वह कभी बेंच पर बैठता , तो कभी उठ जाता ! बिलकुल बेचैन ! घबराहट में चहलकदमी , आगंतुक सा राह को निहारते हुए ! समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे ? माथे पर सिकन भरी ! होठ सुखते जारहे थे ! हर आने वाले से यही पूछता की डॉक्टर साहब कब आ रहे है ? कोई उन्हें जल्दी बुलाओ ना ? नर्सो से बार - बार , एक ही सवाल ..डॉक्टर साहब आ रहे है या नहीं ? नर्सो के सकारात्मक उत्तर भी नकारात्मक सा लग रहे थे ! सहसा एक व्यक्ति का आगमन होते दिखा ! ड्यूटी पर उपस्थित नर्स ने इशारे से कहा - वो .. डॉक्टर साहब आ रहे है !
वह व्यक्ति आपे से बाहर ! उसे समझ में नहीं आया की वह किससे तर्क करने जा रहा है और बोल बैठा -" आप ऐसे ही लेट आते है क्या ? आप को जरा भी सेन्स नहीं है ! मेरा बच्चा सर्जरी के लिए कब से आपरेसन थियेटर में पड़ा हुआ है ! वह खतरे से खेल रहा है और आप है जो ..थोड़ी भी समझ नहीं है ..." वह व्यक्ति एक साँस में बोले जा रहा था !
डॉक्टर मुस्कुराया और बोला --" मै आप का क्षमा प्रार्थी हूँ ! मै अस्पताल में नहीं था ! मुझे जैसे ही नर्स की कॉल मिली , भागे - दौड़े आ रहा हूँ !" - डॉक्टर अभी अपने सर्जरी लिबास में भी नहीं था ! दिखने से लग रहा था की वह पहनावे की फिक्र किये बिना ही आ गया था !
" चुप रहो ,,आप के बेटे के साथ ऐसा होता , तो खामोश बैठते क्या ? आप का बेटा इस हालत में मर जाए तो क्या करते ?" उस बच्चे का पिता गुस्साए हुए भाव से पूछ बैठा ! डॉक्टर ने मायूस स्वर में कहा - " मेरा जो धर्म है . करूँगा ! हम सब मिट्टी के बने है और एक दिन मिट्टी में मिल जायेंगे ! भगवान पर भरोसा रखे .सब ठीक हो जायेगा ! जाईये बेटे के लिए भगवान से प्रार्थना करें ! " इतना कह और देर न करते हुए .. डॉक्टर आपरेसन थियेटर के अन्दर चला गया !
करीब एक घंटे से ज्यादा ..सर्जरी की प्रक्रिया चली ! डॉक्टर थियेटर से तेजी से बाहर निकला और तेज कदमो से आगे जाते हुए बच्चे के पिता की ओर( जो बेंच पर घबडाये हुए बैठा था ) मुखातिब हो कहा - " life saved भगवान का शुक्र है ! अगर कोई बात हो तो नर्स से पूछ लेना !" और तेज कदमो में आँखों से ओझल हो गया !
" वाह .. कितना गुस्से में है ...एक क्षण रूक कर मेरे बेटे के बारे में नहीं बता सकता क्या ? "- वह व्यक्ति फुसफुसाया ! तब तक नर्स उसके सामने आ चुकी थी और वह उसके शव्दों को सुन ली थी ! वह व्यक्ति नर्स की तरफ देखा ! नर्स की आँखों में आंसू की लडिया बहे जा रही थी ! व्यक्ति को कुछ समझ में नहीं आया ! वह घबडाये सा उसे देखने लगा ! नर्स ने कहा -" डॉक्टर के बेटा का शव ..श्मसान घाट में उनका इंतजार कर रहा है ! कल सड़क दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गयी थी ! जिस समय उन्हें कॉल मिली उस समय वे उसके अंतिम संस्कार में व्यस्त थे ! किन्तु संस्कार की प्रक्रिया बिच में ही छोड़ सर्जरी करने के लिए आ गए !"
मानवता की पहचान बड़ी मुश्किल है !
( सौजन्य - डॉक्टर श्री मुकुंद सिंह / शिर्डी ..जो सत्य घटना पर आधारित है ! अगर कोई सुधि पाठक उनसे बात करना चाहता है , तो मै उनका मोबाईल संख्या दे सकता हूँ !)
" चुप रहो ,,आप के बेटे के साथ ऐसा होता , तो खामोश बैठते क्या ? आप का बेटा इस हालत में मर जाए तो क्या करते ?" उस बच्चे का पिता गुस्साए हुए भाव से पूछ बैठा ! डॉक्टर ने मायूस स्वर में कहा - " मेरा जो धर्म है . करूँगा ! हम सब मिट्टी के बने है और एक दिन मिट्टी में मिल जायेंगे ! भगवान पर भरोसा रखे .सब ठीक हो जायेगा ! जाईये बेटे के लिए भगवान से प्रार्थना करें ! " इतना कह और देर न करते हुए .. डॉक्टर आपरेसन थियेटर के अन्दर चला गया !
करीब एक घंटे से ज्यादा ..सर्जरी की प्रक्रिया चली ! डॉक्टर थियेटर से तेजी से बाहर निकला और तेज कदमो से आगे जाते हुए बच्चे के पिता की ओर( जो बेंच पर घबडाये हुए बैठा था ) मुखातिब हो कहा - " life saved भगवान का शुक्र है ! अगर कोई बात हो तो नर्स से पूछ लेना !" और तेज कदमो में आँखों से ओझल हो गया !
" वाह .. कितना गुस्से में है ...एक क्षण रूक कर मेरे बेटे के बारे में नहीं बता सकता क्या ? "- वह व्यक्ति फुसफुसाया ! तब तक नर्स उसके सामने आ चुकी थी और वह उसके शव्दों को सुन ली थी ! वह व्यक्ति नर्स की तरफ देखा ! नर्स की आँखों में आंसू की लडिया बहे जा रही थी ! व्यक्ति को कुछ समझ में नहीं आया ! वह घबडाये सा उसे देखने लगा ! नर्स ने कहा -" डॉक्टर के बेटा का शव ..श्मसान घाट में उनका इंतजार कर रहा है ! कल सड़क दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गयी थी ! जिस समय उन्हें कॉल मिली उस समय वे उसके अंतिम संस्कार में व्यस्त थे ! किन्तु संस्कार की प्रक्रिया बिच में ही छोड़ सर्जरी करने के लिए आ गए !"
मानवता की पहचान बड़ी मुश्किल है !
( सौजन्य - डॉक्टर श्री मुकुंद सिंह / शिर्डी ..जो सत्य घटना पर आधारित है ! अगर कोई सुधि पाठक उनसे बात करना चाहता है , तो मै उनका मोबाईल संख्या दे सकता हूँ !)
अपने गम में लिप्त सब, दूजे का ना ख्याल |
ReplyDeleteपुतली से रखते सटा, सब अपने जंजाल |
सब अपने जंजाल, कोसते रहते सबको |
खुद की टेढ़ी चाल, उलाहन देते रब को |
डाक्टर घर वीरान, मिटे जीवन के सपने |
कर कर्तव्य महान, जलाता शव को अपने ||
यही मानवता की पहचान है,,,ऐसे लोग लाखो में एक मिलते है,,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
aisi insaniyat rakhane vale log bhi is dunia me hain...isiliye manavta tiki hui hai..
ReplyDeletesajha karne ke liye shukriya..
आँख भर आई............
ReplyDeleteयकीन नहीं होता कि आज भी ऐसे लोग मौजूद है...खास तौर पर डॉक्टर्स....
सादर
भाई साहब होती है ऐसी प्रति बद्धता अपने कर्म के प्रति लेकिन बिरले ही ,ग़ज़ल सिंगर जगजीत सिंह जी से भी जुड़े ऐसे एकाधिक प्रसंग हैं जहां उनकी श्रोता के प्रति -आयोजकों के प्रति प्रति बद्धता सब कुछ से ऊपर चली जाती है भले किसी अपने की मैयत में शरीक होना रहा हो उसी काल खंड में .द्रवित करती मानवीय संवेदना को मुखर करती पोस्ट .यही तो भारतीय दर्शन की आत्मा है कर्म ही पूजा है .मानवता की सबसे बड़ी सेवा है .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात |
गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात |
ram ram bhai
बुधवार, 13 जून 2012
हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
हवा में झूमते लहलहाते वे परस्पर संवाद करते हैं
पौधे भी संवाद में, रत रहते दिन रात ,गेहूं जौ मिलते गले, खटखटात जड़ जात --|-भाई रविकर जी फैजाबादी
http://veerubhai1947.blogspot.in/
वाकई वह डॉ मुकुन्द सिंह महान हैं उनका आचरण अनुकरणीय है।
ReplyDeleteहृदय छू गयी है यह घटना...
ReplyDeletemanvta ki bemisaal prastuti
ReplyDeletekash! same aeisi hi bhavna ho ---
man ko chhoo gai aapki yah post
sadar naman
poonam
बहुत ही प्रेरक प्रसंग है। इस संस्मरण में वर्णित डॉक्टर साहब जैसा बन पाना तो बहुत ही कठिन है लेकिन लोग यदि अपनी असली और आभासी मामूली तकलीफ़ों से भी ऊपर उठ सकें तो संसार का रूप पूरी तरह से बदल सकता है।
ReplyDeleteमन भर आया ..... ऐसे लोगों की अपनी कार्य के प्रति निष्ठा को नमन
ReplyDeleteमार्मिक घटना छू दिल को गई. कौन कैसी परिस्थितियों में धर्म निभा रहा है इसका पता ही नहीं चलता.
ReplyDeleteAm sorry to hear of a death. I could not understand the story very well as the translation button doesn't do a good job of translating. But it is clear that someone died and that is always very sad.
ReplyDeleteOh my, Mr. Shaw, that is very touching. Thank you for coming to leave me a translation of what I could not read at your blog.
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