नर - नारी , घर परिवार , समाज , जिला , प्रदेश , देश - विदेश , संसार और यह व्योम । सम नहीं है , भला मनुष्य सम कैसे हो सकता है । हर मनुष्य में कुछ कर सकने की शक्ति छुपी हुयी होती है । कोई पढ़ने में , कोई खेलने में , कोई राजनीति में , तो कोई -भोग विलास और योग के क्षेत्र में माहिर है । एक ही कक्षा में कई विद्यार्थी , एक ही शिक्षक के द्वारा शिक्षा ग्रहण करने के वावजूद भी अलग - अलग मार्ग पर अग्रसर हो जाते है । एक ही धरती ..अलग - अलग बीज ग्रहण कर , अलग -अलग आकार देती है । ये तो व्यापारी और ग्राहक का एक अनूठा सम्बन्ध है ।
कुछ जीवन की अनुभूति -
बाबूलाल यादव का नाम आते ही सभी यही समझ जाते थे .....पढाई में कमजोर विद्यार्थी । शिक्षक के डांट या फटकार का कोई असर नहीं । लोहा सिंह इसके नाम का पर्याय बन चुका था । सभी शिक्षको के उपहास का पात्र । कोई भी उसके तरफ ध्यान नहीं देते थे । होम वर्क नक़ल कर कक्षा में ही तैयार करना , शिक्षको की अनुपस्थिति में क्लास के अन्दर शोर गुल का भागी दार बनना , उसे बेहद पसंद था ।
कक्षा -6 , स्कूल के दुसरे मंजिल पर क्लास । उस दिन क्लास का आखिरी पीरियड , वह भी व्यायाम और उससे सम्बंधित । पशु पति सिंह जी इसके शिक्षक थे । भलामानस व्यक्तित्व वाले । समय - समय पर सामाजिक कार्यकलापो का जिक्र करने में माहिर । क्लास में आयें , किन्तु देर से । हम सभी शांत मुद्रा में , अगले विषय के इंतज़ार में । क्लास में सन्नाटा । हम सभी की ओर उन्मुख हो उन्होंने अचानक एक प्रस्ताव रखा । उन्होंने कहा की -" इस दुसरे मंजिल से निचे कौन कूद सकता है ? हाथ उठाये ?"
सभी के बीच सन्नाटा छा गया । शिक्षक महोदय बारी - बारी से सभी की ओर देखने लगे । एक मिनट , दो मिनट और पांच मिनट गुजर गए । आखिर में असहाय सा प्रतीत होते देख , एक बार फिर उन्होंने अपनी बात दुहरायी । और ये क्या ? सभी को आश्चर्य ...ही ..आश्चर्य । सभी के सामने ..बाबू लाल यादव ने अपने हाथ ऊपर उठायें । बाबू लाल ने कहा -सर मै निचे कूद सकता हूँ । इधर आओं । पीपी सिंह जी बाबू लाल को अपने पास बुलाते हुए कहा । सभी लड़को के बीच फुसफुसाहट की ध्वनि गूंजने लगी ।
पीपी सिंह जी ने कहा - इसका फैसला कल प्रेयर के बाद होगा । दुसरे दिन ..सभी लडके - लड़कियों के बीच सिर्फ बाबू लाल यादव की ही चर्चा । इसके हाथ - पैर जरूर टूट जायेंगे । अपने को तीसमार खा समझता है । पछतायेगा । इसे इस तरह के जोखिम लेने की क्या जरूरत थी ।..अब क्या होगा ? जानने के लिए सब उतसुक । प्रथम पीरियड ..पीपी सिंह जी का न हो कर भी वह ..कक्षा में आयें । उनके मुख पर मुस्कान की छटा । उन्होंने - बाबू लाल यादव की तरफ इशारा करते हुए कहा -" इधर आओ ।" बाबू लाल उनके करीब जाकर खड़ा हो गया । दोस्तों के तरह - तरह की बातो को सुन वह सहम सा गया था । मुख पर सहमी सी मुस्कराहट । पीपी सिंह जी ने एक बार फिर बाबू लाल के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा -" कूदने के लिए तैयार हो ?" बाबू लाल ने हां में सिर हिलाई ।
पीपी सिंह जी हँसे और अपने पाकेट से एक बाल पेन निकाल कर बाबू लाल को उपहार स्वरुप आगे बढ़ाये । उन्होंने कहा - " बच्चो .. वास्तव में बाबू लाल लोहा सिंह है ।"
याद गुरू जी को किया, यादव बाबू लाल |
ReplyDeleteलोहा सिंह बनता भया, साहस दिखा कमाल ||
हर मनुष्य में कुछ कर सकने की शक्ति छुपी हुयी होती है ।
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट.....
साहस है यदि आपमें,कार्य नही असंभव
ReplyDeleteहिम्मत से हो जाता,हर कार्य है सम्भव,,,,,
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
टीचर ने इम्तेहान नहीं लिया और पैन गिफ्ट किया. यह उसके लोहा सिंह के प्रति प्रेम ही था. बहुत खूब रही.
ReplyDeleteबहुत खूब कहानी, नाम लेते ही कुछ भाव आ जाते हैं।
ReplyDeleteहर बालक अनूठा होता है हम उसे बने बनाए सांचों में ढाल उसका कौशल ,हुनर ,आत्म -विश्वास सब कुछ तो नष्ट कर देतें हैं .
ReplyDeleteभाई साहब वाइन में भी ८-१७ % तक एल्कोहल होता है .यहाँ अमरीका में तो जीरो एल्कोहल वाइन क्या बीयर भी मिलती है शुद्ध माल्ट से तैयार .लेकिन केलोरीज़ का अपना गणित है .रिसर्च रिपोर्ट्स का अपना एक अर्थ शास्त्र भी होता है यहाँ अमरीका में .बेशक तनाव किसी भी बिध ठीक नहीं ,वाइन से कम होता दिखे तो ज़रूर लें,लेकिन एक ग्लास से ज्यादा वाइन नहीं .एक ग्लास बोले तो १८० मिलीलीटर (१८० ग्राम ).
ram ram bhai
रविवार, 9 सितम्बर 2012
A Woman's Drug -Resistant TB Echoes Around the World
A Growing Threat
India is home to a quarter of the world's tuberculosis patients
World 8.8 ,illion
India 2.3 million
China 1.0 million
Russia 150,000
Brazil 85,000
US 13,000
कौन है यह रहीमा शेख जिसकी तपेदिक व्यथा कथा आज आलमी स्तर पर चर्चित है ? गत छ :सालों में यह भारत के एक से दूसरे कौने तक इलाज़ कराने पहुंची है .लेकिन मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की .इस दरमियाँ बाप भाई की सारी कमाई ज़िन्दगी भर की बचत खेत खलिहान दांव पर लग गए आज यह भारत की पहली ऐसी मरीज़ा बन गई है जिस पर तपेदिक के लिए मंजूरशुदा ,स्वीकृत कोई भी दवा असर नहीं करती .
मन में साहस होना जरूरी है ... अच्छी कहानी है ... गुज़रे जमाने के कुछ मित्र बरबस याद आ जाते हैं ...
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