Monday, December 20, 2010

क्या स्वपन भी सच्चे होते है ?..03

       कल यानि तारीख -१०-१२-२०१०,को अच्छी   निद्रा में था .घर में सबसे पहले मेरी पत्नी ही सुबह सो कर उठ गई थी.मोबाइल ने अपनी आवाज जोरो से निकाली नॉर्मली मेरे मोबाइल को कोई दूसरा नहीं अत्तेंद  करता.चुकी मै गहरी निद्रा में था इसलिए मेरी पत्नी ने फ़ोन उठाया ,और कुछ बाते करने के बाद ,मेरे बिस्तर  कीओर  मुड़ी,मै भी सतर्क हो गया था.
     लो जी. ज्योति का फ़ोन आया है -फ़ोन मुझे देकर    पत्नी रसोईघर  की तरफ  चली  गई.
    फ़ोन लोब्बी का था .मैंने सोए-सोए ही बाते की -कहा गया की २१६४ एक्सप्रेस लेकर रेनिगुनता को जाना है.मेरा लिंक नहीं था.अतः मै कुछ समय बाद जबाब देने की हामी भर कर,फिर करवट ले ली.किन्तु अब नींद कहाँ आने वाली थी.न चाह कर भी उठ बैठा क्योकि साढ़े आठ बज चुके थे.अब  तक सोना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं.वैसे रात तीन बजे ही ,गरीब रथ लेकर आने के बाद सोया था.
       उठा और सीधे आँख मलते हुए सोफे  पर आ बैठ. बगल में पड़े न्यूज़ पेपर पर ध्यान  गया,तब-तक पत्नी चाय लेकर हाजिर हो गई थी .वह मेरे बगल में ही आ बैठी और नौकरानी के बारे  में बोलना शुरू कर दी-आज कल अच्छी नौकरानी कहाँ मिलती  है.मिलने पर मुह बाये पैसे पूंछती है.मैंने कहा-"तन्खवाह जो बढ़ गई है." फिर बात को बढ़ाना उचित न समझ,मैंने बिषय बदल दिया और कह-आज मैंने स्वपन में मम्मी को देखा है.वह कह रही थी की तुम बच्चो को लेकर जहाँ सोई हो,वहा चारो तरफ सांप निकलते है..पत्नी ने हामी केसाथ स्वास लिए क्यों की मै जब कुछ देखता हु,कुछ न कुछ होता है.
       फिर मैंने बात बढाई और कहा- लगता है पत्र या कोई समाचार आने वाला है.चुकी टी.वि.आन  था,अतः सभी का ध्यान  सुबह के रशिफालो  पर केन्द्रित हो गया.साढ़े दस बजे सुबह मै तैयार हो कर ड्यूटी में चला गया.साढ़े ग्यारह बजे २१६४ सुपर फास्ट ट्रेन गुंतकल से रवाना हुई और पांच बजे शाम को हम रेनिगुनता  पहुंचे.रेस्ट रूम में जाने के बाद ,पत्नी को फ़ोन लगाया और पूछा कोई समाचार या पत्र वगैरह आया है क्या.?चुकी स्वप्न की बात याद आ गई थी.
      उसने कहा की मै इस समय बाजार में हूँ और कोई भी तर-तरकारी चालीस रुपये किलो से कम नहीं है.वैसे  आज कोई सर-समाचार नहीं मिला है.हाँ बड़ा बेटा राम जी सिकंदेराबाद जाने को कहा रहा है..मैंने कहा-ठीक है,
    रात को मै अपने a /c रूम में ,अपने पलंग  के ऊपर बैठ कर फायर मैगज़ीन को पढ़ रहा था.समय का कुछ अंदाजा ही न रहा. रात के ग्यारह बजने वाले थे.अब  सोना चाहिए .तभी फोन  की रिंग  बजनी  शुरू..हो गई.देख तो पाया मेरे बड़े बेटे का फ़ोन था.फ़ोन रेसिव किया .बेटे ने जो सूचना दी वह चौकाने वाली थी.
      हुआ यह की -वह जिस ट्रेन से सिकंदेराबाद जा रहा था,उस ट्रेन का लोको रन में अपने -आप ट्रेन से अलग हो गया था और ट्रेन अँधेरे में अगले कार्यवाही के इंतजार में खड़ी थी.लोको का कपलर टूट गया था.उसे बदलना जरुरी था.अतः यह जिम्मेदारी लोको चालक की थी और वह इस काम को पूरा करने में व्यस्त थे.मैंने उन लोको चालको से संपर्क करना चाहा,पर बेटे ने सुझाव दिया की वे लोग प्रयत्नशील है,अभी बात करना  उचित नहीं होगा.फिर  भी मैंने कहला  दिया की कोई सुझाव जरुरी हो तो मुझसे संपर्क करे. ट्रेन के लोको चालको ने काफी प्रयत्न करके सामने का कपलर लाकर पीछे लगाया और करीब ४५मिनट ट्रेन रुकने के बाद,फिर रवाना हुई.
   अतः यहाँ भी मैंने सुबह जो सोंचा था की किसी तरह की सूचना या पत्र आने वाला है,वह २४ घंटे के भीतर ही प्राप्त हो गया.फिर मेरा शिर  उस भगवान को नतमस्तक के लिए झुक गया, .जिसने मुझे प्री-आभास दिलाई.

1 comment:

  1. कहते हैं कि समय विशेष में देखा गया स्वप्न साकार होता भी है।

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