Monday, February 11, 2013

हाय जीवन तेरी यही कहानी

मिडिया में खलबली | बारम्बार समाचार  चैनलों पर दिखाया  जाना की अफजल गुरु को ९ फरवरी २०१३ को सुबह फांसी के तख्ते  पर लटका दिया गया | वाकई आश्चर्य चकित करने वाली समाचार थी | सभी प्रतिक्रियाएं   
देश की कानून की जीत  को दर्शाती हुयी , आने लगी |  या यूँ  कहें की दो दिनों की कहानी मानस  पटल पर सदैव यादगार बन कर रहेगी | एक तरफ अफजल गुरु को मृत्यदंड , तो दूसरी तरफ दिनांक १० फरवरी २०१३  को रात्रि सात बजे के करीब , इलाहाबाद में होने वाले भगदड़ और मौत का तांडव | एक तरफ उल्लास तो दूसरी तरफ उदासी का माहौल | 

 किन्तु मैंने कल ( १० फरवरी २०१३ को साढ़े छ बजे के करीब )  इन दो घटनाओ के बीच जो देखा , वह मनुष्य को जीवन और मृत्यु के बारे में सोंचने को मजबूर कर देती है | सभी के लिए जीवन ...जीवन नहीं है | कुछ लोग ऐसे है जो मृत्यु को भी अपने सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर कर देते है |काश   मृत्यु प्राप्त लोगो के अनुभव  विश्व में उपलब्ध होते , जब की काल्पनिक अवशेष बहुत मिल जायेंगे |  ऐसा यदि  होता तो मनुष्य के मृत्यु भी हसीन होते | सभी बड़े - बड़े ग्रन्थ फीके पड़ जाते | हाय जीवन तेरी यही कहानी |

कल हुआ यूँ की , मुझे राजधानी एक्सप्रेस ( १२४३०  हजरत निजामुदीन - बंगलुरु एक्सप्रेस ) को  लेकर सिकंदराबाद से गुंतकल तक आना था | अतः ड्यूटी में तैनात था | अभी ट्रेन नहीं आई थी | अतः  मै और लोको इंस्पेक्टर श्री जय प्रकाश एक नंबर प्लेटफ़ॉर्म पर हैदराबाद एंड में खड़े होकर वार्तालाप में व्यस्त थे | हमने देखा ..कुछ पांच /छ युवक एक युवक को पकड़ कर खिंच रहे है  ,( सभी के पीठ पर छोटे - बड़े बैग लटके हुए थे  , शायद वे १२५९१ गोरखपुर - बंगलुरु एक्सप्रेस से उतरे थे ) और स्टेशन से बाहर ले जाने का प्रयास कर रहे थे | वह जाने से इनकार कर रहा था | तभी पास से गुजरते आर.पि.ऍफ़ के पास भी गए | मामला कुछ समझ में नहीं आ रहे  थे | हमने सोंच शायद आपसी झगडा या चोरी का मामला होगा |

और ये क्या ?  पकड़ ढील पड़ते ही वह युवक भाग खड़ा हुआ | एक और युवक अपने बैग को जमीन पर रख उसके पीछे दौड़ा | समय का अंतर बढ़ चला था  | भागने  वाला युवक पास के इलेक्ट्रिक खम्भे से लगा एक इलेक्ट्रिक ट्रांसफोर्मर के खुले तार को अपने हाथो से पकड़ लिया | देखते ही देखते उसके शरीर में आग लग गयी | वह धडाम से जमीन पर गिर गया | उसके पीछे दौड़ने वाले  युवक के पैर जहाँ के तहां रूक गए | लोगो का हुजूम लग गया | किसी को अपने आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था | क्षण में क्या से क्या हो गया था | तुरंत मौके पर जी.आर.पि और आर.पि.ऍफ़ को लोग आ धमके और कानूनी प्रक्रिया तेज हो चली थी | क्या ये आत्महत्या की कोशिश थी , जो  देहदाह में बदल चुकी थी ?

राजधानी एक्सप्रेस  के दस नंबर प्लेटफोर्म पर आने की सूचना दी जा रही थी | हम दोनों उस प्लेटफोर्म की ओर चल दिए | आज के अखबारों में यह समाचार जरूर छपा होगा |

जीवन अमूल्य है , इसका मजा लें  और जीवन से कभी  निराश  न हो |

7 comments:

  1. दुर्भाग्यपूर्ण हादसा..

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  2. मार्मिक प्रस्तुति |
    आभार भाई जी -

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  3. आकस्मिकता का सजीव विवरण लिए है यह पोस्ट .

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  5. दुखद ...पर ऐसा भी हो जाता है

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  6. अकस्मात घटित एक दुखद घटना,,,,कभी२ ऐसा भी हो जाता है,,,

    RECENT POST... नवगीत,

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  7. बहुत ही दुखद घटना ...

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