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मै ११-०१-२०११ को १२१६३ चेन्नई सुपर फास्ट को लेकर ,रेनीगुन्ता गया था.बाजार में चाय-पानी करने के बाद ,हम सभी यानि मेरे सहायक और गार्ड ,रेस्ट रूम में गए.मैंने बतानुकुलित कमरे बेड नंबर ६ को ग्रहण किया.अपने निजी सामान को सहजने लगा,त्योही मुझे मेज के निचे एक कागज का टुकड़ा पड़ा दिखा.मैंने उसे उठाया,देखा वह एक अखबार का टुकड़ा था-हिंदी में.पढ़ा तो मेरे अपने निजी जीवन से मिलाता-जुलता शब्द संग्रह लगा.उसे अपने डायरी में संजो कर रख लिया.आज डायरी खोलते ही उस पेपर से अवगत हुआ.मुझे लगा लोग मेरे स्वप्न के उल्लेखो को बिस्वास नहीं करते होंगे.हमेशा इसे संसय की दृष्टी का कोप -भाजन बनना पड़ता होगा.यह लेख ,जरुर इस सोंच को बदलने में-सही दिशा निर्देश देगा.जिसे महानायक श्री अमिताभ बच्चन जी ने सही पाया .तो आईये ,उन्ही की वाणी में सोंचे,जो इस कागज के तुकडे के ऊपर अंकित है-(सायद यह किसी राजस्थानी पत्रिका में छपा था.जो चेन्नई से प्रकाशित होता होंगा.)
कहते है यादो को याद रखने के लिए जरुरी है खुद को भुला देना.राजनीती के बाद प्रकाश झा की अगली फिल्म आरक्षण के सितारों से मुखातिब होने का,पर जब अमिताभ बच्चन ने स्मिता पाटिल के बेटे प्रतिक को अपनी बगल में बैठ देखा ,तो वे अपनी खास को-स्टार स्मिता का जिक्र करने से खुद को रोक न पाए.
स्मिता पाटिल उम्दा अदाकारा थी यह बात तो हम सभी जानते है.लेकिन अमिताभ बच्चन के मुताबिक उनका सिक्स्थ सेन्स भी कमाल का था.स्मिता के सिक्स्थ सेन्स से जुड़े एक वाकये को याद करते हुए अमिताभ बताने लेंगे-----बात उन दिनों की है जब मै बंगलोर में कूली की शूटिंग कर रहा था और वेस्टर्न होटल में रुका था.किसी फिल्म के सिलसिले में स्मिता भी उसी होटल में रुकी थी.स्मिता से अकसर मै सेट पर मिलता था.उसके अलावा न वह कभी पार्टियों में जाती और न मेरी मुलाकात होती, सो उनसे ज्यादा बात की कोई गुन्जाईस नहीं थी ,लेकिन एक रात मुझे होटल की आपरेटर ने फोन पर कहा की स्मिता पाटिल बात करना चाहती है.मैंने घडी में देखा ,तो रात के एक बज रहे थे.मै काफी हैरान रह गया.हालाँकि उसी दौरान मुझे यह भी लगा की कंही कोई मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रहा है,खैर फिर भी मैंने आपरेटर को फोन देने के लिए कहा और सामने से जब स्मिता ने हैलो कहा,तो मै और हैरान रह गया.उनहोने हैलो के साथ देर रात किये फोन के लिए माफी मांगी.और साथ ही यह भी पूछा की क्या मै ठीक हूँ?.जब मैंने उन्हें हां कहा तो स्मिता ने मुझे बताया की दरअसल उन्होंने मेरे बारे में एक बहुत ही बुरा सपना देखा,सो उन्होंने सोंचा की क्यों न मुझसे बात कर लें.आखिर कर मुझसे बात कर वे रिलेक्स हो गयी.और हमने एक दुसरे को गुड नाईट कहते हुए फोन रख दिया.
सुबह जब मै सूटिंग पर गया ,तो मेरा जबरदस्त एक्सीडेंट हो गया.जिसके कारण मुझे पुरे तीन महीने तक आई.सी.यू में रहना पड़ा.यह बात मेरे लिए अविस्वसनीय थी,पर मेरे साथ घटित हुयी थी,सो मुझे मानना पड़ा.हालाँकि जब स्मिता को मेरे एक्सीडेंट के बारे में पाता चला तो दौड़ी-दौड़ी आई.और पुरे तीन महीने तक बिना नागा किये वे हर रोज मुझे देखने आई.सी.यू. में आती रही.यह वाकई बहुत बड़ी बात है.आज वे नहीं है ,पर ऐसा लग रहा है की प्रतिक के रूप में वह एक बार फिर मेरे साथ काम करने वाली है !
...............................अमिताबच्चन.
( जी हाँ कैसा लगा ....स्मिता पाटिल की स्वपन वाली बात.........?.....सही हुआ न ....)
मैंने भी पढा था। अजब संयोग है।
ReplyDeleteअच्छा लगा। दूसरे के ब्लॉग में जाकर, उसकी पोस्ट पढ़े बिना, अपने स्वप्न दिखाना और भी जोरदार लगा।
ReplyDelete..धन्यवाद।
गगन जी. कान्किनारा में .क्या आप केन्द्रीय विद्यालय में थे ..? यदि हाँ..तो आगे कुछ और बात होगी....धन्यवाद सर .
ReplyDeleteस्वप्न वाली बात सच निकल गयी। मेरी माँ को भी इसी तरह अखबार पढ़ने की आदत है, काम करते करते कभी भी।
ReplyDeleteसच में ऐसे अजब संयोग भी होते हैं.....
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