जीवन में नाम का बड़ा ही महत्त्व है ! छोटा हो या बड़ा ..सभी को नाम धारण करना पड़ता है ! यह परिवार का सूचक , खानदान का सूचक , जाति का सूचक , साम्राज्य का सूचक , पार्टी का सूचक , देश का सूचक , मूल का सूचक , समाज का सूचक ..और भी बहुत से चीजो का सूचक होता है ! हमें नाम से बहुत कुछ जानने को मिल जाता है ! यह किसी से छुपी नहीं है ! हर जगह नाम तो बताना ही पड़ता है , बिना नाम के कुछ हासिल होने वाला नहीं ! नाम एक तरह से बहुत ही मददगार है !
बिन बाप का बेटा ...हां जी ...एक गाने की बोल है ! आखिर क्यों ऐसा ? क्योकि नाम नहीं मिला ! इसमे भी दो नाम हो जाते है ..एक सभ्य और सुसंस्कृत तो दूजा असभ्य और बदनाम ! तारीख -बीस -मई - २०११ को याद करें तो हम देखते है की ...एक महिला ने अपने बल और बूते पर ....पहली महिला मुख्य मंत्री के...... उपहार से नवाजी गयी ( सुश्री ममता बेनर्जी ), तो दूसरी तरफ फले - फुले समाज में रहते हुए भी... एक मुख्य मंत्री की बेटी कोणी मणि को जेल की हवा खानी पड़ी ! दोनों में कितना फर्क है ! यह कर्म ही है , जो मनुष्य जाति को अनुपम उपहार ....उसके कर्मानुसार देता है !
भगवान ने हमें वह सब कुछ दिया है , जो हमें अन्य प्राणी -जाति से भिन्न बनाता है ! मनुष्य जाति अतिउत्तम माना जाता है ! उसका सदुपयोग करना और न करना ...ही बिभिन्न फलो का धोत्तक है ! इसमे प्रायः नाम भी बहुत कुछ प्रभाव डालते है ! नाम के शब्दों का असर मनुष्य पर बहुत ही पड़ता है ! इसी लिए प्रायः लोग तरह - तरह के मुहावरे कहते मिल जायेंगे ..जैसे नाम बड़े दर्शन थोड़े ! नाम नयन सुख पर दर्शन थोड़े ! जैसा नाम वैसा काम ! यह तो बिलकुल रावण निकला ! वगैरह - वगैरह ..
अब आये एक सच्ची घटना का जिक्र करे !
मेरे दादा जी ..मेरे बड़े पुत्र ..राम को गोद में लिए हुए !
मेरे बड़े पुत्र का जन्म दिनांक २५ -०५-१९९२ को कलकत्ता के मतियाबुर्ज़ में हुआ था ! १९९३ में मै पुरे परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में गया हुआ था , जो मेरा पुश्तैनी गाँव है ! शायद छठ पूजा में शरीक होना था ! एक दिन की बात है ..सुबह - सुबह मै अपने बेटे राम को गोद में लेकर ..आँगन में पलंग पर बैठा हुआ था ! मेरी पत्नी जी घूँघट निकाले लकड़ी के चूल्हे पर नास्ता तैयार कर रही थी ! उस समय गाँव में गैस नहीं मिलता था ! आज गैस मौजूद है !
मेरे बाबा ( दादाजी ) जो अनपढ़ थे ! सुबह - सुबह खेतो में खाद वगैरह डाल कर घर लौटे थे ! खेती गृहस्थी में माहिर थे ! आंगन में आकर खड़े हो गए ! मेरी पत्नी आशय समझ गयी और बैठने के लिए पीढ़ा ( लकड़ी का बना हुआ ख़ास सामान जो बैठने के लिए इस्तेमाल होता है ) दे दी ! बाबा जी बैठ गए ! मेरी पत्नी ...उन्हें नास्ता परोस दी ! बाबा नास्ते को खाते हुए मुझसे पूछ बैठे ?
" बबुआ का नाम का रखायिल बा ? "
"अभी कुछ ना ...पर अभिषेक राखे के बिचार बा !" मैंने जबाब दिया !
बाबा मुह में कौर लिए हुए ..मंद मंद मुसकुराये ! कुछ नहीं कहें !
तब - तक मेरी पत्नी ने घूँघट से मेरे तरफ इशारा करते हुए ...कहना चाही की आप बाबाजी के राय ले ले ! मै उसके इशारे को समझ गया और बाबा से पूछ बैठा?
" क्या नाम रखा जाय ..? रउवे कही ना !"..बाबा चुप रहे ! कुछ देर बाद बोले !
"भगवान के नाम रखल चाहता ! जो कोई भी पुकारी .. कम से कम एक बार भगवान के नाम ...जरुर ली न ! " बाबा का सुझाव बहुत सुन्दर लगा और जब हमने नामकरण का भोज और महोत्सव मनाया , उसमे बड़े बेटे का नाम बाबा से पूछ कर ही ...राम ..रख दिए !
इतना ही नहीं ..सभी कहते है की मेरा नाम ..गोरख नाथ भी बाबा ने ही रखी थी ! अतः मेरे पुरे परिवार में जो कोई भी है ... सभी का नाम भगवान से सम्बंधित है ! अब देंखे मैंने इससे प्रभावित हो कर अपने ब्लॉग का नाम भी १) बालाजी ( छोटे पुत्र का नाम )..२) राम जी ( बड़े पुत्र का नाम ) और ३) ॐ साई रख दी है ! इसका मकसद साफ है की जो कोई भी इस ब्लॉग पर आयेगा ...भगवान को जरुर एक बार याद करेगा या उसके नाम का रट लगाएगा !! यह एक सुन्दर धर्म और भाव को प्रोत्साहित करेगा ! मन पवित्र होगा , अपवित्र लोग इसे पसंद नहीं करेंगे ! ये जग जाहिर है ! आप भी बताएं ---आप के बिचार क्या है ?
I agree, our name is our identity and it holds vital importance in our lives.
ReplyDeleteसुन्दर सोच, उपयोगी विचार...
ReplyDeletenice post...thanks.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार हैं आपके, किन्तु यहाँ मेरे विचार आपसे कुछ भिन्न हैं | भगवान् का नाम रखना तभी सार्थक होगा जब की उसके कर्म भी सार्थक हों | किन्तु यदि नाम कृष्ण और कर्म कंस के हों तो इसमें बदनामी किसकी होगी ? गाली किसका नाम लेकर दिया जाएगा ? ज़रा ये भी सोचें ....!!!
ReplyDeleteइसी बहाने ईश्वर का स्मरण हो जाये हम सबको।
ReplyDeleteबच्चों का नामकरण करते समय भी बहुजन हिताय की सोच - बहुत सुन्दर और अनुकरणीय उदाहरण!
ReplyDelete@मदन शर्माजी
ReplyDeleteआप की बात भी सही है , किन्तु ऐसे नामकरण करने वाले परिवार बहुत ही संस्कारिक रीति- रिवाज वाले होते है और कंस की हरकत अनजाने और बहुत ही कम प्रतिशत में मिलती है ! इश्वर के नाम... कर्म के पथ को संचालित करने में अग्रिम भूमिका निभाते है ! हम असफल होंगे , यह सोंच पहली नहीं होनी चाहिए !सफल कर्म ,असफलता ला ही नहीं सकती ! सकारात्मक और ऋणात्मक टिपण्णी के लिए बहुत - बहुत धन्यबाद
इश्वर का नाम रखना बहुत ही अच्छा होता है और इस वजह से हम इश्वर को स्मरण कर लेते हैं! जब नामकरण किया जाता है बच्चे का तो उसमें वो सारे गुण भी होते हैं जिससे इश्वर का नाम रखा जाता है! बहुत बढ़िया पोस्ट!
ReplyDeletebujurgo ki soch bahut aage tak hoti hai ...mere pados me ek boodhi dadi apne pote ko ishvar kahti hai...uthate baithte ishvar unke sath hota hai....
ReplyDeleteआप सब को 'राम'का जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारक हो ,वह खूब तरक्की करे यह हमारा उसे आशीर्वाद है.
ReplyDeleteआप का कहना सही है हमें सकारात्मक और सार्थक सोच लेकर चलना चाहिए.
pyare vichar....dhanyawad!! janamdin ki shubkamnayen bhi..........
ReplyDeleteजब हाँ कई बार उन नामों को पुकारते हैं तो वह मन्त्र-शक्ति में परिवर्तित हो जाते हैं !
ReplyDeleteVery nice thoughts!
ReplyDeleteMay god bless him with all the joy and happiness on all the ways of his life.
Happy Birthday to him.
Regards.
बहुत सुंदर विचार.....
ReplyDeleteवाह, आपको शुभकामनायें
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुन्दर सोच, उपयोगी विचार|
ReplyDeleteहाँ घर के बड़े हमारे यहाँ भी ऐसे ही नाम रखना पसंद करते हैं..... मुझे भी यह सोच अच्छी लगती है.... प्रभु स्मरण जिस वजह से भी हो.... अच्छा ही है....
ReplyDeleteराम'का जन्मदिन बहुत-बहुत मुबारक हो
ReplyDeleteसुन्दर और अनुकरणीय उदाहरण!
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteBabuaa Gorakhji , Ram Ram, Ego baat kahiin , hmaro bdkaa ladikaa Mayii mey janam lele rahe , Okaro naam raam ji ha .Kaal O ke 50 va janam din rahe .Tohaaro Ramji ek din Bhagwan Ramji jaisan banii! Shataayu hoyihen Badkaa injiniar hoiiye Desh videsh men naam kamaihe ! Hamhoo baliyaa ke hayin , aashiish - kaka kakii
ReplyDeleteबबुआ गोरख जी , हमहूँ बलिया के हंयीं ! हमरो बडका लरिका मई में जनमल रहे , ओकरो नाम राम जी हा अउर ओकर ५० वा जन्मदिन हम सबे इहाँ पिछला हफ्ता में मनैली हाँ !तोहरा बाबा के असीस से तोहर राम जी भी बडका इंजीनिअर बनी और दुनिया में नाम रोशन करी ! तू दूनो जन के ( दुल्हिन जी और तोहरा के ) बहुत सेक्रिफाईस करे के पड़ी , लरिका बच्चा के आगे आदर्स बने के पड़ी ! बिस्वास बा हमके, की तू कर लेबा ! -काका-काकी (USA)
ReplyDeleteभैया गोरखनाथ जी, हम तो तर गए राम के नाम से ही। अच्छा किया कि ब्लाग के नाम भी देवताओं के नाम पर रख दिए॥ अब तो राम लल्ला ९ बरस के होइ गवा :)
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