थोड़ी सी बेवफाई ....के बाद आज आप के सामने हाजिर हूँ ! स्कूल के बंद होने और यात्राओ पर जाने के दिन , शुरू हो गए है ! ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ ! नागपुर गया वाराणसी गया , बलिया गया और बंगलुरु की याद और संयोग वापस खींच ले आई ! कारण ये थे की लोको चालको की उन्नीसवी अखिल भारतीय अधिवेसन , जो बंगलुरु में सोलह और सत्रह मई को निश्चित था , में शरीक होना था ! पडोसी जो ठहरा ! एक तरह से वापसी अच्छी ही रही ! माथे की गर्मी और पसीने से निजात मिली ! उत्तर और दक्षिण भारत के गर्मी में इस पसीने की एक मुख्य भूमिका अंतर के लिए काफी है !
ज्ञान ज्योति आडिटोरियम / बंगलुरु
बंगलुरु जैसे मेगा सीटी में इस अधिवेशन का होना , अपने आप में एक महत्त्व रखता है ! देश के -कोने - कोने से सपरिवार लोको चालको का आना स्वाभाविक था और इससे इस अधिवेशन में चार चाँद लग गए ! इसके सञ्चालन की पूरी जिम्मेदारी दक्षिण-पच्छिम रेलवे के ऊपर थी और दक्षिण तथा दक्षिण मध्य रेलवे की सहयोग प्राप्त थी !
इस अधिवेशन में चर्चा के मुख्य विषय थे --
1) अखिल भारतीय कार्यकारिणी का नए सिरे से चुनाव
2) पिछले सभी कार्यक्रमो की समीक्षा
3)लंबित समस्याओ के निराकरण के उपाय
4)संगठनिक कमजोरी / उत्थान के निराकरण / सदस्यों में प्रचार
5) छठवे वेतन आयोग के खामियों के निराकरण में आई कठिनाईयों और बाधाओं का पर्दाफास
6)सभी लोकतांत्रिक शक्तियों के एकीकरण के प्रयास में आने वाली बाधाओं पर विचार
7)नॅशनल इंडस्ट्रियल त्रिबुनल और अब तक के प्रोग्रेस .
8) चालको के ऊपर दिन प्रति दिन बढ़ते . दबाव और अत्याचार
वगैरह - वगैरह ..
आडिटोरियम का मंच
इस अधिवेशन को उदघाटन
कामरेड बासु देव आचार्य जी ने अपने भाषणों से किया ! उन्होंने कहा की सरकार श्रमिको के अधिकारों के हनन में सबसे आगे है ! आज श्रमिक वर्ग चारो तरफ से , सरकारी आक्रमण के शिकार हो रहे है ! उनके अधिकारों को अलोकतांत्रिक तरीके से दबाया जा रहा है ! अधिवेशन के पहले दिन विभिन्न संगठनो के नेताओ ने अपने विचार रखे !
सभी नेताओ ने सरकार की गलत नीतियों की बुरी तरह से आलोचना की ! चाहे महंगाई हो या रेल भाड़े की बात , पेट्रोल की कीमत हो या सब्जी के भाव ! 99% जनता त्रस्त और 1% के हाथो में दुनिया की पूरी सम्पति !
गरीब और गरीब , तो अमीर और अमीर !
दोपहर भोजन के बाद बंगलुरु रेलवे स्टेशन से लेकर ज्ञान ज्योति आडिटोरियम तक मास रैली निकाली गयी , जिसमे हजारो सदस्यों ने भाग लिया !
बंगलुरु स्टेशन से आगे बढ़ने के लिए तैयार रैली !
रैली के सामने कर्नाटक के लोक नर्तक , अगुवाई करते हुए !
राजस्थान से आये इप्टा के रंग कर्मियों ने भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित अंधेर नगरी , चौपट राजा के तर्ज पर - आज के रेलवे की हालत से सम्बंधित नाटक का प्रदर्शन किया !
दुसरे दिन डेलिगेट अभिभाषण में चालक सदस्यों ने कुछ इस तरह के मुद्दे सामने प्रस्तुत किये , जो काफी सोंचनीय है --
(1) लोको चालको को इस अधिवेशन से दूर रखने और भाग न लेने के लिए , भरसक हथकंडे अपनाये गए ! कईयों की डेपो में मुख्य कर्मीदल निरीक्षक के द्वारा छुट्टी पास नहीं हुयी !
(2) कई डेपो में लोको चालको को साप्ताहिक रेस्ट नहीं दिया जा रहा है , क्योकि गाडियों को चलाने के लिए प्रशासन के पास अतिरिक्त चालक नहीं है ! बहुतो को लिंक रेस्ट भी डिस्टर्ब हो जाते है ! कारण गाड़िया तो नहीं रुक सकती ! माल गाडी के चालको को पंद्रह से बीस घंटो तक कार्य करने पड़ते है ! समय से कार्य मुक्त नहीं हो पाते है ! कईयों को रिलीफ पूछने पर चार्ज सीट के शिकार होने पड़े है ! अफसरों की मनमानी चरम सीमा पर है ! चालको के परिवार एक अलग ही घुटन भरे जीवन जी रहे है ! घर वापस आने पर बच्चे सोये या स्कूल गए मिलते है ! पारिवारिक / सामाजिक जीवन से लगाव दूभर हो गए है ! "
पापा कब घर आयेंगे ? " - पूछते हुए बच्चे माँ के अंक में सो जाते है ! चालको की पत्त्निया हमेशा ही मानसिक और शारीरिक बोझ से दबी रहती है ! घर में सास - ससुर और बच्चो की परवरिश की जिम्मेदारी इनके ऊपर ही होती है !
अजीब सी जिंदगी है !
अणिमा दास ( स्वर्गीय एस. के . धर , भूतपूर्व सेक्रेटरी जनरल /ऐल्र्सा की पत्नी सभा को संबोधित करते ह !) इन्होने लोको चालको के पत्नियो से आह्वान किया की वे अपने पति के मानसिक तनाव को समझे तथा सहयोग बनाये रखे !
(3 अस्वस्थता की हालत में रेलवे हॉस्पिटल के डाक्टर चालको को मेडिकल छुट्टी पर नहीं रख रहे है ! उन्हें जबरदस्ती वापस विदा कर देते है ! परिणाम -कईयों को ड्यूटी के दौरान मृत्यु /ह्रदय गति रुकने से मौत तक हो गयी है ! डॉक्टर घुश खोर हो गए है !
(4) चालको के डेपो इंचार्ज ...मनमानी कर रहे है , उनके आवश्यकता के अनुसार उनकी बात न मानने पर , तरह - तरह के हथकंडे अपना कर परेशान करते है ! इस विषय पर एक कारटून प्रदर्शित किया गया था -जैसे =
" सर दो दिनों की छुट्टी चाहिए !" - एक लोको चालाक मुख्य कर्मीदल निरीक्षक से आवेदन करता है ! करीब सुबह के नौ बजे !
" दोपहर बाद मिलो !" निरीक्षक के दो टूक जबाब !
लोको चालक दोपहर को ऑफिस में गया और अपनी बात दोहरायी !
" शाम को 5 बजे आओ !" निरीक्षक ने संतोष जताई !
बेचारा लोको चालक 5 बजे के बाद ऑफिस में गया ! निरीक्षक की कुर्सी खाली मिली !
ये वास्तविकता है !
(5) चालको के अफसर भी कम नहीं है ! अनुशासित को दंड और बिन - अनुशासित की पीठ थपथपाते है ! अलोकतांत्रिक रवैये अपना कर ,चार्ज सीट दे रहे है ! छोटे - छोटे गलतियों के लिए मेजर दंड दिया जा रहा है ! डिसमिस / बर्खास्त उनके हाथ के खेल हो गए है ! कितने तो पैसे कमाने के लिए चार्ज सीट दे रहे है !
(6) सिगनल लाल की स्थिति में पास करने पर ..सीधे चालको को बर्खास्त किया जा रहा है ,बिना सही कारण जाने हुए ! जब की कोई भी चालक ऐसी गलती नहीं करना चाहता ! इसके पीछे कई कारण होते है ! अपराधिक क्षेत्र में सजा के अलग - अलग प्रावधान है , पर चालको के लिए कारण जो भी हो , सजाये सिर्फ एक --बर्खास्त / डिसमिस ! सजा का एक घिनौना रूप !
(7) कई एक रेलवे में लोको चालको को बुरी तरह से परेशान किया जा रहा है ! बात - बात पर नोक - झोंक !
(8)
रेलवे में घुश खोरी अपने चरम पर है ! अफसर बहुत ही घुश खोर हो गए है ! उनके पास रेलवे से एकत्रित की गयी अकूत सम्पदा है ! सतर्कता विभाग लापरवाह है ! घुश खोरी का मुख्य मार्ग ठेकेदारी है , जिसके माध्यम से घुश अर्जित किये जाते है ! यही वजह है की ठेकेदारी जोरो पर है !
(9) अस्पतालों,रेस्ट रूम और खान-पान व्यवस्था बुरी तरह से क्षीण हो चुकी है ! लोको चालक इनसे बुरी तरह परेशान है ! शिकायत कोई सुनने वाला नहीं है ! शिकायत सुनने वाला घोड़े बेंच कर सो रहा है !
(10) रेलवे का राजनीतिकरण हो गया है ! राज नेता इसे तुच्छ स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने लगे है ! कुछ दिनों में इसकी हालत इन्डियन वायु सेवा जैसी हो जाएगी ! यह एक गंभीर समस्या है !
और भी बहुत कुछ भारतीय व्यवस्था के ऊपर करारी चोटें हुयी , जो सभी को रोजाना प्रत्यक्ष दिख रहा है !
सभी के प्रश्नों का जबाब देते हुए काम. एम्.एन. प्रसाद सेक्रेटरी जनरल ने कहा की
आज सभी श्रमिक वर्ग को सचेत और एकता बनाये रखते हुए ...आर - पार की लडाई लड़नी पड़ेगी !
अधिवेशन के आखिरी में नए राष्ट्रिय कार्यकारिणी का चुनाव हुए ! जिसमे
एल.मणि (
राष्ट्रिय अध्यक्ष ),
एम् एन प्रसाद (
राष्ट्रिय सेक्रेटरी ) और
जीत सिंह टैंक (
राष्ट्रिय कोषाध्यक्ष ) निर्विरोध चुने गए !
सजग प्रहरी एक चौराहे पर