Saturday, April 9, 2011

कभी - कभी --०३..महाप्रबधक( दूसरा भाग )

सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन  का बाहरी दृश्य !
पत्र संख्या  - डी.पि.०४२/८३/२००६.   दिनांक -२१-०१-२००६.गुंतकल.
 महामहिम 
        माननीय महाप्रबंधक जी.
        दक्षिण मध्य रेलवे ,सिकंदराबाद 
       ( गुंतकल आगमन पर ,निरिक्षण के दौरान )
       गुंतकल.
   विषय -रंनिंग कर्मचारियों की दर्दनाक वेदना और क्षेत्रीय मेल / एक्सप्रेस लिंक का लागू किया जाना !
           श्रीमान , मै गोरख नाथ साव (G .N .SHAW) उपरोक्त एसोसिएसन के मंडल अध्यक्ष के पदा-धिकारी 
 के तौर पर , इस पत्र के माध्यम से , आप का ध्यान , निम्न कुछ बातो पर आकर्षित करना चाहता हूँ:-

                                    सबसे पहले सभी रुन्निंग कर्मचारियों के तरफ से ,गुंतकल मंडल में ,आप का 
 हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ ! जैसा की सर्व विदित है , रंनिंग कर्मचारी चाहे मेल/एक्सप्रेस/मालगाड़ी चालक 
 हो या सहायक चालक या संटर ,सभी रेलवे के अर्थ  को बढाने तथा  माल - जान की सुरक्षा में प्रमुख भूमिका 
 निभाते है ! यह तभी सम्भाव्शील होता है जब सभी रुन्निंग कर्मचारी , मानसिक व् शारीरिक रूप से स्वक्छ हो     !
         यह स्वच्छता तभी संभव है ,जब सुचारू रूप से अनुशासन को पालन करने दिया जाय ! अनुशासन  तभी पालन होगा , जब मानव पूर्ण रूप से तैयार और जागरुक हो ! तैयार और जागरुक तभी होगा , जब काम करने की क्षमता हो ! काम करने की क्षमता ..तभी प्रखर होगी , जब मनुष्य पूर्ण आराम किया हो ! और आखिरी में यही पूर्ण आराम संरक्षा का दूसरा रूप भी है !

                                 संक्षेप में पुरे रेलवे की व्यस्था का परिवाहक   ये रुन्निंग स्टाफ होते है ! अंततः रंनिंग स्टाफ रेलवे में उत्पन्न  ,उत्पादकता का ग्राहक है ! उत्पाद जैसा होगा ,वैसी ही परिणाम प्राप्त होगी ! अतः अच्छे और सुरक्षित अर्थ व्यवस्था के लिए --यह आवश्यक हो जाता है की रंनिंग कर्मियों के रहन - सहन तथा कार्य प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाय ! इसके अंतर्गत उनके मानसिक ,शारीरिक ,सामाजिक व् आर्थिक व्यवस्था  को समृद्ध बनाना बहुत जरुरी हो जाता है !क्योकि रुन्निंग कर्मचारी रेलवे की रीढ़ है १ अगर रीढ़ की हड्डी टूट गयी ,तो पुरे रेलवे  की व्यवस्था चरमरा जाएगी !

                                      मैंने तीन बातो /शब्दों का उपयोग ज्यादा किया है ( मानसिक ,सामाजिक व् आर्थिक )क्योकि रुन्निंग कर्मचारी के शरीर को ये शब्द बुरी तरह से प्रभावित करते है ! उदाहरणार्थ -आर्थिक स्थिति बिगड़ने से मानसिक संतुलन घटता है व् मनुष्य  समाज से अलग थलग होने लगता है ! परिणामतः शारीरिक प्रक्रिया में वीकार उतपन्न हो जाते है !यह शारीरिक वीकार किसी को भी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती !जब ब्यक्ति खुद शारीरिक विकार से पीड़ित हो , तो वह किसी को कहाँ से सुरक्षा प्रदान करेगा !नतीजतन --दुर्घटना अवश्यमभावी है !

                                    रेलवे में दुर्घटनाये होती है तथा विभिन्न प्रकार के कमेटियो के द्वारा , इसकी जाँच करायी जाती है !परिणाम --कुछ नहीं मिला तो मानवी भूल बता कर काम चला लिया जाता है !अगर ऐसा ही है , तो क्या ?..किसी ने सोंचने की कोशिश की है ? आखिर क्यों ?यह मानवी भूल ?


                          जी हाँ ,इन सभी मानवी भूल का मूल कारन शारीरिक ,मानसिक ,आर्थिक व् यांत्रिक असहयोग ही है ! और इन सभी कारणों के कारन कौन है ?आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा ?


                        अगर यही सिलसिला जरी रहा तो वह दिन दूर नहीं , जैसा की सन २००३-२००४ के दौरान हुआ !( लगातार पैसेंजर ट्रेन दुर्घटना ),फिर भविष्य में देखने को मिले १अगर ऐसा हुआ तो  यह जान बुझ कर की गयी , मानवी भूल की श्रेणी में आयेगा ! हमें सोंचना पडेगा परिणामो के बारे में !

                     समय की पुकार है , रुन्निंग कर्मचारियों के काम के घंटे कम किये जाय ! फास्ट ट्रेनों की वजह से 
 दुरीया स्वतः बढ़ती जायेंगी !रंनिंग कर्मियों के भीतर अराजकता का फैलाव ,कुपोषण तंत्र को पैदा कर सकता है !जिससे हमें होशियार रहना चाहिए !

                         आज के आवश्यकता के अनुसार रुन्निंग कर्मियों को वीकार की तरफ धकेलने के वजाय,प्यार और उनके अधिकार की आवश्यकता पर ध्यान देना ..सबसे जरुरी बात है ! अगर रुन्निंग कर्मचारी सुरक्षित है .तो रेलवे में कार्यरत सभी कर्मी सुरक्षित है ! देश की करोडो जनता ..सुरक्षित है ! हम और आप सुरक्षित है !  रही अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ करने की ,तो इसे सुदृढ़ बनाने के लिए ..और कई साधन है जैसे -अर्थ अपव्यय को रोकना आदि !

                      रुन्निंग कर्मचारियों को , अपने सामाजिक चिन्तनो को भुलाकर नए - नए तकनीकी साधनों से गुजरना पड़ता है ! चाहे इंजीनियरिंग विभाग हो या सिग नलिंग या लोकोमोटिव या नियम - कानून !किसी ने भी यदि किसी तरह की त्रुटी की ,तो वह रंनिंग कर्मचारी है , जो प्रत्यक्ष प्रभावित होगा या सभी को प्रभाव से बचाएगा !

          देश में कर्तव्य निभाते हुए        दो श्रेणोयो को ही मौत को गले लगाते देखा गया है ! १) सीमा के प्रहरी ..हमारे वीर सैनिक  व् २) दुर्घटना के समय रंनिंग कर्मचारी ( रेलवे में )! दूसरा कोई विरले ही होगा जो कर्तव्य करते -करते मृत्यु को प्राप्त हो !

                                           उपरोक्त ,कुछ तथ्यों को देखते हुए कहा या समझा जा सकता है की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ,रंनिंग कर्मचारियों के काम के घंटे तथा कार्य करने की प्रणाली में फेर बदल करने से ,उनकी सामाजिक , मानसिक तथा आर्थिक प्रक्रिया को उन्नतिशील या अवन्नितशील बनाया जा सकता है !

                             कोई भी फेर बदल ,आराम दायक होनी  चाहिए ! अन्यथा यह दुर्घटना तथा अनर्थ का आगामी होगा ! आज के रंनिंग कर्मचारी सच में कहा जाय तो मुह है ,लेकिन गूंगे है ! कान है , पर बहरे है ! आँख नहीं है ..पर देखते है !अर्थात व्यवस्था से ये इतने भयभीत हो चुके है की मूकदर्शक होकर , सब कुछ सहने को तैयार लगते है !क्यों की खौफ ( अधिकारियो की ) से सामना करने की व्यक्तिगत क्षमता चूर्ण हो चुकी है मान्यता  प्राप्त  यूनियन   अपने दायित्व को भुला चुके है ! इसके प्रमुख कारण स्वार्थ, लोलुपता है !

                                                                                                                         ऐसी स्थिति में , रंनिंग कर्मचारी अपनी बातो को उजागर करने के लिए , रास्ता ढूढते नजर आ रहे है ! आखिरी में उनको आल इंडिया लोको रंनिंग स्टाफ एसोसिएसन के तले शकुन एवंम राहत की एक छोटी सी किरण नजर आती है ! जो आप को भी भली - भांति जानकारी होगी ! यह एसोसिएसन केन्द्रीय , क्षेत्रीय तथा मंडलीय रेलवे के स्तर पर ,कार्यकारी कमेटियो के द्वारा संचालित हो रही है !

                                                       इसी माह , गुंतकल मंडल के रंनिंग कर्मचारोयो ने १८-०१-२००६ को मंडल रेल प्रबंधक आफिस के सामने सपरिवार एकजुट धरना दिया ! जिसका प्रमुख मुद्दा था  - क्षेत्रीय मेल / एक्सप्रेस लिंक को रद्द की मांग और यह उचित भी है ! क्योकि क्षेत्रीय लिंक रंनिंग कर्मचारियों को अपने परिवार तथा सामाजिक परिवीश से काफी दूर ले जाएगा ! काम के घंटे बढ़ेगें ! जिससे थकान व् असुरक्षा बढ़ेगी ! दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता ! बहुत से उदाहरण भी है !जब रंनिंग कर्मी , दुसरे मंडल में काम करते हुए दुर्घटना का शिकार हुया है ! क्षमा कीजिये --मै उनके नाम नहीं गि ना सकता !इससे रंनिंग स्टाफ के स्वाभिमान और मंडल के सम्मान को धक्का लगेगा !

                                                                             महोदय , रंनिंग कर्मचारी एवं सुरक्षा के ऊपर एक पूरी किताब लिखी जा सकती है !यह विडम्बना है की सुरक्षा के उपाय बनाते समय ---रंनिंग कर्मी या उससे सम्बंधित संगठनो की राय नहीं ली जाती ! नियम बनाने वाले या तो अरन्निंग या रंनिंग काम के अनुभव से परे होते है ,जो दुर्घटना के कारण का बढ़ावा ही है !

                                                                  जब - तक रंनिंग कर्मियों को हे की दृष्टी से देखा ( मानसिक , शारीरिक ,आर्थिक व् यंत्र्रिक क्षेत्र में ) जाएगा , तब - तक सत प्रतिसत सुरक्षा  का दावा ( रेलवे में )असंभव है !

                             अति लिखावट एवं भूल चुक के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !आप को  यह आवेदन आल इंडिया लोको रंनिंग स्टाफ एसोसिएसन के तरफ से देने का प्रमुख कारण यह है की कृपया आप क्षेत्रीय लिंक को रद्द करें ! क्योकि उपरोक्त कारण लागू होते है ! लगातार कार्य करने से मशीन को भी शेड को भेजना पड़ता है ! मनुष्य तो मनुष्य है ! इसे आराम एवं सुरक्षा की जरुरत है ! लम्बे समय तक कार्य करने की पद्धति स्वस्थ दीर्घायु को भी प्रभावित करती है ! दुर्भाग्य से ...दुर्घटना में रंनिंग कर्मचारी की मौत हो जाने पर ...उसके परिवार - जन मानसिक वेदना से पीड़ित हो जाते है ! यह सामाजिक एवं  पारिवारिक असंतुलन को बढ़ावा देता है !

                                                                                                          महोदय , कृपया सकारात्मक निर्णय लेकर , इस क्षेत्रीय लिंक को ख़ारिज करें तथा रंनिंग कर्मचारियों के भविष्य में चार चाँद लगाये ! आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है ,आप रंनिंग कर्मियों के व्यथागाथा को समझेंगे !

                                          आप का शुभाकांक्षी -
                                               ( हस्ताक्षर  )



12 comments:

  1. आपकी कुछ बातें तो दिल को छू गयी हैं.
    आपका हार्दिक आभार.

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  2. कुछ नए शब्द और अर्थपूर्ण विचार समझ आये..... सुंदर पोस्ट

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  3. G.N. साहेब आपने दिल पर चोट की है --एकदम खरी बात की !अपने सहयोगीयो के बारे में कौन सोचता है --आजकल और विशेष कर रेलवे में सब अपनी रोटी सकते है ?एक ईमानदार आदमी को मेरा सलाम !

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  4. प्रिय जी एन सर जी
    आपके द्वारा उठाया गया हर प्रश्न काबिले तारीफ है | इस पर अवश्य विचार किया जाना चाहिए | एक अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद |

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  5. बहुत मेहनत और दिल से पत्र लिखा है आपने ,बड़े तार्किक ढंग से बेसिक मुद्दों को उठाया है,अतिसुनियांत्रित भाषा का प्रयोग करते हुए.
    आपसे बहुत कुछ सीखना है.इसी तरह सिखाते रहिएगा.

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  6. आपके पत्र में तर्कसंगत तथ्य है। इन पर तत्काल विचार किया जाना चाहिए।
    ==================================
    थू-थू, थू-थू, थू-थू, थू।
    राजनीति में ये बदबू॥

    धोती और लंगोटी पे-
    क्यों तुम जीते थे बापू?

    तुमने सत्याग्रह रक्खा-
    ये रखते कट्टे- चाकू?

    खु़द मनमाना वेतन लें-
    जनता को देते आँसू॥

    -डॉ० डंडा लखनवी

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  7. भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.

    बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.

    महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.

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  8. रंनिंग कर्मियों के रहन - सहन तथा कार्य प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया जाय ! इसके अंतर्गत उनके मानसिक ,शारीरिक ,सामाजिक व् आर्थिक व्यवस्था को समृद्ध बनाना बहुत जरुरी हो जाता है !क्योकि रुन्निंग कर्मचारी रेलवे की रीढ़ है १ अगर रीढ़ की हड्डी टूट गयी ,तो पुरे रेलवे की व्यवस्था चरमरा जाएगी !

    बहुत अच्छे विचार ....
    मेरे एक मित्र आस्ट्रेलिया में रेलवे में कार्यरत हैं ...उनहोंने बताया वहाँ मजदूरों के स्वस्थ का पूरा ध्यान रखा जाता है ...क्योंकि मजदूर अगर स्वस्थ न हो तो काम भी धीमी गति से होगा ....

    आपकी मांगें पूर्णत: उचित हैं ...
    सरकार को इस और जरुर ध्यान देना चाहिए ....

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  9. @धनोय जी .......

    @आकाश जी ....

    @गुरु राकेश कुमार जी

    @लखनवी जी ...

    .@हरकीरत जी .....

    आप सभी ने ..अपने सुन्दर बिचार प्रस्तुत किये ! रेलवे में यह विडम्बना है जो ये अधिकारी ...पत्रों को नहीं पढ़ते या मनमानी करते रहते है ! इस लोकतंत्र में दादागिरी सबसे ज्यादा अधिकारियों में ही पाई जाती है ! आप और अन्य टिप्पणीकारो को मेरा बहुत - बहुत धन्यबाद !

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  10. बहुत परिपक्वता के साथ लिखा गया आलेख। समस्याओं के सार्थक निदान के साथ लिखा गया विनम्र निवेदन मन को छू गया

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  11. सलाह अच्छी है ,यदि मान ली जाए !

    साईट पर रंग और चित्र कम कर दें तो हल्की व आकर्षक बन जायेगी !

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