कहते है मनुष्य दुनिया का सबसे उन्नत और विकसित प्राणी है । जिसके पास दुनिया की सबसे बड़ी सुख सुविधाओं की अम्बार लगी होती है । दुनिया मे एक से बढ़ कर एक शक्तिशाली और निरीह जंतु है पर बहुत कम जीव जंतु चालाक किस्म के होते है ।
संक्षेप में जीव जंतुओं को नभचर , जलचर और स्थलचर के समूह में बांटा गया है । मनुष्य प्राणी का लगाव सबसे ज्यादा स्थलचर से रहा है । इन जीव जंतुओं पर मनुष्य का एकाधिकार सदैव कायम है । इन जीव - जन्तुओ को मनुष्य तरह - तरह से इस्तेमाल करता आ रहा है । ये निष्क्रिय जीव जंतु मनुष्य के क्रूरता के शिकार बनते रहे है । ज्यादातर जीव तो मनुष्य के आहार बन जाते है । इन मूक जीवों की आह शायद हमें श्राप भी देती होगी जिसे हम मानव समझने में देर भी कर देते है । मानव इस दुनिया का सबसे सचेत और उत्कृष्ट प्राणी होकर भी अपनी क्रूरता को नही छोड़ता । जो चिंतनीय है ।
मैंने देखा है लोग गाय , भैंस या बैल या बकरी या भेड़ को मुर्गी के अंडे की तरह उपयोग करते है और जब काम निकल जाते है तो उन्हें कसाई के हाथों बेच देते है । इन जीवों को कैसा लगता होगा जब कसाई की छुड़ी उनके गर्दन पर चलती होगी ? उनके अन्तःमन से निकली हुई मूक बददुआ के भागीदार भी तो हम ही है ।
काश दुनिया का अनमोल प्राणी मनुष्य इतना निर्दयी न होता । इस धरा पर सभी जीव - जंतुओं को जीने का अधिकार है , जिसे छिनने का अधिकार किसी को नही ? क्योंकि जब हमारे पास जीवन देने की शक्ति नही है तो जीवन लेने का अधिकार किसने दे दिया ? हमे चाहिए कि प्रत्येक जीव को अपने जीवन तक भरपूर जीने दें !💐
स्वामी भक्ति भी अजीब होती है । जो स्वामिभक्त होता है वह अपने प्यार और कर्म को अपने स्वामी के प्रति न्योछावर कर देता है । उसके रहने पर प्यार और जाने के बाद दर्द की धारा निश्छल रूप से बहने लगती है । ऐसा ही तो था मेरा प्यारा - लकी ।
कहने को कुत्ता ( Labrador ) था पर एक परिवार या बेटे से कम नही था । उसका जन्म 04.04.2015 को अन्तपुर में हुआ था । वह एक माह की उम्र में हमारे घर मे प्रवेश किया था । बहुत ही प्यार और दुलार से हमने उसका पालन - पोषण किया था । लकी आज 18-05-2020 सुबह साढ़े आठ बजे मेरे बांहों में अपने जीवन का अंतिम सांस लिया था । मेरे नेत्र अपने आंसुओ को नही रोक पाए थे , मैं उसे बांहों में पकड़े हुए फफक फफक कर रो दिया था । एक प्यारा दोस्त और जिगर का टुकड़ा मुझे छोड़ चल दिया था । उसकी यादें - आंसू के साथ गीले हो जाती है । परिवार के सभी लोग एक अकेला पन महसूस करने लगे है । ये यादें - लकी की सुनहरी आंखे जो सदैव प्यार ही प्यार बरसाई करती थी - भविष्य में लंबे समय तक भूल पाना बहुत ही मुश्किल है ।
मूक प्राणियों की कथा भी अजीब होती है । ये मुंह से कुछ नही बोल सकते परंतु इनकी तरह - तरह की भंगिमाएँ ,उनकी समझ को प्रकट कर देती है ।।
ये मेरा लकी पूरे परिवार का प्यारा था । बचपन से जैसे जैसे उम्र की ऊंचाइयों पर चढता गया था उसकी कारनामे अजीबोगरीब होती गयी थी। बहुत ही साफ सफाई का आदी । उसने कभी भी - रात हो या दिन , घर के अंदर पेशाब या टट्टी नही किया था । ऐसी आवश्यकता के समय वह मेरे पास आकर उकड़ू बैठ जाता था और एक टक लगाकर देखने लगता था । मुझे उसकी समस्या के अनुभव करते देर नही लगती थी और सिर्फ और सिर्फ मैं ही उसे बाहर ले जाता था । ऐसा नही करने पर उसकी भौक शुरू हो जाती थी ।
कुछ उंसके बचपन के तस्वीर -
मेरे पोते कुँवर सुशांत जी का जन्म दिवस के अवसर पर लकी जी को देखिए - कैसे परिवार के बीच बैठे है । केक काटने का सब्र उन्हें भी है 🎂
कहने को कुत्ता ( Labrador ) था पर एक परिवार या बेटे से कम नही था । उसका जन्म 04.04.2015 को अन्तपुर में हुआ था । वह एक माह की उम्र में हमारे घर मे प्रवेश किया था । बहुत ही प्यार और दुलार से हमने उसका पालन - पोषण किया था । लकी आज 18-05-2020 सुबह साढ़े आठ बजे मेरे बांहों में अपने जीवन का अंतिम सांस लिया था । मेरे नेत्र अपने आंसुओ को नही रोक पाए थे , मैं उसे बांहों में पकड़े हुए फफक फफक कर रो दिया था । एक प्यारा दोस्त और जिगर का टुकड़ा मुझे छोड़ चल दिया था । उसकी यादें - आंसू के साथ गीले हो जाती है । परिवार के सभी लोग एक अकेला पन महसूस करने लगे है । ये यादें - लकी की सुनहरी आंखे जो सदैव प्यार ही प्यार बरसाई करती थी - भविष्य में लंबे समय तक भूल पाना बहुत ही मुश्किल है ।
आज के दैनिक पञ्चाङ्ग एवं चौघड़िया मुहूर्त
सोमवार, १८ मई २०२०
सूर्योदय : ०५:२३
सूर्यास्त : १८:४९
चन्द्रोदय : २७:२४
चन्द्रास्त : १५:०६
शक सम्वत : १९४२ शर्वरी
विक्रम सम्वत : २०७७ प्रमाथी
माह : ज्येष्ठ
पक्ष : कृष्ण पक्ष
तिथि : एकादशी - १५:०८ तक
नक्षत्र : उत्तर भाद्रपद - १६:५८ तक
योग : प्रीति - २८:३० तक
प्रथम करण : बालव - १५:०८ तक
द्वितीय करण : कौलव - २८:२० तक
सूर्य राशि : वृषभ
चन्द्र राशि : मीन
राहुकाल : ०७:०४ - ०८:४५
गुलिक काल : १३:४७ - १५:२७
अभिजितमुहूर्त : ११:३९ - १२:३३
दुर्मुहूर्त : १२:३३ - १३:२७
दुर्मुहूर्त : १५:१४ - १६:०८
अमृत काल : ११:३४ - १३:२२
चौघड़िया मुहूर्त
अमृत~०५:२३ - ०७:०४
शुभ~०८:४५ - १०:२५
चर~१३:४७ - १५:२७
लाभ वार वेला~१५:२७ - १७:०८
अमृत~१७:०८ - १८:४९
💐
आज का विचार
श्रेष्ठ होना कोई कार्य नही बल्कि यह हमारी एक आदत है जिसे हम बार बार करते है।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
💐
*अच्छे लोगों की इज्जत*
*कभी कम नहीं होती*
*सोने के सौ टुकड़े करो,*
*फिर भी कीमत*
*कम नहीं होती*।
💐
*भूल होना "प्रकृत्ति" है,*
*मान लेना "संस्कृति" है,*
*और उसे सुधार लेना "प्रगति" है.*
🌹 *शुभ दिन*🌹
💐 *जय श्री कृष्णा* 💐
लकी की कुछ निश्चल यादें -
ये मेरा लकी पूरे परिवार का प्यारा था । बचपन से जैसे जैसे उम्र की ऊंचाइयों पर चढता गया था उसकी कारनामे अजीबोगरीब होती गयी थी। बहुत ही साफ सफाई का आदी । उसने कभी भी - रात हो या दिन , घर के अंदर पेशाब या टट्टी नही किया था । ऐसी आवश्यकता के समय वह मेरे पास आकर उकड़ू बैठ जाता था और एक टक लगाकर देखने लगता था । मुझे उसकी समस्या के अनुभव करते देर नही लगती थी और सिर्फ और सिर्फ मैं ही उसे बाहर ले जाता था । ऐसा नही करने पर उसकी भौक शुरू हो जाती थी ।
घर का हर सदस्य उसका दोस्त और वह सबका दोस्त था उसे दो तीन दिनों में स्नान करवाने पड़ते थे । स्नान करवाने की जिम्मेदारी भी मेरी ही थी। टॉवेल , शैम्पू देखते ही नल के पास खड़ा हो जाता था । बहुत ही इत्मीनान से स्नान करने का आदी था । हम सभी उसे अपने सामने पाकर अतीत के क्षणों को आसानी से भूल जाते थे । पलंग पर नजदीक बैठना, किसी के साथ सोना - ऐसे क्षण उंसके लिए अपार खुशी के होते थे । पलंग पर भले ही वह चढ़ जाये पर सोये हुए व्यक्ति को डिस्टर्व नही करता था ।
कुछ तस्वीरें मेरे बड़े पुत्र के साथ -
अजीब सोंच और समझ थी उसकी । शायद इंसान में भी नही होती । मैं जब कभी रात को ड्यूटी से आने के बाद सो जाता था - तब सुबह सुबह लकी ही मुझे मॉर्निंग वॉक के लिए उठने के लिए विवश करता था । हम स्वतः सुबह 5 बजे उठ नही सकते अलार्म की सहारे लेने पड़ेंगे , पर वह बिल्कुल 5 बजे आकर पैर के पास बैठ जाता था और मुझे उठाने हेतु धीरे धीरे अपने पैरों से मेरे पैरों को कुरेदना शुरू कर देता था। मैं उठ गया तो ठीक अन्यथा वह भी बगल में सो जाता था । किन्तु कभी भी भोंक कर किसी को डिस्टर्व नही करता था । शायद वह जानता था कि भोंकने से सभी को असुविधा हो सकती है ।
कुछ उंसके बचपन के तस्वीर -
मेरे पोते कुँवर सुशांत जी का जन्म दिवस के अवसर पर लकी जी को देखिए - कैसे परिवार के बीच बैठे है । केक काटने का सब्र उन्हें भी है 🎂
कुत्ते बहुत ही स्वामी भक्त और सच्चे सेवक होते है । घर की रक्षा या स्वामी की सुरक्षा सच्चे मन से करते है ।आज तक हमारे घर की तरफ किसी ने भी आंख उठा कर देखने की हिम्मत नही की । मजाल है जो बिन अनुमति हमारे घर मे कोई प्रवेश कर जाए । आज लकी का प्रेम और यादें कुछ लिखने के लिए मजबूर कर दिया जिसे मैं रोक नही पाया । लेख लंबा नही करना चाहूंगा अतः अंत मे भगवान से यही कर जोड़ प्राथना करूँगा की लकी की आत्मा जहाँ भी हो उसे शांति ॐ प्रदान करें ।
आज कभी कभी ऐसा लगता है कि उसके मृत्यु का कारण भी हम ही है । ख़ाने में कोई कमी नही थी । उसकी मोटापा उसे बीमार बना दी थी । वह कई दिनों से आहार लेना बंद कर दिया । इलाज भी कराया गया था किंतु उसे कैंसर हो गया था । इसे समझने में हमने बहुत देर कर दी थी । इसका दुख सदैव रहेगा । उसे हमने घर के सामने बगल में ही समाधि दी । उंसके याद में समाधि के ऊपर एक वृक्ष लगा दिए है ।
💐💐 लकी को एक श्रद्धांजलि 💐💐
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