हमारे जीवन में सोते वक्त स्वप्न और जागते वक्त कल्पनाएँ -प्रतिक्षण कुरेदती रहती है । कोई स्वप्न देखना नहीं चाहता , तो कोई कल्पना मात्र से भी डरता है । फिर भी हमारे हाथ पैर इन्हें साकार करने हेतु प्रयत्नशील रहते है । हमारे मष्तिष्क की उपज है ये स्वप्न और कल्पनाएँ । स्वप्न में भयावह दृश्य हो सकती है , आनंदायी भी और उमंग भरी भी । पर कल्पनाएँ जागरुक और सुखमय ही कर जाती है ।
स्वप्न और कल्पनाएँ दोनों मिलकर एक हकीकत को रंग देती है । स्वप्न और कल्पनाएँ निजी सम्पदा है । निजी प्रयत्नों से कामयाब होती है । बोतल की नीर , बोतल से ही निकलेगी , घड़े से नहीं । दुनिया में बहुत कम लोग होंगे जिन्हें स्वप्न या कल्पनाओ की अनुभूति न हुई हो । कभी - कभी ये सच का रूप भी लेती है । मंथन से अमृत निकल सकता है , तो जिज्ञासा से सच्चाई क्यों नहीं ? तभी तो कहते हुए सुना गया है -जिन खोजा तिन पाईया ।
जब स्वप्न और कल्पनाओ की बातें हो ही गयी तो एक उदहारण भी प्रस्तुत है -
मै वाड़ी में था और मुझे उस दिन शिर्डी साईं नगर एक्सप्रेस लेकर गुंतकल आना था । दोपहर को भोजन के उपरांत सो गया । मुझे एक स्वप्न आया कि मै गेंहू पिसवा रहा हूँ , पर गेंहू गीला हो जाता था । सो कर उठने के बाद परेशान हो गया ।दिमाग चलायमान हो चूका था । किसी अशुभ घटना के संकेत थे क्युकी कहते है शिरडी में हैजा की बीमारी के समय , साईं बाबा जी ने चाकरी में गेंहू की पिसाई की थी और औरतो से कहाकि गाँव के चारो ओर सीमा पर छिड़क दें । सूखे आटा को सीमा पर छिड़कने से हैजा से मुक्ति मिली थी । पर यहाँ तो आटा गिला हो रहे थे ?
ड्यूटी में पौने पांच बजे शाम को ज्वाईन हुआ । मिसेस जी का फ़ोन काल आया । उन्होंने सूचना दी कि मिनी के सास की मृत्यु हो गई , जो बनारस में ब्रेन फीवर की वजह से भरती थीं । मिनी मेरे बहन की बड़ी बेटी है । सूखे आटे कि जगह यह है गीली आटे का स्वप्न । स्वास्थ्य के वजाय अस्वस्थ सूचना । जी ऐसी कितने पूर्वाभास हमें होते रहते है । सिर्फ हम उन्हें हल्के में ले लेते है । अगर उनकी समीक्षा की जाये , तो जरूर निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है । फिर भी जरूरी नहीं कि आप मुझसे सहमत हों ।
मै वाड़ी में था और मुझे उस दिन शिर्डी साईं नगर एक्सप्रेस लेकर गुंतकल आना था । दोपहर को भोजन के उपरांत सो गया । मुझे एक स्वप्न आया कि मै गेंहू पिसवा रहा हूँ , पर गेंहू गीला हो जाता था । सो कर उठने के बाद परेशान हो गया ।दिमाग चलायमान हो चूका था । किसी अशुभ घटना के संकेत थे क्युकी कहते है शिरडी में हैजा की बीमारी के समय , साईं बाबा जी ने चाकरी में गेंहू की पिसाई की थी और औरतो से कहाकि गाँव के चारो ओर सीमा पर छिड़क दें । सूखे आटा को सीमा पर छिड़कने से हैजा से मुक्ति मिली थी । पर यहाँ तो आटा गिला हो रहे थे ?
ड्यूटी में पौने पांच बजे शाम को ज्वाईन हुआ । मिसेस जी का फ़ोन काल आया । उन्होंने सूचना दी कि मिनी के सास की मृत्यु हो गई , जो बनारस में ब्रेन फीवर की वजह से भरती थीं । मिनी मेरे बहन की बड़ी बेटी है । सूखे आटे कि जगह यह है गीली आटे का स्वप्न । स्वास्थ्य के वजाय अस्वस्थ सूचना । जी ऐसी कितने पूर्वाभास हमें होते रहते है । सिर्फ हम उन्हें हल्के में ले लेते है । अगर उनकी समीक्षा की जाये , तो जरूर निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है । फिर भी जरूरी नहीं कि आप मुझसे सहमत हों ।
ReplyDeleteसपने के कारण और फल पर अभी कोई वैज्ञानिक विश्लेषण उपलब्ध नहीं है
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ऐसा अक्सर देखने को मिलता है ।
ReplyDeleteमेरी रचना :- चलो अवध का धाम
कभी कभी सपने सच हो जाते है !
ReplyDeleteनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
मन आशंकित हो जाता है कई बार .... और ये सच भी जाता है ...
ReplyDelete*हो
ReplyDeleteकई बार मन में कुछ शंका किसी भी वजह से आ जाती है ओर वो घटना घटित भी हो जाए तो ऐसा विश्वास बड जाता है ... बाकी सपनों का विश्लेषण रोमांच तो देता है ...
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