ट्रेन से ली गयी एक पुराने रेलवे ब्रिज के खम्भे की तस्वीर
अहंकार मानव जाति को अँधा बना देता है ! अतः मानव पथ भ्रष्ट होकर ऐसे कार्यो में लीन हो जाता है कि उसे उचित या अनुचित का ध्यान ही नहीं रहता ! अंत में यह उसके जीवन में पराजय का एक पहलू बन जाता है ! रावण , कंस या दुर्योधन इसके उदहारण के लिए काफी है !
वहीँ परमार्थ के लिए उत्पन्न अहंकार मानव को श्रेठ और ईश्वर बना देता है !
सत्य बचन....
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
उत्तम विचार |
ReplyDeleteअहंकार ही पतन का, कारण दिखता मूल |
रावण दुर्योधन सरिस, आखिर फांके धूल ||
yatharth ....
ReplyDeleteका माँगू कछु थिर न रहाई
ReplyDeleteसच्चे सार्थक विचार....
ReplyDeleteबेहतरीन सार्थक प्रस्तुति,....
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एकदम सत्य है जी !
ReplyDeleteLearnings: पथ मेरा आलोकित कर दो !