सुना हूँ -भगवान शंकर सृष्टी के संघारक है.एक बार यमदूत ने उनके समक्ष हाथ जोड़ कर कहा-भगवान मै आप के आज्ञा का पालन कैसे करू,क्यों की जिस को भी मृतु लोक में लेकर आता हूँ,उसके पास पढ़ोस वाले , मुझे ही कोसते और गाली देते है,आप कोई उपाय करे जिससे ऐसा न हो.
भगवान शंकर को यमदूत की बाते सही लगी. और उनहोने कहा- जाओ अब ऐसा नहीं होगा.फिर क्या था आज के युग में किसी के मृतु के बाद कोई यह नहीं कहता की फ़लामृतु को सिधार गए.जब की प्रायः लोग कहते है इन्हें सुगर था,बी,पि, था, या एक्सिडेंट की वजह से मर गए.
जी हा आए एक सत्य घटना को देखे.---------
दिनांक १०-०४-२००० की बात है.मै रात को ०१.३० बजे ड्यूटी में लगा उस दिन मुझे रायलसीमा एक्सप्रेस (७४२९,जो हैदराबाद से तिरुपती को जाती है.)को लेकर गुंतकल से तिरुपती जाना था.मेरा सहायक लोको चालक.श्री के,वेंकतेसुलू और गार्ड स्वर्गीय.बी.ऐ.सुब्रमण्यम थे.गाड़ी चार्ज लेते समय मैंने महसूस किया की मेरे लोको का कैब लाइट बहुत मध्हिम था.जो मेरे हिसाब से किसी अपशगुन के धोत्तक लगा.खैर यात्रा शुरू हुई.
तिरुपति पहुँचाने के डेढ़ घंटे पूरब ही हम एक दुर्घटना के शिकार हो गए.हुआ यूँ की एक ऑटो रिक्शा ,जिसका नंबर-ऐ.पि.औ.४.टी.६४९३था.,वह एक unmanned gate के ऊपर पास करना चाहा .ऑटोचालक को यह ध्यान न रहा की कोई ट्रेन भी सामने आ रही है और वह हमारे लगातार सीटी को भी न सुन सका..वह घबडा गया और ऑटो को दोनों पटरी के बिच में छोड़ कर भाग गया.मैंने आकस्मिक ब्रेक का उपयोग किया पर भरपूर दुरी न होने की वजह से,ट्रेन ऑटो से जा टकराई.ऑटो लोको के दोनों buffer में जा फंसा.करीब ५० मीटर की दुरी पर ट्रेन रुका गई.ऑटो बुरी तरह से टूट गया.
यह दुर्घटना हस्तावरम और राजमपेता स्टेशन के बिच में हुई.उस समय सुबह के ०७.५३ बज रहे थे. राजमपेता स्टेशन सामने ही दिखाई दे रहा था.पूरी पब्लिक मौके पर जुट गई.पब्लिक और हमने मील कर ऑटो को लोको से अलग किया.उस समय हमने देखा की एक बुजुर्ग करीब ६०-६५ बर्ष के होंगे ,ऑटो में ही पीछे की सीट पर दुबके पड़े है.हमने तुरन्त जाँच की और पाया की उस बुजुर्ग का देहांत हो चूका था.पर कही भी किसी चोट के निशान नहीं थे.उस बुजुर्ग के पाकेट में syndicate बैंक का पास बुक नंबर-१२४५ था .ऑटो में ऑटो चालक का लाइसेंस वगैरह भी था ,जिसे हमने जब्त का लिया और राजमपेट स्टेशन पर आने के बाद ,ड्यूटी में उपस्थित स्टेशन मैनेजर को मृत बॉडी के साथ , सौप दी.
लोको का cattle गार्ड बुरी तरह से टूट गया था.जिसे रिपैर कर हम अपनी यात्रा पर आगे बढ़ें.तारीख -१३-०४-२००० को नन्दलुर में इसकी एन्कुँरी चली,और ऑटो रिक्शा वाले पर ,रेलवे क्षेत्र में अनधिकृत रूप से प्रवेश का इल्जाम लगा.इस मामले में एक बार मुझे कोर्ट भी जाना पड़ा.
ट्रेन रेल बौंड साधन है,जिसे जब चाहे घुमाया या मोड़ा नहीं जा सकता.अत : दुसरे रोड वाहन धारी को चाहिए की रेल लाइन पार करते समय ,अगल-बगल,जरुर देंखे और यह सुनिश्चित करने के बाद ही लाइन क्रास करे,की कोई ट्रेन न आ रही है.भगवान उस बुजुर्ग की आत्मा को शांति दे.कुछ घटनाये ऐसे घटित हो जाती है ,जिन्हें हम चाह कर भी सुरक्षा नहीं दे पाते.आप हमे सहयोग दे,हम आप को सुरक्षित,आप के मंजिल तक ले जाने के लिए हर हालत में तैयार है.
( अगला पोस्ट क्या स्वप्न भी सच्चे होते है -कुछ दिनों में)
यह ब्लॉग मेरे निजी अनुभवों जो सत्य और वास्तविक घटना पर निर्भर करता है - पर आधारित है ! वह जीवन - जीवन ही क्या जिसकी कोई कहानी न हो! जीवन एक सवाल से कम नहीं ! सवाल का जबाब देना और परिणाम प्राप्त करना ही इस जीवन के रहस्य है !! सवाल की हेरा-फेरी या नक़ल उचित नहीं!इससवाल के जबाब स्वयं ढूढ़ने पड़ेगे!THIS BLOG IS PURELY DEDICATED TO LABORIOUS,CORRUPTION-LESS ,PUNCTUAL AND DISCIPLINED LOCO PILOTS OF INDIAN RAILWAYS ( please note --this blog is in " HINDI ")
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