आज धन- तेरस है । दक्षिण दिशा में दीप जलाने और अकाल मृत्यु से मुक्ति का दिन । सभी जगह दुकाने सजी हुई है । नए सामानों को खरीदने की होड़ । सभी को लक्ष्मी जी को मनाने और अपने घर में आगमन की तैयारी / और इंतज़ार । अपने - अपने ढंग और तैयारी । साफ़ - सफाई और समृद्धि की पूजा / त्यौहार है ..यह ..दिवाली । कहीं समृद्धि तो कहीं दिवालापन । तरह तरह के भाग्य आजमाने के नुस्खे ।
कल किसने देखा है । अतः आज की सुरक्षा ही कल की दिवाली है । मनुष्य अत्यंत ही महत्वाकांक्षी प्राणी है । अपने अभिलाषा की पूर्ति हेतु यह जरुरी है .कि ..कदम - कदम पर सावधानी बरती जाय । अब देखिये ना ...कल यानी दिनांक 10 . 11. 2012 कि एक घटना याद आ गयी । मै 12163 - दादर -चेन्नई सुपर लेकर गुंतकल से रेनिगुंता जा रहा था । लोको चालको को ड्यूटी में आते ही सतर्कता आदेश ( caution order ) दिए जाते है । जिसमे यह अंकित होते है कि उसे किन दो स्टेशन के बीच , किस किलोमीटर के पास , कितने गति से ट्रेन को चलाने है तथा किन चीजो का विशेष ध्यान रखने है ।
मुझे भी सतर्कता आदेश की कापी स्टेशन मैनेजर ने दी । ट्रेन समय से गुंतकल आई । हमने ट्रेन का चार्ज लिया । समय से रवाना भी हुयी । हम जैसे - जैसे आगे बढ़ रहे थे ...क्रमानुसार ...आगे आने वाले स्टेशन के सतर्कता क्रम पर भी नजर थी । अचानक मैंने देखा कि पताकोत्तचेरुवु और गूती स्टेशन के बीच 402/1-0 किलोमीटर पर 30 किलोमीटर की गति से जाने का आदेश है क्यों की रेल जॉइंट टूटी हुई है और मरम्मत का कार्य चल रहा है ।
तुरंत मेरे दिमाग में एक प्रश्न उठा । ये दोनों स्टेशन तो ठीक है , परन्तु ये किलोमीटर इन दोनों स्टेशन के बीच नहीं है , जरुर कोई प्रिंटिंग में गलती हुई है । मैंने अपने सहायक को कहा की डिप्टी कंट्रोलर को फोन करे और जानकारी लें । सहायक लोको चालक ने ऐसा ही किया । किन्तु डिप्टी कंट्रोलर से सकारात्मक उत्तर नहीं मिला । ट्रेन 105 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ रही थी ।
असमंजस की घडी । सामने पताकोत्तचेरुवू स्टेशन आने वाला था । कई स्टेशन मास्टरों को वल्कि - ताल्की पर पुकारा गया । कोई जबाब नहीं । अंततः मैंने ट्रेन को पास थ्रू सिगनल होने के वावजूद भी पताकोत्ताचेरुवु स्टेशन में खड़ा कर दिया । ट्रेन के रुकने के बाद स्टेशन मास्टर हरकत में आया । उसने रुकने का कारण पूछा । मेरे सहायक ने पूरी जानकारी दी । स्टेशन मास्टर एक नया सतर्कता आदेश तैयार कर भेजा । जिसमे किलोमीटर 420/1-0 था । इस तरह एक भीषण दुर्घटना होने से बची । क्योकि जहाँ कार्य चल रहा था ..वहां ट्रेन गति से चलने की वजह से जान - माल का नुकशान हो सकता था और जहाँ कार्य नहीं हो रहा था , वहां ट्रेन 30 किलोमीटर की गति से चलती थी ।
इसी लिए कहते है --एक लोको चालक सैकड़ो को बचा सकता है , सैकड़ो मिलकर एक लोको चालक को नहीं बचा सकते । आज रेलवे में लोको चालक उपेक्षा का शिकार है , फिर भी दिन - रात कड़ी मेहनत कर आप को सुरक्षित ..आप के मंजिल तक पहुँचाने में सतत प्रयत्नशील ।
जी हाँ ...सामने दिवाली है । आप जश्न में मस्त रहेंगे और हम परिवार से दूर आप की सेवा में । पटाखे जलेंगे । प्रदुषण बढ़ेंगे । जेब खाली होंगे ..जेब भरेंगे । इस पावन - पर्व पर आशा करता हूँ सभी की दिवाली मंगल मय और समृद्धि से परिपूर्ण होगी । आप इस आतिशबाजी से सावधान रहें और हम ट्रेन के परिचालन में , क्युकी सावधानी हटी , दुर्घटना घटी ।
आपने सही कहा----सावधानी हटी,,,दुर्घटना घटी,,,,,
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें |
RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
म्यूजिकल ग्रीटिंग देखने के लिए कलिक करें,
दीप पर्व की
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर
लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
आपको दिवाली की शुभकामनाएं । आपकी इस खूबसूरत प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 13/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteआपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ....
ReplyDelete:-)
बहुत अच्छा और सूझबूझ से भरा निर्णय लिया आपने। दीवाली की शुभकामनायें।
ReplyDelete