ट्रेन से ली गयी एक पुराने रेलवे ब्रिज के खम्भे की तस्वीर
अहंकार मानव जाति को अँधा बना देता है ! अतः मानव पथ भ्रष्ट होकर ऐसे कार्यो में लीन हो जाता है कि उसे उचित या अनुचित का ध्यान ही नहीं रहता ! अंत में यह उसके जीवन में पराजय का एक पहलू बन जाता है ! रावण , कंस या दुर्योधन इसके उदहारण के लिए काफी है !
वहीँ परमार्थ के लिए उत्पन्न अहंकार मानव को श्रेठ और ईश्वर बना देता है !