
शोलापुर से तारीख ०६ - ०३ -२००२ को २६२८ कर्नाटक एक्सप्रेस लेकर लौटा ! गाड़ी समय से चल रही थी ! अचानक गुंतकल होम सिग्नल के पास २६२८ एक्सप्रेस को ४५ मिनट से ज्यादा देर तक रोक दिया गया ! मैंने गुंतकल स्टेशन के उत्तर केबिन से संपर्क बनाने की चेष्टा की , पर किसी का जबाब पूर्ण रूप से प्राप्त न हो सका ! पुरे स्टेशन से भी किसी की आवाज वल्कि - तल्की पर भी सुनाई नहीं पड़ रही थी ! आखिर कार गाड़ी को प्लेटफोर्म संख्या ६ पर लिया गया ! मैंने गाडो को ठीक पूरी तरह से प्रस्थान सिग्नल के नजदीक खड़ा कर दिया ! देखते ही देखते गुंतकल मंडल के सभी बड़े अफसर गाड़ी के पास
आ खड़े हुए ! माजरा मुझे समझ में नहीं आया ! सभी ने मुझे घेर लिया ! सभी का मैंने अभिवादन किया ! सभी ने अपनी स्वीकारोक्ति दुहरायी ! तब - तक मेरे एसोसिएसन के मेम्बर भी आ जुटे ! मुझे कुछ समझ में न आया ! तभी मैंने देखा की वाई .भूपाल रेड्डी का लड़का दौड़ते हुए आया और लोको को बंद कर दिया और चिल्लाने लगा - " अंकल ...कोई ट्रेन आज नहीं जाएगी ? "... मैंने अफसरों के मध्य से बाहर निकल उससे पूछा - " क्या बात है ? " तभी किसी ने भीड़ से दबे शब्दों में मुझे कहा - " वाई, भूपाल रेड्डी ने आत्महत्या कर ली है ! ट्रेन संख्या -७००३ के निचे कट गए "
मै सन्न रह गया जैसे मुझे सांप ने सूंघ लिया हो ! मुझे भी गुस्सा आ गया जो लाजिमी था ! क्यों की मै लोको चालको का मंडल सचिव था और आज भी हूँ ! सभी अफसर मामले को दबाना चाहते थे अतः सभी ने मुझे समझते हुए कहा - " शाव जी ... आप धीरज रखे ! सब कुछ ठीक हो जायेगा ,चले हम मीटिंग के द्वारा मामले को सुलझा ले ! "..हम सभी लोब्बी में चले गए वही सब अफसरों ने मीटिंग करनी चाही , किन्तु मैंने अस्वीकार कर दिया ! मीटिंग के लिए पुरे ब्यौरा और मेरे सदस्यों की इच्छा जरुरी थी ! मीटिंग शाम को चार बजे मंडल रेलवे मैनेजर के चेंबर में निर्धारित हुयी !मै अपने सामानों को घर भिनजवा कर सीधे सरकारी अस्पताल में चला गया , जहा पार्थिव शारीर को पोस्ट मर्दम के लिए रखा गया था ! सभी पत्रों में यह समाचार छपा और अधिकारिओ के हरासमेंट को ही रेड्डी के मृत्यु का एक मात्र वजह दर्शाया गया ! निर्धारित समय पर हमारी मीटिंग मंडल रेलवे मैनेजर के साथ उनके ही चेंबर में हुयी !उस समय प्रवीण कुमार जी मंडल रेलवे मैनेजर थे ! मीटिंग के दौरान मंडल ऑफिस को पूरी तरह से रेलवे सुरक्षा बल के द्वारा सील कर दिया गया था !भाव -भीनी मीटिंग के दौरान यह निर्णय लिया गया की रेड्डी के
परिवार को पूरी सहायता , एक बेटे को नौकरी और जो भी मेल लोको चालक के बेनिफिट है ,वह दिया जायेगा ! यह प्रस्ताव रेड्डी के पत्नी को बता दिया गया ! वह भी अपने वकील के परामर्श के बाद मान गयी ! इस तरह से रेड्डी के मामला और पूरी बेनिफिट ...केवल तीन महीने के अन्दर पुरे हो गए ! उनके एक पुत्र को तीसरी श्रेणी में नौकरी देकर तिरुपति में पोस्टिंग दिया गया ! पत्नी को नौ हजार के ऊपर मासिक पेंसन और लोको चालक की पूरी लाभ मुहैया कराया गया ! इस घटना के बाद , उस श्री जी . यस .बिनोद राव - मंडल यांत्रिक इंजिनियर ( शक्ति ) को ट्रान्सफर हो गया ! जिसका नाम इस केश से जुड़ा था !
आप लोग सोंच रहे होंगे की इस आकस्मिक दुर्घटना के कारण क्या थे ? किन हालत में इस तरह की घटनाये घटी ! जरुर जानने की जिज्ञासा बढ़ी होगी ! तो लीजिये वह भी उधृत किये देता हूँ-
एक दिन की बात है जब वाई.बी.रेड्डी गाड़ी संख्या -७४२९ हैदराबाद - तिरुपति एक्सप्रेस लेकर गुंतकल से रवाना हुए ! ट्रेन रास्ते में कमलापुरम स्टेशन पर दो मिनट के लिए रुकी ! सहायक लोको चालक को शौचालय जाना जरुरी हो गया ! लोको में किसी तरह के पेशाब या शौचालय के साधन नहीं है ! अतः रेड्डी ने अपने सहायक को आदेश दिया की गार्ड ब्रेक वें में जाकर शौचालय पूरी करो और मै गाड़ी लेकर कडपा तक चलता हूँ ! तुम कडपा में फिर लोको में आ जाओ ! इन्होने गाड़ी स्टार्ट कर दी और कडपा पहुँच गए ! कडपा में पांच मिनट रुकने के बाद , गाड़ी स्टार्ट करने का सिगनल हो गया , पर रेड्डी का सहायक नहीं लौटा ! उनहोने ड्यूटी मास्टर को तुरंत बता दी !मास्टर ने कण्ट्रोल ऑफिस को तुरंत सूचना दे दी ! कंट्रोलर ने बिना सहायक गाड़ी स्टार्ट करने की अनुमति देते हुए एक मेमो मास्टर के द्वारा रेड्डी को भिजवा दिया ! बिना सहायक गाड़ी स्टार्ट करना जुर्म है !रेड्डी ने एक दुसरे माल गाड़ी के सहायक को अपने लोको में बुला लिया और गाड़ी नन्दलुर डेपो तक ले गए ( ताकि गाड़ी को समय से ले जाया जा सके !)जहा पर सहायक लोको चालक भेजा गया ,ताकि वह रेड्डी को तिरुपति तक कर्यनिस्पदन में सहयोग करे ! इस तरह से रायलसीमा एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से करीब आधे घंटे लेट तिरुपति पहुंची !
अब आये देंखे की उनका सहायक श्री श्रीनिवासुलु ने क्या किया ? उस सहायक ने कमलापुरम में गार्ड ब्रेक में न जाकर ,पास के खेत में जाकर शौच करने लगा और गाड़ी स्टार्ट होने पर तुरंत न आ सका ! इस तरह से वह कमलापुरम में ही छुट गया ! इस घटना के बाद वाई.बी.रेड्डी को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया !सस्पेंड के बाद उन्हें एस.यफ -५ दिया गया ! जो बहुत ही खतरनाक चार्ज सीट है ! इस चार्ज सीट के बाद कर्मचारी को डिसमिस /बर्खास्त /अपदस्त /पे में कटौती / बेतन में पूरी तरह से कटौती वगैरह की जा सकती है , जो जाँच अधिकारी के रिपोर्ट और disciplinary ऑफिसर के ऊपर निर्भर करता है ! आज - कल इस तरह के सजाओ से बचने के लिए ..सरकारी संस्थानों में कर्मचारी शाम ,दंड भेद और अर्थ का उपयोग करने से नहीं हिचकते ! इतना ही नहीं ..अगर अधिकारी लोलुप निकला तो उसके दोनों हाथो में लड्डू ! प्रायः आज कल इस चार्ज शीट का इस्तेमाल अधिकारी गण पैसा कमाने के लिए पूरी तरह से करते है ! उनके पास इंसाफ नाम की चीज बहुत कम ही होती है ! बिरले ही कुछ अच्छे अधिकारी मिल जायेंगे , जो अपने पद पर ईमानदारी से कार्यरत हो !आज कल की हालत आप के सामने दिख ही रहे है , जहाँ ऊपर से लेकर निचे तक सभी किसी भी हालत में अमीर बन जाना चाहते है !
तो मामला सलटा नहीं ! जी,यस.विनोद राव ( लोको चालको का अधिकारी )ने रेड्डी को करीब डेढ़ बर्ष तक सस्पेंड में ही रखे ! जब रेड्डी के अवकाश ग्रहण के केवल १६ महीने बच गए ,तब उन्होंने सजा का ऐलान किया ,वह भी पक्ष के सभी पहलुओ को नजर अंदाज करते हुए ! उन्हें सजा मिली -लोको चालक( शंटिंग )की ! यानी पांच ग्रेड निचे अपदस्त ! देंखे कैसे -
लोको चालक मेल / एक्सप्रेस से लोको चालक ( शंटिंग ) अर्थार्त - ०१ )लोको चालक मेल / एक्सप्रेस के निचे ०२ ) सेनियर लोको चालक पैसेंजर के निचे ०३ ) लोको चालक पैसेंजर के निचे ०४ )सिनीयर लोको चालक गुड्स के निचे ०५ ) लोको चालक गुड्स के निचे ०६ ) लोको चालक शंटिंग ! वह भी ट्रांसफर के साथ - गूती डिपो में ,अमानुषिक अत्याचार का नमूना , वह भी १६ महीने के लिए ! यानि अवकास ग्रहण के समय भी सुबिधा लोको चालक शंटिंग के ही मिलेंगे ! बाद में - "मैंने जब , रेड्डी से चार मार्च को मिला था " - का आशय समझ पाया ! उस दिन उन्होंने सच्चाई मुझसे छुपा दी थी ! कल उनके शहादत का दिन है !सोंच कर मन उदास हो जाता है , काश भगवान इस तरह के अधिकारिओ को सद्भुधि कब देंगे ? या जल्दी दें ! जिससे की निरपराध कर्मचारियो को इंसाफ मिल सके ! मैंने रेड्डी को बार - बार कहते सुना था - " की सर कट जायेंगे ,पर झुकूँगा नहीं !" यह बात वे तब कहते थे , जब कई लोको इन्स्पेक्टर उन्हें सुझाव देते थे की जाकर क्षमा मांग लो ! लेकिन उन्होंने ऐसा करना उचित नहीं समझे ! यहाँ तक की वह अधिकारी और स्वर्गीय वाई, बी. रेड्डी दोनों पडोसी थे ! वह अधिकारी SSE ( TXR ) से प्रमोट हुए थे ! उनके दिमाग में लोको चालको के प्रति बिद्वेष भरा पड़ा था ! उस बिद्वेष के शिकार रेड्डी को बनना पड़ा ! आज वह अधिकारी भी अवकाश प्राप्त कर चुके है और उनका घर भी गुंतकल में ही है ! आज उनकी परिस्थितिया देख सभी खिल्ली उड़ाते है ! किसी बच्चो को जॉब नहीं वह भी मुह छुपा कर फिरते है ! हालत अच्छी नहीं है !शायद भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं ! भगवान उन्हें सजा दे रहे है !
इस संसार में स्वर्ग-नरक साथ - साथ चलते है ! हमारे अच्छे कर्म स्वर्ग और बुरे कर्म नरक के सामान है और इसी के अनुसार फलीभूत होते है ! इसी संसार में सभी के सामने भुगतने पड़ते है ! आज मै उनके उसी बंगले में हूँ , जिसे उन्होंने मुझे ग्रहण करने के लिए आग्रह किया था !
स्वर्गीय वाई,बी,रेड्डी कर्मठ और अनुशासन के अनुयायी थे ! किसी को किसी चीज की मदद की जरुरत हो ,और वे जान कर भी मदद न करे ....ऐसा कभी हो ही नहीं सकता था ! उनहोंने रेलवे में कई अवार्ड लिए ! जिसे ऊपर के पत्र को क्लिक करके जाना जा सकता है ! अंत में मै उनके आत्मा की ... शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ !
एक सच्ची श्रद्धांजलि ........
मार्मिक।
ReplyDeleteबहुत मार्मिक प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत मार्मिक..... उन्हें मेरा भी नमन
ReplyDeleteआपने ठीक ही कहा कि स्वर्ग-नरक सब यहीं पर हैं.फिर भी न जाने क्यों आदमी अनदेखा कर देता है और दूसरों को ठेस पहुंचाने से बाज नहीं आता. स्व.वाई.बी.रेड्डी जी को दी गयी आपकी श्रदांजलि वास्तव में आपके दिल की गहराई और सच्चाई से दी गयी श्रदांजलि है.
ReplyDeleteभगवान उन्हें शांति प्रदान करें यही दुआ है हमारी.
सर्वप्रथम तो वाई.बी. रेड्डी सा :की आत्मा की शांति की ईश्वर से प्रार्थना है.
ReplyDeleteआपके द्वारा व्यक्त श्रधान्जली और सद्प्रयासों की सराहना करते हैं.
आपके दिए विवरण अधिकारियों की निष्ठुरता,निर्ममता की कलाई खोलते हैं.
सरू स्मेल्टिंग,मेरठ और होटल मुग़ल ,आगरा से सर्विस में मैं भी अधिकारियों की मनमानी का शिकार हो चूका हूँ बावजूद इसके मैं भी यूनियन का संसथापक सेक्रेटरी था.
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ReplyDeleteG N shaw जी, रेड्डी सा. के बारे में जानकर बहुत दुःख हुआ --ईमानदार इंसान की ईस दुनिया में कब चली है |इसी वाकिए से मुझे अपने मिस्टर के साथ हुई बे -इंसाफी याद आ गई --उनको भी कुछ भ्रष्ट आफिसरो ने मिलकर २ साल तक सस्पेंड रखा वो दिन मै जिन्दगी में कभी भूल नही सकती -मेरे मिस्टर वेस्टर्न रेलवे मै C T I है जब उनका केस हुआ था वो अगस्त -क्रांति राजधानी में कंडक्टर नियुक्त थे |
ReplyDeleteसच्चे इंसान की हमेशा जीत होती हे भले ही समय ज्यादा हो ..
श्री रेड्डी जी को मेरी तरफ से श्रद्धा सुमन----
.
ReplyDeleteरेड्डी जी के साथ घोर अन्याय हुआ है । एक व्यक्ति जिसने अपनी सेवाएं दीं और इतने मेडल जीते , उसकी अच्छाइयों को स्वार्थी लोगों ने इतनी आसानी से भुला दिया । हर किसी की मदद को तत्पर श्री रेड्डी जी को ऐसा सिला मिला ? अत्यंत दुखद एवं खेदजनक है । हमारे देश में सच्चे और इमानदार लोगों की इज्ज़त करने वाले बहुत कम हैं।
श्री रेड्डी जी को श्रद्धांजलि।
.
शा सा :
ReplyDeleteआपका सुझाव आगे से ध्यान रहेगा.
आप के पास समय अभाव है ,आप का जाब ही ऐसा है.टिप्पणी की औपचारिकता आवश्यक नहीं है.हम आपकी सद्भावनाओं से परिचित हैं.
बहुत ही जीविट इंसान थे रेड्डी साहब ... हमारी श्रधांजलि है उनको ...
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