इस फ्लैश समाचार को देख न चौकें ! इसे देख कुछ यादे ताजी हो गयी ! जो प्रस्तुत कर रहा हूँ ! यह हमारे लोब्बी में टंगा हुआ नोटिश बोर्ड है ! इस पर वही लिखा जाता है , जो अति जरुरी होता है ! इस तरह से प्रमुख घटनाओ की जानकारी , हमें यानि लोको पायलटो को मिलती रहती है ! आज ( २५-०१.२०१२ ) जब मैंने लोब्बी में प्रवेश किया तो इस सूचना को देखा ! इसे आप भी आसानी से पढ़ सकते है ! " मुख्यतः इस बात पर जोर दिया गया है की जब किसी लोको पायलट के ट्रेन के निचे कोई व्यक्ति आकर आत्म हत्या या दुर्घटना ग्रष्ट होता है ,तो लोको पायलटो को इसकी समुचित जानकारी जी.आर.पि /आर.पि.ऍफ़ को तुरंत देनी चाहिए ! अन्यथा शिकार व्यक्ति के परिवार / रिश्तेदार टिकट लाश के ऊपर रख कर मुआवजा की मांग करेंगे !" यह भी एक अजीब सी बात है ! सही है होता होगा !
अब देखिये ना - हम लोको पायलटो को भी अजीब दौर से गुजरना पड़ता है ! बहुतो को कटी हुई लाश देख चक्कर आने लगते है ! बहुत तो देख भी नहीं सकते ! चलती ट्रेन के सामने लोगो का आत्म हत्या वश आ जाना -आज कल जैसे यह स्वाभाविक सा हो गया है ! घर में , परिवार में , पढाई में या यो कहें और कुछ कारण ...बात ..बात में ट्रेन के सामने आकर अपनी जान दे देना ...कहाँ की बहादुरी है ! जीवन जीने की एक कला है ! इसे जीना चाहिए और इसकी खुबसूरत रंगों को इस दुनिया में बिखेरते रहना चाहिए ! अगर दूसरो को कुछ न दें सके तो खैर कोई और बात है .. कम से कम ..अपने लिए तो जीना सीखें !
कुछ सत्य घटनाये प्रस्तुत है -
भाव वश इस तरह के निर्णय कायरपन है ! एक बार की वाकया याद आ गया ! उस समय दोपहर के वक्त थे ! मै उस समय मालगाड़ी का लोको पायलट था ! तारीख याद नहीं ! किन्तु कृष्नापुरम और कडपा के मध्य की घटना है ! मै केवल लोको लेकर कडपा को जा रहा था ! रास्ते में एक नहर पड़ती है ! नहर के उस पार एक गाँव है ! अचानक देखा की , गाँव के बाहर एक बुजुर्ग दम्पति दोनों लाईन के ऊपर आकर सो गए !मंशा साफ है .. कहने की जरुरत नहीं ! चुकी केवल लोको लेकर जा रहा था , इसलिए तुरंत रोकने में परेशानी नहीं हुई ! लोको रुक गया ! हम देखते रह गए , पर वे दोनों नहीं उठे ! मैंने अपने सहायक को कहा की जाकर उन्हें उठाये और समझाये , जिससे वे दोनों इस भयंकर कृति से मुक्त हो जाएँ ! सहायक गया , समझाया ,पर वे उठने के नाम नहीं ले रहे थे ! मुझसे भी देखा न गया ! मैंने अपने लोको को सुरक्षित कर उनके पास गया ! हम दोनों उन्हें पकड़ कर दोनों लाईन से बाहर कर दिए ! उनके हिम्मत को परखने के लिए - मैंने कहा की आप लोग पहले यह सुनिश्चित करे की पहले कौन मरना चाह रह है और वह आकर लाईन पर सो जाये ..मै लोको चला दूंगा ! यह सुन उनके चेहरे उड़ गए और गाँव की तरफ चले गए ! इस घटना के पीछे कौन से कारण होंगे ? सोंचने वाली बात है ! बच्चो से तकरार / बहु बेटियों से तकरार / कर्ज - गुलाम /सामाजिक उलाहना ..वगैरह - वगैरह ! जिस माँ - बाप ने बचपन से अंगुली पकड़ कर ..जवानी की देहली पर पहुँचाया , उसे बुढ़ापे में इस तरह की तिरस्कार का कोप भजन क्यों बनना पड़ता है ? क्या बच्चे माँ - बाप के बोझ को नहीं ढो सकते !
दूसरी घटना -
तारीख -२३ अगस्त २००८ की बात है ! सिकंदराबाद से गुंतकल , गरीब रथ एक्सप्रेस ले कर आ रह था ! मेरे सहायक का नाम श्री के.एन.एम्.राव था ! गार्ड श्री एस.मोहन दास ! शंकरापल्ली स्टेशन के लूप लाईन से पास हो रहे थे ! थोड़ी दूर बाद लेवल क्रोसिंग गेट है ! इस गेट पर ट्राफिक काफी है !समय रात के करीब आठ बजते होंगे ! मैंने ट्रेन की हेड लाईट में देखा की एक व्यक्ति अचानक दौड़ते हुए लाईन पर आकर सो गया है ! उसके सिर लाईन पर और धड ट्रक के बाहर !मैंने तुरंत ट्रेन के आपात ब्रेक लगायी ! ट्रेन रुक गयी और वह बच गया ! जैसा होना चाहिए - सहायक को जा कर देखने और उसे उठाने के लिए कहा ! चुकी गेट नजदीक था अतः गेट मैन भी सजग हो गया और दौड़ते हुए घटना स्थल पर आ गया ! मैंने घटने की पूरी जानकारी स्टेशन मैनेजर को भी वल्कि - तल्की के द्वारा दे दी ! गेट मैन और मेरे सहायक के काफी समझाने के बाद वह व्यक्ति उठ कर जाने लगा ! मैंने गेट मैन को कहा की सावधानी से उसे ले जाये और समझाये ! मेरा सहायक ने जो सूचना मुझे दी वह इस प्रकार है ! उसके आत्महत्या के कारण --उसके ससुर जी थे ! वह अपने ससुराल में आया था ! वह पत्नी को लिवा जाना चाहता था ! पर हठी ससुर के आगे उसकी न चली !
यह भी एक गजब ! अब तक सास के अत्याचार सुने थे , पर ससुर के नहीं ! ससुर के अत्याचार से पीड़ित , उसने यह निर्णय ले लिया था ! वैसे पत्नी से प्यार करता था ! उसने अपने ससुर जी से कहा की अगर आप बिदाई नहीं करोगे , तो ट्रेन के निचे सर रख दूंगा ! ससुर ने कहा जा रख दें ! इसी का यह परिणाम ! यह घटना भी एक मिसाल - पत्निव्रता और ससुर जी का !
आये ज्योति जलाये , पर किसी की बत्ती न बुझायें ! जीवन अनमोल है ! इसकी संरक्षा और सुरक्षा पर ध्यान दें !लोको पायलट की हैसियत से यह जरुर कहूँगा की जब भी मैंने किसी की जान बचायी है , तब एक अजीब सी ख़ुशी महसूस हुई है ! जिसे शब्दों में पिरोना मेरे वश में नहीं ! सबका मालिक एक !
तिरुपति के तिरचानूर --पद्मावती मंदिर के समक्ष ली गयी हम दोनों की तश्वीर -दिनांक २७-०१-२०१२
सुंदर सोच लिए पोस्ट, सहमत हूँ आपसे
ReplyDeleteधन्यवाद मोनिकाजी
Deletesarthak soch. dhanyawad.
ReplyDeleteधन्यवाद jhoshi ji
Deleteसबका मालिक एक!
ReplyDeleteवाह! बहुत अच्छी और सार्थक प्रस्तुति है आपकी.
नेकी करते जाईयेगा.
सुन्दर तस्वीर है,आपकी और भाभी जी की.
आभार.
गुरूजी प्रणाम ! जितना मेरे वश में है , उस क्षमता का उपयोग भलाई में ज्यादा करने की कोशिश मात्र ! वैसे भगवान सब कुछ देखता है ! आप का आभार
Deleteदुर्घटनाएँ मानव जीवन का हिस्सा हैं. इन्हें मानवीय दृष्टिकोण से ही देखना चाहिए. रेलवे स्टाफ़ इन निर्देशों को मान कर मानवता और देश की सेवा करेगा, ऐसी आशा है.
ReplyDeleteसर जी . आप से सहमत हूँ !होनी भी चाहिए !
ReplyDeleteकितना मानसिक दबाव से गुज़ारना पड़ता है काम करने वालों को ... और कितनी बातों का ध्यान भी रखना पढता है ... ये मानवता का काम सार्थक दृष्टिकोण रख के ही संभव है ...
ReplyDeletebilkul sahi kaha, jivan anmol hai usey yun khatm nahin karna chahiye. samvedanheen hote ja rahe hum, rishton ki jagah aham ka sthaan sarvopari, bahut see aatmhatya ki wajah ye bhi hai. railway ke sabhi karmi aapki tarah soche aur sachet rahein to bhi kaiyon ka jivan bach sakta hai. mere blog par aane ke liye dhanyawaad.
ReplyDeleteDr. Jenny ji .Welcome your view and suggestion.THnks.
Deleteबहुत प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteबहुत - बहुत आभार
Deleteमृतकों की सही संख्या बताने से सरकार के गुरेज(हालांकि मीडिया के कारण हालात काफी सुधरे हैं)और मुआवजा देने के मामलों में जो परेशानी लोगों को झेलनी पड़ती है,उसे देखते हुए रिश्तेदारों की करतूत भी पूरी तरह गलत नहीं लगती।
ReplyDeleteसर जी यह सब ज़माने की करतूत है ! जैसी राजा वैसी प्रजा !आभार
ReplyDeleteजब दिल में गहरी चोट पहुचती है,और आगे कोई रास्ता नहीं सूझता तब लोग आत्महत्या जैसा कदम उठाते है
ReplyDeleteलाजबाब प्रस्तुति,
NEW POST.... ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
आभार
Deleteवाह! बहुत बढ़िया! सराहनीय प्रस्तुती!
ReplyDeleteTHanks madam ji
Deleteआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी,लाजबाब सार्थक पोस्ट ..
ReplyDeleteMY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...
बहुत- बहुत आभार
Deleteaesa bhi hota hai ?aaj jan kar aankhen khul gain
ReplyDeleterachana
बहुत- बहुत आभार रचना जी
Deleteदोनों ही घटनाओं में आपकी समझदारी से जानें बचीं। काश समाज में यह समझदारी और जीवन के प्रति आदर की भावना फैले।
ReplyDeleteVery - very thanks sir.
Deletesir
ReplyDeletesamaaj me aaye din aisi ghatnaye ab aam ho gain hain.jaane wale to chale jaate hain par apne peeche chood jaate hain sabke liye museebati ka janjaal.is tarah se jidgi nahi sanwarti hame himmat se kaam lena chahiye ye to jivan ke pahlu hain inse ghabraana kaisa-----
poonam
पूनम जी ..आप ने बिलकुल सही कहा है !हमें इस जीवन के कठिनाईयों से मुख नहीं मोड़ना चाहिए ! ये तो हमारे पथ को और प्रसस्थ करते है ! आभार
DeleteYou really make it seem so easy with your presentation but I find this
ReplyDeletetopic to be actually something which I think I would never understand.
It seems too complicated and very broad for me.
I'm looking forward for your next post, I'll try to get the hang of it!
My homepage ... nice theme
AAPKA SOCH ATI UTTAM HAI. PATA NAHI AWEGBAS AADMI ANDHA HO JAATA HAI AVANG BLUNDER MISTAKE KAR DETA HAI
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