जयेंद्र घर में आते ही पत्नी के हाथ पर सौ रुपये के दो गड्डी थमा दी और मुस्कुराते हुए बोला --" मायानगरी और लक्ष्मी जी !" पत्नी गड्डी को देखने लगी ! कुछ समझ में नहीं आया ! बोली - " ये क्या है ! बीस हजार रुपये "
" आरे भाग्यवान ..यह भी पूछने की बात है ! आज की कमाई ,,वश और क्या !" - शर्ट की बटन को खोलते हुए जयेंद्र ने कहा !
" अजी कहते थे इस हप्ते सतर्कता दिवस है और यह क्या ?- पत्नी ने पूछा !
" परीक्षा बार - बार थोड़े ही कोई देता है ?"
" मतलब..... नहीं समझी "- सुनीता बेबजह और गंभीर हो पूछ बैठी !
" मतलब ये की सतर्कता दीवस को ही भाग्य की आजमायिस होती है ! इसमे पास हो गए तो समझो चाँदी ही चाँदी ! ये दिन तो बस दिखावे के लिए आते है ! बश यह एक पर्व है - ख़ुशी मनाओ और कमाओ "
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काल बेल बजी ! अजी देखो कौन आया है ? जयेंद्र ने पत्नी को पुकारा ! पत्नी दरवाजे की ओर बढ़ी ! जयेंद्र ने भी साथ दिया ! दरवाजे पर सिविल पुलिस को देख सन्न रह गया ! " क्या बात है ? " - जयेंद्र ने पुलिस वालो से पूछ?
" आप पर घुस लेने के आरोप है ! थाने चले ? एक सिपाही बोला ! जयेंद्र पत्नी का मुह देखने लगा -जैसे पूछ रहा हो , ये क्या ? पत्नी मंद और दुःख भरी मुस्कान के साथ बोली - " फेल हो गए ? "
" धन्यबाद मैडम ! "-पुलिस वालो ने कहा और जयेंद्र को साथ ले चल दियें !
bahut sateek saarthak prastuti !
ReplyDeleteसुंदर लघुकथा..
ReplyDeleteबेवकूफ ही पकड़े जाते हैं। होशियारों को आप देख नही रहे,किस कदर जनलोकपाल को लटकाए जा रहे हैं!
ReplyDeleteA SORT STORY HAS A BIG NUTSHELL
ReplyDeleteपत्नी मंद और दुःख भरी मुस्कान के साथ बोली - " फेल हो गए ? "hmesha pas honevala bhi kbhi-kbhi fail ho jata hai.
ReplyDeleteकाश सभी रिश्वतखोरों के साथी इतने साहसी होते।
ReplyDeleteसीख देती सार्थक लघु कथा.
ReplyDeleteआप मेरी पोस्ट पर आये आपका आभार,,,,
प्रसंग प्रेरक है।
ReplyDeleteदर्दनाक :)
ReplyDeleteaadarniy sir
ReplyDeletebahut dino baad aapke blog par aai hnxhama prarthini hun.
aapki yah prastuti rishvat khoron ke liye ek sabak hai.
sadar naman
poonam
प्रेरक कथा के लिए आभार।
ReplyDeleteati khoob
ReplyDeletedarthak sandesh deti sunder laghukatha..
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