ये है मोहित अग्रवाल की जुड़वा बेटियाँ !
आज कुछ न लिख कर , अपनी एक पसंदीदा पोस्ट , जो तारीख १०-११-२०१० को पोस्ट किया था , को फिर से एक बार आप के सामने हाजिर कर रहा हूँ ! उस समय मै इस ब्लॉग जगत में बिलकुल नया था ! साथ ही हिंदी पोस्ट करने की पद्धति से भी अनभिग्य ! पाठक भी कम थे ! अतः ज्यादा लोगो तक नहीं पहुँच सका ! मेरी हिंदी भी शुद्ध नहीं थी ! दक्षिण भारतीय लफ्जो में लिखी गयी थी ! आज मेरी हिंदी कुछ - कुछ सुधर सी गयी लगती है ! इसका भी एक मात्र कारण - यह ब्लॉग जगत ही है ! आज उस पोस्ट को कुछ सुधार कर पेस्ट कर रहा हूँ ! उस समय मैंने इसे -"आप-बीती----०३. नवम्बर माह." के शीर्षक से पोस्ट किया था !
दुनिया में जो कुछ भी हमारे नजरो के सामने है ,उसमे कुछ न कुछ है.यही कुछ एक छुपी हुई सच्चाई है अथवा सब मिथ्या ! यानी मानो तो देव , नहीं तो पत्थर ! मैंने बहुत से व्यक्तियों को तरह -तरह के तर्क देते और आलोचना करते देखा है ,यह आलोचना मौखिक और लिखित दोनों रूप में मिल जायेगी ! बहुत से लोग इस दुनिया के मूल भूत इकाई पर ,भरोसा ही नहीं करते! हमारी उपस्थिति ही किसी अनजान सच्चाई की ओर इंगित करती है !.और हम सब किसी के हाथ के गुलाम है .जो हमे पूरी तरह से बन्दर की भाक्ति नचाता है.!
मै दुनिया के हर सृष्टी में किसी के सजीव रूप को प्रत्यक्ष देखता हूँ !. उसके इशारे बिना ,एक पत्ता भी नहीं हील सकता ! . "जाको राखे साईया ,मार सके न कोय." यह वाक्य जब कही गयी होगी उस समय कुछ तो जरुर हुआ होगा या जिसने यह पहला उच्चारण किया होगा , उसने कुछ न कुछ अनुभव जरुर किया होगा ! , इसी कड़ी को सार गत आगे बढाते हुए ,इस माह के आप-बीती के कड़ी में एक सच्ची घटना प्रस्तुत कर रहा हूँ.!
बात उन दिनों की है ,जब मै सवारी गाड़ी के लोको चालक के रूप में पदोन्नति लेकर पाकाला डेपो में पदस्थ था.पाकाला आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पड़ता है.यहाँ से तिरुपति महज ४२ किलोमीटर है! यह घटना तारीख १५.०२.१९९९ की है! दिन सोमवार था.और मै २४८ सवारी ट्रेन को लेकर ,धर्मावरम ( यहाँ से सत्य साईं बाबा के आश्रम यानी प्रशांति निलयम ,जो अनंतपुर जिले में पड़ता है, को जाया जा सकता है ) से , अपने मुख्यालय पाकाला की तरफ आ रहा था.! दोपहर की वेला और ट्रेन बिना किसी समस्या के ...समय से चल रही थी ! होनी को कौन टाल सकता है! एक ह्रदय बिदारक घटना घटी ! जिसे मै जीवन में भूल नहीं पाता हूँ ! यह घटना मुझे हमेशा याद आती रहती है.! इसी लिए २०११ वर्ष में भी एक बार फिर आप के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ !
हुआ यह की जब मेरी ट्रेन मदन पल्ली स्टेशन के होम सिगनल के करीब पहुँचने वाली थी,तभी एक नौजवान औरत करीब २२-२३ बरस की होगी ,अपने गोद में करीब एक बरस की बच्ची को लिए हुए थी ,अचानक पटरी के बीच में आकर खड़ी हो गई.! .मेरी गाड़ी की गति करीब ५०-६० के बीच थी ! मैंने जैसे ही उसे देखा आपातकालीन ब्रेक लगा दी ! गाड़ी तो रुकी पर उस महिला को समेट ले गई.! मै अनायास इस एक पाप का भागी बन गया ! नया - नया और जीवन में पहली आत्महत्या देखी थी ! हक्का - बक्का सा हो गया ! समझ में नहीं आया की अब क्या करू !.खैर ट्रेन रुक गई.मैंने अपने ट्रेन गार्ड को अचानक ट्रेन के रुकने की सूचना दे दी और कहा की पीछे जाकर उस महिला के मृत शरीर की मुआयना करें , देंखे की क्या हम कुछ कर सकते है जैसे की फर्स्ट ऐड वगैरह यदि वह जीवीत हो ! मैंने अपने सहायक लोको पायलट श्री टी.एम्.रेड्डी को जाकर देखने को कहा !.मेरे ट्रेन गार्ड श्री रामचंद्र जी थे !.कुछ समय के बाद मेरा सहायक चालक मुझे जो खबर ,वाल्की -तालकी के माध्यम से दी , वह चौकाने वाली थी!
सूचना----
१) उस महिला की - सीर में चोट की वजह से मौत हो चुकी थी.और पटरी के किनारे उसकी मृत प्राय शारीर पड़ी हुई थी ! .सीर से खून के फब्बारे लगातार रिस रहे थे !
२)दूर कंकड़-पत्थर के ऊपर उसकी छोटी बच्ची निश्चेत पड़ी हुई थी !
अब समस्या थी उनके मृत अस्थि को उठा कर ट्रेन में लोड करने की ! . मैंने ट्रेन गार्ड और अपने सहायक को कहा की दोनों के अस्थियो को ---उठा कर गार्ड ब्रेकभैन में लोड कर लिया जाए ! उन्होंने ऐसा ही किया.! महिला के अस्थि को कुछ यात्रियों की मदद से ब्रेक में लोड कर दिया गया ! जब मेरा सहायक उस छोटी सी बच्ची को, जो पत्थर पर मृतप्राय पड़ी थी ,को उठाना चाहा , तो वह बच्ची तुरंत रो पड़ी और डरी-डरी सी कांपने लगी.थी ! यह देख हमें आश्चर्य का ठीकाना न रहा क्यों की जिस बच्ची को हमने गेंद की तरह उप्पर उछलते देखा था , वह बिलकुल ज़िंदा थी ! यह विचित्र दृश्य देख ,सभी ट्रेन यात्री ,हक्का-बक्का सा हो गए ! जिस चोट से उसकी माँ की मृत्यु हो गयी थी,उसी गंभीर चोट के बावजूद वह जिन्दा थी ! वाह ..क्या कुदरत की कमाल है.,इस दृश्य को जिन्हों ने देखा,वे जहा भी होंगे लोगो में चर्चा जरुर करते होंगे ! भाई वाह इस उप्पर वाले के खेल निराले !.हमने ट्रेन को चालू किया और मदन पल्ली रेलवे स्टेशन पर आ गये !उस बच्ची को थोड़ी सी चोट लगी थी ,इस लिए रेलवे डॉक्टर को तुरंत बुलाया गया ! मदनपल्ली में रेलवे स्वास्थ्य केंद्र है ! बाक़ी जरुरी प्रक्रिया करने के बाद ,मृत महिला और उसके जीवीत बेटी को ड्यूटी पर तैनात स्टेशन मेनेजर को सौप दिया गया ,ताकि आस-पास के गाँव में ,सूचना फैलने के बाद,उचित परिवार को उनकी बॉडी सौपी जा सके ! फिर हमने अपनी आगे की सफ़र जारी रखी !
मै शाम को ५ बजे पाकाला पहुंचा और सारी घटना - अपनी पत्नी को बताई ! मेरी पत्नी ने जो कहा वह वाकई नमन के योग्य है ! मेरी पत्नी ने कहा की - " उस बच्ची को घर लाना था हम पाल-पोस लेते थे ! " मै अपने पत्नी की इच्छा को सुन कर कुछ समय के लिए दंग रह गया और मन ही मन अपने पत्नी और उस दुनिया को बनाने वाले को नमन किया ! मेरे आँखों में आंसू आ गए ! क्यों की हमें कोई प्यारी सी लड़की नहीं है ! मै सिर्फ इतना ही कह सका की ठीक है - अगले ट्रिप पर जाने के समय उस स्टेशन पर पता करूँगा ,अगर कोई न ले गया होगा तो उस बच्ची को अपने घर ले आऊंगा !
सोंचता हूँ आज मेरे पास वह सब कुछ है जो इस आधुनिक ज़माने में लोग इच्छा रखते है ! दो सुनहले सुपुत्र भी है एक राम जी तो दूजा बालाजी ,पर बेटी नहीं है ! शायद इसकी इच्छा भगवान ने पूरी नहीं करनी चाही ! फिर भी सोंचते है , चलो दो बेटियाँ बहु बन कर तो आ ही जायेंगी !
दूसरी बार ,जब मै मदनपल्ली गया तो उस बच्ची के बारे में पता किया ! वह महिला पास के गाँव की रहने वाली थी ! उसके माता-पिता ,आकर उसके शव और बच्ची को ले गए थे! सोंचता हूँ,आज वह बच्ची करीब १३ बर्ष की हो ही गयी है ! उससे मिलने और उसे देखने की इच्छा आज भी है ,लेकिन उसका पता मालूम नहीं !.कई बार मदन पल्ली के स्टेशन मेनेजर से संपर्क बनाया पर उस समय ड्यूटी पर रहने वाले मास्टर के सिवा इस घटना की जानकारी किसी और को नहीं है !
लोग इस तरह आत्महत्या क्यों करते है ? .क्या इस कार्य से वे संतुष्ट हो जाते है ? क्या घरेलु झगड़े का इस तरह निदान ठीक है ? मनुष्य को श्रद्धा और सब्र से काम लेना चाहिए ! सोंचता हूँ इस घटना के पीछे भी कोई घरेलु कारण ही होंगे !.हमें जीवन को इतना कमजोर नहीं समझना चाहिए ! जरुरत है अच्छे कर्मो में लिप्त होने की ! आखिर क्यों ? उस छोटी बच्ची का बाल न बांका हुआ और उसकी माँ को मृतु लोक मिला ! कुछ तो है !
उस बच्ची को घर लाना था हम पाल-पोस लेते थे !
ReplyDeleteचलो दो बेटियाँ बहु बन कर तो आ ही जायेंगी !
सुन्दर ||
बधाई ||
जीवन से कोई न हारे,
ReplyDeleteसबके सब हों प्यारे।
शीर्षक के मुताबिक घटना का सटीक वर्णन किया है।
ReplyDeleteअपने-अपने करमानुसार सबको फल मिलते हैं। जो-जो अवशिष्ट रह जाता है-अच्छा और बुरा दोनों उनका फल ही आगामी जीवन का भागी होता है। उस मृत महिला का कर्म-फल चूक चुका होगा इसलिए मृत्यु हुयी और उसकी बच्ची का कर्मफल शेष होने के कारण वह जीवित रही।
ज्योतिष के अनुसार मंगल प्रबल होने के कारण इतना दुस्साहस किया होगा। वैसे आत्म-हत्या करना कायरता का प्रतीक है। संयम एवं धैर्य का आभाव ही इसका प्रेरक बना होगा।
मान्यवर यह धारणा बिलकुल गलत है कि परमात्मा की मर्जी के बगैर 'पत्ता भी नहीं हिलता'। यदि इसे मानते हैं तो अपराधी अपराध भी परमात्मा की मर्जी से कर रहा है उसे दंड न देकर परमात्मा की मर्जी पर छोडना चाहिए। कोर्ट और पुलिस की तब क्या जरूरत है?
व्यक्ति संसार मे कर्म करने मे स्वतंत्र है और फल भोगने मे परतंत्र। व्यक्ति अच्छा या बुरा जैसा कर्म करेगा परमात्मा वैसा ही फल देगा।
क्रोध और अवसाद की स्थिति में सोचने समझने की बुद्धि लुप्त हो जाती है.आपका वर्णन बहुत मार्मिक,हृदयस्पर्शी और भावुक करने वाला है.
ReplyDeleteअनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
Aapki Sunder Soch ka pratibimb hai yeh post.....
ReplyDeleteओह काफी दुखदाई घटना है| सच में इस प्रकार आत्म हत्या कर लेने से कभी किसी समस्या हल नहीं हो सकता, केवल समस्या से पीछा चुदाय जा सकता है|
ReplyDeleteअपने जीवन के इन क्षणों से अवगत करवाने के लिए आभार...
चमत्कार और आपकी सहृदयता ,सकारात्मक सोच दोनों को नमन जीवन की सुन्दर सार्थक व्याख्या करती एक विज्ञ पोस्ट ....http://sb.samwaad.com/
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/ http://veerubhai1947.blogspot.com/
आत्म-हत्या से बढ़कर कोई गुनाह और दूसरे की जान बचाने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है .आपका सौभाग्य कि आप पुण्य के भागी बने !
ReplyDeleteSad incidence ! You are of a very helping nature indeed .
ReplyDeleteआत्म हत्या तो किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता है . वह बच्ची बच गई तो संतोष हुआ . सच है जाको राखे साईया मार सके न कोय
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_06.html शुक्रिया भाई साहब .
ReplyDeleteये तो समस्या से भागने की प्रवृत्ति है | जिन परिस्थियों मे लोग आत्महत्या करते हैं , उनमें जी कर समस्या को हल करने में ही बुद्धिमानी और बहादुरी दोंनो है |
ReplyDeleteशुक्रिया भाई साहब .तशरीफ़ लाने का .http://veerubhai1947.blogspot.com/
ReplyDeleteशुक्रवार, ५ अगस्त २०११
निंदक नियरे राखिये ,आँगन कुटी छवाय ,
बिन पानी साबुन बिना ,निर्मल होत सुभाय .
पानी से पानी मिले ,मिले कीच से कीच ,
अच्छों को अच्छे मिलें ,मिले नीच को नीच .
काफी दुखदाई घटना है
ReplyDeleteभाई साहब आप की जीवन से जुडी पोस्टों ,संवेदन शील रपटों रिपोर्ताज का हम भी इंतज़ार करने लगें हैं ,वीरुभाई कृपया यहाँ भी पधारें .Super food :Beetroots are known to enhance physical strength,say cheers to Beet root juice.Experts suggests that consuming this humble juice could help people enjoy a more active life .(Source: Bombay Times ,Variety).
ReplyDeletehttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_07.html
ताउम्र एक्टिव लाइफ के लिए बलसंवर्धक चुकंदर .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
Erectile dysfunction? Try losing weight Health
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
ReplyDeleteएस .एन. शुक्ल
आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
ReplyDeleteपर ये दोस्त आपका पुराना है,
इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है
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/▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
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!!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!
फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
मित्रता एक वरदान
शुभकामनायें
आपका वर्णन बहुत हृदयस्पर्शी है....अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
ReplyDeleteफ्रेंडशिप डे ' की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ ... !
सुन्दर सोच के साथ आपने बड़े ही खूबसूरती से हर शब्द लिखा है ! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteमित्रता दिवस पर आपको हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
बेहद दर्दनाक ....
ReplyDeleteमेरे सामने भी एक ऐसी ही घटना घाट चुकी है ....
आपकी पोस्ट से वो याद ताजा हो आई ....
दो बेटियाँ और माता पिता ...
पहले बेटियों को जहर पिलाया फिर खुद पी लिया ....
उफ़ ....
एक नन्हीं जान ने तो दम तोड़ दिया बाकी तीनों बच गए ..
उस वक़्त मेरा भी मन किया था एक बची बेटी को गोद ले लूँ ....
पूछने पर पता चला काफी कर्ज था उनपर ....
शायद ऐसा लोग डिप्रेशन में करते हैं ....
जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय ....
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक पोस्ट है। किसी भुक्तभोगी की परिस्थिति और मनःस्थिति के बारे कुछ भी जान पाना सम्भव नहीं लगता लेकिन फिर भी आत्महत्या के साथ एक और जीव की हत्या? "क्यों" का प्रश्न तो मन में आता ही है। बच्ची से मिलने की आपकी इच्छा समझ आती है - जाकर देखने के बाद शायद इस घटना से सम्बन्धित कुछ और बातें समझ आयें।
ReplyDeleteआत्महत्या क्यों?
Sach kaha sir ji,,,
ReplyDeletebachchi se milane ki apki bhawna ko samjh gaye.
aur bhabhi ji ki bat sun kar ankhe bhar gai...
kash har aurat beti se itna pyar karti to o duniya me ane se pahle hi na mari jati.
Abhar.