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Thursday, April 14, 2016

सर्प दंश

सर्प सर्प और सर्प । ये सुनते ही देह में सिहरन आ जाती है । कोई भी ऐसा शख्स नहीं होगा जो सर्प से न डरता हो । कोई भी इंसान सर्प के सामने नहीं आना चाहता । वजह साफ है की इसके डंस से सभी भयभीत हो जाते है । तो फिर क्या सर्प डंस ने मारे तो क्या करे ? यही तो उसके हथियार है जिसके सहारे वह अपनी रक्षा करता है । सर्प के पास कोई हाथ तो होती नहीं । ये कई किस्म के होते है । जहरीले से लेकर प्यारे । शायद ही मनुष्य को सभी किस्मों की जानकारी हो । सर्प का निवास सभी जगह है । चाहे पानी या जमीन हो या पेड़ पौधे या घर द्वार । जमीन या पेड़ या घरो में रहने वाले सर्प बहुत ही नुकसान देह होते  है । 

वैसे तो सर्प  के बारे में पूरी दुनिया में कई किस्से मशहूर है   किताबो से ज्यादा चलचित्र में । नाग और नागिन पर आधारित चलचित्र मनोरंजन के प्रमुख साधन है । चलचित्र में नाग या नागिन द्वारा अपने दुश्मन से बदला लेने की कला सबको चकित कर देती है । मन में ये दृश्य ऐसे समा जाते है जैसे सच में  भी यह संभव है । चलचित्र की कहानिया सही हो या न हो पर  वास्तविक जीवन में कुछ घटनाये गहरी दर्द दे जाती है । कुछ घटनाये ऐसी होती है जिन्हें याद करते ही शारीर में सिहरन दौड़ जाती है । मैं खुद और मेरे परिवार के लोग कई बार सर्प से सामना कर चुके है ।  यहाँ तक की एक बहुत ही पुराना सर्प मेरे घर में वर्षो से निवास कर रहा था और इसकी भनक किसी को नहीं । भगवान की दया है की कोई नुकशान नहीं झेलने पड़े ।

एक बार तो एक सर्प दो बार मेरे पैर से दब गया जब मैं आधी रात को बाथ रूम में गया था । इसकी जब अहसास हुई तब तक सर्प गायब हो चूका था । घर के अंदर सर्प का गायब होना कई संदेह उत्तपन्न किया । हो न हो वह कही छुप गया है या कोई गृह देव हो जैसी  भ्रांतिया भी मन में घर करने लगी थी । लेकिन घर के अंदर की छुप ज्यादा दिनों तक नही टिकती है एक न एक दिन बाहर आ ही गयी । हुआ यूँ की सर्प महाशय एक सप्ताह बाद फिर बाहर निकले । पत्नी की नजर पड़ गयी क्यों की सर्प महाशय किचन से निकले । शाम को सात बज रहे होंगे । हो हल्ला मचा । तभी पत्नी जी ने देखा की वह किवाड़ के पास के एक छिद्र में घुस रहा है । छिद्र इतना बडा था कि देखते ही देखते वह सर्प पूरा अंदर चला गया । अब कुछ करना मुमकिन नहीं था । पत्नी जी को एक उपाय सूझी । घर में ही बालू और सीमेंट था । उन्होंने तुरंत घोल बनायीं और उस छिद्र को भर दिया । आज तक वह छिद्र बंद है । सर्प कहाँ गया किसी को नहीं पता ।

सर्प का बार बार घर के पास निकलना खतरे से खाली नहीं होता । बहुतो को कहते सुना गया है की जहाँ सर्प होते है वहाँ सुख शांति और धन की कुबेर होते है । ये कहाँ तक शुभ है कह नहीं सकता । ये सब भ्रांतिया हो सकती है । पर ये सत्य है की हमारे घर में और घर के आस पास सर्प निकलते ही रहते है । आज तक हमें कोई इससे असुविधा नहीं हुई और न ही किसी प्रकार की कमी । सब ऊपर वाले की महिमा है । उसी ने सभी को बनाया है और वही सभी को समय पर बुला लेगा । इसमे कोई संदेह नहीं होनी चाहिए । ऐसा ही कुछ उस दिन भी हुआ था ।


सभी की आँखों में पानी ही पानी । औरतो का बुरा हाल था । शायद औरते दुःख को जल्द अनुभव करती है । पुरुष भी संवेदनशील होते है पर वे प्रकट नहीं होने देते । मेरी दूर की भतीजी थी भारती । वह पुरे परिवार के साथ मथुरा में रहती थी । उस समय वह सात या आठ वर्ष की होगी । घर के पिछवाड़े एक पुराने गवर्नमेंट ऑफिस का खँडहर था । उसके बगल में लाइब्रेरी । एक दिन की बात है । अपने मम्मी के साथ वह कपडे धोने के लिए बाहर नल पर गयी । कुछ समय बाद घर में बाल्टी के साथ वापस लौटी । घर में अँधेरा था । करंट भी नहीं थी । अचानक उसके पैर किसी मोटे चीज पर पड़ गयी । उसने उसे लकड़ी समझकर बिना देखे ही पैर से दूर धकेल दी । अरे यह तो एक लंबा सर्प था । सर्प गुस्से में भारती के  पैर में डंक मार दिया और फुर्ती से बाहर निकल गया ।

भारती  की नजर  उस सर्प पर  पड़ी । वह चिल्लाते हुए मम्मी के पास गयी और अपने पैर  को दिखाते हुए बोली - मुझे सर्प ने डस लिया है माँ । माँ तो माँ ही होती है । तुरंत अपनी बेटी को गोद में बैठा ली और पैर की मुआयना की । यह सच था । पैर में सर्प के डंस के निशान थे खून बह रहे थे । देखते ही देखते भारती के होस् शिथिल पड़ने लगे । शोर गुल सुन आस पास के लोग भी एकत्रित हो गए । जिसको जो सुझा सभी ने प्रयत्न जारी रखा । धीरे धीरे भारती बेहोश हो गयी । और वह भी क्षण आये जब एक माँ को सब कुछ लुटते हुए दिखाई दिया । सभी प्रयत्न असफल रहे और भारती मृत घोषित कर दी गयी । पुरे परिवार को गम ने अपने आगोस में ले लिया था । भारती के पिता के आँखों की अश्रु रुकने का नाम नहीं ले रही थी । भारती अपने माँ बाप की एकलौती वेटी और एक गुड़िया जैसी सबकी प्यारी थी ।

कहते है लाख बैरी क्यों न हो जाये पर जिसे वह नहीं मार सकता उसे कोई कैसे मारे । अब अर्थी के अंतिम संस्कर की बारी थी । कहते है कुँवारे को आग में नहीं जलाते । अतः दो ही विकल्प थे मिटटी में दफ़न या नदी में विसर्जन । विसर्जन पर ही सबकी सहमति बनी । सभी लोग अर्थी विसर्जन के लिए अर्थी को लेकर  यमुना नदी की ओर चल दिए । रास्ते में एक अनजान व्यक्ति मिला और पूछा - किसकी अर्थी है ? किसी ने पूरी बात बता दी । सर्प डंस की जानकारी मिलते ही उस व्यक्ति ने अर्थी को रोक लिए और कहा अर्थी को निचे रखें । सभी ने उसकी बात मान ली डूबते को तिनके का सहारा । उस व्यक्ति ने कड़ी मेहनत की घंटो तक । क्या  किया , इसे उजागर नहीं करना ही उचित है । और किसी ने भी नहीं की थी । कुछ घंटो बाद भारती के शरीर में हलचल हुए , पैर , हाथ और आँखों की पलक खुलने  लगे । सभी के होठो पर मुस्कान और आँखों में खुसी के आंसू निकल आये । अदभुद नजारा था मथुरा नागरी में । जहाँ कभी  कृष्ण की बंसी गूँजा करती थी । कालिया नाग अत्याचार किया करता था । फिर क्या था भारती उठ कर बैठ गयी और वह व्यक्ति अपने रास्ते चला गया । उसने कोई आता पाता नहीं बताई ।

जी हाँ । मुझे मालूम है आप विश्वास नहीं करेंगे । न करे । अपनी अपनी मर्जी । इतना तो सत्य है जिन खोजा तिन पाईया । आज भारती शादी सुदा है और दो बच्चों की माँ । उसे सर्प से बहुत डर लगता है किन्तु मृत्यु से नहीं इसीलिए तो वह बार बार कहती है जिंदगी दो दिनों की है जिलो शान से । मृत्यु किसी ने नहीं देखी । किन्तु वह तो मृत्यु से वापस आई है । वह जीवन को ख़ुशी से जीने में ही विश्वास करती है ।
जीवन जीने के लिए है । मृत्यु तो मरने नहीं देती ।