देश के महान विचारक एवं दार्शनिक स्वामी विवेकानंद ने कहा था - " कि अपने जीवन में सत्यता हेतु जोखिम उठाना चाहिए ! अगर आप कि विजय होती है , तो आप अन्य लोगो का नेतृत्व करेंगे ! अगर आप पराजित होते है , तो अन्य लोगो को अपना अनुभव बता कर साहसी बनायेंगे !"
एक बुजुर्ग प्लास्टिक के कचरे / बोतल बीनते हुए !
उपरोक्त व्यक्ति को चित्र में देखें -
इस तस्वीर को मैंने लोको से ली थी ! उस समय जब देश में अन्ना हजारे का आन्दोलन तेज था ! लोकपाल के लिए मन्नत और विन्नत दोनों जोरो पर थे ! सत्यवादी ईमानदार- समर्थक और लोलुप /लालची /बेईमान इस आन्दोलन से कन्नी काट रहे थे ! काट रहे है ! जैसे लोकपाल उनके आमदनी और बेईमानी पर कालिख पोत देगी !
किन्तु इस तस्वीर को देखने से हमें बहुत कुछ जानकारी मिल जाती है !
क्या यह बुजुर्ग मेहनती नहीं है ? क्या यह कोई चोर लगता है ? क्या यह स्वार्थी है ? क्या पेट पालने के लिए , नाजायज तौर तरीके अपना रहा है ? क्या यह समाज का सेवा नहीं कर रहा है ? क्या इस तरह के लोगो कि दुर्दशा - समाज के लिए कलंक नहीं है ? क्या उत्थान कि दुन्दुभी पीटने वाली सरकारे --ऐसे लोगो के लिए कुछ नहीं कर सकती ? और भी बहुत कुछ , पर यह बृद्ध व्यक्ति निस्वार्थ ,दूसरो कि गन्दगी साफ करते हुए , जीने की राह पर अग्रसर है !
जीने के लिए तो बस --रोटी , कपड़ा और मकान ही ज्यादा है ! फिर इससे ज्यादा बटोरने की होड़ क्यों ? हमारे देश के लोकतंत्र में अमीर ...और अमीर ..तो गरीब ..और गरीब होते जा रहा है ! देश का लोक तंत्र बराबरी का अधिकार देता है , फिर धन और दौलत में क्यों नहीं ? क्यों १% लोगो के पास अरबो की सम्पति है ? और ९९% जनता - रोटी / कपड़ा/ मकान के लिए तरसती फिरती है ! इसे लोक तंत्र की सबसे बुरी खामिया कह सकते है !
लोगो के समूह से परिवार , परिवार से घर , घर से समाज ,समाज से गाँव , गाँव से शहर , शहर से और आगे बहुत कुछ बनता जा रहा है ! परिवार को ही ले लें एक ही घर में पति और पत्नी नौकरी करते मिल जायेंगे ! एक ही परिवार में कईयों के पास नौकरी के खजाने भरे मिलेंगे ! वही पड़ोस में एक परिवार बिलबिलाते हुए दिन गुजार रहे होंगे ! आखिर क्यों ?
क्या सरकार ऐसा कोई बिधेयक नहीं ला सकती , जिसके द्वारा--
१) एक परिवार( पति - पत्नी और संताने दो ) में एक व्यक्ति को ही नौकरी मिले !
२) नौकरी वाले पति / पत्नी , में कोई एक ही नौकरी करे !
३) सरकार - सरकारी कर्मचारियों में लोलुप व्यवहार और आदत को रोकने के लिए - कुछ मूल भुत सुबिधाओ को मुहैया करने के लिए कदम उठाये , जिससे उनकी भ्रष्ट आदतों/ अपराधो पर लगाम लगे जैसे-नौकरी लगते ही ---
अ) घर की गारंटी !
बी)बच्चो की शिक्षा की गारंटी !
क)बिजली , पानी और गैस की सुबिधा !
डी) मृत्यु तक स्वास्थ्य और सुरक्षा की गारंटी ! वगैरह - वगैरह
४) धन रखने की सीमा निर्धारित हो ! जिससे की उससे ज्यादा कोई भी धन न रख सके !
५) सभी लेन- देन इलेक्ट्रोनिक कार्ड से हो !
६)बैंको में कैश की भुगतान न हो !
७)किसी भी चीज को बेचने या खरीदने का दर सरकार ही निर्धारित करें और उसके कैश भुगतान न हो केवल इलेक्ट्रोनिक भुगतान लागू हो !
उपरोक्त कुछ सुझाव मेरे अपने है ! टिपण्णी के द्वारा -आप इसे जोड़ या घटा सकते है ! संभवतः इस प्रक्रिया से कुछ हद तक गरीबी दूर की जा सकती है ! भ्रष्टाचार दूर की जा सकती है !अपराध में कमी आ सकती है ! कुछ - कुछ होता है ! पर बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा ?
आज कल भ्रष्ट का ही बोल बाला है ! भ्रष्टाचार बढ़ और फल फूल रहा है ! इसके भी कारण स्वार्थ ही है ! स्वार्थ जो न कराये ! हम अमीर है ! हमारा देश सोने की चिड़िया है ! इसीलिए तो एक डालर के लिए ५०.३५ रुपये( आज का भाव ) देते है ! गरीब देश थोड़े ही देगा ! फिर भी ..अंधेर नगरी चौपट राजा और दीप तले अँधेरा !
Sarkaar aur uske tantr se jude hajaaron log aisa hone nahi denge .... baaki ye kaary karna itna mushkil nahi ...
ReplyDeleteहद तक सही बात है !पर कुछ देशो में इस तरह के कुछ प्रावधान है , जिससे वह के लोगो में बेरोजगारी और निर्धनता नहीं है !
Deleteये सारी बातें विचारणीय हैं... और बहुत कुछ बदल सकती हैं, पर सरकार के अपने स्वार्थ भी हैं |
ReplyDeleteस्वार्थी सरकार या राजतंत्र का बिगाड़ा रूप ही लोकतंत्र है ,इसमे सभी अपने - अपने क्षेत्र में आगे मिलेंगे चाहे चोर हो या सिपाही !धन्यवाद
DeleteSomnath jane ke rout ki jankari mujhe nahin hai..... :(
ReplyDeleteमोनिका जी आप गुजरात के सीमावर्ती राज्य से ताल्लुक रखती है अतः कोई जानकारी हो इसी लिये जानकारी चाही थी !धन्यवाद
Deleteडाक्टर साहब ..रविवार को मै शोलापुर गया था अतः चर्चा मंच पर न जा सका ! आज जा कर आता हूँ ..अभी इसीवक्त...धन्यवाद
ReplyDeleteBHAI SHAW JI ......NISHCHAY HI APKI SAMVEDNAYEN RASHTR KE NIHIT HAIN YATHARTH PARAK CHINTAN KE BAHUT HI PRERNADAYEE POST HAI ......BAHUT BAHUT ABHAR ....APKE BLOG TK AANA MERE LIYE ADHIK SARTHAK RAHA .
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.
Deleteअंधेर नगरी अंधेर राजा ,टेक सेर भाजी टेक सेर खाजा ,
ReplyDeleteसमाज और अर्थ व्यवस्था आज के हालात के लिए दोषी .एक समाज के रूप में भी हम लगभग मृत प्राय :ही हैं .आस पड़ोस की किसी को चिंता नहीं घर में घर के प्राणी भी निरीह मिल जायेंगे .रिश्ते बे मानी ,बिन पानी .
भाई साहब ...धन्यवाद ! यदि मेरे लिखे जैसा हो जाये तो देश कैसा होगा ?
ReplyDeleteहमारे सिस्टम का नाम ही भ्रष्टाचार है. कोई इसे बदलना नहीं चाहता, राजनीतिज्ञ तो बिल्कुल नहीं.
ReplyDeleteसर जी बिलकुल सही ! धन्यवाद
Deleteनैतिक मूल्यों में गिरावट कि वजह से इंसान स्वार्थ में अंधा हो गया है। जिन्हे आपके अनुसार सारी सुविधायें प्राप्त हैं सामान्यतः वही सबसे ज्यादा
ReplyDeleteभ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
निशा जी .....बुद्धिजीवी ही दुसरे को नचाते है !बाकि तो बस दर्शक और ताली बजाने वाले ! आप मेरे ब्लॉग पर आयीं .. बहुत - बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
एक ब्लॉग सबका '
धन्यवाद
Deleteक्यों १% लोगो के पास अरबो की सम्पति है ? और ९९% जनता - रोटी / कपड़ा/ मकान के लिए तरसती फिरती है ! इसे लोक तंत्र की सबसे बुरी खामिया कह सकते है !
ReplyDeleteआपने एकदम सत्य लिखा है.लेकिन समस्या यह है कि राजनेताओं को ही कानून बनाना है और लोकपाल जैसे कानून उनके लिए पैर पर कुल्हाड़ी मारने या कुल्हाड़ी पर पैर मारने जैसा है जिससे वे बच रहे हैं....
आपने जिस विधेयक की कल्पना की है वह तो फिलहाल दूर की कौड़ी ही लगती है.
इसे प्रचार करें तो वह दिन दूर नहीं जब यह स्वप्न पूरी हो जाएगी ! बहुत - बहुत आभार !
Deleteबिलकुल सही कहा आपने ,
ReplyDeleteकिसी घर में एक को भी नौकरी नहीं और किसी घर में आने वाली संतानों को भी नौकरी पहले मिल जाती है.... खैर........
इलाही वो भी दिन होगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा.
अलका जी प्रणाम ! बहुत सुन्दर ! आप का आभार
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteधन्यवाद उर्मी जी !
Deleteबहुत ही उम्दा पोस्ट है देश की समस्याओं से रूबरू करवाती हुई ...
ReplyDeleteगौ माता के लिए कुछ करने कदृष्टि से एक मंच का निर्माण हुआ
आप भी सादर आमंत्रित है.....पधारियेगा....
गौ वंश रक्षा मंच
gauvanshrakshamanch.blogspot.com
अवंती जी बहुत - बहुत शुक्रिया !आप के ब्लॉग पर आऊंगा !
Deleteजाति,धर्म,संप्रदाय से हट कर जब तक मतदान नहीं करेंगे और धनवानों की पूजा-सत्कार बंद नहीं करेंगे कुछ भी बदलाव न कर सकेंगे। राजनीतिज्ञों को कोसना कायरों का काम है। ब्यूरोक्रेट्स ही भ्रष्टाचार के जनक-पोषक और संरक्षक हैं। ब्यूरोक्रेट्स/IAS की पत्नियाँ ही अधिकांश NGOs चलाती हैं जो काली कमाई के ही स्त्रोत हैं और इन्हीं एन जी ओज के ही सरगना हैं-अन्ना/रामदेव आदि सर्वाधिक भ्रष्ट लोगों के संरक्षक। ढोंग-पाखंड रहित जीवन-पद्धति को अपनाएं सभी संकटों का समाधान स्वतः हो जाएगा।
ReplyDeleteधन्यवाद गुरूजी और प्रणाम ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपके कई सुझाव बहुत अच्छे हैं खासकर एलेक्ट्रॉनिक भुगतान की बात विशेषकर पसन्द आयी।
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