वर्ष १९७० में भारतीय रेलवे में कुल ९ ज़ोन और ५० मंडल थे ! लेकिन आज हमारे पास कोंकण रेलवे से अलग १६ ज़ोन और ६८ मंडल है ! इसका सीधा अर्थ है की ७ अधिक महाप्रबंधक , सी.एम्.यी.,सी.यी.यी.,सी.यी.एन.,सी.पि.ओ., सी.एस.टी.यी.,सी.ओ.पि.,ऍफ़.ये.और सी.ये.ओ तथा दुसरे विभागाध्यक्ष बनाये गए है ( अब अधीक्षक शब्द भी प्रबंधक में बदल गया है )! अधिकतर रेलवे जोनो में अतिरिक्त महाप्रबंधक तथा बिभागाध्यक्ष भी मौजूद है ! इसी तरह १८ नए मंडलों में डी.आर.एम्, ये.डी.आर.एम्,सीनियर डी.एम्.यी.,सीनियर डी.यी.यी.,सीनियर डी.यी .एन.,सीनियर डी.ओ.एम्.,सीनियर डी.सी.एस.,सीनियर डी.एस.टी.यी.,सीनियर.डी.ऍफ़.एम्.,सीनियर डी.पि.ओ. तथा दुसरे मंडल विभागीय अध्यक्ष साथ में डी.एम्.यी.,डी.यी.यी.,डी.एम्.यी.विद्युत् ,डी.ओ.एम्.,डी.ऍफ़.एम्.,डी.एस.टी.यी.,डी.पि.ओ. और भी साथ में दुसरे सहायक अधिकारी ये.एम्.यी.,ये.यी.यी.,ये.यी.एन.,ये.ओ.एम्.,ये.सी.एस.,ये.एस.टी.यी.ये.ये.ओ.की नियुक्ति हुयी है !रेलवे ट्रैक किलो मीटर ना के बराबर बढ़ा है , जो इन बढे हुए पदों को जायज ठहरा सके !
मंडल अधीक्षक शव्द अब मंडल रेल प्रबंधक में बदल गया है ! जिसकी ग्रेड पे विभागीय अध्यक्ष के बराबर हो गयी है और सभी मंडलों के बिभागीय मुखिया अब मंडल अधीक्षक की ग्रेड पे पर पहुँच गए है !
यहाँ यह ध्यान देना भी अतिआवश्यक होगा की ७ नए जोनो तथा १८ नए मंडलों के लिए रेलवे को नयी बिल्डिंगे बनानी पड़ी !अधिकारियो और स्टाफ के नए मकान तथा बिभागो के लिए नए दफ्तर बनाने पड़े है ! जिसमे रेलवे की एक बड़ी पूंजी बर्बाद हुयी ! इस ग्रुप में आज तक एक अधिकारी का भी पद सरेंडर नहीं हुआ है ! साथ ही प्रति एक मंडल में पर्यवेक्षक स्टाफ भी पूरा भरा हुआ है , जो बिना किसी खास कार्य के बड़ा वेतन पा रहा है !
यहाँ यह ध्यान देना भी अतिआवश्यक होगा की ७ नए जोनो तथा १८ नए मंडलों के लिए रेलवे को नयी बिल्डिंगे बनानी पड़ी !अधिकारियो और स्टाफ के नए मकान तथा बिभागो के लिए नए दफ्तर बनाने पड़े है ! जिसमे रेलवे की एक बड़ी पूंजी बर्बाद हुयी ! इस ग्रुप में आज तक एक अधिकारी का भी पद सरेंडर नहीं हुआ है ! साथ ही प्रति एक मंडल में पर्यवेक्षक स्टाफ भी पूरा भरा हुआ है , जो बिना किसी खास कार्य के बड़ा वेतन पा रहा है !
इन उपरोक्त विषयो पर रेलवे को कभी अर्थ व्यवस्था की याद नहीं आई ! कितनी बड़ी पूंजी रेलवे की बर्बाद हुयी , इसके ऊपर रेलवे ने कभी विचार तक नहीं किया ! लेकिन जब लोको रंनिंग स्टाफ की जायज मांगो के ऊपर विचार करने का समय आया तब रेलवे की निति पूरी तरह बदल गयी तथा अर्थव्यवस्था का ठीकरा कर्मचारियों की मांगो के ऊपर फोड़ा जा रहा है ! प्रति वर्ष नयी रेल गाड़िया बढ़ रही है , बहुत साडी रेल गाडियों का रन स्पान बढाया जा रहा है फिर भी इन गाडियों को चलने के लिए लोको पायलट और सहायक लोको पायलटो की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है !
उपलब्ध स्टाफ का कार्यभार बढाया जा रहा है ! यह रेलवे की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है ! सुरक्षा श्रेणियों में तुरंत स्टाफ को बढाया जाना चाहिए तथा पहले से खाली पड़े पदों को भरा जाना चाहिए !
लोको रंनिंग स्टाफ के ऊपर अमानवीय कृ लिंक थोपा जा रहा है !
उनमे अत्यधिक घंटे १०+२+१ =१३ घंटे को न्यूनतम मनाकर कार्य लिया जा रहा है !
लगातार ६ नाईट ड्यूटी करायी जा रही है !
साप्ताहिक / आवधिक विश्राम भी नहीं दिया जा रहा है !
नियमो का गलत अर्थ निकल कर १० घंटे तथा १४ घंटे के बाद कॉल दिया जा रहा है
तीन - चार दिन तक मुख्यालय से बाहर रखा जा रहा है !
दयनीय गर्मी तथा सर्दियों में रंनिंग रूमों के विपरीत रेस्ट हाउसों में विश्राम के लिए बाध्य किया जा रहा है !
खाना खाने तथा प्राकृतिक कॉल के लिए भी समय नहीं दिया जा रहा है
यदि संक्षेप में कहें तो लोको रंनिंग स्टाफ के साथ जानवरों तथा मशीनों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है !
नए रेल मंत्री ने पटरी से उतरी रेलवे को पटरी के ऊपर लाने के लिए भारत सरकार से १०.००० हजार करोड़ रुपये मांगे ! रेलवे को पटरी से उतारने का बड़ा कार्य पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया !जिसको लोग मैनेजमेंट गुरु कहने लगे ! यहाँ इस विषय पर गौर करना भी अतिआवश्यक होगा की पिछले ८ सालो से रेलवे ने किराये के दामो में जरा भी वृद्धि नहीं की जबकि सारी वस्तुओ के दाम ३-४ गुना तक बढे है !
छठा वेतन आयोग आने से कर्मचारियों और पेंशनभोगियो का वेतन भी बढ़ा है ! उदहारण के लिए ---पलक्कड़ से बंगलुरु तक का एक्सप्रेस ट्रेन का किराया १०४ रुपये है , स्लीपर श्रेणी का १७९ तथा वातानुकूलित चेयरकार का ३९० रुपये है ! वही पलक्कड़ से बंगलुरु का बस का किराया ५०० रुपये है ! पैसेंजर गाडियों का किराया तो न के बराबर है !
वास्तव में रेलवे की ऐसी हालत गलत फैसलों , मिस मैनेजमेंट , भ्रष्टाचार , सस्ती वाहवाही तथा घिनौनी राजनीती के कारण हुयी है !
( सौजन्य - फायर मैगजीन /बंगलुरु /फरवरी अंक /लेखक -वि.के.श्रीकुमार ,भूतपूर्व क्षेत्रीय सचिव /ailrsa /दक्षिण रेलवे / अंग्रेजी में )
उपलब्ध स्टाफ का कार्यभार बढाया जा रहा है ! यह रेलवे की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है ! सुरक्षा श्रेणियों में तुरंत स्टाफ को बढाया जाना चाहिए तथा पहले से खाली पड़े पदों को भरा जाना चाहिए !
लोको रंनिंग स्टाफ के ऊपर अमानवीय कृ लिंक थोपा जा रहा है !
उनमे अत्यधिक घंटे १०+२+१ =१३ घंटे को न्यूनतम मनाकर कार्य लिया जा रहा है !
लगातार ६ नाईट ड्यूटी करायी जा रही है !
साप्ताहिक / आवधिक विश्राम भी नहीं दिया जा रहा है !
नियमो का गलत अर्थ निकल कर १० घंटे तथा १४ घंटे के बाद कॉल दिया जा रहा है
तीन - चार दिन तक मुख्यालय से बाहर रखा जा रहा है !
दयनीय गर्मी तथा सर्दियों में रंनिंग रूमों के विपरीत रेस्ट हाउसों में विश्राम के लिए बाध्य किया जा रहा है !
खाना खाने तथा प्राकृतिक कॉल के लिए भी समय नहीं दिया जा रहा है
यदि संक्षेप में कहें तो लोको रंनिंग स्टाफ के साथ जानवरों तथा मशीनों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है !
नए रेल मंत्री ने पटरी से उतरी रेलवे को पटरी के ऊपर लाने के लिए भारत सरकार से १०.००० हजार करोड़ रुपये मांगे ! रेलवे को पटरी से उतारने का बड़ा कार्य पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया !जिसको लोग मैनेजमेंट गुरु कहने लगे ! यहाँ इस विषय पर गौर करना भी अतिआवश्यक होगा की पिछले ८ सालो से रेलवे ने किराये के दामो में जरा भी वृद्धि नहीं की जबकि सारी वस्तुओ के दाम ३-४ गुना तक बढे है !
छठा वेतन आयोग आने से कर्मचारियों और पेंशनभोगियो का वेतन भी बढ़ा है ! उदहारण के लिए ---पलक्कड़ से बंगलुरु तक का एक्सप्रेस ट्रेन का किराया १०४ रुपये है , स्लीपर श्रेणी का १७९ तथा वातानुकूलित चेयरकार का ३९० रुपये है ! वही पलक्कड़ से बंगलुरु का बस का किराया ५०० रुपये है ! पैसेंजर गाडियों का किराया तो न के बराबर है !
रेलवे को इतने सस्ते में यात्रियों को क्यों ढोना चाहिए ? आखिर क्यों ?
इसके लिए लोको रंनिंग स्टाफ अकेले बलि का बकरा बन रहे है !वास्तव में रेलवे की ऐसी हालत गलत फैसलों , मिस मैनेजमेंट , भ्रष्टाचार , सस्ती वाहवाही तथा घिनौनी राजनीती के कारण हुयी है !
Why this kolaveri DAI........
( सौजन्य - फायर मैगजीन /बंगलुरु /फरवरी अंक /लेखक -वि.के.श्रीकुमार ,भूतपूर्व क्षेत्रीय सचिव /ailrsa /दक्षिण रेलवे / अंग्रेजी में )
प्रश्न गहरे हैं रेलवे के सामने, उत्तर ऐसे हों जिससे रेलवे बनी रहे।
ReplyDeleteनीतियों में इतनी विसंगतियों के साथ रेलवे जी रहा है. आने वाले समय में विसंगतियाँ दूर करनी ही पड़ेंगी.
ReplyDeleteरेल विभाग को पटरी में लाने के लिए रेल का किराया बढ़ना ही चाहिए,.
ReplyDeleteRECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...
आपकी पोस्ट् इस एक विभाग के विषय में कई जानकारियां देती है.... जानना ज़रूरी भी है क्योंकि रेलवे आमजन से जुडी है.... ये विसंगतियां यक़ीनन दूर की जानी चाहिए.... आभार
ReplyDelete"...रेलवे को पटरी से उतारने का बड़ा कार्य पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने किया !जिसको लोग मैनेजमेंट गुरु कहने लगे !..."
ReplyDeleteयही तो सबसे बड़ी विडम्बना है!
वोट की राजनीति में यही तो सबसे बड़ी विडम्बना है!...बेहतरीन पोस्ट .
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
सटीक !
ReplyDeleteस्टाफ बराबर नहीं है पूरी भर्तियाँ नहीं हैं वर्तमान कर्मचारियों पर कार्यभार हद से ज्यादा है फिर कोई बड़ा हादसा होने उन्ही को जिम्मेदार ठहराते हैं कितनी गंभीर समस्या है लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं इस समस्या का निवारण होना चाहिए बहुत विचारणीय पोस्ट है आभार
ReplyDeleteचिन्तन योग्य आलेख....
ReplyDeleteये वाकई चिंतनीय है.सरकारी हर सरकारी तंत्र को घटे में ले जाकर निजी हाथों में बेचना चाहती है.सिर्फ रेलवे ही नहीं बल्कि विद्युत् मंडल सड़क परिवहन टेलेफोन विभाग जैसे कई विभाग सालों से नयी भारती की बात जोह रहे है.कार्य का बोझ बदता जा रहा है जिसका असर कार्य की गुणवत्ता पर भी बढ़ रहा है.
ReplyDeleteआपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
ReplyDeleteमेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
रेलवे की कार्यप्रणाली पर सुन्दर आलेख. आभार.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट के जरिये ... रेलवे की जानकारी खूब मिल रहि है ... अच्छा लिखा है ...
ReplyDeleteबहुत रोचक जानकारी...रेलवे की कार्यप्रणाली पर एक विचारणीय आलेख...
ReplyDeleteरेलवे की आतंरिक और बाह्य विस्तृत जानकारी मिली. आभार.
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