एस.मनोहर लोको पायलट /रेनिगुन्ता (बिना चश्मे की आँखे )
दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के मायने में , हमारे देश की गरिमा सर्वोपरी है ! यही लोकतंत्र बड़े को बड़ा और छोटे को छोटा भी बना देता है ! देश में तरह - तरह के आन्दोलन और धरने रोजाना देखने को मिल जायेंगे ! इन आन्दोलनों / धरनों से देश और समाज को काफी नुकशान उठाने पड़ते है ! इन धरनों की सफलता सामने वाले की सकारात्मक चिंतन पर निर्भर करती है ! इस समय असामाजिक तत्व अपने हाथ सेंकने से नहीं चुकते ! कईयों की जाने व् घायल होना तो स्वाभाविक ही है ! लेकिन बिना आन्दोलन और धरने के किसी को घायल करना ,पागलपन ही तो है !
अब आये -एक दर्द भरी- पीड़ा आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ! भारतीय रेल के चालक - ड्राईवर कहलाते थे ! अब रेलवे ने इसे संवार कर लोको पायलट का नाम दे दिया है ! तारीख २० जून २०१०, .रेनिगुन्ता का एक लोको पायलट जो हमारे एसोसिएसन का मेंबर भी है , नाम -श्री एस. मनोहर ( उम्र -३८ वर्ष ), ट्रेन संख्या -१७२०९ (बंगलुरु से काकीनाडा ) को जोलर पेत्तायी से लेकर रेनिगुन्ता को आ रहे थे ! यह ट्रेन काट पाडी ,पाकला और तिरुपति होकर रेनिगुन्ता को जाती है ! इन कि ट्रेन काट पाडी से पौने छ बजे रवाना हुई और रामापुरम की तरफ बढ़ रही थी ! ट्रेन की गति करीब ८५ किलो मीटर के आस - पास थी ! अचानक किसी बाहरी व्यक्ति ने एक पत्थर दे मारा ! वह पत्थर लोको के सामने वाली शीशे को तोड़ती हुई ,एस. मनोहर के सीर पर लगी ! ट्रेन की गति और वह पत्थर , किसी बन्दुक के गोली से कम नहीं थी ! वे ट्रेन को न संभाल , दर्द से कैब में ही गीर पड़े ! सहायक ने आकस्मिक ब्रेक लगा कर ट्रेन को तुरंत रोक दिया ! देखा उसके लोको पायलट के चहरे खून से लत -फत! दोनों आँखों को हाथ से पकडे हुए !
मनोहर ने कहा - मेरे आँख बुरी तरह से जख्मी हो गए है ! मै ट्रेन आगे नहीं चला सकता ! मेडिकल सहायता जरुरी है ! इसकी सूचना ट्रेन गार्ड को मिल चुकी थी ! उसने कंट्रोल कार्यालय को सूचना दे दी ! ट्रेन को धीमी गति से चला कर सहायक रामपुरम तक ले आया !
एक दुसरे ट्रेन के लोको पायलट की (उस ट्रेन को आगे ले जाने के लिए) व्यवस्था किया गया ! रामपुरम के आस-पास कोई डाक्टर नहीं है ! अतः मनोहर को काटपाडी वापस भेजा गया ,जहा रेलवे डाक्टर पहले से तैयार थे!
तब-तक रात के नौ बज रहे थे ! रेलवे डाक्टर ने घाव की जाँच की -पर वह उसके वश का नहीं था ! दुसरे दिन यानी २१ जून २०१० को एस.मनोहर को क्रिश्चन मेडिकल कोलेज ( सी.एम्.सी ) वेल्लोर को रेफर किया गया ! जहा आँख के स्पेशलिस्ट अपनी गहन जाँच के बाद इस नतीजे पर पहुंचे की मनोहर के बाएं आँख की कोर्निया और नेचुरल लेंस क्षतिग्रस्त हो गए है ! सर्जरी जरुरी है ! दाहिने आँख को भी साधारण चोट लगी है ! सी.एम्.सी.के डाक्टरों ने सर्जरी सफलता पूर्वक किये और २५ जून को मनोहर को डिस्चार्ज कर दिया गया !
शंकर नेत्रालय चेन्नई और दक्षिण भारत में बहुत ही प्रसिद्द अस्पताल है ( नेत्र के इलाज और आपरेशन के लिए ) , एक महीने बाद रेलवे मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुमति से एस.मनोहर इस अस्पताल में ऋ -चेक के लिए गए ! डाक्टरों ने सुझाव दिया की रेतईना डिटैच पोजीसन में है ! फिर आपरेशन करना पडेगा !
फिर पेरम्बूर रेलवे हॉस्पिटल ने इसकी अनुमति दी ! शंकर नेत्रालय में डाक्टरों ने आपरेशन की और रेतईना को फिर अटैच कर दिए ! इतना ही नहीं उन्होंने सुझाव दिया की प्रति माह चेक -अप करने होंगे और सिक्स माह के बाद फिर एक आपरेशन करने पड़ेंगे !
इस तरह से एस. मनोहर पुरे उपचार के बाद अपने रेलवे हॉस्पिटल को रिपोर्ट किये ! उन्होंने इस लोको पायलट श्री एस.मनोहर को - ट्रेन चलने के कार्य से मेडिकली अन -फिट कर दिया है ! अब एस. मनोहर ट्रेन नहीं चला सकते ! इस दुर्घटना ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया ! वह आजाद पक्षी अब उड़ नहीं सकता ! मुझे इस घटना की पूरी रिपोर्ट , उस समय ही मील गयी थी ! लेकिन पूरी जानकारी नहीं थी ! जब मै उनसे ग्यारह अगस्त को रेनिगुनता रेस्ट रूम में मिला तो उन्होंने उपरोक्त पूरी जानकारी दी !
लोको पायलटो के दुखो और निदानो से सदैव लड़ते आया हूँ ! इस व्यथा को सुन दिल कह उठा - मुझसे क्या भूल हुई जो ये सजा मुझको मिली ! रेलवे पथ के किनारे खड़े व्यक्ति के एक छोटे पत्थर ने आज एस.मनोहर के जीवन को झक-झोर कर रख दिया है ! आखिर इन्होने किसी का / उसका क्या बिगाड़ा था ? आज रेलवे इन्हें अपाहिज नहीं किया , बल्कि सुयोग्य पद के तलाश में है ! फिर भी इन्हें प्रति माह करीब दस-पंद्रह हजार के नुकशान सहन करने पड़ेंगे !
बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना। न जाने कौन सा विद्वेष या बचकाना पाल रखा है लोगों ने जो चलती ट्रेन पर पत्थर फेकतें हैं।
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक प्रसंग लातें हैं आप ,दिलो -दिमाग को झकझोरने वाला .ये बे -हूदा ,बे -सलीका लोगों का देश है .अशिक्षा और गरीबी इन घटनाओं के मूल में है .रास्ता रोकों आन्दोलनों ने इस बोडम संकृति को जन्म दिया है पाला पोसा है .इनका पहला निशाना रेलें ही बनतीं हैं .
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HypnoBirthing: Relax while giving birth?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
व्हाई स्मोकिंग इज स्पेशियली बेड इफ यु हेव डायबिटीज़ ?
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .(कबीरा खडा बाज़ार में ...........)
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बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना
ReplyDeleteआज का आगरा ,भारतीय नारी,हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल , ब्लॉग की ख़बरें, और एक्टिवे लाइफ ब्लॉग की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसवाई सिंह राजपुरोहित आगरा
आप सब ब्लॉगर भाई बहनों को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई / शुभकामनाएं
दुखद घटना ...न जाने लोग क्यों ऐसे बेहूदा व्यवहार करते हैं........ मन में बहुत रोष होता है सच में
ReplyDeleteकिसी का खेल दूसरे की जिंदगी बर्बाद कर सकता है ...
ReplyDeleteदुर्भाग्यपूर्ण!
बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पाइलटों की सुरक्षा के लिये लोको के डिज़ाइन में परिवर्तन के बारे में विचारा जाना चाहिये। कृपया ऐसे मुद्दे उठाते रहिये, यहाँ भी और अपने अधिकारियोंके साथ भी।
ReplyDeleteकुछ सिरफिरे आवारा किस्म के लोग ...... ये नहीं सोचते कि उनकी एक गलती का दूसरे व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा...
ReplyDeleteअफ़सोस है .
दुर्भाग्यपूर्ण घटना...श्री मनोहर जी ने किसी का क्या बिगाड़ा था? ऐसे शरारती तत्वों को ऐसी हरकतें करने पहले सोचना चाहिए कि वे उनकी इस हरकत सेकिसी की जिन्दगी नरक बन सकती है...
ReplyDeleteलोगों मे कर्तव्य बोध का आभाव इस प्रकार की बेहूदा हरकतों के लिए जिम्मेदार है।
ReplyDeleteमर्मांतक एवं दुखद घटना है। एस मनोहर जी को न्याय मिलना चाहिए।
स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteप्रिय पाठको -आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की शुभ कामनाये ! इस तरह की कई घटनाये मेरे जेहन में है ! इन घटनाओ को हम -समय - समय पर अधिकारियो के समक्ष उठाते रहे है ! कुछ लोको मोटिव में पतले आयरन की मेष लगायी गयी है ! पर ९० % लोको मोटिव बिना मेष के है ! अधिकारियो को भी इस तरफ उतना ध्यान नहीं है ! कारन - मरने दो इन्हें ? किन्तु इतना जरुर सत्य है - की जिन अधिकारियो ने लोको पायलटो को नुकशान पहुँचाया , वे जीवन में सुखी नहीं रहें क्योकि लोको पायलट का सर्विस ही लोको पायलटो के लिए एक अभिशाप है ! इससे ज्यादा तो बोनस ! आप सभी की तिपन्निया एस.मनोहर तक पहुंचा दी जाएगी ! इससे कम से कम उन्हें शकुन तो मिलेगा ! सुन्दर और उपुक्त टिपण्णी के लिए ,आप सभी को एक बार फिर से धन्यबाद !
ReplyDeleteबहुत ही दुखद घटना ! बेहद अफ़सोस की बात है!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
यौमे आज़ादी की साल गिरह मुबारक .-शाह साहब .
ReplyDeleteSunday, August 14, 2011
आज़ादी का गीत ......
उर्दू के मशहूर शायर जोश मलीहाबादी की नज़्म ‘लम्हा-ए-आज़ादी’ का एक बड़ा लोकप्रिय शेर है:
कि आज़ादी का इक लम्हा है बेहतर
ग़ुलामी की हयाते-जाविदाँ से
आइये हम इस आज़ादी को 'जश्ने आज़ादी' बनाएं और इसका लुफ्त उठाएं ......
मनायेंगे ज़मीने -हिंद पर हम ज़श्ने आज़ादी
वतन के इश्क में हम सरों का ताज रखेंगे.
रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
Sunday, August 14, 2011
चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !
That was painful :( :(
ReplyDeletethanks for visiting my blog.. it means a lot to me..!! I am following you now :)
दुखद घटना....भारी संवेदना के साथ !
ReplyDeleteVery sad comrade.
ReplyDeleteWhy Pay commissions not agree with our duty hazards like militarymen?
Why not paying 75% RA?
Why CPC/RAC are saying a 30% RA is only a difference of pay?
Then what about our hazardous nature of job?
When will our mileage rates be decided?
What about his 55% Retirement Benefit?
Whether he will be awarded higher grade pay including 30% to his Rs.4200/- GrPay?
Whether he will be paid LMA of non-running duty till retirement?
Whether he will be considered victim of terror attack for compensation?
I HAVE ALREADY RAISED THIS THROUGH UNION TO RLY BOARD IN REFERANCE TO SUGGESTIONS CALEED ABOUT FIXATION OF PAY OF MEDICAL DECATEGORISED DRIVERS. BE UNITED FOR OUR DEMANDS.
S.M.LOKHANDE
LPME/ SUR
ओह बेहद दर्दनाक ......
ReplyDeleteकिसी की जरा सी भूल किसी की तमाम ज़िन्दगी बर्बाद कर सकती है ...
हो सकता है वो किसी अशिक्षित बच्चे की भूल हो
क्या यही नियति है ...?
वक़्त कब कहाँ ले जाये इंसान के बस में कुछ नहीं ....
हिन्दुस्तान के आवाम को यह उद्दंडता सिखाने में "लोक दल "/लोक दलदल का हाथ रहा जिन्होनें पेड़ काट काट रास्ता रोकने की नींव राखी ,रेलें रोकीं . ......http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/
ReplyDeleteमंगलवार, १६ अगस्त २०११
पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .
Thursday, August 18, 2011
Will you have a heart attack?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
aadarniy sir aapki prastuti bahut hi samvedna se bhari hui hai sach me ksi ke kiye ki saja koi aur bhugat raha hai .as manohar ji ko shubhkamnayen ki vah jald hi puri tarah se thek ho jaaye .bina kisi karan unko itni badi saja mili jisne unke jivan me hi uthal-puthal macha di hai.
ReplyDeletebahut hi marmik prasang laga padh kar bahut hi dukh hua.
aaj-kal comments bahut hi vilamb se dal pa rahi hun kisi vivashta vash---xhama chahti hun.
dhanyvaad v
hardik naman
poonam
दुर्भाग्पूर्ण
ReplyDeleteअगर आपको प्रेमचन्द की कहानिया पसंद हैं तो आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
http://premchand-sahitya.blogspot.com/
मनोहर जी के साथ जो कुछ भी हुआ उसमें उनका कोई दोष नहीं फिर उन्हें किस बात की सज़ा दी जा रही है !
ReplyDeleteउनके साथ न्याय होना चाहिए !
अत्यंत दुखदायी प्रसंग ! People need to behave and act sensibly.
ReplyDeleteबेहद दुखद घटना ... बहुत संवेदनहीन होते जा रहे हैं हम ... फरक नहीं पढता आज हमें किसी दूसरे के दुःख से ... अपनी मस्ती अपना काम ... बस यही रह गया है ...
ReplyDeleteuf kitni marmik ghatna hai aesa kitni bar huaa hai holi ke smy me kisine gobar mara tha mere ek parchitki ek aankh chali gai hai.
ReplyDeletelogon ki ek masti ayr kisi ke jeevan bhar ka darad kash log samjh pate
saader
rachana
Thank you for visiting my blog. Sorry I cannot read your posts but I like your header and your photos.
ReplyDeleteबहुत ही दुखद प्रसंग था ....पता नहीं क्यों ,आज इनसान अपनी इंसानियत भूलता जा रहा है
ReplyDeleteआपकी पोस्ट लगता है मेरे डैश बोर्ड पर नहीं आ रहीं हैं.तभी इसे पढ़ने में देरी हुई है.क्षमा चाहता हूँ.
ReplyDeleteबेहद दुःख भरा संस्मरण है यह.
रामचरित्र मानस में कहा गया है
'हानि लाभ जीवन मरण ,जस अपजस विधि हाथ'
कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता.
इसीलिए गीता में कहा गया है कि सब कोशिश के बाबजूद भी
'सुख दुःख को सहन करना ही एक मात्र उपाय है'