पहली लाइन में बाएं-श्री नन्द किशोर जी,instructo
दिनांक २७-११-२०१० को मै जोनल रेलवे ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में रेफ्रेशेर कोर्स के लिए गया था और परीक्षा दे रहा था.उस समय उत्तर-पुस्तिका के पुरे पन्ने ख़त्म हो गए .मैंने अपने पर्यवेक्षक से अलग से पेज पूछा.पर्यवेक्षक यानि श्री नंदकिशोर जी थे (ऑपरेटिंग बिषय के इन्सत्रोक्टोर थे ),बिसमित से हो गए और मेरे पास आकर -मेरे उत्तर-पुस्तिका को उलट-पलट कर देखने लगे.और बोले-"क्या लिख रहे हो जी ?ज्यादा लिखोगे तो नंबर नहीं मिलेगा.कल्लिंग आन सिग्नल के लिए दो पेज ........वाह.. इतना तो रुल बुक में भी नहीं है."
मै अनुतरित सा,आवाक रह गया. कुछ नहीं बोला.उनहोने एक्स्ट्रा पेपर ,मुझे दिया.पर मै चाह कर भी लिख नहीं सका. .उत्तर अधुरा छोड़, उत्तर-पुस्तिका जमा दे एक्साम हॉल से बाहर निकल गया.
यह घटना आई और गई. किन्तु आज पुनह: तरोताजा हो गई.जब मैंने कौन बनेगा करोड़ पति ,पर थोड़े शब्दों और वाक्यों में राहत की शराहना का पोस्ट लिखा.इस थोड़े वाक्यों का प्रभाव ऐसा हुआ की ,इस पोस्ट पर तीन सुयोग्य महापुरुष ,डाक्टरों की प्रतिक्रिया मिली.वे है --
०१) सुश्री डाक्टर मोनिका शर्मा जी
०२)श्री डाक्टर श्याम गुप्त जी और
०३)श्री डाक्टर जे.पि. तिवारी जी .
केवल इतनी सी वाक्य पर तीन डाक्टरों के आगमन किसी शुभ लगन के सूचक लगा क्यों की मै कोई पेशेवर लेखक नहीं हूँ.मन में जो आया और समय मिला ,तो लिख दिया पर सच्ची बातो को ही.मुझे ऐसा लगा जैसे कोई तीन मूर्ति "बालाजी "के पोस्ट पर बिराजमान हें.-जैसे ब्रह्मा ,बिष्णु और महेश. इन तीनो बिभुतियो को मेरा नमन है.आज मै समझ गया की कम बोलना और कमलिखना कितना सार्थक है.श्री नन्द किशोर जी की भी याद तरोताजा हो गई. गुरु तो गुरु ही होता है.
यही वजह है की रहीम ,कबीर ,रसखान ,तुलसीदास वगैरह-वगैरह कविओ ने छोटे-छोटे दोहे का इस्तेमाल कर गागर में सागर भरने की भरपूर कोशिश की और अमर हो गए.मै समझता हूँ की ज्यादा लिखने और अलंकृत शब्दों के इस्तेमाल से ,लेख भब्य और आकर्षित हो जाते है , पढ़ने वाले का उपुक्त ध्यान खीचने में सफल किन्तु प्रायोगिक नहीं होते.
(कोई जरुरी नहीं की पाठक सभी पोस्ट पर पढ़ने के बाद प्रतिक्रिया दे,क्यों की कुछ बाते उन्हें अनुतरित कर देती है.अगले कुछ दिनों में इस माह की आप-बीती नम्बर ०४ पोस्ट करूँगा.Mobile use in pregnancy tied to ill behaved kids?-read in OMSAI.)
यह ब्लॉग मेरे निजी अनुभवों जो सत्य और वास्तविक घटना पर निर्भर करता है - पर आधारित है ! वह जीवन - जीवन ही क्या जिसकी कोई कहानी न हो! जीवन एक सवाल से कम नहीं ! सवाल का जबाब देना और परिणाम प्राप्त करना ही इस जीवन के रहस्य है !! सवाल की हेरा-फेरी या नक़ल उचित नहीं!इससवाल के जबाब स्वयं ढूढ़ने पड़ेगे!THIS BLOG IS PURELY DEDICATED TO LABORIOUS,CORRUPTION-LESS ,PUNCTUAL AND DISCIPLINED LOCO PILOTS OF INDIAN RAILWAYS ( please note --this blog is in " HINDI ")
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शीर्षक ..कम लिखो।
ReplyDeleteटिप्पणी की चिंता छोड़ काम करते रहें। काम अच्छा होगा,तो देर-सवेर कमोबेश टिप्पणियां भी प्राप्त होंगी।
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