मिडिया में खलबली | बारम्बार समाचार चैनलों पर दिखाया जाना की अफजल गुरु को ९ फरवरी २०१३ को सुबह फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया | वाकई आश्चर्य चकित करने वाली समाचार थी | सभी प्रतिक्रियाएं
देश की कानून की जीत को दर्शाती हुयी , आने लगी | या यूँ कहें की दो दिनों की कहानी मानस पटल पर सदैव यादगार बन कर रहेगी | एक तरफ अफजल गुरु को मृत्यदंड , तो दूसरी तरफ दिनांक १० फरवरी २०१३ को रात्रि सात बजे के करीब , इलाहाबाद में होने वाले भगदड़ और मौत का तांडव | एक तरफ उल्लास तो दूसरी तरफ उदासी का माहौल |
किन्तु मैंने कल ( १० फरवरी २०१३ को साढ़े छ बजे के करीब ) इन दो घटनाओ के बीच जो देखा , वह मनुष्य को जीवन और मृत्यु के बारे में सोंचने को मजबूर कर देती है | सभी के लिए जीवन ...जीवन नहीं है | कुछ लोग ऐसे है जो मृत्यु को भी अपने सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर देते है |काश मृत्यु प्राप्त लोगो के अनुभव विश्व में उपलब्ध होते , जब की काल्पनिक अवशेष बहुत मिल जायेंगे | ऐसा यदि होता तो मनुष्य के मृत्यु भी हसीन होते | सभी बड़े - बड़े ग्रन्थ फीके पड़ जाते | हाय जीवन तेरी यही कहानी |
कल हुआ यूँ की , मुझे राजधानी एक्सप्रेस ( १२४३० हजरत निजामुदीन - बंगलुरु एक्सप्रेस ) को लेकर सिकंदराबाद से गुंतकल तक आना था | अतः ड्यूटी में तैनात था | अभी ट्रेन नहीं आई थी | अतः मै और लोको इंस्पेक्टर श्री जय प्रकाश एक नंबर प्लेटफ़ॉर्म पर हैदराबाद एंड में खड़े होकर वार्तालाप में व्यस्त थे | हमने देखा ..कुछ पांच /छ युवक एक युवक को पकड़ कर खिंच रहे है ,( सभी के पीठ पर छोटे - बड़े बैग लटके हुए थे , शायद वे १२५९१ गोरखपुर - बंगलुरु एक्सप्रेस से उतरे थे ) और स्टेशन से बाहर ले जाने का प्रयास कर रहे थे | वह जाने से इनकार कर रहा था | तभी पास से गुजरते आर.पि.ऍफ़ के पास भी गए | मामला कुछ समझ में नहीं आ रहे थे | हमने सोंच शायद आपसी झगडा या चोरी का मामला होगा |
और ये क्या ? पकड़ ढील पड़ते ही वह युवक भाग खड़ा हुआ | एक और युवक अपने बैग को जमीन पर रख उसके पीछे दौड़ा | समय का अंतर बढ़ चला था | भागने वाला युवक पास के इलेक्ट्रिक खम्भे से लगा एक इलेक्ट्रिक ट्रांसफोर्मर के खुले तार को अपने हाथो से पकड़ लिया | देखते ही देखते उसके शरीर में आग लग गयी | वह धडाम से जमीन पर गिर गया | उसके पीछे दौड़ने वाले युवक के पैर जहाँ के तहां रूक गए | लोगो का हुजूम लग गया | किसी को अपने आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था | क्षण में क्या से क्या हो गया था | तुरंत मौके पर जी.आर.पि और आर.पि.ऍफ़ को लोग आ धमके और कानूनी प्रक्रिया तेज हो चली थी | क्या ये आत्महत्या की कोशिश थी , जो देहदाह में बदल चुकी थी ?
राजधानी एक्सप्रेस के दस नंबर प्लेटफोर्म पर आने की सूचना दी जा रही थी | हम दोनों उस प्लेटफोर्म की ओर चल दिए | आज के अखबारों में यह समाचार जरूर छपा होगा |
जीवन अमूल्य है , इसका मजा लें और जीवन से कभी निराश न हो |
कल हुआ यूँ की , मुझे राजधानी एक्सप्रेस ( १२४३० हजरत निजामुदीन - बंगलुरु एक्सप्रेस ) को लेकर सिकंदराबाद से गुंतकल तक आना था | अतः ड्यूटी में तैनात था | अभी ट्रेन नहीं आई थी | अतः मै और लोको इंस्पेक्टर श्री जय प्रकाश एक नंबर प्लेटफ़ॉर्म पर हैदराबाद एंड में खड़े होकर वार्तालाप में व्यस्त थे | हमने देखा ..कुछ पांच /छ युवक एक युवक को पकड़ कर खिंच रहे है ,( सभी के पीठ पर छोटे - बड़े बैग लटके हुए थे , शायद वे १२५९१ गोरखपुर - बंगलुरु एक्सप्रेस से उतरे थे ) और स्टेशन से बाहर ले जाने का प्रयास कर रहे थे | वह जाने से इनकार कर रहा था | तभी पास से गुजरते आर.पि.ऍफ़ के पास भी गए | मामला कुछ समझ में नहीं आ रहे थे | हमने सोंच शायद आपसी झगडा या चोरी का मामला होगा |
और ये क्या ? पकड़ ढील पड़ते ही वह युवक भाग खड़ा हुआ | एक और युवक अपने बैग को जमीन पर रख उसके पीछे दौड़ा | समय का अंतर बढ़ चला था | भागने वाला युवक पास के इलेक्ट्रिक खम्भे से लगा एक इलेक्ट्रिक ट्रांसफोर्मर के खुले तार को अपने हाथो से पकड़ लिया | देखते ही देखते उसके शरीर में आग लग गयी | वह धडाम से जमीन पर गिर गया | उसके पीछे दौड़ने वाले युवक के पैर जहाँ के तहां रूक गए | लोगो का हुजूम लग गया | किसी को अपने आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था | क्षण में क्या से क्या हो गया था | तुरंत मौके पर जी.आर.पि और आर.पि.ऍफ़ को लोग आ धमके और कानूनी प्रक्रिया तेज हो चली थी | क्या ये आत्महत्या की कोशिश थी , जो देहदाह में बदल चुकी थी ?
राजधानी एक्सप्रेस के दस नंबर प्लेटफोर्म पर आने की सूचना दी जा रही थी | हम दोनों उस प्लेटफोर्म की ओर चल दिए | आज के अखबारों में यह समाचार जरूर छपा होगा |
जीवन अमूल्य है , इसका मजा लें और जीवन से कभी निराश न हो |
दुर्भाग्यपूर्ण हादसा..
ReplyDeleteमार्मिक प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार भाई जी -
आकस्मिकता का सजीव विवरण लिए है यह पोस्ट .
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है
ReplyDeleteदुखद ...पर ऐसा भी हो जाता है
ReplyDeleteअकस्मात घटित एक दुखद घटना,,,,कभी२ ऐसा भी हो जाता है,,,
ReplyDeleteRECENT POST... नवगीत,
बहुत ही दुखद घटना ...
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