Sunday, November 28, 2010

क्या स्वपन भी सच्चे होते है ?

                      जी हाँ  ,ये उपरोक्त  वाक्य कुछ समय के लिए हमें हैरत में डाल सकती  है .इसमें बिस्वास करना न करना ,हर आदमी की अपनी पसंद होती है. वैसे  मै  अपने इस ब्लॉग से एक सप्ताह तक अलग रहा, क्यों की मै अपने रेफ्रेशेर क्लास में शामिल  होने के लिए हैदराबाद चला गया था.और आज ही वापस लौटा हूँ ,आते ही सोंचा कुछ लिखना जरुरी है अतः लिखने बैठ गया.वैसे मै अपने इस ब्लॉग की सार्थकता को बनाये रखना चाहता हूँ.
                         मै अपने इर्द घटी बातो को ही यहाँ प्रस्तुत करता हूँ.मै ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर कुछ नहीं कहना चाहता,क्यों की ऐसी मेरी आदत नहीं है.थोड़े शब्दों  में बातो को पूरी करना मेरी प्राथमिकता होती है.
                अब आये ,उपरोक्त वाक्य  पर ध्यान  दे .मै अपने बारे में यही कहूँगा की सपने सच होते है,ब्शारते उसकी पूरी तरह से ब्याख्या की जाय.आये देखे यह कैसे ,सच होते है........
                 मै अपने हॉस्टल के रूम नंबर ४५ पर सोया हुआ था .तारीख २६.११.२०१० की बात है. सुबह जल्द उठाने की आदत हो गयी थी, क्यों की सुबह जल्दी अपने रोज की क्रिया कलाप से निब्रित  होकर सुबह की नास्ते के बाद ०९ बजे ट्रेनिंग क्लास में शामिल होना पड़ता था.मै सात बजे के करीब, अपने को-रूम मेटो को जानकारी दी की मै आज रात एक स्वप्न देखी है. जिसमे मै ट्रेन  के पीछे दौड़ रहा हूँ .कभी चढ़ रहा हूँ,तो कभी उतर रहा हूँ.और एक सह लोको चालक (काफी गन्दी  स्थिति में ) मेरे साथ चिपक रहा है.
                   मैंने  उन लोगो को बताई की दौड़ाने का मतलब यह है की कोई मेरे परिवार के सिवा, बीमर पड़ेगा या मृत्यु के नजदीक है या आज किसी के मौत  की समाचर मिलनेवाली है.तथा सहायक लोको चालक का मेरे साथ चिपकाने का मतलब यह लग रहा है की मेरे घर में कोई अस्वस्थ  है./ होगा.
                   किसी ने हामी भरी तो किसी ने सहमति में कुछ और घटनाओ की जिक्र कर दी.सभी अपने -अपने क्लास को चले गए ,बात आई और यु गई.,शाम को मैंने अपने पत्नी को फोन  लगाया और ,अपने परिवार के बारे में पूछ -ताछ की तो , पाया की बड़ा बेटा हॉस्पिटल में गया है क्यों की उसके आँखों में घाव निकल गया है.
                  नेक्स्ट डे यानि तारीख २७.११.२०१० को जब मै प्रेयर  के लिए मैदान में पहुंचा तो मेरे साथियों ने खबर देते हुए कहा की खादर बलि लोको चालक (passenger /नंदयाल ..) का कल heart अत्तैक की वजह से देहांत हो गया.
     मै अपने सपनों को साकार पाया.ऐसी बहुत सी घटनाओ की जिक्र मै समय-समय पर अगले पोस्ट में करता रहूँगा.

3 comments:

  1. सपने सच होते हैं...यह भाव रखना सिर्फ हानीकारक है। मनुष्य को भविष्य जानने की इतनी आवश्यकता होती तो और गुणों की तरह यह गुण भी मनुष्य को मिल जाता। भविष्य जानने या स्वप्नों के अर्थ खोजने का प्रयास ही नहीं करना चाहिए।...
    ..यह मेरी राय है मैं गलत आप सही भी हो सकते है।

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  2. धन्यवाद देवेन्द्र जी, वैसे मै भी भरोसा नहीं करता,पर मेरे साथ ऐसी घटनाये कई बार ,हो चुकी है .अगले पोस्ट को पढ़ते रहे, क्या कुछ सही है ,उसे कुछ हद तक .समझा जा सकता है मेरे पोस्ट को नियमित पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  3. --देवेन्द्र जी, वस्तुतः सपने इसी तरह भविष्य के समाचार टेलीपेथी की भांति देते हैं,जो मनुष्य के बौद्धिक, आत्मिक व ग्यान और चेतना की संवेदना व उच्चता के स्तर पर आधारित है; यह भाव रखना कोई हानिप्रद नहीं, यदि है तो कैसे...बतायें? भविष्य जानने की इच्छा व स्वप्न का अर्थ जानने का प्रयास में फ़र्ख है...

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