Friday, April 1, 2011

कभी - कभी --०३..महाप्रबधक

दाहिने  तरफ  एक    लोको  के  अन्दर  का  दृश्य , देंखे  उस  लोको   पायलट    की सीट  को जिसपर  वह आठ -नौ  घंटे लगातार  बैठ  कर  ट्रेन को  चलाते  हुए  आप  को ...आप  के  मंजिल  तक  सुरक्षित   पहुंचाता   है!  उस  सीट  के  पीछे  कोई  बैक  रेस्ट  नहीं  है  ! साधारण   सा सीट !  माल गाड़ी  में तो  कुछ हद तक ....संभव  है ..पर  मेल  और एक्सप्रेस के क्या कहने , जब  ट्रेन दौड़ती ही रहती है !आज - कल बहुत  सालो  के  बाद ..सीटो   में कुछ सुधार शुरू  हो  रहा  है ! वह  भी अधिकारिओ  की मानसिकता में बदलाव तथा हमारे ऐल्र्सा  के मांग  के  बाद ! इसके पीछेअधिकारिओ  का  मानना  था   की    बैक  रेस्ट देने  से  लोको पायलट ..ट्रेन  चलाते  समय   सो  जायेंगे !    इस वजह से प्रायः सभी   लोको   पायलट  बैक पेन से पीड़ित है , मै भी हूँ ! समय - समय   पर   दवा   लेनी ही पड़ती है ! योगा भी  करनी पड़ती है ! धुल , धुएं तो साधारण ही है !लोको की वनावट स्वास्थ्य बर्धक तो नहीं ही है !
                 छोडिये  इन  बातो  को  ! हम  तो  ठहरे  गूंगे  और  बहरे  ! ट्रेन  तो  चलानी  ही  है ..सीट  के  लिए  ट्रेन  क्यों   रोके  ? इस   तरह  के  कई   मिशाल     ऐसे  मिल  जायेंगे  ..जिन्हें  ये    लोको      पायलट    ..आसानी  से .निः  सहाय   होकर   झेलते  ही  रहते  है !    एक  इसी  तरह  की  घटना ...जो  जोनल  लिंक  से  सम्बंधित  है ..प्रस्तुत  है ! जोनल  लिंक  से  काम  के  घंटे  बढ़  जाते  है  और   खाली  पदों  की  संख्या     भी  घट  जाती  है  ! तदुपरांत ..सरकार    की  जेब  खर्च में  कटौती ! वह  भी  अजब  के ! लूट  सके  तो  लूट !   नहीं  तो  कोरे  भुत  !चेन्नई  और  गुंतकल  मंडल  के बीच ..जोनल  लिंक  स्टार्ट  करने की    समझौता  हुई  !    एक    बेचारे    ने   ( लोको  पायलट ..श्री .सी.ये.एन .बाबु ) ने      सर्वप्रथम   एल.आर ( यानी  रास्ता ,   सिगनल   और     भगौलिक  संरचना देखने  जाना  ) लेने  के  लिए  चेन्नई  गए ! हेड क्वार्टर  पर ..  आने  के  बाद  काम  के  घंटे  देख ..पस्त  हो  गए  और   सिक  कर  दिए (यानी  ..अस्वस्थ   की वजह  से  मेडिकल  छुट्टी  पर !)  चुकी   सबसे  पहले  रास्ता  उन्होंने  ही  देखा  था ..इसीलिए .. प्रथम  ट्रेन भी  गुंतकल  से   चेन्नई तक ...  उन्हें  ही  ले जाना पडेगा  ! 
           यह  देख  हमारे  अन्य  साथी  भी  घबरा  गए !पूरी  घटना  मुझे  बताई  गयी ! मैंने  तुरंत एक आपात कालीन बैठक  बुलाई और  पारिवारिक  धरने  की  मंजूरी ..  सभी  ने पास  किया ! पुरे परिवार  के  साथ , सभी  लोको  पायलट ..गुंतकल  मंडल ऑफिस ... के  सामने तारीख .१८-०१-२००६ को  धरना  पर  बैठ  गए ! उस  समय के मंडल  रेलवे मैनेजर  श्री  प्रवीण  कुमार  जैन जी  थे ! धरने  के  दिन ही  लोको  पायलटो  के  सभी  सदस्य ..ड़ी.आर.एम्. साहब  के  चेम्बर  में  घुस   गए !  वार्ता  चली और  चेन्नई  का  जोनल  लिंक  रद्द  हो  गया ! इसके  बाद  वह  लोको पायलट श्री  सी.एन.बाबू वि . आर   दे  दिए  !
           हाथी  ने  रास्ता  बना दिया  था ! प्रशासन  कहा  रुकने  वाला ! सभी  मेल / एक्सप्रेस / पैसेंजर  लिंकों  को  काफी  टाईट  कर  दिया  गया  ! न बाहर  आराम  , न भीतर !   लोको पायलटो  के  ऊपर   अमानुषिक 
अत्याचार  लाजिमी  हो  गया ! इस  टाईट  लिंक  के  पीछे  एक  लोको  इंस्पेक्टर  का हाथ  था ! उसे  सभी  लोको  पायलटो  से द्वेष  था ! वजह  यहाँ  उधृत  करना  उचित  नहीं  समझता ! अतः  कुछ  करना जरुरी  था , वह  भी संबैधानिक  तौर  पर ! एक  दिन  की  बात  है ! श्री दीप नारायण माथुर .महाप्रबंधक  दक्षिण मध्य रेलवे सिकंदराबाद ...का  गुंतकल में  एक प्रोग्राम  पर आगमन  हुआ ! मुझे  इस की  सूचना .. मेरे  सदस्यों  ने  दी और  आग्रह  किया  की  मुझे  महाप्रबंधक  साहब  से  मिलकर  कोई  रास्ता  निकालना  चाहिए  ! मेरे  पास  समय  का अभाव  था ! अतः मैंने तुरंत एक  हस्थ  लिखित  पत्र  तैयार  किया , जिसे महाप्रबंधक  जी  को सौपना  था !पत्र  का  बिषय  तुरंत  महाप्रबंधक  जी को  स्वतः  मालूम  हो , इसीलिए  मैंने  पत्र  को  हिंदी  में  ही  लिखा , जिससे  की निजी  सचिव  न  पढ़  सके और  माथुर जी   को  स्वयं  ही  ....इसे  पढ़ना  पड़े !
            शाम का  समय ! महाप्रबंधक जी रेलवे  मैदान  में किसी   प्रोग्राम  के  उदघाटन  में  भाग  ले  रहे  थे  और  रंगारंग प्रोग्राम  देख  रहे  थे ! मै  अपने  साथियों  के  साथ  वहा  पहुंचा और पत्र  उन्हें  देने  के  लिए यथोचित  रूप  से ..गया  ! सतर्कता वाले ..हमें यहाँ देखते  ही मामले को भाप गए ! हम  भी  पहले से तैयार थे ! अतः एक  कॉपी  उन्हें भी सौप  दिया गया !हम सीधे डी.आर.एम् के निजी सचिव के साथ ....श्री प्रवीण  जी के पास गए !  वे  हमारे आने का  आशय समझ गए  ! प्रवीण जी  ने मेरा  परिचय .. माथुर  जी  से करवाया ! शायद  प्रवीण  जी समझे की ..कोई शिकायत  ये  लोग  मेरे  बारे  में भी  करेंगे ? मैंने प्रवीण जी  के  तरफ  मुखातिब  होकर  कहा - यह पत्र   निजी  नहीं  सार्वजनिक  है ! माथुर  जी  बैठे  हुए  थे ! तुरंत खड़े  होकर ..आगे  बढे  ..हाथ मिलाये  और पूछा - कहिये क्या  बात  है ?
          मैंने  कहा -"  सर ...मध्य  में  अवरोध  के  लिए ..हम क्षमा प्रार्थी  है ! अभी  वार्तालाप  का  वक्त  नहीं है !आप  से  गुजारिश  है की इस  पत्र  को  आप  खुद  ही पढ़ें !  क्योकि  पत्र  भी  हिंदी  में  लिखा  गया है !"
"  हिंदी में है  ,  तब तो  मुझे  ही  पढ़ना  पड़ेगा ...जरुर  पढूंगा  और  यथा संभव  समस्या  का  निदान  जरुर  करूंगा   !"  माथुर  जी  ने कहा !  हमने  उन्हें  धन्यबाद  दिया और  बाहर आ  गए  ! पत्र का असर पड़ा ! इसके  बाद माथुर जी  ने  लिंक  बनाने  वाले  को ..सिकंदराबाद  तलब  किया ! उसे एक सप्ताह तक सिकंदराबाद में रखा ! जो चला........  वह  यहाँ  नहीं  बताउंगा ! कांफिदेंशियल  ! जी  हां  .माथुर  जी  जब - तक रहे ..लोको पायलटो  की परेशानिया  ...कंट्रोल  में  थी  !  अब  वे  अवकाश ग्रहण  कर  चुके  है  ! उस भलमानस को आज भी ..लोको पायलट श्रधा से याद करते है ! जिन्होंने हम लोगो की कठिनाईयों को समझा और  यथाबिधि दूर करने की कोशिश की !ऐसे लोग कभी - कभी ही मिलते है !
        अगर  आप लोगो  की  इच्छा  हो  तो  मै  उस  पत्र  के  शब्दों  को  यहाँ ..आप  के  लिए  रखना  चाहूँगा ! 
जिससे लोको पायलटो के जीवन  और गतिबिधियो  को  सक्षेप  में समझा  जा  सकता  है !..देंखे --और पढ़े         कभी - कभी -०३ का दूसरा भाग ..अगले पोस्ट पर !
  ( एक इ-मेल ...जिसे मुझे v .n .श्रीवास्तव जी ने ...मेरे इ-मेल के पते पर भेजा है  USA से ! आप भी अनुभव करे ---काका और काकी जी को मेरा प्रणाम ..इस ब्लॉग पोस्ट के जरिये !
प्रियवर गोरखजी, 

अपना प्रथम धर्म है -- अपनी DUTY करना ! सच्चाई  इमानदारी से (जो काम अपने प्यारे प्रभु ने जीविकोपार्जन के लिए हमे दिया है ,उसे करना )

दूसरा धर्म है "प्रेम करना" सर्व प्रथम "अपने आप से" ,फिर अपने परिवार वालों से ,
फिर "अपने देश से "! जो हम केवल "पर सेवा" से कर सकते हैं !
So do not worry if you are unable to go through my blogs when on duty. 
Read them whenever you find time.

महावीर जी के सेवा अंगूर से चाहे चिनियाबदाम से कर ! ऊ ता कृपा करते रहियें !
तू दूनो जन के हम दूनो के आशीर्वाद !

भोला काका  कृष्णा काकी 
बहुत ही सुन्दर  लिखा  है  आप ने !....

http://mahavir-binavau-hanumana.blogspot.com/2011/03/3-3-4.html

18 comments:

  1. साथियों के हित में जो काम आपने महाप्रबंधक माथुर सा ;से कराया वह प्रशानीय है और अनुकरणीय भी. सिक सर्टिफिकेट के लिए रेलवे डाक्टर बड़ी रकम ऐंठते हैं इसके विरुद्ध भी अभियान चलायें.

    ReplyDelete
  2. @माथुर जी ----गुरूजी इस दिशा में भी सठिक शिकायात की इंतज़ार है ! आन्दोलन जरुर छिड़ेगा !

    ReplyDelete
  3. प्रशंसनीय और अनुकरणीय कदम ....आपके व्यक्तित्व के पक्ष प्रभावित करने वाले हैं..... अपने कर्म से जुड़े विचार सराहनीय ....

    ReplyDelete
  4. आरामदेह सीट देने से थकान नहीं होती है, थकान नहीं होने से नींद भी नहीं आयेगी।

    ReplyDelete
  5. आपका मेरे ब्लॉग पे आने का धन्यवाद.
    पहली बार आपके ब्लॉग पर आया. आपके सारे पोस्ट पढ़े. कितना सुन्दर लिखते हैं आप.
    मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभ कामनाएं

    ReplyDelete
  6. बहुत आश्चर्य लगा यह जानकर कि सीट में सीधी करने को बेक नहीं होती.कमर दर्द से परेशान होना तो बहुत बड़ी समस्या है.इससे तो लोको संचालन में ज्यादा दिक्कतें होंगीं.

    ReplyDelete
  7. आपके साथ सफ़र करते हुए बहुत सी तकनीकी जानकारी भी मिलती है।

    ReplyDelete
  8. @ राकेश कुमार जी...

    गुरूजी..आप ने ठीक ही कहा है ! यह हमें काफी परेसानी देती है ..जिसे शब्दों में प्रस्तुत करना संभव नहीं ! इसे तो कोई सच्चा अधिकारी या प्राणी ही समझ सकता है !अन्यथा अन्धो के बिच नाच - गान

    ReplyDelete
  9. साव जी,लोको पायलेटो की बहुत समस्याए है जिन्हें उनके अपने आदमी ही बड़ा देते है --इर्षा का कोई अंत नही --रेलवे में जो आफिसर के जितने करीब होगा उसकी उतनी ही चलती है --इसका खामियाजा दुसरो को भुगतना पड़ता है-आप हमेशा अच्छा काम करते है --हमारी दुआ आपके साथ है...

    ReplyDelete
  10. बैठने की सही व्यवस्था होनी चाहिए । इस मुद्दे को प्रिओरिटी पर रखकर त्वरित निदान किया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  11. आप हमेशा ही अच्छा लिखते हैं । हीरो का नया फ़ोटो
    अच्छा लगा ।

    ReplyDelete
  12. प्रशंसनीय और अनुकरणीय कदम|
    नवसंवत्सर 2068 की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    ReplyDelete
  13. इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं.......

    ReplyDelete
  14. देखिये मित्र,भारतीय रेलवे की यही व्यथा है कि अधिकारी वर्ग कर्मचारी वर्ग को और कर्मचारी वर्ग अधिकारी वर्ग को दोष देता रहता है,और समस्यायों का हल कोइ नहीं निकालता। अरे भई,रेलवे को मिनिस्ट्री चलाती है और सबका बेवकूफ बनाती है।
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  15. बडे अफसोस की बात है कि मेहनतकश कर्मचारियों को मूलभूत सुविधा देने में भी आरामतलब अधिकारियों की नानी मरती है।

    ReplyDelete
  16. ये सब मैं नहीं बर्दास्त करनेवाला आन्दोलन तो होनी ही चाहिए |
    मेरे ब्लॉग से जुड़कर आपने मेरा उत्साह बढाया इसके लिए धन्यवाद |

    ReplyDelete