13 मार्च 2015 । अलार्म बजने लगा था । तुरंत उठ गया और पास में सोये हुए जुबेदुल्ला जी को भी उठाया । शायद गुंतकल आने वाला था । अलार्म भी इसीलिए तो सेट किया था । हम दोनों बैठ गए । तभी जुबेदुल्ला जी का मोबाइल बज उठा । उन्होंने काल रिसीव किया । कुछ हलकी सी बाते हुयी । मैंने पूछा - किसका काल था ? ऐसेमेल राम का । फिर उदासी भरे लहजे में बोले - एक और spad हो गया । कहाँ ? अचानक मेरे शव्द निकले । उन्होंने कहा - इसी ट्रेन का यानि गरीब रथ एक्सप्रेस का और इसके लोको पायलट शेर खान । मेरे मुह खुले रह गए । आश्चार्य और दुःख , विषाद चेहरे पर फ़ैल गया ।कुछ विश्वास नहीं हो रहा था । ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लग रही थी । हमने लोको के नजदीक जाने की तैयारी की जिससे इस ट्रेन के लोको पायलट से कुछ जानकारी ली जा सके ।
हम लोको के पास पहुंचे । यह क्या ? ट्रेन का लोको पायलट कोई और था । अब किसी अविश्वास की कोई गुन्जाईस नहीं थी । हमने इस लोको पायलट से पूछा ? उसने भी घटना को सही बताया । लोको पायलट के जीवन की सबसे दुष्कर वक्त इससे ज्यादा कोई नहीं है । Spad के बाद वह असहाय हो जाता है । कोई भी उसकी हमदर्दी में सहयोग नहीं देता । सिवा कुछ लोको पायलटो के अपने संघठन के । इसी लिए सर्वथा कहते सुना जाता है की एक लोको पायलट हजारो की जाने बचा सकता है पर हजार एक साथ मिलकर एक लोको पायलट को जीवन दान नहीं दे सकते । ये कैसी विडम्बना है ?
कहते है तकदीर से ज्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता । वाकई सही है । कल ही सिकंदराबाद रनिंग रूम में हम एक साथ चाय पिए थे । बातो - बातो में मैंने शेरखान से पूछ था की कब पार्टी दे रहे हो ? उन्होंने अत्यधिक ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा था । पार्टी जरूर दूंगा वह भी इसी माह में । ओफ्फिसियल पत्र जल्द आने वाला है । हमने भी ख़ुशी जताई ।
शेरखान लारजेश स्किम के तहत रिटायर होने वाले थे । वह भी इसी माह में क्योकि उनके बेटे का चयन की परिक्रिया पूरी हो गयी थी । शेरखान के बेटे की बहाली सहायक लोको पायलट के रूप में होनेवाली तय थी और उन्हें वीआरएस । शेरखान के लिए अब सारे सपने अधूरे शाबित होंगे यदि रेलवे प्रशासन कठोर कार्यवाही करती है । आज कल spad की घटनाओ में लोको पायलट को सर्विश से हाथ धोना पड़ता है । ऐसी कठोर सजा और कहीं नहीं मिलती ।
लोको पायलट का जीवन कोल्हू के बैल जैसा है । रेलवे उसे मनमानी ढंग से उपयोग करती है । न रात को चैन न ही दिन में । बिना मांगे साप्ताहिक अवकाश भी दूर । तीज त्यौहार की क्या कहने ।आप अपने बर्थ पर आराम से सोते है । लोको पायलट रात भर पलक झपकाये बिना आप को आपके मंजिल तक सुरक्षित पहुंचाते है । और भी बहुत कुछ जो छुपी हुयी है । क्या आपने कभी लोको पायलटो के जीवन में झांकने की कोशिश की है ? अगर नहीं तो हर व्यक्ति को जाननी चाहिए ? एक बार सोंच कर तो देंखे यदि आप एक लोको पायलट होते ?
आज शेरखान ससपेंड है । विभागीय ऑफिसर से मिला और शेरखान के केश को सहानुभूति पूर्वक संज्ञान में लेने की अनुरोध भी कर चूका हूँ । विभागीय अफसर से सकारात्मक उत्तर मिला है । प्रशासनिक कार्यवाही जारी है । देखना है समय की छड़ी किस आवाज से पुकारती है ।
हम लोको पायलटो की संवेदना उनके साथ है । हम लोको पायलट कर्मठ भी और असुरक्षित ।