आज - कल आम की मौसम है ! जहा देखो , वही आम की बहार है ! तरह - तरह के आम देखनो को मिल रहे है ! शुरू में ..मैंने आम को चार सौ रुपये किलो तक देखा ! अजब के आम !आम को फलो का राजा कहा गया है ! वह भी वाजिब और सार्थक विशेषण ! कभी - कभी मन में संदेह उत्पन्न होते है ..आखिर आम को फलो का राजा क्यों कहा गया ? क्यों कहा जाता है ? सोंचता हूँ - निम्न लिखित बिशेषता रही होगी -
१).आम का सब कुछ उपयोगी है ! जड़ से फल और मृत्यु भी !२). आम के पत्ते बिना पूजा शुभ नहीं !३).शुभ कार्यो में या यज्ञ ही क्यों न हो,इसकी लकड़ी बहुत ही उपयोगी समझी जाती है !४).वसंत की आगमन और इसके बौरो / मोजर को देख ..सभी के दिल खिल उठते है !५).छोटे टीकोधो का लगना , और मन का ललचाना किसी से नहीं रुकता !६).कच्चे आमो के आचार और खटाई तैयार ...विशेष रूप से मनभावन ! ७). तरह - तरह के मनभावन जूस और ८).आम के आम , गुठलियों के दाम ...क्या कहना !
कौन है जिसके मन में लार / पानी न भर आये ! किसी को आम खाते देख , देखने वाले की नजर अपने को कंट्रोल नहीं कर पाती ! जीभ चटकारे मारने लगती है ! जन्म से मृत्यु तक ..आम उपयोगी सिद्ध ! भला फलो का राजा क्यों न हो ? बिलकुल सत्य ...दुश्मन हो या दोस्त ..सभी इसके ऊपर मेहरबान ! यह भी बिना किसी भेद - भाव के सबके आगोश में ...प्यार के नगमे गाने में व्यस्त ! तरह - तरह के आम ...जितने देश उतने भेष ! दूर से खुशबू बिखेरना और अपने सुनहले ..लाल- पीले रंग को दिखा सभी को ललचाना ...वाह क्या कहने ! बनो तो आम नहीं तो कुछ नहीं ! सबका प्यारा / दुलारा !कोई भी दुश्मन नहीं ...जहां देखो वही प्यार ही प्यार !
आयें ..... अब एक सत्य घटना की जिक्र करते है , जिसके रूप को समझ पाना ..आज तक मेरे लिए पहेली बनी हुई है ! कहते है एक बार ..एक पिता अपने छोटे पुत्र के साथ बागीचे से जा रहा था ! वह एक आम के पेड़ के नजदीक से गुजरा ! आम तोड़ने की इच्छा हुई , किन्तु वह पेड़ उसका नहीं था ! अतः अपने पुत्र से कहा कि- तुम नीचे खड़े होकर सावधान रहो और मै पेड़ पर चढ़ कर आम तोड़ता हूँ ! अगर कोई इधर आये तो ताली बजा देना ! पुत्र ने हामी भर दी ! पिता पेड़ पर चढ़ गया ! वह कुछ आम तोड़ने ही वाला था कि पुत्र ने ताली बजा दी ! पिता तुरंत पेड़ से नीचे उतर आया ! देखा.. कोई नहीं दिखाई दिया ! पुत्र से पूछ - " तुमने ताली क्यों बजाई ? कोई नजर नहीं आ रहा है ?" पुत्र न विनम्र भाव से कहा -" पिता जी इंसान तो नहीं , पर भगवान सब कुछ देख रहे है !" पुत्र कि बात सुन कर पिता को असलियत और पुत्र के ईमानदारी का आभास हुआ ! उसने पुत्र को भावुक हो ,गले से लगा लिया और कहा वेटा ..तुम ठीक कह रहे हो ..हमारी हर कार्य को भगवान देख रहा है ! हमें छुप कर चोरी नहीं करनी चाहिए !
ये तो रही सुनी - सुनाई कहानी ! एक बार कि बात है ! आज से करीब चालीस / बयालिस वर्ष पहले की ! मै कोलकाता से गाँव गया हुआ था ! मई या जून का ही महीना ! उस समय गाँव में प्रायः घरो में शौचालय नहीं हुआ करते थे ! महिला हो या पुरुष सभी को गाँव के बाहर जाने पड़ते थे ! सभी इसे ही स्वास्थ्य वर्धक मानते थे ! धीरे - धीरे सभ्यता और रहन - सहन बदलने लगे और आज गाँव तथा घरो में भी शौचालय बन गए है !
दोपहर का समय ..कड़ी धुप और दुपहरी की उमस ! मुझे शौच लगा ! अतः गमछा सर पर रख ..गाँव के बाहर तालाब और बागीचे की तरफ दौड़ा ! दोपहर का समय .. बिलकुल .सुनसान ! शौच होने के बाद ..एक आम के पेड़ के नीचे आकर बैठ गया ! उस समय मेरी उम्र सात या आठ वर्ष की रही होगी ! बगल में ही डेरा था ! आम के पेड़ को देखा ! काफी आम लटक रहे थे ! पत्थर भी नहीं मार सकता ! मारने जो नहीं आते थे ! बच्चे का मन ..सोंचा .आंधी आये तो अच्छा होता !आम अपने - आप गीर पड़ेंगे और मै उन्हें बटोर लूंगा ! फिर क्या था ! मेरा सोंचना और जोर की आंधी आई ! आम टूट - टूट कर गिरने लगे ! मैंने उन्हें अपने अंगोछे में बटोर लिए ! आंधी ज्यादा देर तक नहीं चली ! मै घर आया और देखा मेरे दादा जी घर पर आ गए थे ! उनसे मैंने सारी बातें बतायी ! मेरी बात सुन कर वे हंस पड़े और बोले - " कहीं .. आंधी नहीं आई थी ! झूठ बोल रहे हो ! किसी ने तोड़ कर दिए होंगे " मैंने आंधी कि बात दुहराई , पर घर में किसी ने मेरी बात नहीं मानी !
जी हाँ ..उस समय छोटा था .अतः आंधी नहीं आई थी की बात समझ नहीं पाया ! लेकिन आज - जब सोंचता हूँ (उस उपरोक्त कहानी के माध्यम से ), तो यही लगता है कि किसी ने मेरी बात सुन ली थी ! वह भगवान थे या शैतान ! यह आज तक नहीं समझ पाया ! तो क्या कोई हमारी बातो को तुरंत भी सुन लेता है ? यह संशय आज भी बनी हुई है ! आखिर वह घटना कैसे घटी ?
( चित्र साभार -गूगल )
आम और आम के वृक्ष के गुण समेटे सुंदर पोस्ट...... सुंदर संस्मरण ...शायद सच में कोई सुन रहा था ...
ReplyDeleteअभी भी लगता है कि भगवान देखता और सुनता है।
ReplyDelete@तो क्या कोई हमारी बातो को तुरंत भी सुन लेता है ? यह संशय आज भी बनी हुई है ! आखिर वह घटना कैसे घटी ?
ReplyDeleteयक़ीनन मेरे जीवन में ऐसे बहुत क्षण आये हैं जब हर सोची हुई बात लगातार होती चली गयी - इसका उलट भी हुआ है। सब कुछ समय को पहचानने पर निर्भर करता है।
आम मुझे बेहद पसंद है! आपने बहुत सुन्दरता से आम के वृक्ष के गुण का वर्णन किया है ! बहुत सुन्दर संस्मरण!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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बहुत अच्छा संस्मरण .. पर इस बात का पता लगाना मुश्किल है की वो कौन था ..भगवान या शैतान ....अब आप देखिए कैसी भावना थी ...
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeleteaapkie ke saath jo ghatna ghatit hui vah yo hi nahi thi.kahte hain ki kabhi -kabhi hamaaari jubaan par sarswti maa virajmaan rahti hain
aur kabhi man ki baat sachche dil se ki gai ho to tamanna jarur hi puri hoti hai .
yah baat mere saath aksar hi ghatit hoti hai .
main jab kisi baat ko ek baar man me laati hun fir dubaara vah baat bilkul hi man me nahi aai tab vahi baat sakar roop lekar samne aati hai .aur tab mere mukh se yahi niklta hai
ki are! meri baat sahi thi
bahut hi behatreen prastuti ke liye hardik badhai
sadar naman ke saath
poonam
मैंने ये अक्सर महसूस किया है की मेरी बातों को कोई सुनता रहता है । इच्छा करने के साथ ही अक्सर पूरा होते भी पाया है , इसलिए अब बहुत सोच समझकर ही किसी इच्छा को मन में स्थान देती हूँ।
ReplyDeleteरस भरा लेख.....
ReplyDeleteवास्तव में रसीले आम का नाम लेते ही मुंह में पानी आ जाता है ...
आखिर है भी तो फलों का राजा .......रसाल
कहते हैं ना कि प्रभू सदा सरल ह्रदय के साथ रहते हैं। खास कर बच्चों के।
ReplyDeleteअलग अंदाज मे लिखा लेख.. बहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह, इस बार तो बहुत ही अलग लिखा है आपने,
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आम के मौसम में कुछ ख़ास लिखा है !
ReplyDelete"आम" के यशो गान में भाई साहब आप कोंग्रेस के "आम आदमी" को तो भूल ही गए .और यह भी "यह रास्ता आम नहीं है ".हाँ कोई कुछ हैं कहीं जो सुनता है .बा -शर्ते बात मन से कही हो निकली हो .निर्दोष हो .
ReplyDeleteआप को हिंदी में लिखता देख मन प्रसन्न हुआ.
ReplyDeleteवाकई संस्मरण बहुत अच्छा लिखा है
बहुत अच्छा संस्मरण|
ReplyDeleteआम पर केंद्रित खास पोस्ट.
ReplyDeleteआपके अनुभव की विस्वसनीयता से सहमत हूँ.
"गोरखजी" तथा 'जील" जी
ReplyDeleteसुन रहा है 'वो" हरिक बात तुम्हारी गोरख
दिल की आवाज़ में बोलो "वो" चला आएगा
ये जरूरी नहीं कि "जील" पुकारे उसको
वो बिन बुलाये हि तिरे पास चला आयेगा
थाम कर हाथ तुम्हारा तुम्हे चलायेगा
और फिर देखना हर काम सँवर जायेगा
प्रियजन , अपना विश्वास बनाये रखो और
राम-काम ( DUTY ) में लगे रहो !
"भोला"
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वह देखता भी है ,सुनता भी है और इच्छा भी पूरी करता है.
ReplyDeleteकोई माने या न माने पर उसके भक्त को यह अनुभव जरूर होता है.
सच्ची भक्ति प्रत्यक्ष अनुभव कराती जाती है.